मेरी चुड़क्कड़ बॉस Archives - Antarvasna https://sexstories.one/tag/मेरी-चुड़क्कड़-बॉस/ Hindipornstories.org Thu, 11 Nov 2021 06:01:10 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1 मुझे अपने लंड पे बैठा लो https://sexstories.one/kaala-lund-chut-me-dalwane-ki-kamukta/ Thu, 11 Nov 2021 06:01:10 +0000 https://sexstories.one/?p=3306 मैंने जब उसकी चूत पर अपने लंड को सटाया तो उसकी चूत मे लंड डालने में मुझे बहुत मजा आया। मैं उसकी चूत का आनंद ज्यादा देर तक नहीं ले पाया जब मेरा वीर्य पतन हो गया तो मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए पारुल से कहां मैं अब तुम्हारी गांड नहीं मार पाऊंगा...

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Kaala lund chut me dalvane ki kamukta story – मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखता हूं हालांकि मेरे माता पिता नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने मुझे बहुत ही अच्छे से प्यार दिया है। मैं एक अनाथ आश्रम में पढ़ता था मेरी उम्र 10 वर्ष की थी तो मुझे गोद ले लिया था उसके बाद से ही मैं उनके साथ रह रहा हूं उन्होंने मुझे माता-पिता का पूरा प्यार दिया और कभी भी मुझे मेरे माता-पिता की कमी महसूस नहीं होने दी। मैंने जब अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर ली तो उसके बाद मैं कुछ काम करने की सोचने लगा उसमें मेरे पिताजी ने मेरी काफी मदद की और कहा कि बेटा तुम जो भी चाहते हो तुम वह काम कर लो, मैंने उन्हें कहा मैं एक एनजीओ खोलना चाहता हूं जो कि गरीब बच्चों की मदद करें और जितने भी गरीब बच्चे हैं उनकी पढ़ाई में मैं उनकी मदद करना चाहता हूं, वह कहने लगे बेटा तुम्हारे तो बहुत ही अच्छे ख्यालात हैं यदि तुम इस प्रकार की सोच रखते हो तो तुम्हें मुझसे जितनी भी मदद की आवश्यकता है वह मैं तुम्हें देने को तैयार हूं।

मेरे पिताजी बड़े ही अच्छे हैं और वह हमेशा ही मुझे प्रोत्साहित करते रहते हैं, मैंने उनकी मदद से एक छोटा सा घर किराए पर ले लिया और जितने भी आसपास के गरीब बच्चे थे जिन्हें मैं पढ़ा सकता था उन्हें मैंने पढ़ाने का बीड़ा उठाया और उनकी पढ़ाई में जितना मुझसे मुमकिन हो सकता था मैं उतना करता था, धीरे-धीरे बच्चों की संख्या भी बढ़ने लगी और मेरे पास काफी बच्चों के माता-पिता आने लगे, वह कहते कि आप बहुत ही अच्छा और नेक काम कर रहे हैं इससे हमारे बच्चों को बहुत मदद मिल रही है, जब उनके चेहरे पर मैं मुस्कुराहट देखता तो मुझे भी बहुत अच्छा लगता। एक बार मैं बच्चों को पढ़ा रहा था तभी मेरे पास एक तीन चार लोगों का ग्रुप आया और वह लोग मुझे कहने लगे क्या आप ही सतीश हैं? मैंने उन्हें कहा हां मेरा नाम ही सतीश है।

उन लोगों ने मुझे कहा कि सर क्या आप हमें थोड़ा समय दे सकते हैं? मैंने उन्हें कहा क्यों नहीं मैं अपनी क्लास खत्म कर लेता हूं उसके बाद हम लोग मेरे ऑफिस में बैठ जाते हैं। मैंने उन्हें अपने ऑफिस में बैठा लिया और जब वह मेरे ऑफिस में बैठे तो मैं बच्चों को पढ़ाने के लिए चला गया जैसे ही क्लास खत्म हुई तो मैं उन लोगों के पास गया, वह लोग मुझसे कहने लगे सतीश जी हमने आपके बारे में काफी सुना है और आप गरीब लोगों की काफी मदद करते हैं हम लोग भी आपका साथ देना चाहते हैं, मैंने उनसे पूछा आप लोग कहां रहते हैं?

वह कहने लगे हम लोग भी यहीं रहते हैं और कुछ समय पहले ही हमारी पढ़ाई खत्म हुई है हम लोग आपकी मदद करना चाहते हैं। यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ, मैंने उन लोगों के नाम पूछे वह तीन लोग थे उनमें से दो लड़कियां थी और एक लड़का था लड़के का नाम शोभित है और उन लड़कियों का नाम पारुल और रंजना है। मैंने उन्हें कहा आप जैसे लोगों की ही मुझे जरूरत है यदि आप लोग मेरे साथ आ जाएं तो मुझे बहुत खुशी होगी, वह लोग कहने लगे सर हम लोग कल से सुबह के वक्त आ जाया करेंगे, मैंने उन्हें कहा आप कल से सुबह आ जाइएगा।

Kaala Lund Chut me Kamuk kahani मेरी चुड़क्कड़ बॉस

अगले दिन वह लोग सुबह ही आ गए और मैंने उन्हें सब कुछ समझा दिया, मैंने उन्हें बताया कि मैं बच्चों को कौन-कौन सी क्लास पढ़ाता हूं और उन लोगों को भी मैंने उनकी जिम्मेदारी सौंप दी थी वह लोग अपनी जिम्मेदारी पाकर बहुत खुश थे और वह बहुत ही अच्छे से मेरे साथ पढ़ाने लगे मुझे बहुत ही खुशी होती जिस प्रकार से वह लोग बच्चों को निस्वार्थ भाव से पढ़ाते, मुझे उन लोगो के विचार बहुत ही पसंद है हालांकि उनकी उम्र मुझसे थोड़ी ही कम थी लेकिन वह लोग बड़े ही समझदार और अच्छे हैं, मेरे पिताजी जब भी मुझसे मिलने आते तो हमेशा पूछते कि बेटा तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं है, मैं उन्हें कहता नहीं पिताजी मुझे कोई परेशानी नहीं है आप जितना कर सकते थे आप ने उतना मेरे लिए किया, अब मुझे धीरे-धीरे सफलता मिलती जा रही थी और मेरे साथ काफी लोग भी जुड़ते जा रहे थे।

मैंने जो मुहिम शुरू की थी उसका मुझे बहुत ही फायदा मिल रहा था और मेरे पास बच्चों की संख्या भी अधिक होती जा रही थी मैं बहुत ही ज्यादा खुश था। एक दिन पारुल मेरे साथ ऑफिस में बैठी हुई थी वह मुझसे पूछने लगी सतीश आपके घर में कौन-कौन है? मैंने उसे अपने बारे में सब कुछ बताया उन्हें मेरे बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था लेकिन जब मैंने उनको बताया कि मैं भी एक अनाथ आश्रम में पढ़ता था और उसके बाद मुझे मेरे पिता ने गोद लिया तब से मेरे जीवन में परिवर्तन आ गया है इसीलिए मैंने बच्चों को पढ़ाने की सोची।

मेरे पिताजी ने इसमें मेरी बहुत मदद की, पारुल यह सुनकर कहने लगी आप बड़े ही नेक व्यक्ति हैं आपके जो भी ख्यालात हैं वह मुझे बहुत पसंद है और इसी वजह से हम लोगों ने आप के साथ जुड़ने की सोची, पारुल मुझे चाहने लगी यह उसके इरादो से मुझे पता चल जाता था। मैं एक दिन ऑफिस में बैठा हुआ था उस दिन पारुल मुझसे कहने लगी सतीश जी मुझे आपसे कुछ पूछना था मैंने उससे कहा हां कहो। वह मुझे कहने लगी क्या आपकी कोई गर्लफ्रेंड है मैंने उसे कहा नहीं मेरी कोई भी गर्लफ्रेंड नहीं है। वह कहने लगी मैंने तो सुना था आपकी गर्लफ्रेंड है।

मैंने उसे कहा तुम्हे किसने कहा मैं तो सिंगल ही हूं। वह कहने लगी आप मेरी कसम खाइए, मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी कसम खाता हूं मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। यह कहते हुए उसने मुझे कहा आप मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बना लीजिए। मैंने उसे कहा पर मैं तुम्हें अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बना सकता। जब मैंने उसे मना किया तो वह मुझे अपने स्तनों को दिखाने लगी और बार बार अपने बालों पर हाथ फेरने लगी। उसके स्तनों की लकीर मुझे दिखाई दे रही थी मैं भी अपने आप को कितनी देर तक रोकता मैंने उसके स्तनों पर अपने हाथ को लगाया तो मेरे अंदर भी सेक्स भावना जाग उठी। मैंने उसे कहा तुम मेरी गोद में आकर बैठ जाओ, वह मेरी गोद में आकर बैठी तो उसकी गांड मेरे लंड से टकरा रही थी, मेरा लंड खडा हो चुका था।

मैंने उससे कहा तुम्हारी गांड तो बहुत ही बड़ी है। वह कहने लगी हां मेरी गांड बहुत बड़ी है मैं अब आपसे अपनी गांड मरवाना चाहती हूं। मैंने उसे कहा लेकिन मैंने आज तक किसी की भी गांड नहीं मारी। वह कहने लगी आप मुझे बस अपना बना लीजिए मैंने उसे कहा तुम कैबिन का दरवाजा बंद कर लो। उसने दरवाजा बंद कर लिया उसने अपने सारे कपड़े उतारे तो उसका फिगर देखकर मैं उठ कर उसके पास चला गया और उसके बदन को सहलाने लगा। मैं जब उसके बदन को सहला रहा था तो उसकी चूत से तरल पदार्थ निकल रहा था।

वह कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा। मैंने जब उसकी चूत पर अपने लंड को सटाया तो उसकी चूत मे लंड डालने में मुझे बहुत मजा आया। मैं उसकी चूत का आनंद ज्यादा देर तक नहीं ले पाया जब मेरा वीर्य पतन हो गया तो मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए पारुल से कहां मैं अब तुम्हारी गांड नहीं मार पाऊंगा। वह कहने लगी नहीं आपको मेरी गांड तो मारनी ही पड़ेगी मैंने भी अपने लंड को उसकी गांड पर सटा दिया। जैसे ही मैंने धक्का देकर उसकी गांड के अंदर अपने लंड को डाला तो वहां चिल्लाने लगी और कहने लगी आपके मोटा लंड को लेकर तो मेरे अंदर और भी जोश बढ़ने लगा है। वह अपनी गांड को मुझसे टकराने लगी।

जिस प्रकार से मेरा लंड उसकी गांड के अंदर बाहर होता मेरा लंड दर्द होने लगा था लेकिन उसकी टाइट गांड मारने में मुझे बहुत आनंद आ रहा था। मैं तेजी से उसकी गांड मार रहा था मैं ज्यादा देर तक उसकी गांड की गर्मी को सह नहीं पाया जब मेरा वीर्य पतन उसकी गांड में हुआ तो वह कहने लगी क्या आपने मुझे अपना लिया है। मैंने उसे कहा हां पारुल मैंने तुम्हें अपना लिया है लेकिन तुम्हें याद रहे यह बात सिर्फ हम दोनों के बीच ही रहनी चाहिए यह बात किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिए। हम दोनों के बीच अक्सर सेक्स संबंध बनते रहते हैं लेकिन यह बात किसी को भी नहीं पता।

पारुल मेरे लिए कई बार कंडोम ले आती है कभी वह कहती है आप कंडोम लगाकर मेरी चूत और गांड मारो और कभी बिना कंडोम के हम दोनो सेक्स करते है मुझे उसके साथ सेक्स संबंध बनाना बहुत अच्छा लगता है।

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मेरी चुड़क्कड़ बॉस https://sexstories.one/meri-chudakad-boss-xxx-stories/ Mon, 08 Nov 2021 11:20:35 +0000 https://sexstories.one/?p=3302 उनके चूतड पेन्डुलम की तरह दोनों तरफ झूल रहे थे। उन्होंने गहरे नीले रंग का डीप गले का चोलीनुमा ब्लाउज मैचिंगपारदर्शी साडी के साथ पहना था। उनकी पीठ तो मानो पूरी नंगी थी सिवाय एक पतली सी पट्टी के जो उनके ब्लाउज को पीछे से संभाले हुई थी...

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Meri Chudakad Boss सबसे पहले मैं अपनी बॉस का धन्यवाद करना चाहूंगा जिसकी बदौलत मैं आज मस्ती के उस मुकाम पर पहुंचा हूं जहां मेरी वासना का ज्वार हर लहर के साथ टूट कर नहीं बिखरता। हर एक लहर अगली लहर को तब तक बढाती है जब तक कि आखिरी मंजिल पर पहुंच कर एक जबरदस्त उफान के साथ मेरे प्यार का लावा असीम आनन्द देता हुआ मेरे साथी को अपने साथ बहा ले जाता है।

बात उस समय की है जब मैं एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में काम कर रहा था। मिस रचना मेरी बॉस थी। उम्र रही होगी करीब २८ साल की। लम्बी करीब ५’८” और सारी गोलाईयां एकदम परफेक्ट।

अफवाह थी कि वो मिस इन्डिया में भी भाग ले चुकी थी। पर गजब की सख्ती बरतती थी वो हम सब के साथ।

किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी कि उनके बारे में सपने में भी गलत बात सोचें। वो हम सब से दूरी बना कर रखती थी।

मैं नया नया आया था।

इसलिए एकाध बार उनके साथ गरम जोशी से बात बढाने की गुस्ताखी कर चुका था।

पर उनकी तरफ से आती बर्फीली हवाआें में मेरा सारा जोश काफूर हो गया।

अब मुझे मालूम हुआ कि मेरे साथियों ने उनका नाम मिस आईस मैडेन क्यों रखा है। पर मुझे क्या पता था कि ऊपर वाले ह्यया ऊपर वाली हृ की मर्जी क्या है। एक दिन हमारे आफिस का नेटवर्क गडबडा गया। कभी ऑन होता तो कभी ऑफ। उसदिन शनिवार था। मैं दिन भर उसी में उलझा रहा पर उस गुत्थी को सुलझा नहीं पाया।

आखिर थक कर मैंने मैडम को कहा कि अगले दिन यानि रविवार को सुबह नौ बजे आकर इस को ठीक करने की कोशिश करूंगा। मैंने उनसे आफिस की चाभियां ले लीं।

अगले दिन जब मैं नौ बजे ऑफिस पहुंचा तो देखा कि रचना मैडम मेन गेट के सामने खडी हैं। मैंने उन्हें विश किया और पूछा “आप यहां क्या कर रही हैं”।

वो बोलीं ” बस ऐसे ही। घर में बोर हो रही थी तो सोचा कि यहां आकर तुम्हारी मदद करूं”।

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हम दरवाजा खोलकर अन्दर गए।

मैडम ने कहा कि आज इतवार होने की वजह से कोई नहीं आएगा। इसलिए सुरक्षा के खयाल से दरवाजा अन्दर से बन्द कर लो।

मैंने उनके कहे अनुसार दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया।

अब पूरे आफिस में हम दोनों अकेले थे और हमें कोई डिस्टर्ब भी नहीं कर सकता था।

मुझे रचना मैडम की नीयत ठीक नहीं लग रही थी। दाल में जरूर कुछ काला था। नहीं तो भला आज छुट्टी के दिन एक छोटी सी समस्या के लिए उन को दफ्तर आने की क्या जरूरत।

मैडम घूम कर कम्प्यूटर लैब की तरफ चल दी और मैं भी मन्त्रमुग्ध सा उनके पीछे पीछे चल दिया।

पूरे माहौल में उनके जिस्म की खुशबू थी।

जब हम कॉरीडोर में थे तो मैंने उनकी पिछाडी पर गौर किया। हाय क्या फिगर था।

हालांकि मैं कोई एक्सपर्ट नहीं हूं पर यह दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर रचना मैडम किसी ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भाग ले तो अच्छे अच्छों की छुट्टी कर दें और देखने वाले अपने लन्ड संभालते रह जाएं। उनकी मस्तानी चाल को देख कर यूं लग रहा था मानो फैशन शो की रैम्प पर कैट वॉक कर रही हो।

उनके चूतड पेन्डुलम की तरह दोनों तरफ झूल रहे थे। उन्होंने गहरे नीले रंग का डीप गले का चोलीनुमा ब्लाउज मैचिंगपारदर्शी साडी के साथ पहना था। उनकी पीठ तो मानो पूरी नंगी थी सिवाय एक पतली सी पट्टी के जो उनके ब्लाउज को पीछे से संभाले हुई थी।

उन्होंने साडी भी काफी नीची बांधी हुई थी जहां से उनके चूतडों की घाटी शुरू होती है। बस यह समझ लो कि कल्पना के लिए बहुत कम बचा था। सारे पत्ते खुले हुए थे। अगर मुझमें जरा भी हिम्मत होती तो साली को वहीं पर पटक कर चोद देता। पर मैडम के कडक स्वभाव से मैं वाकिफ था और बिना किसी गलत हरकत के मन ही मन उनके नंगे जिस्म की कल्पना करते हुए चुप चाप उनके पीछे पाीछे चलता रहा।

मैडम ने कल्पना के लिए बहुत ही कम छोडा था। साडी भी कस कर लपेटे हुई थी जिससे कि उनके मादक चूतड और उभर कर नजर आ रहे थे और दोनों चूतडों की थिरकन साफ साफ देखी जा सकती थी। मैंने गौर किया कि चलते वक्त उनके चूतड अलग अलग दिशाआें में चल रहे थे।

पहले एक दूसरे से दूर होते फिर एक दूसरे के पास आते। मानो उनकी गान्ड खुल बन्द हो रही हो। जब दोनों चूतड पास आते तो उनकी साडी गान्ड की दरार में फंस जाती थी। यह सीन मुझे बहुत ही उत्तेजित कर रहा था और मन कर रहा था कि साडी के साथ साथ अपने लन्ड को भी उनकी गान्ड की दरार में डाल दूं।

बडा ही गुदाज बदन था रचना मैडम का।

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