दया और टपू के मजे

Daya Aur Tapu Ke Maje – गड़ा हाउस – जेठालाल जो की सो रहा था अभी और दया किचन में काम कर रही थी, और बाबूजी अखबार पढ़ रहे थे.. और टपू भी उधर बाबूजी के साथ बैठकर अपना वीडियो गेम खेल रहा था… आज संडे था तो उसको स्कूल नही जाना था.. दया बाहर आती है और टेबल पर नाश्ता लगाती है और बोलती है..

दया – बाबूजी.. टपू चलिए.. नाश्ता कर लीजिये.. नहीं तो ठंडा हो जायेगा…

बाबूजी – अरे बहु… जेठ्या उठा के नहीं?

दया – जी बापूजी. अभी नहीं उठे…

तभी बाबूजी ने ज़ोर से चिल्लाया – जेठ्या…..

जेठालाल उठता है और बोलता है..

जेठालाल – जी बापूजी..

बापूजी – ऐ बापूछाप। कितना सोता है कुम्ब्करण कयिनो…

जेठालाल जल्दी से उठता है और बाथरूम की तरफ भागता है..

तभी बापूजी नाश्ता करते है और अपने यंग-ओल्ड ग्रुप से मिलने चले जाते है.. और टप्पू अभी भी गेम खेल रहा था..

दया – टप्पु बेटा, नाश्ता करले डिक्रा…

टप्पू – बस २ मिनट मम्मी…

दया – अच्छा बेटा

तभी जेठला बाहर आता है और नाश्ता करता है और दूकान की तरफ निकल जाता है.. इधर दया टेबल साफ़ करने के लिए झुकती है तो उसकी साड़ी ज़रा खिसक जाती है.. उसके बूब्स नज़र आते है साइड से..

टप्पू देखता है और मन में सोचता है.. ‘वाह! मेरी मम्मी कितनी कमाल की है… एक बार इनको चोदने को मिले तो मज़ा आ जाए.. ‘

दया टप्पू की नज़र को ताड़ लेती है.. के वो क्या देख रहा है..

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दया – टप्पु डिक्रा.. क्या देख रहा है?

टप्पू – कुछ नहीं मम्मी.. बस मैं तो अपनी प्यारी मम्मी को देख रहा था..

दया टप्पू का इशारा समझ जाती है…

दया – अरे बीटा.. क्या चाहिए तुझे?

टप्पू – मम्मी, आप बस एक बार मुझसे चुदवालो…

दया – हे मा माताजी!! अरे नहीं टप्पू बेटा। ये क्या बोल रहा है… मैं ये सपने में भी नहीं सोच सकती…

टप्पू – अरे मम्मी… प्लीज अब आप अपने बेटे का ध्यान नहीं रखोगी… तो कौन रखेगा..

टप्पू ने दया को गले लगा लिया, जिससे दया को टप्पू का लंड महसूस होता है..

दया – नहीं बेटा… ये नहीं चलेगा..

टप्पू – अरे मम्मी, फॉरेन कंट्री में ये सब चलता है.. प्लीज मम्मी प्लीज़…

दया – ठीक है बेटा..

टप्पू – ये! मेरी प्यारी मम्मी!!

टप्पू दया को किस करने लग जाता है और दया भी साथ देने लगती है.. १० मिनट घमासान किस के बाद दोनों अलग होते है..

दया – टप्पू बेटा, तो तो मुझे खा ही जाता अभी… ज़रा आराम से डिक्रा…

टप्पू जल्दी से अपनी पेंट उतारता है और दया की अपनी लंड की तरफ इशारा करता है..

दया – अरे वाह! टप्पू बेटा.. तेरा लंड को कितना मोटा है….

दया टप्पू के लंड को मुंह में रख लेती है और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगती है..

टप्पू – आह! आह! ममम्मी, बस आह्हः! ऐसे ही… अहह!!

फिर दया १५ मिनट तक ऐसे ही लंड चुसती है..

टप्पू – मम्मी मैं झड़ने वाला हूँ… ओह्ह्ह!!!

दया – हाँ.. टप्पू बेटा.. मेरे मुंह में झड़ जा…

टप्पू – आह्ह्ह्ह!! ऊह्ह्ह्ह!! लो मैं गया…

दया टप्पू का सारा माल पी जाती है और अपने आप को ठीक करती है और टप्पू भी अपनी पेण्ट पहन कर खेलने के लिए चला जाता है.. और दया किचन में…