land Archives - Antarvasna https://sexstories.one/tag/land/ Hindipornstories.org Sat, 11 Dec 2021 07:08:26 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1 मेरी पलागतोड़ चुदाई https://sexstories.one/meri-palagtod-chudai-story/ Sat, 11 Dec 2021 07:03:02 +0000 https://sexstories.one/?p=4890 उनका मोटा लंड खड़ा हो गया था फिर से.. मेरे कपडे उतारकर उन्होंने एक झटके में पूरा लंड मेरे चूत में घुसेड़ दिया.. मैं चिल्ला उठी फिर से... वो रुके नहीं.. पेलते रहे.. एकदम जानवर बन चुके थे वो आज...

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Meri Chudai / Patni ki Palagtod Chudayi Story – हेलो दोस्तों! कैसे हो सब? आज फिर से लेके आयीं हूँ उस सेक्सी स्टोरी का दूसरा भाग.. मैं अपने बारे में फिरसे बता दूँ.. मैं एक इंटीरियर डिज़ाइनर हूँ और मेरा फिगर बहुत ही सेक्सी और स्लिम है.. उम्र २५ साल और मैं पूरी दूध की तरह गोरी चिट्टी हूँ.. एकदम सेक्सी कर्व्स, पेट स्लिम टीम और फ्लैट है… बेल्ली तो लगभग है ही नहीं.. और मेरे बूब्स और गांड बड़े हैं.. मैंने अपनी फोटो पहले भाग में शेयर की थी..

मेरा एक छोटा बच्चा है जो ४ महीने का है.. ऐसे तो मेरे पति मुझे रोज़ चोदते है.. वो भी एक जंगली जानवर की तरह…लेकिन आज रात तो वो एक अलग ही जानवर बन गए थे… चुदाई से घर में आधा सामान टूट चूका है… मेरे पति ऑफिस में थे और मैं अपना काम कर रही थी, वर्क फ्रॉम होम वाली… तभी मेरे पति का मुझे कॉल आया.. वो बोले के वो आज रात अलग ही जोश में होंगे… आज रात वो पूरी रात इतनी ज़ोर से चुदाई करेंगे की पूरा घर हिलने लगेगा.. मैं बोली, ठीक है.. मेरे पतिदेव.. पहले घर तो आ जाओ..

रात के १० बज चुके थे.. मैंने टेबल पे काम करते करते खाना लगा दी थी..

और मैं खुद काम करने लग गयी.. मेरे पति १० बजे आये और वो मुझे किस करना चाहते थे.. लेकिन मैंने उनको करने नहीं दिया क्योंकि मैं कांफ्रेंस कॉल पर ट्रेनिंग दे रही थी नई कैंडिडेट्स को… वो फ्रेश होक आये और खाना खाने बैठ गए.. मैं भी कांफ्रेंस कॉल ख़त्म करके खाने बैठ गयी.. फिर खाने के बाद, उन्होंने मुझे पीछे से पकड़ लिया और किस करने लगे.. लेकिन मुझे अभी भी एक फाइल भेजना था कैंडिडेट को..

मैंने उनको बोला प्लीज अभी नहीं.. क्योंकि मुझे ये लास्ट फाइल भेजनी थी.. लेकिन वो माने ही नहीं… और मेरे बूब्स को और गांड को दबाने लगे ज़ोर से…

फिर उन्होंने अपना पायजामा खोल दिया और सैंडो भी उतार फेका और अपना अंडरवियर भी खोल दिया.. हमारा बेटा हमारे बेडरुम में सो रहा था.. फिर उन्होंने मुझे उठाया और टेबल पर लेटा दिया.. टेबल पर बहुत सारे खाने का सामान था और मेरे काम की चीज़े भी थी जैसे की पेपर्स, लैपटॉप और पेंसिल बॉक्स… मैं अपने ऑफिस से एक १८ साल के इंटर्न कैंडिडेट से पेंसिल बॉक्स लेके आयी थी.. क्योंकि वो गलती से छोड़ के चला गया था.. लेकिन मेरे पति ने मुझे टेबल पे उन सब के ऊपर लेटा दिया था… और मेरे कपडे फाड़ दिए.. और मेरे ऊपर आ गए.. मिशनरी पोजीशन में… और अपने बदन से मेरे बदन को ज़ोर से दबाने लगे…

मेरे पति बहुत भारी है क्योंकि उनका बड़ा सा पेट है.. मैं पेपर्स और पेंसिल बॉक्स के ऊपर लेटी हुई थी.. पेंसिल बॉक्स ठीक मेरी गांड के निचे था और मेरे पति मेरे ऊपर पूरे जोश में थे और मेरे बॉडी को काट रहे थे.. फिर उन्होंने अपना १० इंच का काला मोटा लंड ज़ोर से मेरी कमसिन चूत में घुसा दिया.. मैं चिल्ला उठी… लेकिन वो माने नहीं..

उन्होंने अपनी चुदाई को स्पीड बढ़ा दी..

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मैं चिल्ला रही थी… सिसकारियां निकाल रही थी..उउउउउ…. आआह्ह्ह्हह…. उम्म्म्म…. आउच! थोड़ा आराम से… लेकिन वो मान ही नहीं रहे थे.. उन्होंने और वज़न दाल दिया और ज़्यादा स्पीड से चोदने लगे… पूरा टेबल धप-धप-धप के आवाज़ कर रहा था.. और ज़ोर से हिल रहा था…

मेरे गांड के निचे जो पेंसिल बॉक्स था वो पूरा टूट गया और पेपर्स भी फट गए चुदाई से.. पेंसिल बॉक्स के टुकड़े मेरे गांड में चुभ रहे थे..

लेकिन मेरे पति पूरे जोश में जंगली सेक्स कूद-कूद के कर रहे थे.. जब वो मेरे ऊपर कूद-कूद के चुदाई कर रहे थे तो पूरा टेबल इतना ज़ोर से हिल रहा था आगे-पीछे की जैसे टूट ही जायेगा.. सारा खाना निचे ज़मीन पे गिर रहा था.. और देखते ही देखते टेबल टूट गया हम दोनों के चुदाई से…

हम दोनों निचे गिर गए.. फिर भी वो रुके नहीं… चुदाई करते रहे.. मैं आअह्ह्ह…. आह्ह्ह्ह… उईईई माँ…… मर गयी… आअह्ह्ह.. आह्ह्ह्हह… आउच… आउच… उउउउउ….. सससस, करती रही… मेरी सेक्सी सिसकारियां सुन कर वो और भी ज़ोर से चुदाई करने लगे.. सब खाना मेरे बदन पर चिपक रहा था…

फिर वो अकड़ गए और एक ज़ोर का झटका मारते हुए उन्होंने अपने लंड का माल मेरी गर्म चूत में छोड़ दिया.. मुझे थोड़ी राहत मिली.. वो मेरे ऊपर ही लेटे रहे.. फिर जब हमलोग उठे तो हमने निचे देखा.. पूरा सत्यानाश हो चूका था टेबल का.. खाना बिखरा था.. सब टूट गया था..

मैं फ्रेश होने चली गई..

कुछ देर बाद मेरे पति फ्रेश हो कर बैडरूम में मेरे पास आ गए और सोने लगे.. १ घंटे बाद वो फिर उठ गए.. उनका मोटा लंड खड़ा हो गया था फिर से.. मेरे कपडे उतारकर उन्होंने एक झटके में पूरा लंड मेरे चूत में घुसेड़ दिया.. मैं चिल्ला उठी फिर से… वो रुके नहीं.. पेलते रहे.. एकदम जानवर बन चुके थे वो आज.. उनके अंदर पता नहीं कितना माल और पड़ा था.. चोदे और पेले जा रहे थी मेरी गीली गर्म चूत… मैं कराह रही थी.. और उनकी स्पीड बढ़ती जा रही थी…

पूरा बेड हिल रहा था.. बेटा भी बेड पर हील रहा था.. मुझे डर था की कहीं वो जाग न जाए…

चुदाई के समय के कराह रही थी… ओह्ह्ह्ह… आअह्ह्ह्ह… आराम से… पर मेरे पति कहा रुकने वाले थे… ५ मिनट चूत चोदने के बाद उन्होंने मुझे उल्टा किआ और मेरे मोटे गांड पर हाथ फेरा.. मुझे भी रूमानी नशा सा हो गया था.. मेरे गांड के होल पर उन्होंने थूक लगा और अपने लंड पर भी और एक-दो जटके में पूरा लंड अंदर घुसा दिया… मैं दबी आवाज़ में चिल्ला उठा… वो कूद-कूद कर मेरी गांड मारने लगे… उनके चुदाई के रिथम से पूरा बेड हिल रहा था.. करीब आधे घंटे गांड मारने के बाद मुझे फिर से सीधा लेटा दिया और जमके १५ मिनट तक मेरी चूत मारी…

तो ये थी मेरी दुसरी चुदाई की कहानी। इस चुदाई के बाद मेरे पति मुझसे रोज, हर रात, रफ वाइल्ड मिशनरी सेक्स करते हैं। जिस कामरे मैं हमलोग सोटे है वहा का बिस्तर बहुत मजबूत था। लेकिन मेरे पति की कच्ची चुदाई से, वो बिस्तर भी हिलने लगता है, और चूर-चूर की आवाज आती है।

आशा करती हूं आपको मेरी कहानी अच्छी लगी होगी…

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मुझे अपने लंड पे बैठा लो https://sexstories.one/kaala-lund-chut-me-dalwane-ki-kamukta/ Thu, 11 Nov 2021 06:01:10 +0000 https://sexstories.one/?p=3306 मैंने जब उसकी चूत पर अपने लंड को सटाया तो उसकी चूत मे लंड डालने में मुझे बहुत मजा आया। मैं उसकी चूत का आनंद ज्यादा देर तक नहीं ले पाया जब मेरा वीर्य पतन हो गया तो मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए पारुल से कहां मैं अब तुम्हारी गांड नहीं मार पाऊंगा...

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Kaala lund chut me dalvane ki kamukta story – मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखता हूं हालांकि मेरे माता पिता नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने मुझे बहुत ही अच्छे से प्यार दिया है। मैं एक अनाथ आश्रम में पढ़ता था मेरी उम्र 10 वर्ष की थी तो मुझे गोद ले लिया था उसके बाद से ही मैं उनके साथ रह रहा हूं उन्होंने मुझे माता-पिता का पूरा प्यार दिया और कभी भी मुझे मेरे माता-पिता की कमी महसूस नहीं होने दी। मैंने जब अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर ली तो उसके बाद मैं कुछ काम करने की सोचने लगा उसमें मेरे पिताजी ने मेरी काफी मदद की और कहा कि बेटा तुम जो भी चाहते हो तुम वह काम कर लो, मैंने उन्हें कहा मैं एक एनजीओ खोलना चाहता हूं जो कि गरीब बच्चों की मदद करें और जितने भी गरीब बच्चे हैं उनकी पढ़ाई में मैं उनकी मदद करना चाहता हूं, वह कहने लगे बेटा तुम्हारे तो बहुत ही अच्छे ख्यालात हैं यदि तुम इस प्रकार की सोच रखते हो तो तुम्हें मुझसे जितनी भी मदद की आवश्यकता है वह मैं तुम्हें देने को तैयार हूं।

मेरे पिताजी बड़े ही अच्छे हैं और वह हमेशा ही मुझे प्रोत्साहित करते रहते हैं, मैंने उनकी मदद से एक छोटा सा घर किराए पर ले लिया और जितने भी आसपास के गरीब बच्चे थे जिन्हें मैं पढ़ा सकता था उन्हें मैंने पढ़ाने का बीड़ा उठाया और उनकी पढ़ाई में जितना मुझसे मुमकिन हो सकता था मैं उतना करता था, धीरे-धीरे बच्चों की संख्या भी बढ़ने लगी और मेरे पास काफी बच्चों के माता-पिता आने लगे, वह कहते कि आप बहुत ही अच्छा और नेक काम कर रहे हैं इससे हमारे बच्चों को बहुत मदद मिल रही है, जब उनके चेहरे पर मैं मुस्कुराहट देखता तो मुझे भी बहुत अच्छा लगता। एक बार मैं बच्चों को पढ़ा रहा था तभी मेरे पास एक तीन चार लोगों का ग्रुप आया और वह लोग मुझे कहने लगे क्या आप ही सतीश हैं? मैंने उन्हें कहा हां मेरा नाम ही सतीश है।

उन लोगों ने मुझे कहा कि सर क्या आप हमें थोड़ा समय दे सकते हैं? मैंने उन्हें कहा क्यों नहीं मैं अपनी क्लास खत्म कर लेता हूं उसके बाद हम लोग मेरे ऑफिस में बैठ जाते हैं। मैंने उन्हें अपने ऑफिस में बैठा लिया और जब वह मेरे ऑफिस में बैठे तो मैं बच्चों को पढ़ाने के लिए चला गया जैसे ही क्लास खत्म हुई तो मैं उन लोगों के पास गया, वह लोग मुझसे कहने लगे सतीश जी हमने आपके बारे में काफी सुना है और आप गरीब लोगों की काफी मदद करते हैं हम लोग भी आपका साथ देना चाहते हैं, मैंने उनसे पूछा आप लोग कहां रहते हैं?

वह कहने लगे हम लोग भी यहीं रहते हैं और कुछ समय पहले ही हमारी पढ़ाई खत्म हुई है हम लोग आपकी मदद करना चाहते हैं। यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ, मैंने उन लोगों के नाम पूछे वह तीन लोग थे उनमें से दो लड़कियां थी और एक लड़का था लड़के का नाम शोभित है और उन लड़कियों का नाम पारुल और रंजना है। मैंने उन्हें कहा आप जैसे लोगों की ही मुझे जरूरत है यदि आप लोग मेरे साथ आ जाएं तो मुझे बहुत खुशी होगी, वह लोग कहने लगे सर हम लोग कल से सुबह के वक्त आ जाया करेंगे, मैंने उन्हें कहा आप कल से सुबह आ जाइएगा।

Kaala Lund Chut me Kamuk kahani मेरी चुड़क्कड़ बॉस

अगले दिन वह लोग सुबह ही आ गए और मैंने उन्हें सब कुछ समझा दिया, मैंने उन्हें बताया कि मैं बच्चों को कौन-कौन सी क्लास पढ़ाता हूं और उन लोगों को भी मैंने उनकी जिम्मेदारी सौंप दी थी वह लोग अपनी जिम्मेदारी पाकर बहुत खुश थे और वह बहुत ही अच्छे से मेरे साथ पढ़ाने लगे मुझे बहुत ही खुशी होती जिस प्रकार से वह लोग बच्चों को निस्वार्थ भाव से पढ़ाते, मुझे उन लोगो के विचार बहुत ही पसंद है हालांकि उनकी उम्र मुझसे थोड़ी ही कम थी लेकिन वह लोग बड़े ही समझदार और अच्छे हैं, मेरे पिताजी जब भी मुझसे मिलने आते तो हमेशा पूछते कि बेटा तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं है, मैं उन्हें कहता नहीं पिताजी मुझे कोई परेशानी नहीं है आप जितना कर सकते थे आप ने उतना मेरे लिए किया, अब मुझे धीरे-धीरे सफलता मिलती जा रही थी और मेरे साथ काफी लोग भी जुड़ते जा रहे थे।

मैंने जो मुहिम शुरू की थी उसका मुझे बहुत ही फायदा मिल रहा था और मेरे पास बच्चों की संख्या भी अधिक होती जा रही थी मैं बहुत ही ज्यादा खुश था। एक दिन पारुल मेरे साथ ऑफिस में बैठी हुई थी वह मुझसे पूछने लगी सतीश आपके घर में कौन-कौन है? मैंने उसे अपने बारे में सब कुछ बताया उन्हें मेरे बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था लेकिन जब मैंने उनको बताया कि मैं भी एक अनाथ आश्रम में पढ़ता था और उसके बाद मुझे मेरे पिता ने गोद लिया तब से मेरे जीवन में परिवर्तन आ गया है इसीलिए मैंने बच्चों को पढ़ाने की सोची।

मेरे पिताजी ने इसमें मेरी बहुत मदद की, पारुल यह सुनकर कहने लगी आप बड़े ही नेक व्यक्ति हैं आपके जो भी ख्यालात हैं वह मुझे बहुत पसंद है और इसी वजह से हम लोगों ने आप के साथ जुड़ने की सोची, पारुल मुझे चाहने लगी यह उसके इरादो से मुझे पता चल जाता था। मैं एक दिन ऑफिस में बैठा हुआ था उस दिन पारुल मुझसे कहने लगी सतीश जी मुझे आपसे कुछ पूछना था मैंने उससे कहा हां कहो। वह मुझे कहने लगी क्या आपकी कोई गर्लफ्रेंड है मैंने उसे कहा नहीं मेरी कोई भी गर्लफ्रेंड नहीं है। वह कहने लगी मैंने तो सुना था आपकी गर्लफ्रेंड है।

मैंने उसे कहा तुम्हे किसने कहा मैं तो सिंगल ही हूं। वह कहने लगी आप मेरी कसम खाइए, मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी कसम खाता हूं मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। यह कहते हुए उसने मुझे कहा आप मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बना लीजिए। मैंने उसे कहा पर मैं तुम्हें अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बना सकता। जब मैंने उसे मना किया तो वह मुझे अपने स्तनों को दिखाने लगी और बार बार अपने बालों पर हाथ फेरने लगी। उसके स्तनों की लकीर मुझे दिखाई दे रही थी मैं भी अपने आप को कितनी देर तक रोकता मैंने उसके स्तनों पर अपने हाथ को लगाया तो मेरे अंदर भी सेक्स भावना जाग उठी। मैंने उसे कहा तुम मेरी गोद में आकर बैठ जाओ, वह मेरी गोद में आकर बैठी तो उसकी गांड मेरे लंड से टकरा रही थी, मेरा लंड खडा हो चुका था।

मैंने उससे कहा तुम्हारी गांड तो बहुत ही बड़ी है। वह कहने लगी हां मेरी गांड बहुत बड़ी है मैं अब आपसे अपनी गांड मरवाना चाहती हूं। मैंने उसे कहा लेकिन मैंने आज तक किसी की भी गांड नहीं मारी। वह कहने लगी आप मुझे बस अपना बना लीजिए मैंने उसे कहा तुम कैबिन का दरवाजा बंद कर लो। उसने दरवाजा बंद कर लिया उसने अपने सारे कपड़े उतारे तो उसका फिगर देखकर मैं उठ कर उसके पास चला गया और उसके बदन को सहलाने लगा। मैं जब उसके बदन को सहला रहा था तो उसकी चूत से तरल पदार्थ निकल रहा था।

वह कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा। मैंने जब उसकी चूत पर अपने लंड को सटाया तो उसकी चूत मे लंड डालने में मुझे बहुत मजा आया। मैं उसकी चूत का आनंद ज्यादा देर तक नहीं ले पाया जब मेरा वीर्य पतन हो गया तो मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए पारुल से कहां मैं अब तुम्हारी गांड नहीं मार पाऊंगा। वह कहने लगी नहीं आपको मेरी गांड तो मारनी ही पड़ेगी मैंने भी अपने लंड को उसकी गांड पर सटा दिया। जैसे ही मैंने धक्का देकर उसकी गांड के अंदर अपने लंड को डाला तो वहां चिल्लाने लगी और कहने लगी आपके मोटा लंड को लेकर तो मेरे अंदर और भी जोश बढ़ने लगा है। वह अपनी गांड को मुझसे टकराने लगी।

जिस प्रकार से मेरा लंड उसकी गांड के अंदर बाहर होता मेरा लंड दर्द होने लगा था लेकिन उसकी टाइट गांड मारने में मुझे बहुत आनंद आ रहा था। मैं तेजी से उसकी गांड मार रहा था मैं ज्यादा देर तक उसकी गांड की गर्मी को सह नहीं पाया जब मेरा वीर्य पतन उसकी गांड में हुआ तो वह कहने लगी क्या आपने मुझे अपना लिया है। मैंने उसे कहा हां पारुल मैंने तुम्हें अपना लिया है लेकिन तुम्हें याद रहे यह बात सिर्फ हम दोनों के बीच ही रहनी चाहिए यह बात किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिए। हम दोनों के बीच अक्सर सेक्स संबंध बनते रहते हैं लेकिन यह बात किसी को भी नहीं पता।

पारुल मेरे लिए कई बार कंडोम ले आती है कभी वह कहती है आप कंडोम लगाकर मेरी चूत और गांड मारो और कभी बिना कंडोम के हम दोनो सेक्स करते है मुझे उसके साथ सेक्स संबंध बनाना बहुत अच्छा लगता है।

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लौड़े में दम नहीं फिर भी हम किसी से कम नहीं https://sexstories.one/laude-me-dum-nahi-hum-kisise-kum-nahi/ Tue, 19 Oct 2021 09:59:13 +0000 https://sexstories.one/?p=3062 उन्होंने भी कई बार मुझे उस तरीके की नजर से देखा था। मैं उनके ख्यालात भाप चुकी थी। इसलिए मैं भी इशारे करने लगी थी। एक दिन वह समय आ ही गया जब उन्होंने मुझे मेरे बिस्तर पर लेटा कर मेरे चूचो को दबाने लगे। वह बोलने लगे मैं तो कब से इस मौके का इंतजार कर रहा था।....

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antarvasna, desi laude porn kahani बबीता के पिता पुलिस में कांस्टेबल थे। बबीता के पिता का देहांत जब हो 15 साल की थी तभी हो गया था। उसके परिवार में पांच बहने थी।बबीता एक सामान्य परिवार से होने के नाते कोई दुख और तकलीफ  का सामना  अपने जीवन में किया था। अब 42 साल की हूं। अभी मे हसीन और मस्त हू। इसलिए मैं एक नंबर वन की गस्ती बन गई। जो आज पूरे पंजाब में बबीता गस्ती के नाम से मसहूर हूं।मैंने कई लंडो की प्यास को बुझाया है। इसीलिए लोग आज मुझे इतना मानते हैं। मैं अपने बारे में आपको बताती हूं कि मैं एक कॉल गर्ल कैसे बनी। मैं बचपन से बहुत ही सीधी और शरीफ थी। मुझे तो चूत और लंड के बारे में कुछ भी पता नहीं था। मैं आपको बताती हूं। किस प्रकार से कुछ लोगों का हाथ मुझे बबीता गस्ती बनाने में है। मैं आपको बताती हूं।

मेरी मां काफी जुगाडू  किस्म की महिला हैं। उसका अहम योगदान रहा  मुझे  कॉल गर्ल बनाने में और मुझे कभी भी ऐसा करने से रोकती नहीं। मैं जब अपने रिश्तेदारी के यहाँ जाती थी। वहां पर मेरे रिश्तेदार मेरे साथ कई बार मेरी गांड पर हाथ फेर देते थे। पेहले मुझे इस बात का एहसास नहीं था। एक दो बार तो उन्होंने मुझे चॉकलेट खिलाने के बहाने अपना लंड भी चुसवा दिया। और मुझे बोलते थे यह वाली ओरिजिनल चॉकलेट है। मुझे भी बहुत मजा आता था। और मैं ज्यादा से ज्यादा ओरिजिनल वाली चॉकलेट खाना पसंद करती थी। मेरे चाचा ने भी कई बार मुझे ऐसे ही अपना लंड चुसवा दिया। यह मेरी शुरुआती दिनों की ट्रेनिंग थी। और हमारे घर पर जो भी आता मैं उन सबके लंड चुस्ती। मुझे बहुत आनंद आता ओरिजिनल चॉकलेट खाने में यह तो मेरे बचपन के दिनों की बात है।

मैं स्कूल में 12 वी क्लास में थी। और मेरी एक दोस्त थी।जो हमेशा मुझे अपने काम के लिए बोलती थी। एक अच्छी दोस्त की तरह मैंने कभी मना नहीं किया। मै हमेशा उसकी हेल्प करती थी। जब उसका कुछ काम होता नहीं था स्कूल का तो वह मुझे टीचरों के आगे खड़ा कर देती थी। और बोल देती इसकी वजह से मेरा काम नहीं हुआ। फिर वह टीचर मेरी स्कर्ट उठाकर मेरी गांड पर छड़ी से प्रहार करते। और वह टीचर मुझे अपने घर  बुलाते थे। और मुझे अपना लंड चुसवाते थे। कुछ मुझसे कहते थे। चलो अपनी स्कर्ट ऊपर करो और घोड़ी बन जाओ।

फिर वह मेरी चुत और गाड़ लेते थे। मेरे चलते मेरी सहेली को भी कभी भी कोई फेल नहीं करता था। बाद में मैंने भी एक बार अपनी सहेली की सहायता ली और उसे कहां मेरा काम कर दे। अपना काम करवाने के बहाने मैंने उसे अपने घर पर बुलवा लिया। और मेरे चाचा से उसकी बुंड फड़वा दी। क्योंकि उसने भी मेरा बहुत फायदा उठाया था। हमें भी समझ गई थी दुनिया को चाचा मैं मेरा काम इसलिए किया क्योंकि वह रोज मेरी गांड मारते थे। मैंने उनके सामने प्रस्ताव रखा आज मैं आपको नई सील बंद गांड दिलऊंगी।

तो आप मुझे क्या दोगे उन्होंने कहा जो मांगेगी वह दे दूंगा। उन्होंने मुझे एक सोने की अंगूठी थी और कुछ पैसे भी तब से मुझे इसकी प् प्रेरणा मिलने लगी थी। ऐसे मैं पैसे कमाए जा सकते हैं। मेरे चाचा ने उस दिन मेरी सहेली की सरसों का तेल लगाकर ऐसे लिए उसके गांड के गूदे से खून निकलने लगा था। और उसकी चूत तो पूछो मत क्या हाल किया मेरे चाचा ने क्योंकि उनका काफी सख्त और कड़क था। मैं तो उनका रोज लेती थी। इसलिए मुझे एहसास था कि मेरी सहेली पर क्या बीत रहा होगा। मेरी सहेली मुझे कहने लगी तूने मेरे साथ गलत किया। मैंने उसको कहा कोई बात नहीं यह कुछ गलत नहीं है मैंने भी तेरे लिए बहुत कुछ किया है। फिर मैंने उसको कुछ पैसे दिया और कहा दवाई ले लेना क्योंकि तेरी गांड से 1 महीने तक बैठा नहीं जाएगा।

पैसे देखकर उसका भी मन ललचा गया। तब से हम दोनों यही काम करने लगे। लेकिन अभी भी कुछ कसर बची थी। मार्केट में हमारा नाम था नहीं और हमारी उम्र भी कम थी तो हम घर से बाहर भी नहीं जा सकते थे। मेरी सहेली भी आज दिल्ली में नंबर एक की जुगाड़ है। उसने भी आज दिल्ली के  लोड़ो को ले लिया है। वह भी बहुत पैसे कमाती है।

जब मेरी जॉब लगी।वह शुक्ला जी थे।जो मुझसे अपनी काम में मदद लेते थे। शुक्ला जी ने मुझे पहचान लिया। कि मैं एक नंबर की जुगाड़ हूं। तो उन्होंने मुझे पैसे दिए और अपनी कैबिन में बुलाया। और कई बार मेरी गांड और योनि का आनंद लिया। तब तक मैं भी पूरी खाई खेली बन चुकी थी। अब मैं कोई कच्ची कली नहीं थी अब मैं बड़े बूढ़ों को लेने लगी थी। मुझे भी बहुत मजा आता था। मुझे पैसे भी मिल जाते थे और मुझे भी हो जाते थे। देखते ही देखते मेरी चर्चाए और ऑफिस में भी होने लगी। हां मैं सब जगह बुकिंग पर जाने लगी। मेरी डिमांड बढ़ने लगी थी। मुझे शुक्ला जी ने फेमस कर दिया था अपने दोस्तों के बीच में सब एक से बढ़कर एक अय्याश और बड़े-बड़े लंड वाले थे। 9 इंच से कम तो किसी का भी नहीं था। मुझे बुड्ढों के साथ बहुत मजा आता था।

उन्होंने ही मेरा नाम बबीता रांड रखा था। सब के सब मेरी बहुत तारीफ करता है। बोलते हैं तेरे जैसा कोई नहीं देखा। और मैं भी उनकी तारीफों से अपने आप को खुशनसीब मानती हूं उन्होंने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया। अब इसके बाद और बचा था। फिर मेरा मन भरने लगा था। फिर मेरे घर वालों ने मेरे लिए लड़का देखना है शुरू किया। क्योंकि मेरे पिताजी का देहांत हो चुका था। मुझे भी मेरे पिता के मरने का अफसोस हुआ। उसी के कुछ समय बाद मेरे चाचा जी भी मर गए। जो कि मुझे पैसे दिया करते थे। अपनी बुड़ फडवाने के लिए इसलिए मेरे पास अब कोई चारा नहीं बचा था।

फिर मैंने शादी का फैसला कर ही लिया। मेरी शादी रवि नाम के एक लड़के से हो गई। घर वालों ने  अपने हिसाब से मेरे लिए लड़का देखा था। वह बहुत ही शरीफ था। वह किसी सरकारी नौकरी पर था। वह एक चिकना लौंडा था। हमारी शादी की पहली रात उसको कुछ पता ही नहीं था क्या करना है। उस कुत्ते को मैंने ही सब कुछ सिखाया। लेकिन उसमें कुछ दम नहीं था। क्योंकि मुझे सख्त और कड़क लंड लेने की आदत थी। इस वजह से मुझे कुछ मजा नहीं आ रहा था। लेकिन मेरे ससुर जी एक रौबदार और कड़क तरीके व्यक्ति थे।

उन्होंने भी कई बार मुझे उस तरीके की नजर से देखा था। मैं उनके ख्यालात भाप चुकी थी। इसलिए मैं भी इशारे करने लगी थी। एक दिन वह समय आ ही गया जब उन्होंने मुझे मेरे बिस्तर पर लेटा कर मेरे चूचो को दबाने लगे। वह बोलने लगे मैं तो कब से इस मौके का इंतजार कर रहा था। मैं भी बोल दिया ससुर जी आपने मेरे दिल की बात छीन ली। उसके बाद तो उन्होंने मुझे नंगा करना शुरू कर दिया और बोलने लगी बहू मैंने तो अपनी प्यास बुझाने के लिए तुमसे अपने लड़के की शादी करवाई। मे दिल ही दिल खुश हो उठी। और अपने ससुर से बोली आपने अपने बेटे को क्या खाकर पैदा किया है। साला पूरा का पूरा फुस पटाखा है।

फिर तो जैसे मैं मेरे ससुर का बीपी हाई हो गया। बोलने लगे बताता हूं क्या खाकर पैदा किया था। उन्होंने मेरे दोनों पैरों को चोड़ा किया। फिर अपना 9 इंच का सरिया मेरे चूत मैं बड़ी तेजी से उतार दिया। जैसे ही वह मेरी योनि में उत्तरा वैसे ही मेरे बदन में हलचल पैदा हो गई। उसके बाद तुम्हें भी तड़पने लगी। तड़प तड़प कर मैंने अपने ससुर का गला दबा दिया। उन्होंने कहा मादरचोद मुझे मारेगी क्या मैंने कहा हां इतने दिनों से तुमने ऐसा क्यों नहीं किया। मेरा तो मन ही नहीं हो रहा था। फिर मेरे से सुनना है लंबी गहरी सांस लेते हुए कहा।

रंडी तू देखती है ना सब लोग घर में अपनी मां  बहन करवाते रहते हैं। बातों बातों में मेरे ससुर ने ऐसा झटका मारना शुरू किया मानो ऐसा लगा जैसे मेरी चूत मेरे गले में आ गई हो। उसके बाद मेरे ससुर का झडने को हुआ। उन्होंने अंदर ही गिरा दिया। और आज जो मेरी बेटी है वह मेरे ससुर की पैदाइश है। क्योंकि मेरा पति कुछ काम का था नहीं मेरे ससुर को भी यह काम करना पड़ा। खुश मैं बहुत मेरे ससुर चल बसे। मुझे यह सब अच्छा नहीं लगा और मैं दोबारा से जुगाड़ बनने के लिए निकल पड़ी।

और देखते ही देखते पता नहीं कब मैं बबीता गस्ती बन चुकी थी।

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समीक्षा ने मुझे तसल्ली दी https://sexstories.one/desisex-chodayi/ Fri, 01 Oct 2021 07:41:08 +0000 https://sexstories.one/?p=4392 जब उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू किया तो मुझे भी मजा आने लगा और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था। मैने उसके बदन को पूरी तरीके से गरम कर दिया था जैसे ही मैंने समीक्षा की योनि के अंदर अपने लंड को धीरे धीरे डाला तो उसकी योनि से खून बाहर आने लगा था

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desisex porn antarvasna kahani – घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए तो काम करने के लिए शहर जाना पड़ा। मैं जब ट्रेन से उतरा तो मुझे मुंबई ऐसा लगा कि जैसे ना जाने मैं कहां आ गया हूं इतनी भीड भाड और इतने लोग देखकर मैं तो हैरान था। मेरी आंखें उन सब लोगों को देख रही थी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कौन सी तरफ से जाना है मैंने अपने बैग को अपने कंधे पर रखा और मैं स्टेशन से बाहर के लिए निकला तभी एक व्यक्ति मुझे दिखाई दिए उनकी मोटी तोंद और उन्होंने मोटे से चश्मा पहने हुए थे। मुझे लगा यह काफी समझदार लग रहे हैं इनसे ही मुझे पता पूछना चाहिए मैंने उनसे पता पूछा तो उन्होंने मुझे पहले तो ऊपर से लेकर नीचे तक देखा फिर मुझे कहने लगे अरे भाई साहब तुम्हें क्या सुबह सुबह कोई और नहीं मिला। मैंने उन्हें कहा भाई साहब आप ही बता दीजिए वह कहने लगे जाओ किसी और से ही पूछो वह चिल्लाते हुए चले गए ना जाने अपनी किस परेशानी से वह जूझ रहे थे जो की मुझ पर इतना चिल्लाने लगे।

मैं थोड़ा आगे गया तो एक सज्जन व्यक्ति मुझे मिले उन्होंने मुझे पता बताते हुए कहा कि भैया आप यहां से ऑटो कर लीजिए आपको कुछ दूरी पर ही ऑटो वाला छोड़ देगा। मैंने भी सोचा कि यह ठीक कह रहे हैं इसलिए मैंने ऑटो रिक्शा कर लिया ऑटो रिक्शा वाले ने अपने ऑटो के मीटर को ऑन किया और हम लोग वहां से आगे बढ़ गए थे। मैंने अपने मामा को फोन किया और कहा मामाजी मैं आने वाला हूं मामा कहने लगे तुम कहां पहुंचे मैंने मामा से कहा बस आस-पास ही हूं मुझे नहीं पता लेकिन यह ऑटो वाले भैया ही मुझे छोड़ देंगे। वह कहने लगे ठीक है तुम फ्लैट के पास आ  जाओ मैं पहुंचता हूं लेकिन मुझे क्या पता था कि जैसे ही मैं वहां पहुंच जाऊंगा तो मामा जी का फोन ही बंद हो जाएगा। मैं काफी देर तक वहीं बाहर खड़ा उनका इंतजार करता रहा मेरे पास तो उनका पूरा पता भी नहीं था उन्होंने मुझे जो सोसायटी का नाम बताया था वही मुझे मालूम था।

दरवाजा खुला रह गया

वह तो अच्छा हुआ कि मामा जी ने नीचे आकर मुझे देख लिया जब मामा जी मुझे मिले तो मैंने मामा जी से कहा मैं कितनी देर से आपका यहां इंतजार कर रहा हूं। मामा जी कहने लगे मेरी आंख लग गई थी और मुझे पता ही नहीं चला कि तुम्हारा फोन आ रहा था और फिर मेरा फोन भी बंद हो गया था। मैंने मामा जी से कहा कोई बात नहीं वह कहने लगे ठीक है चलो फिर घर चलते हैं। वह मुझे अपने साथ अपने फ्लैट में ले गए जब मैं मामा के फ्लैट में गया तो मैंने मामा जी से कहा आप तो बड़ी अच्छी जिंदगी जी रहे हैं।

मामा कहने लगे अरे खाक अच्छी है यहां दुनिया भर की परेशानियां है जीवन तो जैसे रेस का मैदान बना पड़ा है पता ही नहीं चल रहा है कि कहां जाना है और कहां से आना है बस ऐसे ही अपनी जिंदगी काटे जा रहे हैं। मामा जी ने अब तक शादी नहीं की है और वह 45 वर्षीय कुंवारे हैं मामा एक कंपनी में मैनेजर के पद पर हैं। उन्होंने मुझे कहा कि देखो ललित बेटा यहां पर तुम बड़े ही सोच समझ कर रहना किसी भी लड़की के चक्कर में मत पड़ जाना। मैंने उन्हे कहा अरे मामा जी आप कैसी बात कर रहे हैं मैं यहां काम करने के लिए आया हूं कोई लड़की बाजी करने के लिए थोड़ी आया हूं।

मामा कहने लगे तुम्हें मालूम है ना कि इससे पहले मेरे साथ भी क्या हुआ है। मामा जी को लड़कियों से थोड़ी दिक्कत होती थी मामा जी ने मुझे कहा कि कल तुम मुझे अपना बायोडाटा दे देना और मेरे साथ ही ऑफिस चलना मैंने उन्हें कहा ठीक है मामा जी। अगले दिन मैं उनके साथ ही उनके ऑफिस में गया उन्होंने मुझे अपने बॉस से मिलवा दिया जब उन्होंने मुझे अपने बॉस से मिलाया तो उनका रुतबा देख कर ही लग रहा था कि वह किसी कंपनी के मालिक हों। जब उन्होंने मुझसे मेरे बारे में पूछना शुरू किया तो मैंने उन्हें अपने बारे में सब कुछ बता दिया और उन्होंने मुझसे मेरी पढ़ाई के बारे में पूछा उसके बाद उन्होंने मुझे काम पर रख लिया था। जब मैं उनके कैबिन से बाहर निकला तो मामा जी ने मुझे बताया कि ललित बेटा तुम्हें मालूम है सर कि ना जाने कितनी कंपनियां चल रही हैं और मेरी उनसे बहुत अच्छी बनती है इसलिए उन्होंने तुम्हें काम पर रख लिया नहीं तो इस कंपनी में आने के लिए भी लोगों को जूते घिसने पड़ते हैं।

मेरा पहला ही दिन था इसलिए मैं ज्यादा देर ऑफिस में नहीं रुका और घर चला गया मैंने मामाजी के लिए खाना बना दिया था मामा जी जब घर आए तो कहने लगे अरे ललित तुम तो बड़ा अच्छा खाना बनाते हो। मैंने मामा जी से कहा मामा जी घर में खाना बनाना सीख लिया था ताकि जीवन में आगे चलकर कोई परेशानी ना हो। मामा जी मुझे कहने लगे तुम ने बहुत ही अच्छा किया, बेटा ऐसा स्वादिष्ट खाना यदि तुम मुझे रोज खिलाओगे तो मैं तो मोटा हो जाऊंगा और यह कहते हुए ही मामा जी हंसने लगे। मैं और मामा जी साथ में बैठे हुए थे तो वह मुझे अपने ऑफिस के बारे में बता रहे थे, अब अगले दिन मेरा ऑफिस का पहला ही दिन था मैं जब ऑफिस में गया तो ऑफिस में पहले दिन मैं कई लोगों से मिला। मेरे मामा को वहां काम करते हुए काफी वर्ष हो चुके थे इसलिए सब लोग मुझसे बड़े ही अच्छे से बात कर रहे थे।

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मेरे मामाजी बॉस के बहुत ही  चहिते थे इसीलिए तो बॉस ने मुझे काम पर रख लिया था मैं अब अपने काम पर अच्छे से ध्यान दे रहा था क्योंकि मुझे आए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था इसलिए मुझे थोडी समस्या हो रही थी लेकिन धीरे धीरे सब कुछ ठीक होने लगा था। अब मैं भी काफी हद तक काम सीख चुका था मैं अच्छे से काम करने लगा मुझे ऑफिस में करीब 3 महीने हुए थे लेकिन इस 3 महीने के दौरान मेरे अंदर बहुत कुछ बदलाव आ चुका था मैं भी अब मुंबई में रहने वाला एक जिम्मेदार नागरिक बन चुका था। मेरे कई दोस्त भी बनने लगे थे उन्ही दोस्तों के माध्यम से मेरी मुलाकात समीक्षा से हुई। जब समीक्षा से मैं मिला तो उससे बात करना मुझे अच्छा लगा और ऐसा लगा कि जैसे उससे मैं बात ही करता रहूँ। मैं समीक्षा से अपने दिल की बात कह दिया करता था और जब भी मैं परेशान होता तो उसे ही मैं सब कुछ बता देता था।

सब कुछ बड़े अच्छे से चल रहा था और सब तेजी से भी चल रहा था समय का पहिया इतनी तेजी से चला कि मेरा प्रमोशन भी हो गया। गांव से आया हुआ एक सामान्य सा लड़का मुंबई की बड़ी बिल्डिंग मे रहने लगा था। समीक्षा से मेरी नज़दीकियां भी बढ़ने लगी थी यह बात जब मेरे मामा जी को मालूम पडी तो उन्होंने मुझे कहा बेटा यह सब बिल्कुल ठीक नहीं है। उन्होंने मुझे समझाने की कोशिश की लेकिन मुझे समीक्षा अच्छी लगती थी और उससे बात करना मुझे बहुत पसंद था मैं समीक्षा से घंटो तक बात किया करता था। एक दिन मैंने समीक्षा को अपने फ्लैट में बुला लिया जब वह आई तो उस दिन हम लोगो ने एक दूसरे को किस कर लिया। पहली बार हम दोनों ने एक दूसरे के होठों को चूमा था मैंने समीक्षा को अपना बना लिया था। उसके नरम होठों को चूम कर मुझे ऐसा लगा जैसे उसे मैं अपना बना लूंगा। उस दिन तो हम दोनों के बीच कुछ नहीं हो पाया लेकिन अब हम दोनों के अंदर सेक्स को लेकर चिंगारी जल चुकी थी और वह चिंगारी को बुझाने का समय आ चुका था क्योंकि उसने आग का रूप ले लिया था। हम दोनों ही बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे और मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था मैंने समीक्षा के होठों को बहुत देर तक चूसा और उसे अपनी बाहों में ले लिया।

हम दोनों ने एक दूसरे के साथ बड़े ही अच्छे तरीके से किस किया जैसे ही मैंने समीक्षा की टी-शर्ट को उतारा तो वह मेरे सामने नंगी थी उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी। उसकी ब्रा को उतारते हुए उसके बड़े और सुडौल स्तनो को काफी देर तक मैं चूसता रहा मुझे बढ़ा ही मजा आ रहा था और उसे भी बहुत मजा आ रहा था। जैसे ही हम लोग ऐसा करते तो समीक्षा की चूत से पानी बाहर निकलने लगा वह चाहती थी कि मैं उसकी योनि को चाटू। मैंने उसकी योनि को बहुत देर तक चाटा समीक्षा की योनि को चाट कर मुझे बड़ा मजा आ रहा था। जब उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू किया तो मुझे भी मजा आने लगा और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था। मैने उसके बदन को पूरी तरीके से गरम कर दिया था जैसे ही मैंने समीक्षा की योनि के अंदर अपने लंड को धीरे धीरे डाला तो उसकी योनि से खून बाहर आने लगा था। मुझे भी अच्छा लगा समीक्षा की टाइट और मुलायम योनि के अंदर मेरा लंड जा चुका था उसकी चूत के अंदर लंड जाते ही उसके मुंह से तरह-तरह की आवाज निकलने लगी।

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वह बहुत ज्यादा बेचैन होने लगी थी और मुझे उसे धक्के मारने में बहुत मजा आ रहा था काफी देर तक मैं उसे ऐसे ही तेज गति से धक्के मारता रहा लेकिन जब उसकी चूत से खून बाहर निकलने लगा तो वह मुझे कहने लगी मेरी चूत से बहुत ज्यादा खून निकाल रहा है। मैंने उसे अपने ऊपर आने के लिए कहा और उसने मेरे लंड को अपनी योनि के अंदर ले लिया। मै उसे तेजी से धक्के मार रहा था और वह भी अपनी चूतडो को मेरे लंड के ऊपर नीचे करती जाती जिससे कि उसके अंदर की बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी और मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था। वह अपनी चूतडो को बड़े अच्छे से मेरे लंड से मिलाती जाती। मुझे उसकी उत्तेजना का अंदाजा लग रहा था कुछ ही समय बाद वह झडने वाली थी मैंने उसे अपने नीचे लेटा दिया और बड़ी तेजी से धक्के मारता जाता। जब मेरा वीर्य पतन समीक्षा की योनि के अंदर गया उसने मुझे कहा तुमने तो मेरी योनि में गिरा दिया। मैंने उसे कहा कोई बात नहीं मैं हूं ना।

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आंटी की चूत में 12 इंच का लंड भी छोटा लगे https://sexstories.one/aunty-hindi-sex-porn-chudai/ Thu, 06 Aug 2020 20:12:17 +0000 https://sexstories.one/?p=981 में सन्नी मेहरा. हैल्लो फ्रेंड्स, मेरा नाम सन्नी है और आज में आप सभी को अपने जीवन का एक सच बताने जा रहा हूँ, जिससे मेरी पूरी जिंदगी बदल गई. फ्रेंड्स यह कहानी मेरी और ... >> पूरी कहानी पढ़ें

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में सन्नी मेहरा. हैल्लो फ्रेंड्स, मेरा नाम सन्नी है और आज में आप सभी को अपने जीवन का एक सच बताने जा रहा हूँ, जिससे मेरी पूरी जिंदगी बदल गई. फ्रेंड्स यह कहानी मेरी और मेरी आंटी की है और में इस स्टोरी में आप सभी को बताऊंगा कि कैसे मैंने आंटी की जांघो में छुपी हुई गुलाबी कलर की चुत और फूली हुई गांड को बहुत अच्छी तरह से अपने 8 इंच के काले मोटे लंड से रातभर चोदा और उन्हे खुश किया और अब फ्रेंड्स में अपनी कहानी पर आता हूँ. antarvasana hindi porn sex kahani wali aunty ki chut chudai katha.

फ्रेंड्स में एक छोटे से शहर का रहने वाला हूँ, में पढ़ने में बहुत तेज़ था इसलिए मेरी नौकरी एक प्राइवेट कंपनी में लग गई और इसलिए में अपने शहर से नई दिल्ली आ गया और जब में दिल्ली आया तो में यहाँ की लड़कियों और औरतों को देखता था जो कि बहुत छोटे छोटे कपड़ों में रहती थी, कोई अपने बूब्स को हिला हिलाकर चलती तो कोई अपनी गांड को मटका मटकाकर चलती थी.

मुझे दिल्ली की आंटी बहुत अच्छी लगती थी, उनकी गांड और बूब्स में तो जैसे मेरा लंड खड़ा करने की जादुई ताक़त थी. फ्रेंड्स मुझे पढ़ाई के साथ सेक्स का भी बहुत शौक था. में हर वक्त केवल चुदाई के बारे में ही सोचता रहता था और इस साईट पर हिंदी सेक्सी कहानियाँ पढ़ता था और फिर दिन में दो तीन बार मुठ मार लेता था.

जब में नई दिल्ली आया तो मैंने किराए पर एक फ्लेट लिया, वो फ्लेट 10वीं मंजिल पर था और जहाँ मैंने फ्लेट लिया था वहां पर केवल दो ही फ्लेट थे और वहाँ एकदम सुनसान रहता था तो वहाँ पर ज़्यादा कोई आता जाता भी नहीं था. desi hindi porn sex kahaniya padhiye free me!

फिर मैंने अपना सारा सामान अपने नये फ्लेट में सेट किया और बाहर लॉन में घूमने निकल गया. फिर जब में बाहर घूम रहा रहा था तभी मुझे मेरे पास वाले फ्लेट में से एक औरत बाहर निकलते हुए दिखी, उसकी उम्र करीब 32 साल की होगी, उसने गुलाबी कलर की साड़ी पहनी हुई थी और वैसे ही कलर का गहरे गले का ब्लाउज पहना हुआ था, शायद वो कहीं बाहर जा रही थी.

जब मैंने उसे पहली बार देखा तो मेरे होश उड़ गये, उसके बड़े बड़े बूब्स क्या मस्त थे और जब वो चल रही थी तो उसके बूब्स उछल उछलकर बाहर आने की कोशिश कर रहे थे और उसकी गांड इतनी बड़ी और ब्रेड की तरह फूली हुई थी कि उसमे अगर 12 इंच का लंड भी डालो तो कम पड़ जाएगा और जब वो चल रही थी तो उसके चुतड़ ऊपर नीचे हो रहे थे,

उसका चेहरा थोड़ा सांवला था, लेकिन उसके फिगर के आगे उसका चहरा और खिल रहा था. उसका पूरा जिस्म बहुत सेक्सी था, उसके फिगर का साईज करीब 36-24-36 था. फ्रेंड्स में मन ही मन बहुत खुश हुआ कि मेरे फ्लेट की मंजिल पर केवल दो ही फ्लेट है और उसमें से एक उसका है, फिर मैंने सोचा कि अगर यह एक बार मुझे मिली तो में उसके दोनों बूब्स के बीच की दरारों में अपना 8 इंच का लंड डालकर चुदाई जरुर करूंगा और उसकी गांड के छेद में अपनी सारी उंगलियाँ एक ही बार में डालकर इसे इतना चोदूंगा कि यह भी मेरे लंड की दीवानी हो जाएगी और इतना सोचते ही मेरे लंड ने मेरी जिन्स में ही वीर्य निकाल दिया. वो तनकर एकदम सीधा खड़ा हो गया और उसकी चुत को सलामी देने लगा था. hindi porn sex videos

फिर में झट से अपने कमरे में चला गया और अपनी पेंट खोलकर अपने लंड की तरफ देखा तो उसमे से इतना वीर्य निकल रहा था जैसे कि उसको किसी ने अपने मुहं में लेकर बाहर निकाला हो और उसका लार मेरे लंड पर रह गया हो. फिर मैंने अपने लंड का सुपाड़ा हल्के से पीछे किया तो मेरा सारा वीर्य मेरे हाथ पर गिरने लगा और फिर मैंने हल्के से अपने लंड का सुपाड़ा पकड़ा और उसे हल्के हल्के ऊपर नीचे करना चालू कर दिया. फिर मैंने जैसे ही अपनी आखें बंद की तो उन आंटी का फिगर मेरे सामने आ गया.

मैं उसके बूब्स को सोच सोचकर मुठ मारे जा रहा था और में उसकी उभरी हुई गांड के बारे में सोचकर मुठ मारे जा रहा था, तो मेरी हालत एकदम खराब हो गई थी. मेरे काले, मोटे, लंबे, लंड का तो एकदम बुरा हाल हो गया था और उसका सुपाड़ा तो एकदम लाल हो गया था. फिर में उठा और अपने हाथ को चुत के आकर का बनाया और उसमे अपना लंड डाल दिया आआहहााआअहह क्या बताऊँ फ्रेंड्स मुझे तो जन्नत का मज़ा आ रहा था.

उसकी चुत को सोचकर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारे जा रहा था और अभी तक मेरी आँखे बंद थी. फिर मेरे धक्के और भी तेज़ हो गये और अब में झड़ने वाला था. फिर आअहह की आवाज़ के साथ मेरा सारा वीर्य मेरे हाथ पर गिर गया, वो एकदम सफेद गाढ़ा था और जब मैंने अपने हाथों की तरफ देखा तो मेरा वीर्य मेरे पूरे हाथों पर फैला हुआ था. फिर मैंने अपना वीर्य अपने लंड पर लगाया और उसकी मालिश करने लगा.

मैंने अपना थोड़ा सा वीर्य अपनी एक उंगली पर लिया और उस उंगली को अपने मुहं में लगा लिया, मुझे मेरा वीर्य बहुत स्वादिष्ट लगा और उसके बाद मैंने ठान लिया कि में अब आंटी को चोदकर ही रहूँगा और फिर एक अच्छे मौके की तलाश करने लगा. sex porn hindi fonts me!

फिर धीरे धीरे ऐसे ही समय गुजरता चला गया. में अपने ऑफिस के कामों में लग गया, लेकिन चाहकर भी में आंटी की मदहोश कर देने वाली जवानी को नहीं भुला पा रहा था और में उनसे बात करने की नई नई तरकीब सोचता रहता था, लेकिन मेरी किस्मत मेरा साथ नहीं देती, क्योंकि सारा दिन वो अपना कमरा बंद करके रखती थी जिसकी वजह से मुझे मौका नहीं मिल पता था.

एक दिन जब में सो रहा था तभी किसी ने मेरा दरवाजा बजाया, मैंने उठकर दरवाजा खोला तो मैंने देखा कि सामने आंटी खड़ी हुई है, फ्रेंड्स वो क्या लग रही थी? वो गुलाबी कलर की मेक्सी पहने हुई थी क्योंकि उसे गुलाबी कलर बहुत पसंद था. वो मेक्सी थोड़ी जालीदार थी, जिसमें से उनके बूब्स के काले काले दाने साफ दिखाई दे रहे थे, क्योंकि उस समय आंटी ने अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई थी.

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