हेल्लो मेरे बकचोद एवं चुदक्कड भाई लोग कैसे हो आप लोग | आशा करता हूँ की आप सभी लोग मस्त होंगे और रोज अपना कीमती वक़्त निकाल कर सेक्सी कहानिया पढ़ते होंगे | दोस्तों मैं आज आप लोगो को एक नयी कहानी बताऊंगा जिसमे मैंने कैसे अपने पडोसी की गरम लड़की को चोदा उससे पहले आप लोग थोडा अपने भाई के बारे में जान लीजिये फिर मैं आप लोगो को सीधा कहानी की ओर ले चलता हूँ |
दोस्तों मेरा नाम अरबिंद कुमार है | मैं हरयाणा का रहने वाला हूँ | मेरा परिवार एक छोटा परिवार है जिसमे मेरे मम्मी-पापा और मुझसे छोटा एक भाई रहता है | पापा मेरे हरयाणा गवर्नमेंट में सर्विस करते हैं और मम्मी एक सीधी-सादी हाउस बीवी हैं जो घर पर ही रहा करती है |
मैं आप लोगो को रोज एक न एक नयी कहानी लिखकर पढवाता हूँ | दोस्तों आज मैं आप लोगो के लिए बहुत ही मस्त और सेक्सी कहानी लेके आया हूँ | जिसे पढके आप लोग चूत चोदने के आदि हो जायेंगे | तो चलिए दोस्तों मैं आप लोगो को अपनी ज्यादा बकवास न सुनाते हुए सीधा आप लोगो को अपनी कहानी की ओर ले चलता हूँ |
तो मेरे छोटे तथा मेरे से बड़े मेरे प्रिय भाइयों और बहनों ये बात उस समय की है जब मैं अपनी 10 वीं की पढाई पूरी करके अपनी अगली की पढाई करने के लिए अपने शहर से चला गया था | मैंने अपना एडमिशन दिल्ली में लिया था | दोस्तों मैं जहाँ रहता रहता था वो हरयाणा का सबसे छोटा शहर था | और वहां कोई अच्छे स्कूल नही थे सब ऐसे ही थे | वहां का माहोल भी नही सही था | इसलिए मेरे पापा ने मुझे वहां से निकाल कर दिल्ली में कर दिया था | मैं दिल्ली के एक बहुत बड़े कॉलेज में पढता था और वहीँ उसी कॉलेज के हॉस्टल में रहता था | दोस्तों जब मैं हाई स्कूल में था तब में अपने स्कूल स्कूल में खूब मस्ती किया करता था और खूब दोस्तों के साथ मिलकर अपने स्कूल के लड़कों को मारता पीटता था | मैं अपने स्कूल में बहुत शैतान था सभी स्कूल के टीचर मुझसे नाराज़ रहते थे | पर मैं अपनी हराम खोरी से बाज नही आता था | मैं अपने क्लास में अपने दोस्तों के साथ एकदम पीछे वाली सीट पर बैठकर मस्ती ककिया करता था और क्लास के लडको को परेशान किया करता था | एक दिन हम लोगो के स्कूल में 2 अक्टूबर को टीचर्स हम लोगो को टहलने के लिए दिल्ली लेके आये थे | हम लोग दिल्ली के लाल किला और और भी सब चीजो को देख रहे थे | वहां हम लोगो के साथ दिल्ली कॉलेज के और भी लड़के और लडकिया टहल रहे थे | मैं और मेरे कुछ दोस्त एक साइड में खड़े होकर वहां की लडकियो को देख रहे थे | क्या लड़कियां थी एकदम गोरी-चिट्टी | मैं और मेरे दोस्त दिल्ली कॉलेज की लडकियो को ताड़े जा रहे थे | हम लोग टहल कर अपने स्कूल आये और उसके बाद घर गये | मैं बस उन लडकियो के बारे में सोंच रहा था | मैंने अपना मन बनाया था की हाई स्कूल के बाद एडमिशन दिल्ली में ही लूँगा चाहे कुछ हो जाये |
पर मेरे पापा ने मेरे बिना कहे ही मेरा एडमिशन दिल्ली के एक अच्छे कॉलेज में करा दिया था | मैं यहाँ आके बहुत खुस था मैंने जिस कॉलेज में एडमिशन लिया था वहां बहुत मस्त-मस्त लड़ियाँ थी | जिस क्लास में मैं तय उस क्लास में इतनी मस्तऔर चिकनी लडकिया थी की मैं अपना ध्यान पढाई की ओर लगा ही नही पा रहा था बस उन्हें ही ताड़े जा रहा था | मुझे अपनी क्लास में एक लड़की पसंद आयी थी | उसका नाम बबिता था | वो दिखने में इतनी सेक्सी और कट्टो थी की मेरी उससे बात करने की हिम्मत ही नही पड रही थी | मुझे धीरे-धीरे 7-8 महीने कॉलेज में हो गये थे और मेरे कॉलेज में दोस्त भी बन गये थे | मैं उस लड़की से किसी न किसी बहाने से बोला करता था कभी उसकी बुक मांगता था तो कभी उससे पेन मांगता था | कुछ दिन तक मैंने उसके पीछे चक्कर लगाये थे फिर मैंने उसको धीरे-धीरे सेट कर लिया था | मैं उसे रोज कुछ न कुछ गिफ्ट दिया करता था और कॉलेज की कैंटीन में भी बहुत समोसे और पिज़्ज़ा खिलाया था तब जाके वो मुझसे सेट हुयी थी | जाड़ो के दिन चल रहे थे मैं और वो धुप में कॉलेज के कॉलेज के ग्राउंड में बैठकर बाते कर रहे थे | उसने मुझसे कहीं घूमने को बोला की हम लोग कहीं चलते हैं | मैंने उससे कहा की तु बाहर रहती है तो तु जा सकती है मैं नही जा सकता हूँ | हॉस्टल वाले मुझे बाहर जाने की परमिशन नही देंगे | हम लोग ग्राउंड पर बैठे थे तभी मेरी नज़र उसके सामने पड़ी उसकी स्कर्ट ऊपर की और उठ गयी थी और उसकी गोरी-गोरी झांघे दिख रही थी | मेरा उसकी झांघे देखकर दिमाक ख़राब हो गया | अब मेरा लंड फूल कर खड़ा हो गया था और मुझे अब उसकी चोदने का मन हो रहा था | मैंने उससे मजाक में कहा की तुम्हारी प्राइवेट प्रॉपर्टी दिख रही है इसे कवर करो | उसने झट से अपना स्कर्ट नीचे किया और सरमाते हुए बोली की तुम्हे बहुत मजा आ रहा है | थोड़ी देरतक मैंने उससे बाते की और फिर हम लोग वहां से उठकर अपनी क्लास में आके बैठ गये | वो मेरे ही पास बैठी रही और मेरा मन उसे चोदने का हो रहा था | मैंने अपना हाथ धीरे-धीरे से उसकी झांघो में लगाया और सहलाने लगा | उसने मेरा हाँथ हटा दिया मैंने फिर जबरजस्ती अपना हाँथ उसकी स्कर्ट के अन्दर डाल कर उसकी झांघो को सहलाने लगा | थोड़ी देर तक उसने मेरा हाथ हटाने की कोशिस की फिर चुप-चाप बैठकर सीट पर मचल रही थी | मैंने उसकी झांघो को थोड़ी देर तक सहलाया फिर मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा | वो अपने होंठो को चूसते हुए सीट पर बैठी-बैठी मचल रही थी | थोड़ी देर के बाद वो झड गयी थी मेरी उंगली भी गंदी हो गयी थी | मैं उठा और वाशरूम चला गया |
अब हम लोगो के 11 वीं के एग्जाम हो गये थे और हम लोग गर्मियो की छुट्टियो में अपने-अपने घर चले गये थे | मैं अपने घर पर ही रहा करता था और कभी-कभी शाम को निकलता था तो निकलता था वैसे वो भी नही निकलता था | मेरे पड़ोस में एक मिश्र जी थे | हम लोगो के घर वालो का एक दुसरे के घर आना जाना था | उनकी लड़की भी गर्मियो की छुट्टी में आयी हुयी थी | एक दिन मैं अपने कमरे में बैठ कर टीवी देख रहा था तभी वो अपनी मम्मी के साथ मेरे घर पर आयी और बैठ गयी आके | मेरी मम्मी और उसकी मम्मी बाहर बैठ कर बाते कर रही थी | वो चुप चाप होके उन दोनों के बीच में बैठी | तभी मरी मम्मी ने कहा की बेटा जा जाके टीवी देख ले अरविन्द देख रहा है कमरे में | वो मेरे कमरे में आयी उसने मुझे हाई बोला मैंने भी उसको हश के रिप्लाई दिया | वो मेरे पास ही बेड पर बैठ गयी | मैं लेटा था मैं उठकर बैठ गया | वो मेरे और मेरी पढाई के बारे में पूँछ रही थी | मैंने उसको अपने बारे में सब कुछ बता दिया | हम लोगो ने थोड़ी देर तक बाते की और फिर वो अपने घर चली गयी | शाम हुयी मैं अपनी छत्त पर चाय पी रहा था तभी वो भी अपने छत्त पर आ गयी | उसने मुझे अपना हाँथ हिला कर हेल्लो बोला मैंने भी उसे रिप्लाई दिया | उसका घर बिलकुल मेरे पडोश में ही था | अब हम लोगो की रोज शाम को कहीं छत्त पर तो कभी घर पर मुलाकात होने लगी थी | वो मुझे धीरे-धीरे पसंद करने लगी थी | एक दिन मैं अपनी छत्त पर खड़ा था और वो भी अपनी मम्मी के साथ छत्त पर थी | उसकी मम्मी थोड़ी देर तक खड़ी रही और फिर चली गयीं | वो मेरे पास आयी और मुझसे बाते करने लगी मैं भी उससे बाते कर रहा था | वो मुझे कुछ कहने ही जा रही थी की तभी उसकी मम्मी ने उसको आवाज लगे और वो चली गयी | उसने मुझे रात में मिलने को कहा की रात में छत्त पर आ जाना | मैं अपना खाना पीना करके छत्त पर गया और उसका इंतजार कर रहा था | थोड़ी देर तक मैंने उसका इंतजार किया फिर मैं उसके छत्त पर गया और उसके जीनो की तरफ देखा तो वो आ रही थी | जब वो छत्त पर आ गयी उसने मेरा हाँथ पकड़ा और छत्त के अंधरे में लेके चली गयी और मुझे नीचे बैठाल दिया और खुद भी बैठ गयी | उसने मेरा हाथ अपने हाथ में पकड़ा और मुझसे चिपक गयी और कहने लगी की मैं तुम्हे पसंद करती हूँ और तुमसे प्यार करने लगी हूँ | वो मुझसे चिपकी हुयी थी और मेरा संतुलन बिगड़ रहा था | अब मेरा लंड भी फूल चूका था | मैंने ऊससे झूठ कहते हुए की मैं भी तुम्हे पसंद करता हूँ और उसके होंठो को अपने मूह में रख कर चूसने लगा था | वो मेरी इतनी दीवानी थी की वो चुप-चाप नीचे बैठ कर मेरा साथ देते हुए मेरे होंठो को चूस रही थी | मैंने थोड़ी देर तक उसके होंठो को चूसा फिर मैंने उसके नीचे के कपडे उतार दिए और उसको छत्त की फ़र्स पर लिटा कर उसकी चूत में अपना मुह डाल कर चाटने लगा और वो पड़ी-पड़ी मचल रही थी | फिर मैंने अपना लंड निकाल कर उसकी चूत में डाल दिया और जोर-जोर से उसकी चूत में धक्के दे रहा था और वो अपने मुह से आह अहह अहह अह अह अह आहा अह आहा अह अह अ आहा अह अ हहह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अहहह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह इह्ह इह्ह की सिस्कारिया निकाल रही थी | थोड़ी देर तक मैंने उसकी चूत में धक्के दिए और फिर बाद में वो और मैं एक ही साथ झड गये थे |
तो दोस्तो ये थी मेरी कहानी | आशा करता हूँ की आप लोगो को पसंद आएगी |