Bhai Ko Mard Banaya Behan Ne
मैं समीर , दीदी स्नेहा और मम्मी मधु , तीन लोगों का परिवार है हमारा । स्नेहा की उम्र 24 वर्ष है , वो मुझसे तीन साल बड़ी है । एक सरकारी बैंक में कैशियर है । घर का खर्चा उसी की तनख्वाह से चलता है ।
पहले तो मैं भी आम लड़कों जैसा था , पर कुछ गलत लड़कों के संपर्क में आने से रास्ते से भटक गया । धीरे धीरे लड़कियों की तरफ मेरी रूचि बिलकुल ही खत्म हो गयी । उनकी तरफ देखने से मेरे शरीर में कोई हरकत नहीं होती थी , जैसी की अन्य लड़कों को होती है । मेरी दोस्ती सिर्फ सुन्दर लड़कों से थी । ये सब बातें मेरी मम्मी और दीदी को पता नहीं थी । लेकिन सच कभी न कभी सामने आ ही जाता है ।
एक दिन मम्मी बोली , ” मैं कुछ दिन के लिए तुम्हारी मौसी के यहाँ जा रही हूँ । तुम दोनों भाई बहन ठीक से अपना ख्याल रखना और तू ज्यादा आवारागर्दी मत करना । घर के कामों में दीदी का हाथ बटाना , समझ गया ? ”
मैंने कहा , ” हाँ हाँ , आप चिंता मत करो , मैं सब समझ गया ।”
फिर उनको स्टेशन जाकर ट्रेन में बिठा आया ।
बाद में स्नेहा दीदी अपने बैंक चली गयी और मैं अपने कॉलेज चला गया ।
इंटरवल में एक साथी मिल गया । जब उसको पता चला आज घर पर कोई नहीं है तो उसने कहा चलो तुम्हारे घर चलते हैं । कॉलेज छोड़कर कुछ स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक्स वगैरह लेकर हम घर आ गये । हमारे पास मौज मस्ती के लिए 3 – 4 घंटे थे सो कोई फ़िक्र नहीं थी । दीदी शाम 6 बजे से पहले नहीं आती थी । हमने सोफे पर बैठकर कोल्ड ड्रिंक्स पी । फिर थोड़ी देर बाद मेरे कमरे में चले आये । कमरे में तेज वॉल्यूम में म्यूजिक चला दिया और फिर हम दोनों का बेड पर कार्यक्रम चालू हो गया । तभी किसी ने मेरे कमरे का दरवाज़ा खोला । मैंने चौककर सर उठा के देखा , आधा दरवाजा खोलकर स्नेहा दीदी आँखें फाड़े हमें देख रही थी , उसका मुंह खुला हुआ था । ऐसा लग रहा था जैसे उसने कोई भूत देख लिया हो ।
मेरे होश उड़ गये , दिमाग ने काम करना बंद कर दिया । जब हमारी नज़रें मिली तो उसने अविश्वास की दृष्टि से मुझे देखा और अपने खुले मुंह पर हाथ रख लिया । फिर तुरंत पलटकर चली गयी । तेज म्यूजिक की वजह से हमें पता ही नहीं चला वो कब घर आ गयी । अब मेरा राज खुल चुका था , मेरी फट के हाथ में आ गयी । फिर मैंने फटाफट कपड़े पहने और लात मारकर साथी को भगा दिया । इसी साले ने कहा था तेरे घर चलते हैं ।
अब उसको तो भगा दिया पर मैं स्नेहा दीदी का सामना कैसे करूँ ? वो मम्मी को भी बता देगी । बहुत देर तक बिस्तर पर लेटे लेटे सोचता रहा , क्या कहूंगा ? सोचा जाकर उसके पैर पकड़ने की एक्टिंग करूँगा । कुछ इमोशनल डायलाग मार दूंगा । आखिर भाई ठहरा , उसका दिल पिघल जायेगा । मम्मी को न बताने की रिक्वेस्ट करूँगा ।
फिर मैंने हिम्मत जुटायी और सोचा जो होना था वो तो हो चुका । आगे की फिर देखेंगे और चल पड़ा स्नेहा दीदी के कमरे की ओर । मैंने उनके दरवाज़े पर नॉक किया तो उन्होंने दरवाजा खोला । उनकी आँखों में आंसू थे वो शायद तब से अपने कमरे में रो रही थी । उन्होंने मुझे देखा और मुड़कर कमरे में अंदर चली गयी । मैं भी पीछे चला आया वो बेड पर सर झुकाकर बैठ गयी ।
मैं भी उसके सामने सर झुकाकर खड़ा हो गया । घबराहट में हाथ मलते मलते , बीच बीच में उसको देख लेता था । वो सर झुकाये रही कुछ नहीं बोली । शायद उसको बहुत तेज शॉक लगा था ।
फिर हिम्मत जुटाकर मैंने कहा , “ सॉरी दीदी ।“
उसने बिना सर उठाये पूछा , ” कब से चल रहा हैं ये सब ।”
मैंने जवाब दिया , ” तीन साल से ।”
वो चौंकी , ” तीन साल से ? और यहाँ हमें कुछ खबर ही नहीं ।”
फिर पहली बार उन्होंने नज़रें उठायी और मेरी तरफ गुस्से से देखा । वो मुझे ऐसे देख रही थी जैसे मैंने उन्हें कोई बहुत बड़ा धोखा दे दिया हो और वो बहुत हर्ट फील कर रही हो ।
मैं चुपचाप नज़रें झुकाये , जैसे कोई बच्चा अपनी टीचर के सामने खड़ा होता है , वैसे ही उनके सामने खड़ा रहा ।
मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि स्नेहा दीदी को कैसे समझाऊँ ?
उन्होंने फिर से गुस्से से पूछा , ” यह लड़का कौन था ? ”
मैंने कहा , ” मेरे कॉलेज का ही है ।”
उन्होंने फिर गुस्से से कहा , ” यही सब काम करता था तू हमारी absence में ? ”
मैंने कहा , ” गलती हो गयी , आज पहली बार घर में लाया हूँ । ”
फिर उसको भी कुछ समझ नहीं आया कि वो अब क्या बोले ? 5 मिनट तक सर झुकाये सोचती रही ।
फिर बोली, ” अच्छा तू जा अब , मैं बाद में बात करुँगी ।”
मेरी जान छूटी , मैं फटाफट अपने कमरे में वापस आ गया । उनके कमरे में टेंशन से मेरा सर फट रहा था ।अपने कमरे में आकर कुछ सुकून मिला ।
फिर स्नेहा दीदी ने मुझसे बोलना कम कर दिया । खाना खिला देती थी , ज्यादा कुछ बात नहीं करती थी । अपनी सोच में डूबी रहती थी ।
फिर कुछ दिनों के बाद जब मम्मी वापस आयी तो स्नेहा दीदी ने उन्हें सब कुछ बता दिया ।
अब चौंकने की बारी मम्मी की थी । उन्होंने रो धो के घर सर पर उठा लिया । तेरे पापा नहीं है , कहाँ तो अपनी मम्मी और दीदी की मदद करेगा । ये सब गंदे काम करता है । हमें कितनी उम्मीद थी तुझसे ।और भी न जाने क्या क्या किट- पिट किट-पिट। थोड़ी देर में ही मेरे कान पक गये और मैं गुस्से से अपने कमरे में चला आया ।
फिर मम्मी ने मेरा पीछा ही नहीं छोड़ा , हर समय समझाती रहती थी । साधु बाबाओं के पास जाकर ताबीज भी बना लायी , मुझे जबरदस्ती पहना दिये । लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ , मुझे तीन साल से आदत पड़ चुकी थी । अब मेरा बदलना संभव नहीं था ।
एक दिन मैं अपने कमरे में कुछ मैगजीन्स ढूँढ रहा था पर मिल नहीं रही थी । स्नेहा दीदी ने मुझे सब उलटते पलटते देखा तो बोली , ” क्या ढूँढ रहा है ? ”
मैंने कहा, ” कुछ फ़िल्मी मैगजीन्स थी , उन्हीं को ढूढ़ रहा हूँ । ”
उन्होंने कहा , ” फिल्मी मैगजीन्स का शौक़ कब से लग गया तुझे ? मैंने तो कभी तेरे पास फ़िल्मी मैगजीन्स नहीं देखी । ”
मैंने कोई जवाब नहीं दिया ।
फिर वो बोली , ” जो तू ढूँढ रहा है वो मेरे पास है ।”
अब चौंकने की बारी मेरी थी ।
” मैंने तेरे कमरे की तलाशी ली थी । उसमें मुझे 3 – 4 वो मैगजीन्स मिली जिन्हें तू पढ़ता है । लेकिन कान खोलकर सुन ले , आगे से तेरे कमरे में कुछ भी ऐसा मिला तो तुझे इस घर में घुसने नहीं दूंगी । ”
मम्मी और दीदी में हमेशा ही कुछ न कुछ खिचड़ी पकती रहती थी और मेरे सामने आने पर वो दोनों चुप हो जाते थे । कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि स्नेहा दीदी का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया है । दीदी मेरे सामने ऐसा शो करती जैसे वो इस ट्रांसफर से खुश नहीं हैं । पर मैं जानता था कि उन्होंने जानबूझकर ये ट्रांसफर करवाया है ताकि मुझे मेरे दोस्तों की संगत से छुटकारा दिलाया जा सके ।
फिर कुछ दिनों बाद हम सब नए शहर में शिफ्ट हो गये । मेरा भी ग्रेजुएशन हो चुका था । कुछ समय बाद स्नेहा दीदी ने अपने बॉस की मदद से मेरी भी जॉब एक प्राइवेट बैंक में लगवा दी ।नयी जगह में आकर मम्मी को थोड़ा सुकून मिला था और स्नेहा दीदी भी थोड़ा हल्का महसूस कर रही थी ।
उन्हें लगा कि मैं जितना बिजी रहूँगा उतना ही उन चीज़ों से दूर रहूँगा और धीरे – धीरे मेरा लड़कियों की तरफ आकर्षण बढ़ेगा पर ऐसा न तो कुछ होना था न हुआ ।
मुझे यहाँ भी कुछ अपने जैसे मिल ही गये और फिर वही सिलसिला चल निकला ।
स्नेहा दीदी और मम्मी मुझ पर अब भी नज़र रखते थे । एक दिन दीदी ने मेरे मोबाइल पर किसी का मैसेज पढ़ लिया जिसमें अगले दिन मिलने का वादा था ।
फिर क्या था दीदी अगले दिन मेरे बैंक पहुँच गयी और मुझे वहां न पाकर भड़क गयी ।
शाम को जब मैं घर लौटा तो मम्मी और दीदी दोनों ने मुझे खूब खरी खोटी सुना दी ।
मुझे भी गुस्सा आ गया और मैं घर छोड़ कर निकल पड़ा । रात एक होटल में काटी और सुबह वंही से बैंक चला गया । स्नेहा दीदी ने रात भर मुझे कॉल किया पर मैंने एक भी कॉल रिसीव नहीं की । सुबह दीदी मेरे बैंक आयी और मुझे सॉरी बोलने लगी और शाम को घर वापस आने को कहा । मेरा गुस्सा खत्म हो गया , मैंने कहा आ जाऊंगा ।
शाम को जब घर पहुंचा तो स्नेहा दीदी मुझे छत पर ले गयी और समझाने लगी,
” देख कुछ समय बाद मैं शादी कर के चली जाऊँगी उसके बाद माँ का क्या होगा ? तू कुछ तो सोच ज़रा ?
मैंने कहा “ माँ की देखभाल के लिए मैं हूँ तो । ”
दीदी बोली , ” मैं जानती हूँ कि तू है । पर अगर तेरी शादी हो जायेगी तो तेरी बीवी , माँ का ज्यादा अच्छा ख्याल रखेगी । है कि नहीं ? ”
मैंने कहा , ” दीदी मेरी शादी कर के भी आपको क्या मिलेगा ?”
दीदी , ” मतलब ? ”
मैंने कहा , ” ये कि मैं जब अपनी बीवी को खुश ही नहीं रख पाऊँगा तो शादी का क्या मतलब रह जायेगा …वो कुछ ही दिनों मैं मुझे छोड़ कर चली जायेगी । ”
स्नेहा दीदी अब चुप हो गयी और सोच में पड़ गयी ।
फिर बोली , ” देख मैंने एक डॉक्टर से बात की है । उसने बताया है कि क्योंकि तेरी ये प्रॉब्लम बचपन से नहीं है इसलिए तू अभी भी ठीक हो सकता है ।”
मैंने उनकी तरफ देखा और दुखी होकर कहा , ” दीदी आप कितना भी जतन कर लो पर मुझे अब कोई नहीं सुधार सकता ।”
दीदी बोली , ” ठीक है तू मुझे एक महीने का टाइम दे और प्रॉमिस कर कि इस एक महीने में तू अपने उन साथियों से नहीं मिलेगा और एक महीने तक मैं जैसे बोलूंगी वैसे ही करेगा । ”
मैंने कहा “ दीदी एक महीने में कुछ नहीं होगा । आप बेकार में ही अपना टाइम waste कर रही हो । ”
दीदी बोली , “ठीक है , अगर नहीं हुआ तो तू जैसे चाहे अपनी लाइफ जीना । मैं या मम्मी तुझे नहीं रोकेंगे । लेकिन मुझे ये आखिरी कोशिश करने दे। ”
मैंने उनकी आँखों में देखा और पूछा , “ पक्का ? ”
दीदी बोली , ” एकदम पक्का …पर एक महीना मेरी हर बात माननी पड़ेगी । प्रॉमिस कर ।”
मेरी तो बांछे खिल गयी । रोज़ रोज़ की टोका टोकी से मैं भी बहुत परेशान हो गया था । मैंने सोचा एक महीना काटना है, फिर वादे के अनुसार मुझे कोई न रोकेगा न टोकेगा ।
मैंने उनका हाथ पकड़ा और बोला , “ प्रॉमिस , एक महीना आपके नाम ।”
फिर हम छत से नीचे आ गये ।
अगले दिन जब मैं सो कर उठा तो मम्मी मामाजी के घर जाने को तैयार हो रही थी ।
बोली , कुछ दिनों के बाद आऊंगी।
बाद में हम दोनों भाई बहन तैयार होकर अपने अपने काम पर निकल पड़े । पर चलते चलते स्नेहा दीदी ने मुझे अपना प्रॉमिस याद दिलाया , आज से एक महीने तक घर से ऑफिस , और ऑफिस से घर । इधर उधर बिना उन्हें बताये कहीं नहीं जाना ।
मैंने सोचा , चलो देखते हैं एक महीने में ये क्या उखाड़ लेंगी ।
शाम को जब मैं घर वापस आया तो स्नेहा दीदी को देख कर हैरान रह गया ।
उन्होंने अपने बाल कटवा कर बॉय कट करवा लिए थे । बिलकुल एयरटेल 4G गर्ल की तरह ।
मैंने उनसे पूछा , ” दीदी ये क्या किया आपने बाल क्यों कटवा लिए ? ”
दीदी बोली , “ यहाँ का पानी मेरे बालों को सूट नहीं कर रहा है । बहुत बाल झड़ रहे थे इसलिए कटवा लिये । कैसा लगा मेरा नया लुक ? ”
मैंने जवाब दिया , ” लुक तो अच्छा है पर आपको नहीं लगता कुछ ज़्यादा कटवा दिए आपने ? ”
दीदी बोली , “छोड़ ना !! बालों का क्या है फिर बढ़ जायेंगे । तू ये बता मैं कैसी लग रही हूँ ? अच्छी लग रही हूँ कि नहीं ? ”
मैंने बोला , ” दीदी तुम बहुत सुन्दर दिख रही हो ।”
दीदी बोली , ” ओके ! चल तू हाथ मुंह धोले , मैं तेरे लिये चाय लाती हूँ ।”
रात को दीदी मेरे कमरे में आयी और बोली , ” आज से मैं तेरे कमरे में ही सोऊँगी । ”
मैंने कहा , ” पर क्यों ? ”
दीदी बोली , ” भूल गया , मैंने कहा था एक महीने तक जो मैं कहूँगी वही करना पड़ेगा ? ”
मैंने हँसते हुए कहा , ” ओके !! एक महीना आप जो मर्ज़ी आये वो करो । ”
वो हंसी और बोली , ” चल फिर थोड़ा खिसक जा ।”
मैंने थोड़ा खिसककर अपने बेड पर उन्हें जगह दी और लाइट ऑफ कर दी ।
दीदी ने अपना हाथ मेरे सीने पर रख लिया और काफी देर तक हम इधर उधर की बातें करते रहे फिर सो गये ।
अगले दिन जब मैं शाम को घर वापस आया तो देखा दीदी नीली जीन्स और सफ़ेद टॉप पहनकर कहीं जाने की तैयारी में हैं ।
मैंने कहा , ” दीदी क्या बात है आज जीन्स टॉप ? ”
दीदी हमेशा साड़ी या सलवार सूट ही पहनती थी । इसलिए उन्हें पहली बार जीन्स टॉप में देख कर मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ ।
दीदी बोली , ” हाँ समू , ये कुछ दिन पहले मैंने खरीदे थे पर कभी पहन नहीं पायी । क्यूंकि मम्मी को पसंद नहीं थे । पर अब मम्मी की absence में तो पहन ही सकती हूँ । ”
मैं बोला , “ क्यों नहीं , ये मॉडर्न ड्रेस तो आप पर बहुत सूट कर रही है । ”
दीदी खुश होते हुए बोली , ” तू सच कह रहा है या मेरा मज़ाक उड़ा रहा है ? ”
मैंने बोला , ” तुम्हारी कसम दीदी एकदम सच ! तुम वाकई सुन्दर दिखती हो इस ड्रेस में ।”
दीदी कुछ सामान अपने पर्स में रखते हुए बोली , ” चल अपना बैग रख और मेरे साथ ज़रा मार्केट चल , कुछ शॉपिंग करनी है । ”
मैंने कहा , “ 2 मिनट दीदी , मैं ज़रा फ्रेश हो लूँ ।”
दीदी , ” ठीक है जल्दी कर । ”
फिर हम मार्केट गये । दीदी ने कुछ घर का सामान खरीदा और अपने लिये कुछ मॉडर्न ड्रेस
जीन्स , टॉप्स , शार्ट स्कर्ट्स , लॉन्ग स्कर्ट्स लिये । दीदी ने सारे ड्रेस मेरी पसंद से खरीदी ।
फिर हमने बाहर ही खाना खाया और घर आ गये ।
रात को दीदी सोने के लिये फिर मेरे कमरे में आयी । उन्होंने कॉटन का नाईट सूट पहना था ।
वो मेरे बगल में आकर लेट गयी और बोली , ” समू , एक बात पूछूं ? ”
मैंने कहा , “ पूछो दीदी । ”
दीदी बोली , ” सच सच बताना , क्या तेरी कभी कोई गर्लफ्रेंड नहीं रही ? ”
मैंने कहा , ” नहीं दीदी , कभी नहीं । ”
दीदी बोली , ” अच्छा ये बता तुझे आजतक कोई भी लड़की अच्छी नहीं लगी ? ”
मुझे थोड़ी हंसी आयी और मैंने कहा , ” नहीं दीदी , पहले तो सभी अच्छी लगती थीं पर अब नहीं लगती । ”
दीदी बोली , “ तुझे लड़कों में क्या इतना अच्छा लगता है ? ”
मैं थोड़ी देर चुप रहा । फिर बोला , ” दीदी आप सो जाओ । मैं लाइट बंद कर देता हूँ । ”
और मैंने उठ कर लाइट बंद कर दी ।
दीदी बोली , ” तुझे नहीं बताना है तो मत बता । पर तूने प्रॉमिस किया था कि तू मेरी एक महीने तक हर बात मानेगा । ”
मैंने दीदी के बगल में लेटते हुए कहा , ” ओहो दीदी !! अब आपको क्या बताऊँ कि मुझे लड़कों में क्या अच्छा लगता है , मुझे नहीं पता । लेकिन जब भी मैं किसी सुन्दर लड़के को देखता हूँ तो ….। ”
दीदी बोली , ” तो क्या ? ”
मैंने कहा , ” तो मैं excited हो जाता हूँ और मेरा erect हो जाता है ।”
दीदी आश्चर्य से बोली , ” रियली ? ”
फिर थोड़ी देर बाद बोली , “ अच्छा एक बात बता । अगर कोई तुझे नीचे वहां टच करे तब भी क्या तेरा erection नहीं होता ? ”
मैंने कहा , ” वो तो इस पर depend करता है कि टच करने वाला कौन है ? लड़का है या लड़की । ”
दीदी बोली , ” ओके । ”
फिर दीदी 2-3 मिनट तक कुछ नहीं बोली ।
फिर उन्होंने कहा , ” पता नहीं मुझे ऐसा क्यों लगता है कि अगर ….। ”
मैंने कहा , “ अगर क्या दीदी ? ”
दीदी बोली , ” अगर मैं तुझे वहां टच करूँ तो तेरा …..। ”
मैं बोला , ” क्या बेहूदी बात है ? आप भी ना ! कुछ भी बोल देती हो ।”
दीदी बोली , ” अरे इसमें बेहूदगी की क्या बात है । मैं तो सिर्फ तुम्हारी मदद करने की कोशिश कर रही हूँ । ”
मैंने कहा , ” दीदी अब आप सो जाओ । बहुत रात हो गयी है ? ”
दीदी बोली , ” मुझे नहीं सोना , वैसे भी कल संडे है । ”
मैंने कहा , ” नहीं सोना है तो मत सो और जो करना है करो । ”
दीदी बोली , ” सच ? ”
मैंने कहा , ” क्या सच ? ”
दीदी बोली , ” यही कि जो मैं चाहूं , करूँ ? ”
मैंने कहा , “ आपको जो करना है करो । गुड नाईट ! ”
दीदी बोली , ” ठीक है फिर अपना पायजामा उतार , मुझे तेरा erect करना है । ”
मैंने चौंकते हुए कहा , ” क्या ? पागल हो गयी हो ? आपको पता भी है क्या बोल रही हो ? ”
दीदी बोली , ” हाँ पता है मुझे । जब तक मुझे confrm नहीं हो जाता । मैं कैसे मान लूँ कि
तेरा erection सिर्फ लड़कों के लिये ही होता है ? ”
मैंने झुंझलाते हुए कहा , ” ओहो दीदी , प्लीज try to अंडरस्टैंड ।”
दीदी बोली , ” तुमने प्रॉमिस किया था मेरी हर बात मानोगे ।”
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया और ऐसे ही लेटा रहा ।
दीदी मेरे कान के पास अपना मुंह लायी और मादक आवाज़ में बोली , ” एक बार मुझे try करने दे ना प्लीज । ”
वो सोने देने वाली नहीं थी । इसलिये हारकर मुझे उनकी बात माननी पड़ी । मैंने कोई जवाब दिये बगैर अपना लोअर और अंडरवियर कमर से नीचे सरका दिया । दीदी ने लंड पर अपना हाथ रख दिया । लंड में कोई हरकत नहीं हुई । दीदी ने अपने हाथ से उसे सहलाना शुरू किया पर कोई रिस्पांस नहीं मिला । दीदी कभी लंड की चमड़ी को ऊपर करती , कभी उसकी मुठ मारती ,कभी मेरी गोलियों को सहलाती , पर लंड में कोई हरकत नहीं होती । करीब 10 मिनट तक ऐसे ही try करने के बाद दीदी ने मेरा लोअर ऊपर सरका दिया ।
उनकी इस नाकामयाबी से मुझे भी बहुत निराशा हुई और मैं उदास हो गया । दीदी मुझे दिलासा देने लगी और मुझे अपने सीने से लगा लिया और मैं ऐसे ही उनसे लिपट कर सो गया ।
अगले दिन स्नेहा दीदी ने मुझे कहा , ” मुझे तुम अपना दोस्त समझो और किसी लड़के की तरह ही ट्रीट करो । ”
और ये भी कहा कि जो कुछ रात को हुआ उसको लेकर भी मैं guilt फील ना करूँ ।
मैं उनकी इस guilt ना फील करने वाली बात से बहुत खुश हुआ और मेरा दिल का बोझ कुछ हल्का हो गया ।
शाम को स्नेहा दीदी मेरी लड़कों वाली पोर्न मैगजीन्स मुझे देते हुए बोली कि मैं बाद में उनके सामने ही उन मैगजीन्स को पडूँ ।
मैंने उनकी बात मान ली । रात को स्नेहा दीदी मेरे कमरे में आयी और मेरे बगल में लेटकर बोली , “अब निकाल मैगजीन्स और पढ़ । ”
मैंने कहा , ” दीदी रहने दो ना मुझे शर्म आ रही है । ”
दीदी बोली, ” अच्छा अब तुझे शर्म आ रही है और उस दिन जो तू उस लड़के पर चढ़ा पड़ा था तब तुझे शर्म नहीं आयी थी ? ”
मैंने कहा “ उस दिन मुझे थोड़े ही पता था कि आप आ जाओगी ।”
दीदी बोली, ” चल अब बातें बनाना छोड़ और मैगज़ीन निकाल ।”
मैंने बेड के नीचे से एक मैगज़ीन निकली और दीदी की तरफ उछाल दी ।
दीदी ने मैगज़ीन ली और पन्ने पलटकर देखने लगी और उनके मुंह से निकला ,
” इतना मोटा ! ” फिर मेरी तरफ देखते हुए बोली , “ लड़कों को वहां दर्द नहीं होता क्या ? ”
मुझे उनकी बात पर हंसी आ गयी , मैंने कहा , “ शुरू शुरू में होता है । बाद में आदत हो जाती है और मज़ा आता है । ”
दीदी बोली , “ तुझे भी तो शुरू शुरू में दर्द हुआ होगा ? ”
मैंने कहा , ” दीदी मुझे क्यों दर्द होगा ? ”
दीदी बोली , “ क्यों तेरे साथ नहीं किया किसी ने ? ”
मैंने कहा , ” दीदी मुझे देने में नहीं , लेने में मज़ा आता है ” और मैं हंस दिया ।
दीदी ने मैगज़ीन मेरे सर पर मारी और बोली , “ तो इसका मतलब तेरी किसी ने नहीं ली ? ”
मैंने हँसते हुए कहा , ” हाँ “।
दीदी बोली , ” चल अब मैगज़ीन पढ़ मैं देखना चाहती हूँ , तेरा खड़ा होता है कि नहीं ।”
स्नेहा दीदी के मुंह से ” खड़ा ” शब्द सुन कर मैं चौंक गया ।
उन्होंने मुझे अपनी तरफ देखता पाकर कहा , ” ऐसे क्या देख रहा है ? खड़ा ही तो बोलते हैं erection को ।”
मैंने चुपचाप उनके हाथ से मैगज़ीन ली और पन्ने पलटने लगा । पर मेरा मन दीदी के साथ बैठकर कुछ भी देखने या पढ़ने का नहीं
हो रहा था । 2-3 मिनट तक मैं ऐसे ही पन्ने पलटता रहा।
तभी दीदी ने टोक दिया , ” अरे पढ़ ना ! पन्ने क्यों पलट रहा है ? ”
मैंने कहा , ” दीदी मेरा आप के साथ बैठ कर पढ़ने का मन नहीं हो रहा है ।”
दीदी बोली , ” क्या अब भी शर्म आ रही है ? ”
मैंने कहा , ” बात शर्म की नहीं है । एक तो आप लड़की, ऊपर से मेरी दीदी । मुझे बहुत guilty फील हो रहा है । ”
दीदी बोली , ” ओह ! ऐसी बात है । ”
दीदी कुछ सोचने लगी , फिर बोली , ” देख ऐसा करते हैं , तू सोच कि मैं तेरी स्नेहा दीदी ना होकर तेरा भाई हूँ और तेरा बेस्ट फ्रेंड भी ।
तू बेहिचक मेरे सामने ऐसा behave कर जैसा तू अपने फ्रेंड्स के साथ करता है । मैं बिलकुल बुरा नहीं मानूंगी ।”
मैंने कहा , ” दीदी ये कैसे possible है ? आप मेरी दीदी हो । मैं ये कैसे imagine कर लूँ कि आप लड़का हो ।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा , मैं सो रहा हूँ बस ।”
दीदी बोली , ” ठीक है ठीक है । तू सो जा , मत कर जो मैं बोल रही हूँ । तोड़ दे अपना प्रॉमिस । मैं होती ही कौन हूँ , तुझे समझाने वाली ।”
दीदी गुस्सा कर के दूसरी तरफ मुंह कर के लेट गयी ।
मैंने दीदी को कंधे से पकड़ कर उठाया और कहा , ” दीदी आप जो कह रही हो वो एकदम से possible कैसे हो सकता है ?
थोड़ा वक्त तो लगेगा ना , imagine करने में ।”
दीदी बोली , “ मैंने कब कहा कि तू अभी imagine कर । ओके ! चल एक काम करते हैं । कल से तू मुझे अपने फ्रेंड की तरह ट्रीट करना और मैं कोशिश करुँगी कि तुझे , मैं लड़की कम और लड़का ज्यादा लगूँ । ”
मैंने कहा , ” ok lets try ! लेकिन अगर मान लीजिये कि मैंने आपको लड़का imagine कर भी लिया और मुझे आपको देखकर इरेक्शन हो भी गया तब भी तो प्रॉब्लम वही रहेगी ना । मेरे कहने का मतलब है कि मैं तो लड़के में ही इंटरेस्टेड रहूँगा ना ? ”
दीदी बोली , ” तब का तब देखेंगे अभी इतना तो कर । ”
मैंने कहा , “ ओके ! कल से कोशिश कर के देखते हैं । अब सो जायें ? ”
दीदी बोली , ” ओके ! गुड़ नाईट ! “
अगले दिन जब मैं सो कर उठा तो देखा स्नेहा दीदी किचन में चाय बना रही हैं और उन्होंने जीन्स और मेरी सफ़ेद शर्ट पहन रखी है ।
मैं उनके करीब गया और गुड़ मॉर्निंग कहा ।
दीदी पलटी और उन्होंने मेरा गुड मॉर्निंग का रिप्लाई किया । मैंने देखा कि उन्होंने अपनी नाक और कान में ज्वेलरी नहीं पहनी है ।
मैंने पूछा , ” दीदी आपकी जेवेलरी कहाँ गयी ? ”
दीदी मुझे चाय का कप पकड़ाते हुए बोली , ” भूल गया , लड़के ज्वेलरी नहीं पहनते और खबरदार अगर मुझे दीदी कहा तो ।
मैं तुम्हारा फ्रेंड हूँ ।“
मैंने हँसते हुए कहा , ” ओके फ्रेंड ! पर तुम्हारा नाम क्या है ? ”
दीदी ने कुछ सोचा फिर बोली , ” जैसे तू समीर से समू है , वैसे ही अब मैं स्नेहा से सोनू हूँ । और अब से तू मुझे इसी नाम से बुलायेगा । “
मैंने कहा , ” ओके सोनू ! तो ऑफिस भी ऐसे ही जाओगे क्या ? ”
दीदी बोली , “ नहीं यार ! ऑफिस तो वैसे ही जाना पड़ेगा । लेकिन घर पर मैं तुझसे ऐसे ही मिलूंगा ।”
मैंने कहा , ” ठीक है सोनू ! शाम को मिलते हैं ।”
फिर मैं ऑफिस जाने की तैयारी में जुट गया ।
4-5 दिन तक यही सिलसिला चलता रहा । मैं दीदी को सोनू कह कर बुलाता और दीदी मुझे समू ।
कभी भूल चूक से मेरे मुंह से दीदी निकल जाता तो दीदी तुरंत मुझे डांट कर ठीक कर देती ।
5-6 दिन बाद मुझे कुछ आदत सी हो गयी और मैं दीदी को सोनू पुकारने लगा और उन्हें एक लड़के की तरह ही ट्रीट करने लगा और मुझे दीदी ने इसमें पूरा सहयोग दिया । वो बिलकुल लड़के की तरह ही behave करती और वैसे ही ड्रेस पहनती । कभी जीन्स और मेरी ही शर्ट्स , कभी लुंगी के साथ शर्ट्स , कभी मेरे शॉर्ट्स और मेरी टी -शर्ट्स , बिना किसी ज्वेलरी के और बिना किसी मेकअप के ।
ऐसा चलते चलते करीब 10 दिन निकल गये ।
11 वें दिन मैं सोकर उठा और दीदी को ढूंढ़ने लगा । किचन में गया पर दीदी किचन में नहीं थी ।
फिर मैं पेपर उठाने के लिए बालकनी में गया तो देखा स्नेहा दीदी बालकनी की रैलिंग पर झुके हुए पेपर पढ़ रही हैं । उन्होंने मेरा boxer और मेरी ही शर्ट पहन रखी थी और रैलिंग पर झुकने के कारण उनकी बड़ी सी गांड एकदम से बाहर की तरफ उभरी हुई थी । पहली बार अपनी ही दीदी की गांड देखकर मेरे लंड ने झटका खाया और मैं दूर खड़े होकर ही उस नज़ारे को एन्जॉय करने लगा ।
तरबूज जैसी गांड से होती हुई मेरी नज़र उनकी चिकनी जांघों पर आ टिकी , जहाँ बालों का नामोनिशान तक न था और मेरे बॉक्सर के अंदर तूफ़ान अंगड़ाइयां लेने लगा ।
मेरे दिल की धड़कनें बढ़ने लगी थी और मेरा खून मेरी रगों में बुलेट ट्रेन की तरह दौड़ रहा था । और मेरा लंड लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया ।
मुझे अपने ऊपर कंट्रोल रख पाना मुश्किल लगने लगा था । मैंने बड़ी मुश्किल से खुद को सम्हाला और धीमे पांव से दीदी की तरफ बढ़ गया और ठीक उनकी उभरी हुई गांड पर अपने बॉक्सर में बने टेंट को टिका कर बोला , ” गुड मॉर्निंग सोनू ! ”
दीदी ने पहले तो थोड़ा सीधा होने की कोशिश की पर जैसे ही मेरे लंड का अहसास उन्हें अपनी गांड पर हुआ । वो उसी पोजीशन में झुक गयी और अपनी गांड को मेरे लंड पर दबा कर बोली , “ गुड़ मॉर्निंग समू ।”
मैंने अपने लंड को थोड़ा सा और उनकी गांड पर दबाया । फिर मैं दीदी के ऊपर झुक गया और उन्हें कमर से आलिंगन करते हुए बोला ,
” आज तो कमाल लग रहा है तू सोनू ।”
स्नेहा दीदी मेरी स्थिति को समझ चुकी थी और वो काफी खुश हो रही थी ।
वो हंसकर बोली , ” क्या कमाल , यार समू ! मैं तो रोज़ ही ऐसे रहता हूँ , तू देखता ही कहाँ है मुझे ।”
मैंने दीदी को अपने आलिंगन में थोड़ा और कसा । फिर अपने लंड को उनकी गांड पर रगड़ते हुए उत्तेजना से भरी आवाज़ में कहा ,
“ तो दिखा दे ना डार्लिंग । क्या दिखाना चाहता है अपने यार को ? ”
मेरे इस तरह लंड को रगड़ने और बाँहों की जकड़ ने दीदी को मदहोश बना दिया था ।
दीदी के मुंह से मस्ती भरी सिसकारी निकली , आह हहहहह ……।
फिर मादक आवाज़ में स्नेहा दीदी बोली , ” सब तेरा ही तो है यार , जो चाहे देख ले । ”
मैंने दीदी को ऐसे ही कस कर पकड़े रखा और अपने लंड से हलके हलके धक्के लगाने लगा और दीदी की गरदन और कान को बेतहाशा चूमने लगा । दीदी भी अपनी गांड को पीछे उछाल उछाल कर मज़े ले रही थी । फिर मैंने अचानक से दीदी का बॉक्सर नीचे सरकाने की कोशिश की तो दीदी खड़ी हो गयी और बोली , ” यहाँ नहीं ! कोई देख लेगा , चल अंदर चल । ”
हम जल्दी से कमरे के अंदर आ गये और बालकनी का दरवाज़ा बंद कर दिया । सबसे पहले मैंने अपना बॉक्सर उतार कर अलग किया और मेरा 6.5 इंच का लंड फनफनाता हुआ बाहर आ गया । जल्दबाज़ी के चक्कर में दीदी ने मेरी तरफ मुंह किये हुए सबसे पहले अपनी शर्ट उतार फेंकी और अगले ही पल अपना बॉक्सर उतार दिया । और मेरी नज़र उनकी बड़ी बड़ी चूचियों से होती हुई बिना बालों की चिकनी चूत पर पड़ी और मेरा excitement उतनी ही तेज़ी की साथ खत्म होता चला गया ।
दीदी को अपनी गलती का एहसास हुआ और वो तुरंत पलट कर खड़ी हो गयी और थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गयी पर मेरे लंड का तनाव गिरता ही गया ।
दीदी ने जब ये देखा तो आगे बढ़ कर मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी पर कुछ असर नहीं हुआ । फिर उन्होंने अपनी नंगी गांड को मेरे मुरझाते हुए लंड पर रगड़ा पर रिजल्ट वही का वही रहा ।
मैंने मायूसी से अपने कपडे उठाये और बाथरूम की तरफ बढ़ गया और स्नेहा दीदी ऐसे ही नंगी खड़ी मुझे जाता देखती रही ।
बाद में जब मैं ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था ।
तब स्नेहा दीदी मेरे रूम में आयी और बोली , ” क्या बात है हीरो , सुबह तो कमाल हो गया । ”
सुबह की बात याद आते ही मैंने अपना मुंह फेर लिया ।
दीदी फिर बोली , “ अरे क्या बात है , मायूस क्यों हो रहा है यार । ”
वो अब भी मेरे male फ्रेंड की तरह बात कर रही थी ।
मैंने गुस्से से कहा , ” दीदी छोड़ो ना , मुझे तैयार होने दो । ”
दीदी गुस्सा होते हुए बोली , ” कौन दीदी ! भाई मेरा नाम सोनू है , भूल गया क्या ? मारूंगा अगर फिर
मेरा नाम सोनू से कुछ और बोला तो । ”
मुझे हंसी आ गयी । मैं अपने जूते पहनते हुए बोला , ” ओके सोनू ! राइट ! अब मैं ऑफिस जा रहा हूँ , शाम को बात करेंगे । ”
घर से बाहर निकलते वक्त स्नेहा दीदी ने कहा , ” कुछ तो पॉजिटिव हुआ । इतनी जल्दी मायूस नहीं होते और जो हुआ उसे भूल जा , जैसे कुछ हुआ ही ना हो । हमें अपनी कोशिश जारी रखनी है ।”
मैंने मंज़ूरी में अपना सर हिलाया और ऑफिस के लिए चल दिया ।
शाम को जब मैं वापस आया तो दीदी और मेरे बीच वैसे ही लड़कों की तरह बात हुई ।
रात को दीदी मेरे साथ जब बेड पर सोने आयी तो मैंने पूछा , ” यार सोनू ! मम्मी कब वापस आयेंगी ? ”
दीदी बोली , “ क्यों तेरा मन नहीं लग रहा क्या ? ”
मैंने कहा ,” नहीं ऐसी बात नहीं है । बस काफी दिन हो गये उन्हें गये हुए , इसलिए पूछ रहा था ।”
दीदी बोली , ” उनका फ़ोन आया था । मामाजी की लड़की को कुछ लड़के वाले देखने आ रहे हैं । कुछ दिन बाद आ जायेंगी । ”
मैंने कहा , ” ओहो , ऐसी बात है । ”
दीदी ने कहा ,” हाँ ! चल अब सो जा । ”
और दीदी दूसरी तरफ मुंह करके लेट गयी और मेरा हाथ पकड़ कर अपने पेट पर रख लिया ।
मैंने भी दीदी को लेटे लेटे ही पीछे से आलिंगन किया और उनके कान में फुसफुसाया , ” यार सोनू ! आई लव यू । ”
दीदी ने अपनी गांड को लेटे लेटे ही मेरे लंड पर दबाया और बोली , ” आई लव यू टू , समू !”
to be continued……