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]]>मेरे दोस्त मुझे इस बात का बहुत ताना देते थे क्योंकि सबकी गर्लफ्रेंड थी और वो सब आए दिन चुदाई भी करते थे लेकिन मैं तो सिर्फ अपने हाँथ से ही काम चलाता था | अब मैं आपको अपनी कहानी बताता हूँ जिसमें मुझे चूत नसीब हुई |
मेरे सभी दोस्त वहां से जा चुके थे. desi threesome
कुछ अपने घर चले गए थे और कुछ की नौकीलग गई थी तो वो नौकीकरने चले गए थे | मेरा एक दोस्त था उसको हम लोग पंडित बुलाते थे और ये वही महान शख्स है जिसने मुझ पर तरस खाया और मुझे चुदाई करने का सुख दिलवाया | इसकी नौकीजयपुर में लगी थी और वहां ये एक रूम में रहता था | इसने वहां पर भी एक लड़की फसा रखी थी और उसको चोदता भी था | एक दिन मुझे उसका फ़ोन आया और उसने कहा कैसी कट रही है ? तो मैंने कहा ठीक ही है और हमारी बातें चलने लगी |
बातें करते हुए उसने मुझसे पूछा कि कोई पटी की नहीं ? desi threesome
तो मैंने कहा तेरे को तो पता है बे फिर क्यों पूछ रहा है | उसने कहा हाँ पता है तू बहुत बड़ा निकम्मा है एक लड़की नहीं पटा सकता | तो मैंने कहा हाँ चल ठीक है ज्यादा मत बोल | तो उसने कहा अच्छा एक काम कर तू यहाँ पर आजा जयपुर मैं तेरे से एक लड़की पटवा दूंगा | तो मैंने कहा अच्छा मतलब जैसे मैं वहां आऊंगा और लड़की मेरे से पट जाएगी ? ऐसा भी कहीं होता है | उसने कहा मेरी गर्लफ्रेंड की एक दोस्त है उसका नाम याशिका पांडे और वो बहुत बड़ी वाली है | तू बस इधर आजा मैं सब सेटिंग कर लूँगा तो मैंने सोचा वैसे जयपुर ज्यादा दूर नहीं है और एक बार जाने में क्या जाता है |
तो मैं तीन बाद जयपुर चला गया लेकिन मुझे पता था मेरा कुछ होना जाना नहीं है लेकिन इसी बहाने जयपुर घूम लेंगे | फिर मैं जयपुर पहुँच गया और अपने दोस्त के रूम पर पहुँच गया | मैं सो रहा था तभी मेरी एकदम से नींद टूटी और मैंने देखा कि पंडित अपनी गर्लफ्रेंड के साथ बैठा है और उससे बात कर रहा है | मैं उठ गया और जैसे ही उसकी गर्लफ्रेंड की नज़र मुझ पर पड़ी तो उसने मुझे कहा हाय मैं नीलम इसकी गर्लफ्रेंड तो मैं कहा हाय भाभी मैं.. | तो उसने कहा मुझे पता है इसने सब बता दिया है मुझे, तुम टेंशन मत लो | मैं उसकी बात कुछ समझ नहीं पाया और उठकर बाथरूम में चला गया और मुंह धोके बाहर आके बैठ गया |
तभी भाभी ने मुझसे कहा तुम इतने क्यूट हो और तुम्हारी एक भी गर्लफ्रेंड नहीं है अभी तक ?
मैं हाँ भाभी क्या कर सकते हैं | desi threesome
तो पंडित बोल पड़ा अरे बहुत बड़ा निकम्मा है इससे कुछ नहीं हो सकता | तो मैंने गुस्से से पंडित की तरफ देखा और बोला हाँ तो इसमें कौन सी बुरी बात है ? अब हर किसी की गर्लफ्रेंड नहीं होती है | तो भाभी ने कहा अच्छा मैं अभी तुम्हारे लिए एक लड़की का इंतजाम कर सकती हूँ | मैंने ये सब पहली बार देखा था क्योंकि मैं गाँव से हूँ इसलिए मैंने कभी लड़कियों को ऐसे बात करते हुए नहीं देखा था लेकिन मुझे बाद में समझ में आया ये बड़ा शहर है | तो मैंने सोचा चलो हाँ करके देखते हैं देखो क्या होता है अभी तक तो कुछ हुआ नहीं अब क्या हो जायेगा |
Indiansexstories2 – मुझे तुम्हे देखकर कुछ होता है
तो मैंने हामी भर दी और भाभी ने अपनी दोस्त को फ़ोन लगा के उसे बुला लिया | वो 15 मिनिट में वहां आ गई और जैसे ही वो अन्दर आई भाभी ने उससे कहा जाओ जाके उसके बाजु में बैठ जाओ और वो आके मेरे पास बैठ गई | भाभी ने कहा ये है याशिका और याशिका ये वही है जिसके बारे में मैंने बताया था | याशिका ने मुझसे हाँथ मिलाया और कहा हाय मैंने भी डरते हुए उससे हाय कहा | पंडित एकदम से हस पड़ा और सब उसकी तरफ देखने लगे तो पंडित ने नीलम से कहा देखो ये डर रहा है | तो भाभी ने स्माइल करते हुए कहा डरने की क्या बात है ? तो मैंने कहा मैं कहाँ डर रहा हूँ |
अब एक दो दिन तक भाभी और याशिका रूम पर आते थे और हम सब बैठके आपस में बहुत बातें किया करते थे | एक दिन मैं और याशिका साथ बैठे थे और पंडित और नीलम हमारे पीछे बैठे थे तभी हमें कुछ आवाज़ आई और हमने पीछे मुड कर देखा तो वो दोनों किस कर रहे थे | फिर हम दोनों घूम गए और बात करने लगे | मैंने कहा शर्म नहीं आती इन दोनों को तो उसने कहा इसमें शर्म की क्या बात है ये कुछ गलत तो नहीं है | तो मैंने कहा हम दोनों यहाँ बैठे हैं और ये दोनों शुरू हो गए | तो उसने कहा तो तुम भी शुरू हो जाओ तो मैंने कहा क्या किससे ?
तो वो मुस्कुराने लगी.. desi threesome
और मैं समझ गया लड़की किस करने चाहती है और मैं धीरे धीरे उसकी ओर बढ़ने लगा | उसने कहा क्या तुम डर रहे हो ? तो मैंने कहा नही तो | तो उसने कहा इतनी धीरे धीरे क्यों आ रहे हो ? तो मैंने जल्दी से उसकी कमर में हाँथ डाला और उसको अपनी तरफ खिसका लिया | अब वो मुझसे बिलकुल चिपक चुकी थी तो मैंने कहा तो शुरू करें ? तो उसने कहा हाँ | तो मैंने फ़ौरन उसके प्यारे से छोटे छोटे होंठों पर अपने होंठ रख दिया और उसको किस करना शुरू कर दिया | मैंने उसको थोड़ी देर तक किस किया और फिर रुक गया | उसने कहा रुक क्यों गए मैं 18 साल के ऊपर हूँ कुछ नहीं होगा तुम्हें |
तो मैंने फिर से उसको किस करना शुरू कर दिया और उसके होंठों को दांत से दबाके खींचने लगा | desi threesome
वो मेरे सीने पे हाँथ रगड़ने लगी और मैं अब और ज्यादा जोश में आ गया | तो मैंने उसका टॉप उतारा और ब्रा खोलकर उसके दूध दबाते हुए चूसने लगा | वो ऊउम्मम्म ऊम्म्मम्म करने लगी और मैंने उसकी जीन्स के अन्दर हाँथ डाल दिया और उसकी चूत सहलाने लगा | उसकी चूत से हल्का हल्का सा पानी आ रहा था और उसकी पैंटी भी गीली होने लगी थी | तो मैंने उसकी जीन्स उतार दी और पैंटी भी और उसकी चूत को मलने लगा |
फिर थोड़ी देर में वो उठी और मेरी पेंट खोलने लगी | उसने मेरी बेल्ट खोली और पेंट खोलके मेरी चड्डी नीचे कर दी | अब मेरा खड़ा लंड उसके सामने था और वो उसे हाँथ में लेकर हिलाने लगी | मैं पहले बार ये एहसास कर रहा था कि मेरे हाँथ खाली हैं और मेरा लंड कोई और हिला रहा है | सच में दोस्तों बहुत मज़ा आ रहा था | फिर उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया और मैं तो जैसे पागल सा होने लगा | मुझे अपने लंड पर बहुत प्यारा सा एहसास हो रहा था और इतनी ज्यादा मज़ा आज तक कभी नहीं आई थी |
फिर मैंने बड़े प्यार से उसको पकड़ा और लिटा दिया और उसकी चूत पे लंड घिसने लगा | वो मुझे देखकर आह्ह्ह्हह्ह ईस्स्स्सस्स्स्स स्सस्सस्सस की आवाजें निकाल रही थी | फिर मैंने अपना लंड चूत के छेड़ में रखा और अन्दर कर दिया | जैसे ही मेरा लंड अन्दर गया मुझे तो चाँद तारे दिखने लगे | फिर मैंने खुद को काबू में किया और उसको चोदना शुरू कर दिया | मैं उसको चोद रहा था और उसको चोदते हुए मेरी नज़र पंडित पर पड़ी | वो भी नीलम को चोद रहा था तभी उसने मुझे देखा और कहा लगे रहो |
फिर मैंने उसके लेट गया और उसको किस करते हुए उसने चोदने लगा | desi threesome
मुझे चुदाई का बिलकुल भी अनुभव नहीं था लेकिन मुझे उसकी चूत ढीली से लग रही थी तो मैंने उसको कहा क्या मैं गांड मार सकता हूँ प्लाज़ | तो उसने कहा ठीक है मार लो और मैंने उसकी गांड में लंड डाल दिया | अब जाके मुझे थोडा टाइट सा लगा और चोदने का मज़ा और बढ़ गया | फिर मैंने उसको 15 मिनिट तक चोदा और लंड बाहर निकल कर उसके ऊपर सारा मुट्ठ गिरा दिया | जैसे ही मेरा मुट्ठ गिरा मैंने सोचा इसको तो मैंने कभी आई लव यू भी नहीं कहा नहीं ये मेरी गर्लफ्रेंड है और इसने मुझसे चुदवा भी लिया वाकई में शहर के लोगों ने बहुत तरक्की कर ली है |
तो दोस्तों कैसे लगी मेरी सैक्सी कहानी कमेंट में जरुर बताइयेगा | desi threesome
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]]>Antarvasna Hindi sex story – ऑफिस में माया की सामूहिक चुदाई
कुछ देर बाद अंकित अपनी चाबी से दरवाजा खोल के घर में घुसा. उसे बैडरूम में से कुछ जानी पहचानी आवाज आने लगी और वो बैडरूम की तरफ बढ़ चला. जैसे जैसे अंकित बैडरूम के पास जाने लगा, उसका शक यकीन में बदल गया. उसे पता था क माया कभी कभार ही पोर्न देखती हे. बैडरूम के बाहर पोहोच के अंकित ने अपने कपडे उतर दिया. अब वो पूरी तरह नंगा था और उसका लैंड पुरे शबाब पे था. अंकित ने धीरे से दरवाजा खोला और उसकी आखे बड़ी हो गई.
सामने टीवी पर उसकी पसंदीदा पोर्न चल रही थी जिसमे Jenna Jameson को २ हब्शी चोद रहे थे. और बिस्तर पे उसकी सेक्सी बीवी अपनी टांगी फैलाए चुत में ऊँगली डाल के अपनी गांड हिला रही थी. अंकित बिना कुछ बोले अंदर चला गया. माया की आखें बंद थी और चुत में से इतना पानी निकल रहा था के चद्दर पे निशान बन गया था. पुरे कमरे में जानी पहचानी खुशबू फैली हुई थी. अंकित ने एक लम्बी सांस ली और माया की चुत पे अपनी जीभ टिका दी. माया ने चौक के अपनी आखें खोली लेकिन अगले ही पल वापस बंद कर ली.
अब अंकित माया के दाने को जीभ से चाट रहा था और साथ ही साथ चूस भी रहा था. माया ने अंकित के बाल कास के पकड़ रखे थे. अंकित ने माया की मैक्सी के अंदर से हाथ डालते हुए माया के दोनों चुच्चे पकड़ लिए. इस दोहरे हमले को माया सह नहीं पाई और चिल्ला चिल्ला के झड़ने लगी “अंकितपपपप आआअह्ह्ह और जोर से चाटो. और चाटो मेरे राजा. खा जाओ मेरी चुत को. आआअह्ह्ह्हह्ह्ह्ह स्स्सस्स्स्सस्स्सस्स्स्सस्स्सस्स्स्सस्स्सस्स्स्स “.
Antarvasna Hindi sex story – लंड और गांड का मिलन
अब अंकित माया की गांड से लेकिन चुत तक धीरे धीरे अपनी जीभ चलने लगा. जैसे ही तूफ़ान शांत हुआ माया ने अंकित को बिस्तर पे लेटा दिया और उसका पूरा का पूरा लंड मुँह में भर के कस कस के चूसने लगी. अंकित की आखें बंद हो चुकी थी और वो जन्नत में था. माया को पता था अंकित को क्या चाहिए. माया ने अंकित का लोडा अपने मुँह से बाहर निकला और अंकित के टट्टों को अपने मुँह में भर लिया.
कुछ देर उन्हें चूसने के बाद अब माया अंकित के लंड को चाटने लगी. माया अब टट्टों से लेकर सुपरे तक अंकित का लंड चाट रही थी और टट्टों को अपने कोमल हाथो से दबा भी रही थी. अंकित बिस्तर पे पड़ा हुआ बस आहे भर रहा था. माया ने फिर से अंकित का पूरा लंड निगल लिया. माया की इस जोरदार चुसाई से अंकित की हालत ख़राब थी. उसने अपने हाथ आगे बढ़ा के माया के बोबे अपने हाथो में भर लिए और निचोड़ने लगा और बीच बीच में माया के निप्पल भी खीच देता. इससे माया का मज़ा और भी बढ़ गया और उसने एक ऊँगली अंकित की गांड में घुसा दी.
अंकित के लिए ये पहली बार था और इसलिए उसे थोड़ा दर्द तो हुआ, लेकिन माया की चुसाई की वजह से उसे मज़ा आने लगा. माया अंकित की गांड अपनी ऊँगली से चोदने लगी और अंकित ज्यादा देर टिक ना सका. अंकित ने अपना सारा माल माया के मुँह में ही निकल दिया और माया ने एक बून्द भी बाहर नहीं निकलने दी. अंकित ना जाने कितनी देर तक झाड़ता रहा. कुछ देर बाद जब माया सारा रास पि चुकी थी, वो उठी और अंकित के ऊपर आ गई.
Antarvasna Hindi sex story – पड़ोसवाली भाभी की गुलाबी चुत
“क्या बात है जान, आज जैसे तो तुमने कभी लोडा नहीं चूसा.”अंकित माया को चूमते हुए बोला. “तुम्हे कोई शिकायत हे क्या” माया ने इठलाते हुए जवाब दिया. “शिकायत तो तब भी नहीं की जब तुमने मेरी गांड में ऊँगली डाल दी. आज मुझे भी अपनी गांड मार लेने दो.” अंकित माया की गांड दबाते हुए बोला. “तुम्हे पता है ना अंकित मुझे ये अच्छा नहीं लगता. चलो अब मूड मत ख़राब करो और जल्दी से मुझे चोदो. बोहोत परेशान कर रखा है इस निगोड़ी चुत ने” कहते हुए माया ने अंकित का लंड अपनी चुत पे सेट किया और धीरे धीरे नीचे होने लगी. माया की चुत पहले से ही गीली थी और अंकित का लंड चुत में समता गया. जब लंड जड़ तक समां गया, माया ने अपनी गांड हिलना चालू किया. अपने चुच्चे दबाते हुए माया अपनी गांड हिला रही थी. ये देख के अंकित का जोश दुगना हो गया और अंकित नीचे से धक्के लगाने लगा.
फच्च फच्च फच्च की आवाज कमरे में गूंजने लगी. माया की चुत में अंकित का लंड सटा सट्ट अंदर बाहर हो रहा था. माया ने अपने दोनों हाथ अंकित के सीने पे रख रखे थे और अंकित के लंड पे उछल रही थी. अंकित ने एक हाथ से माया का दाना रगड़ना शुरू किया और दूसरे से एक निप्पल खीचना मरोड़ना चालू कर दिया. अंकित जानता था माया की वासना कैसे बढ़ानी है. माया के उछलते हुए मम्मो को देख के अंकित और उत्तेजित हो रहा था और माया के चुत की गर्मी अंकित की हवस को और भड़का रही थी. अंकित ऊपर की और उठा और माया का चुच्चा अपने मुँह में भर के चूसने लगा.
अंकित के बैठने से उसके पेट का सबसे निचला हिस्सा माया के दाने को रगड़ने लगा और माया अपनी गांड और जोर से हिलने लगी. उसको लग रहा था के अंकित उसके मम्मे को खा ही जाएगा. अब अंकित और माया दोनों ही कभी भी झड़ सकते थे लेकिन अंकित इस खेल को और खेलना चाहता था. उसे पता था माया भी यही चाहती है. अंकित अपने घुटनो के बल उठा और बिना अपना लंड बाहर निकले माया को बिस्तर पे पटक दिया. इसी आसान में अंकित ने १०-१२ घस्से लगाए और फिर अपना लंड बाहर निकल लिया. माया को अचानक अपनी चुत खली खली लगने लगी.
Antarvasna Hindi sex story – अजनबी लड़के ने टाँगें उठा कर चोदा
इससे पहले वो कुछ समझ पाती अंकित ने माया को घोड़ी बना दिया और पीछे से अपना लंड एक झटके में उसकी चुत में उतर दिया. माया के तन बदन में आग लग गई और उसके मुँह से एक मादक सीत्कार निकल गई. “आअह्ह्ह और चोदो अंकित. चोद दो अपनी इस चुत को. जोर से डालो. आआह्ह्ह ओह्ह्ह्हह मेरे राजा. मर गईईईईईईईईईई. चोद डालो जानूनूनूनूनूनू”. अंकित को अब माया की गांड दिख रही थी और माया की गांड मारे की तड़प बढ़ती जा रही थी. माया को चोदते चोदते अंकित से माया की गांड सहलाना चालू किया. माया की गांड का पिंक छेद अंकित को पागल बना रहा था.
अंकित से रहा ना गया और उसने अपनी एक उंगली माया की गांड में डालनी चालू की. माया को पता था अंकित क्या चाहता है. शादी के बाद से उसने अंकित को रोक रखा था लेकिन आज जो भी कुछ हुआ ऑफिस में, उसके बाद माया बोहोत उत्तेजित भी थी और उसके मन में अंकित को धोका देने की ग्लानि भी थी. इसलिए उसने अंकित को नहीं रोका और अपनी गांड को पीछे की तरफ धकेलने लगी. जब अंकित को समझ आया माया क्या कर रही है, वो और उत्तेजित हो गया और माया की चुत को बेरहमी से अपने लंड से और गांड को अपनी उंगली से चोदने लगा. कुछ ही पालो में दोनों झड़ने लगे.
आज अंकित और माया को उनकी सुहागरात याद आ गई थी जब दोनों ने पूरी रात चुदाई की थी. अंकित हफ्ता हुआ माया की पीठ पे गिर गया और माया उसका वजन संभल नहीं पाई. और वो भी बिस्तर पे गिर गई. “आज तुमने मुझे वो आंनद दिया हैं जान, जो मैं तुम्हे बता भी नहीं सकता” अंकित भावुक होते हुए बोला. “कल का इंतज़ार करो मेरे चोदू राजा. कल मैं तुम्हारा बरसो पूरा सपना पूरा करुँगी. कल तुम इस गांड का उद्घाटन कर के मुझे पूरी तरह अपना बना लेना.” माया अंकित को अपनी बहो में लेते हुए बोली. दोनों एक दूसरे की आगोश में सो गए.
आज माया ने बोहोत ही सिंपल साडी पहनी थी. हलाकि वो जानती थी इससे ज्यादा फरक नहीं पड़ने वाला, लेकिन वो आग में घी नहीं डालना चाहती थी. माया ने अपनी गाडी पार्किंग में लगाई और तेज़ कदमो से अपने केबिन की तरफ बढ़ चली. वो ऑफिस आज जल्दी आ गई थी और उस्मान, अमित या सुमित से पहले अपने केबिन पोहोच के अपनी ब्रा और पेंटी उतर देना चाहती थी. लेकिन शायद उसकी किस्मत ख़राब थी. “इतनी जल्दी क्या है मैडम?” उसे उस्मान की आवाज सुनाई दी. उसके कदम और तेज़ हो गए लेकिन उस्मान एकदम से भाग के उसके सामने आ गया. “ये तूने अच्छा नहीं किया रंडी.
अभी अमित सर को बताता हु.” कहता हुआ उस्मान चला गया. कुछ देर बार अमित और उस्मान दनदनाते हुए केबिन में घुसे. “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बात टालने की?” अमित चिलाते हुए बोला. उनके आने से पहले माया अपनी ब्रा और पेंटी उतर के अपने ड्रावर में छुपा चुकी थी. “कौनसी बात नहीं मानी मैंने तुम्हारी” माया अनजान बनते हुए बोली. “ज्यादा बन मत रंडी. आप रुकिए सर. में आपको अभी दिखता हु” कहता हुआ उस्मान माया की टेबल की तरफ बढ़ा और इससे पहले माया उसे रोक पाती, उस्मान ड्रावर खोल चूका था. “ये देखीये सर. कहा था ना मैंने आपसे” माया की पेंटी सूंघते हुए उस्मान बोला. अमित का चेहरा गुस्से से लाल हो गया.
Antarvasna Hindi sex story – मेरे घमंड से मुझे लुंड मिले – पार्ट 1
“इसकी सजा तो देनी ही पड़ेगी इस कुतिया को” अमित गुस्से से तमतमाता हुआ बोला. माया की आखो से आंसू निकल रहे थे लेकिन उसे अमित और उस्मान से दया की कोई उम्मीद नहीं थी. “चल रांड, कड़ी हो और यहाँ आ” अमित चिल्लाया. माया उठी और अमित के सामने जाके खड़ी हो गई. अमित ने माया को उल्टा घुमाया और उसके सर पे हाथ रख के नीचे की तरफ धक्का लगाया. इससे माया का सर टेबल पे टिक गया. माया कोशिश कर रही थी लेकिन अमित के आगे उसकी एक ना चली.
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]]>आआह्ह्ह. आआह्ह्ह. आआह्ह्ह्ह. आआअह्ह्ह्हह चिल्लाते हुए माया अपनी गांड उछाल रही थी. आज माया का जोश सातवे आसमान पे था और अंकित भी उसे चोदने मैं कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था. वो बस अपनी बीवी को रगड़ के चोदना चाहता था. अंकित और माया की शादी को लगभग १० साल हो गए थे. वैसे तो उनकी सेक्स लाइफ शुरू से ही अच्छी थी, लेकिन पिछले ४-५ सालो मैं माया की वासना बढ़ने लगी थी. अंकित को भी इससे कोई शिकायत नहीं थी. माया को चोदते हुए अंकित की नज़र माया के चुच्चो पे पड़ी. ३६C के भरी भरी मम्मे अंकित के हर धक्के से ताल से ताल मिला रहे थे. ३५ साल की उम्र मैं भी माया ने खुद को फिट रखा था.
३६-२८-३४ का फिगर किसी को भी पागल करने के लिए काफी था. office sex stories
Antarvasna Hindi – भैया के साथ सुहागरात मनाई
बेड के कोने पे लेटी माया ने अपनी टाँगे अंकित की कमर मैं डाल राखी थी. अंकित बेड के नीचे खड़ा हुआ माया की चुत मैं अपना लन्ड अंदर बाहर कर रहा था. अंकित जानता था माया किसी भी पल झड सकती है और अंकित भी झड़ने ही वाला था. अंकित ने झुक के माया का एक निप्पल मुँह मैं ले लिए और दूसरे को मरोड़ने लगा. अंकित के झुकने से उसके लन्ड के ऊपर का हिस्सा माया के दाने को रगड़ने लगा. अपने दाने और मम्मे पर हुए इस हमले से माया पिघलने लगी.
आआह्ह्ह्हह आआआअह्ह्ह्हह. “और जोर से अंकित. जोर से चोदो. चूस लो मेरे मम्मो को. और जोर से डालो.
आह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.” अपनी कमर उठाते हुए माया झड़ने लगी. अंकित भी माया की चुत की गर्मी सहन नहीं कर पाया और माया की चुत मैं झड़ने लगा और माया के ऊपर गिर गया. माया को अंकित का भार अपने बदन पे अच्छा लग रहा था. दोनों हाफ्ते हुए एक दूसरे से लिपट गए और जब माया की आँख खुली, सुबह हो चुकी थी. माया सीधे नहाने चली गई. आज उसके लिए बड़ा दिन था. माया आज एक नयी कंपनी ज्वाइन करने वाली थी. यह एक बढ़ती हुई कंपनी थी और यहाँ माया जल्दी ही अपने बॉस, कंपनी के MD को इम्प्रेस करना चाहती थी.
माया नहा के निकली और अपनी अलमारी से एक पंजाबी सूट निकला. माया बोहोत सुन्दर थी. गोरा चिट्टा रंग, ५’५” की हाइट और ऊपर से ३६C-२८-३४ का फिगर. आज भी माया २८ साल से ज्यादा नहीं लगती थी. माया खुले विचारो वाली मोर्डर्न औरत थी. ऑफिस में कई लोग उससे फ़्लर्ट करते थे और माया को इससे कोई परहेज़ नहीं था. जब माया के फ़्लर्ट करने की वजह से लोगो का लन्ड खड़ा हो जाता था, माया को बोहोत मज़ा आता था. उसे लगता था के वो किसी को भी अपने वश में कर सकती है. अंकित उसका पहला प्यार था और शादी के बाद माया अंकित के अलावा किसी भी मर्द से नहीं चुदी थी. या कहिये माया को किसी से चुदने की जरुरत नहीं पड़ी.
अंकित उसे हर तरह से खुश रखता था और दोनों हफ्ते में ३-४ बार सेक्स कर ही लेते थे. office sex stories
माया ने पंजाबी सूट में खुद को निहारा. वो जानती थी आज बोहोत ले लोग उसे देख के उसके नाम की मुठ मरेंगे. टाइट फिटिंग की वजह से माया के मम्मे और भी बड़े लग रहे थे. मम्मो का ऊपर का हिस्सा सूट से बाहर झांक रहा था. अपनी बलखाती हुई कमर पे माया ने हाथ फिराया और १ चुन्नी डाल ली. माया ने अपनी गाडी निकली और चल दी ऑफिस की और.
Sex story – पति के भतीजे और एक पंजाबी से चुदवाया
ऑफिस मे माया का वेलकम खुद MD ने किया और माया को सभी से मिलवाया. माया लोगो की नज़रो में अपने लिए हवस देख सकती थी. खासकर कोने में खड़ा हुआ १ आदमी, जो की उसे ४० के आस पास लगा, लगातार माया को ही घूरे जा रहा था. “बहनचोद आज तो आखो से ही बलात्कार कर देगा ये हरामी” सोचते हुए माया ने उससे हाथ मिलाया. “माया, यह है Mr अमित. आपके पहले प्रोजेक्ट पे ये आपके साथी होंगे और इसलिए आप दोनों का केबिन एक ही है” कहते हुए MD ने माया को अमित से मिलवाया. माया ने मुस्कुराते हुए अमित से हाथ मिलाया और सोचने लगी “पहला प्रोजेक्ट इस हरामी के साथ. बोहोत संभल के रहना होगा”.
माया को ऑफिस ज्वाइन किये हुए २ दिन हो चुके थे और अमित के बारे में जिस भी लड़की से पूछा, माया को उससे और चीड़ होती गई. अमित MD का साला था और एक नंबर का ठरकी था. ऑफिस में कोई भी लड़की ऐसी नहीं थी जिसपे अमित ने लाइन न मारी हो. “मुझसे पन्गा लिया तो इस हरामी को ऐसा सबक सिखाऊंगी, साला अपनी बीवी को भी आँख उठा के नहीं देखेगा” सोचते हुए माया अपने कैबिने मे एक फाइल ढूंढ रही थी.
उसे याद आया के वो फाइल ऊपर वाले शेल्फ में रखी है. office sex stories
आज माया ने साडी पहनी थी और जैसे ही माया ने अपना हाथ बढ़ाया फाइल उतरने के लिए, उसे अपने पेट पे एक हाथ महसूस हुआ. माया फ़ौरन पलटी उसके सामने अमित खड़ा था. माया ने सोचा भी नहीं था अमित की इतना हिम्मत हो सकती है. अमित के चेहरे की मुस्कराहट माया से बर्दास्त नहीं हुई और माया ने कस के अमित को थप्पड़ मार दिया. अमित ने कुछ नहीं कहा और सीधे कमरे से बाहर निकल गया. माया का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था लेकिन उसने किसी तरह खुद को शांत किया.
अगले ४-५ अमित और माया में बस उतनी ही बात हुई जितनी जरुरी थी. माया को देखते ही अमित अपनी आखें झुका लेता. माया को लगने लगा था के अमित को उसका सबक मिल गया है और आगे से अमित अपनी लिमिट में रहेगा. उसे ये भी लगने लगा था के शायद उसे अमित को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था और उसे अमित से इस बारे में बात करनी चाहिए. माया ये सब सोच ही रही थी के अमित की आवाज उसके कानो में पड़ी “माया, आपके लिए कॉफी लाया हूँ. आपकी मीटिंग से पहले ये आपमें एनर्जी भर देगी”. आज माया की एक बोहोत ही बड़े क्लाइंट क साथ मीटिंग थी जिसमे खुद MD होने वाले थे.
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ये प्रेजेंटेशन इस कंपनी में माया का भविष्य बना और बिगड़ सकती थी. माया ने जैसे ही कॉफी लेने के लिए हाथ बढ़ाया, कॉफी माया की साडी पे गिर गई. “रियली सॉरी माया, सब मेरी गलती है. जल्दी से इससे साफ़ कर लो” कहते हुए अमित ने माया को साडी साफ़ करने के लिए टिश्यू पकड़ाया. माया तुरंत लेडीज वाशरूम की तरफ भागी. गरम कॉफी गिरने की वजह से माया जो पेट पे जलन हो रही थी. माया ने पहले अपने पेट पर से, फिर अपनी सेमि-ट्रांसपेरेंट साडी पर से कॉफी साफ़ की. “साला चूतिया, देख के कॉफी भी नहीं दे सकता” सोचते हुए माया साडी ठीक करने लगी. लेकिन पेट पे जलन की वजह से माया साडी ठीक से नहीं पहन पा रही थी. माया ने साडी अपनी नाभि से २ इंच नीचे की, तब जाके उसे अच्छा लगा.
ठन्डे पानी की वजह से जलन तो काम हो गई थी, लेकिन माया को ये पता था के वो साडी ऊपर नहीं बांध पाएगी. माया ने खुद को शीशे में देखा. साडी नीचे बाँधने की वजह से माया और भी सेक्सी लग रही थी. “ये ट्रांसपेरेंट साडी भी आज ही पहननी थी मुझे” बड़बड़ाते हुए माया बाहर निकली और सीधे अपने केबिन में घुस गई जहा अमित नहीं था.
माया ने घडी की तरफ देखा और अपनी फाइल ढूंढ़ने लगी. “यार तू इतनी लापरवाही कैसे कर सकती है माया. इतनी महत्वपूर्ण फाइल और तू रख के भूल गई”. तभी माया को अमित की आवाज सुनाई दी “माया, क्या ढूंढ रही हो? वो आपकी महत्वपूर्ण फाइल?” माया का ग़ुस्सा सातवे आसमान पे था. वो अमित का खेल समझ चुकी थी. “अमित, अगर वो फाइल तुमने अभी के अभी मुझे नहीं दी, तो में MD सर से कंप्लेंट कर दूंगी” माया गरजते हुए बोली.
“जिसको बोलना है बोल दो, लेकिन सब यही सोचेंगे के मीटिंग से पहले तुमने फाइल कही खो दी और इलज़ाम मुझपे डाल रही हो. MD सर को में आराम से मन लूंगा” अमित अपनी चेयर पे बैठते हुए बोलै, उसके चेहरे पे विजयी मुस्कान थी और माया जानती थी, इस समय वो कुछ नहीं कर सकती थी. “अमित प्लीज वो फाइल मुझे दे दो, उस थप्पड़ के लिए मुझे दिल से दुःख है” माया लगभग गिड़गिड़ाते हुए बोली. “नाटक करती है रंडी, उस दिन तो बोहोत लाल पीली हो रही थी. निकल गई सारी हेकड़ी”.
अमित के बात करने के तरीके से माया को झटका लगा, लेकिन वो जानती थी के वो फाइल कंपनी के लिए बोहोत महत्वपूर्ण है. “मैं तुम्हे वो फाइल दे सकता हूँ, लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा?” “कितने पैसे चाहिए तुम्हे, बोलो.” माया ने कहा, हलाकि वो जानती थी अमित ये सब पैसो के लिए नहीं कर रहा. “फाइल के बदले में मुझे तुम्हारी ब्रा चाहिए, अभी”. माया की आखे खुली की खुली रह गई और उसे एक मिनट लगा समझने में अमित क्या मांग रहा था. “मैं बाहर जा रहा हूँ, ५ मिनट में वापस आऊंगा. तब तक मुझे तुम्हारी ब्रा तुम्हारी टेबल पे मिलनी चाहिए” कहते हुए अमित रूम से बाहर चला गया.
अपनी सीट पे बैठते हुए माया उस दिन को कोसने लगी जब उसने अमित को थप्पड़ मारा था. office sex stories
खुद को संभाते हुए माया उठी, और गेट बंद किया. उसे पता था ५ मिनट जल्दी ही निकल जाएंगे. अपना पल्लू हटाया और जल्दी से ब्लाउज खोलने लगी. फिर ब्रा निकल के टेबल पे रखी, और ब्लाउज का हुक बंद ही कर रही थी के दरवाजे पे दस्तक हुई. माया जैसे ही ब्लाउज बंद कर के मुड़ी, सामने सुमित खड़ा था. वो माया का जूनियर था और माया को शायद मीटिंग के लिए याद दिलाने आया था. टेबल पे रखी ब्रा देख कर सुमित का मुँह खुला का खुला रह गया. “मैं थोड़ी देर में वापस आता हूँ” कह के सुमित केबिन से बाहर निकल गया.
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“पता नहीं आज क्या क्या और देखना बचा है” कहते हुए माया दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी के तभी अमित अंदर आ गया, और उसके पीछे था उस्मान. उस्मान ऑफिस में पियोन था. “ये यहाँ क्या कर रहा है” माया ने गुस्से से अमित को देखते हुए पूछा. “उस्मान अपना ही दोस्त है और जिस दिन तुम पहली बार आई थी, मेरी उस्मान से शर्त लगी थी के तुम पैडेड ब्रा पहनती हो. बस वही शर्त जीतने के लिए उस्मान को यहाँ लेके आया हूँ.” अमित ने शांत रहते हुए कहा. “लाओ अब जल्दी से तुम्हारी ब्रा मुझे दे दो, जिससे में उस्मान को बता सकू के में कभी गलत नहीं होता”. माया ने अपनी ब्रा उठाई और अमित की तरफ फेक दी. अमित ने ब्रा को अपने हाथ में लिए, और नंबर पढ़ते हुए कहा “३६C. देखा उस्मान, सही कहा था ना मैंने. पैडेड भी और साइज भी”. “हां सर. आपका अंदाजा बिलकुल सही निकला” अमित के हाथ से ब्रा लेते हुए उस्मान बोला.
फिर उस्मान माया की ब्रा को अपने चेहरे के पास ले गया और सूंघने लगा. ये सब देख के माया का मन कर रहा था के ऑफिस से भाग जाए. शर्म क मारे वो जमीन में गड़े जा रही थी. “अब तो मुझे वो फाइल दे दो अमित” माया ने कहा. फाइल आगे बढ़ाते हुए अमित बोला “है, ये लो तुम्हारी फाइल”. लेकिन तभी उस्मान बोला, सर, हम कैसे मान ले ये वही ब्रा है जो मैडम आज पहन के आई है. ये सुनते ही माया आग बबूला हो गई और उस्मान को थप्पड़ मारने के लिए आगे बढ़ी. उसने जैसे ही साथ उठाया, अमित ने माया हाथ पकड़ लिए और झट से उसका पल्लू कंधे पे से नीचे खींच लिया. ट्रांसपेरेंट साडी की तरह ब्लाउज भी थोड़ा झीना था और ध्यान से देखने पर माया के काले निप्पल देखे जा सकते थे. माया का पारा बढ़ता ही जा रहा था, लेकिन वो चाह के भी कुछ नहीं कर सकती थी. माया ने अपने चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया.
मौके का फायदा उठा के उस्मान ने माया की नाभि के नीचे अपनी ऊँगली फिरा दी. office sex stories
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]]>The post अदला बदली की शुरुआत – निशा के जलवे appeared first on Antarvasna.
]]>मेरी बीवी, निशा मुझसे २ साल छोटी है और सावली है। उसकी लम्बाई मेरे जितनी ही है पर वो स्लिम ट्रिम फिगर की है। उसके चूचियाँ मध्यम साइज के हैं। 34B के और कमर पतली और गांड गोली और उभरी है। हम दोनों काफी मॉडर्न ख्याल के हैं और निशा अक्सर वेस्टर्न कपडे पहनती है।
अब कहानी को आगे बढ़ाते है….
एक बार मेरा दोस्त, इमरान, जो एक ट्रेवल एजेंट है, मुझसे बोला के एक फॅमिली टूर सेट करते है। मैंने भी हाँ कर दी.. बहुत दिन हो गए थे मुझे और निशा को कहीं गए तोह मैंने सोचा के अच्छा चेंज होगा। तो ये तय हुआ के हम नैनीताल चलेंगे।
ठंडी का मौसम था, फरवरी का, तो मैंने और निशा ने कुछ गर्म कपडे ख़रीदे और तैयारी पूरी की चलने के। २ दिन बाद हम और इमरान और उसकी बीवी आलिया नयी दिल्ली एयरपोर्ट पर मिले। आलिया एकदम गोरी और सेक्सी लेडी थी। उसके चुचे निशा से बड़े थे और बदन निशा जैसा सुडौल था। मुझे वो काफी पसंद थी।
“हेलो राकेश!”, आलिया बोली, हाथ मिलाते हुए, “आप लोग टाइम पर आ गए, चेक-इन जस्ट शुरू हुआ है”.
मैं और निशा मुस्कुरा दिए और अपना लगेज चेक-इन किया। फिर हम सब लाइन में लग गए और कुछ ही देर में हवा में उड़ रहे थे। फ्लाइट टाइम पे था तो हम सही समय पर देहरादून उतर गए। वहाँ से हमने एक SUV बुक किया नैनीताल के लिए और चल दिए।
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रास्ता हँसते गाते कट गया और हम ८-९ घंटे में नैनीताल पहुँच गए। वहाँ हमने एक रिसोर्ट में चेक-इन किया और अपने – अपने कमरे में फ्रेश होने चले गए। रात के करीब १० बजे इमरान का फोन आया।
“अरे भाई, मेरे कमरे में आ जाओ, थोड़ा गला गिला करते है…”, वो बोला.. इमरान और मैं अक्सर साथ पीते थे.. उसने स्टॉक का इंतज़ाम ट्रिप के लिए पहले से कर रखा था..
“बस ५ मिनट भाई, आ रहा हूँ… “, मैंने पंत की ज़िप ऊपर करते हुए बोला और फ़ोन काट दिया…
“निशा, रेडी होक इमरान वाले रूम में आ जाना, मैं जा रहा हूँ वहां… “, इतना कहते मैं बाहर निकला और इमरान के कमरे के तरफ चल दिया…
४ कमरे छोड़ उसका कमरा था, मैं नॉक करके अंदर दाखिल हो गया। अंदर इमरान तौलिये में बैठा था और आलिया वार्डरॉब में बैठी टीवी देख रही थी…
“आ भाई, बैठ.. “, इमरान ने सोफे के तरफ इशारा किया जहां टेबल पर व्हिस्की की २ बोत्तले और ३-४ बियर के कैन्स थे…
मैं बैठ गया और इमरान पेग बनाने लगा। उसने चखना पहले ही रूम सर्विस से मंगवा लिया था….
मैं पेग उठाया और एक चुस्की ली और बोला … ,” ये काम तूने अच्छा किया इमरान, स्टॉक साथ ले आया.. ”
“वो तो लाना ही था भाई, अपना काम कैसे चलेगा इसके बिना.. “, वो हँसते हुए बोला..
“वो सब तो ठीक है, पर ये बियर के कैन्स क्यों? हम बियर नहीं पीते यार… “, मैंने और एक चुस्की ली और कैन्स के तरफ इशारा करते बोला…
” अरे भाई, वो हमारे लिए है… मेरे और निशा के लिए… माइल्ड है, ज़्यादा नशा नहीं होगा… “, आलिया बोल पड़ी…
मैंने इमरान के तरफ देखा। मुझे नहीं पता था के आलिया भी पीती है…. इमरान हंस पड़ा और मुझे आँख मार दी…
” सही तो है.. ट्रिप में मज़े सब करेंगे, सिर्फ हम ही नहीं… “, वो बोला…
१० मिनट के हमारा दूसरा राउंड चालू हो गया… पता नहीं क्यों मुझे थोड़ा-थोड़ा नशा सा होने लगा था… इमरान नार्मल लग रहा था.. शायद मुझे अब व्हिस्की हज़म नहीं हो रहा था…
“ले यार”, इमरान ने ग्लास मेरे तरफ कर दी… मैंने उठा लिया और पीना शुरू किया…
तभी निशा भी आ गयी। उसने वेस्टर्न ऑउटफिट पहना था। टी-शर्ट और शार्ट पैन्ट्स.. पिछले हफ्ते ही ख़रीदा था उसने ट्रिप के लिए….
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“आओ भाभी, बड़ी देर कर दी… “, इमरान मुस्कुराते हुए बोला…
“हाँ, थोड़ा टाइम लग गया फ्रेश होने में.. “, निशा ने कहा और आलिया के पास जाके बेड पर बैठ गयी… कुछ देर दोनो ने बातें की आपस में…
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]]>The post मेरे घमंड से मुझे लुंड मिले – पार्ट 1 appeared first on Antarvasna.
]]>मुझे बचपन से ही शादियों मे जाने का बहुत शौक था और मैं शादियों मे जाकर बहुत मस्ती करती थी क्योकि मे बहुत ही खुले विचार और निडर लड़की हुँ और मै जिस शादी मे जाती थी उसमे पुरा रंग जमा देती थी सभी मुझे ही देखते रहते|
उस दिन मेरी सहेली रजनी की शादी थी और मैं भी पुरी तरह से तैयार होकर उसके घर पहुच गई..
मैने नीले रंग का लहंगा और पीले रंग की चोली पहनी थी जिसमे मे किसी पटाखे से कम नही लग रही थी सब मुझे ही देख रहे थे और मै चारों तरफ उछल कुंद कर रही थी तभी रजनी की बारात आ गई और हम सब लड़कियां बारात का स्वागत करने पहुच गयीं | बारात मे बहुत सारे लड़के आये हुये थे सब मस्ती कर रहे थे लड़कियों को छेड रहे थे और लड़कियों से हसी मजाक कर रहे थे ज्यादातर लडकों का ध्यान मेरी तरफ ही था और कुछ लडके तो मजाक मे कह रहे थे कि दुल्हन के साथ तुमको भी लेकर जायेंगे मगर एक लड़का शांत खड़ा था और दुल्हे के ही आसपास था कुछ लडके आपस मे बात कर रहे थे कि आज इस शादी मे लडकियों के हाथ कुछ नही लगेगा बिचारी हाथ मलती रह जायेंगी मैं उन लडको के पास गई और उनसे पुछा तुम ऐसा क्यों कह रहे हो?
उन लडकों ने बताया की जिस शादी मे राजबीर जाता है उस शादी मे जुते चोरी नही होते ये उसी खासियत है आजतक उसके रहते कोई भी लडकी जुते नही चुरा पाई|
मुझे ये सुनते ही गुस्सा आ गया और मैने उन लडकों से कहा कि लेकिन आज इस शादी मे जुते जरूर चोरी होंगे क्येंकि मै जिस शादी में जाती हुँ वहॉ पे जुते जरूर चोरी होते हैं वैसे कौन है ये राजबीर मैने पुछा?
लडकों ने बताया वो जो दुल्हे के साथ खडा है वही है राजवीर..
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मैं वहॉ से सीधे राजवीर के पास पहुची और उसको सामने से खुली चुनौती दे दी
मै- हैलो क्या तुम ही राजवीर हो.
राजवीर- जी हॉ आप कौन..?
मै- मेरा नाम पुजा है मैने सुना है कि तुम जिस शादी मे जाते हो वहॉ पर जुते चोरी नही होते लेकिन आज मै तुम्हारी ऑखों के सामने ही जुते चुरा कर ले जाऊंगी और तुम कुछ भी नही कर पाओगे..
राजवीर- पुजा देखो वैसे तो मेरा आज मुड नही था लेकिन तुम जब कह रही हो तो चुरा लेना..
मैने उससे कहा कैसे मुझसे डर गये क्या?..
राजवीर- मुझे किसी से डर नही लगता वैसे भी तुम कोई डरने वाली चीज नही हो मुझे तो तुम पर तरस आ गया था इस लिये मै पीछे हट रहा था लेकिन अब अगर तुम जुते नही चुरा पाईं तो क्या करोगी..
मैने कहा- शर्त लगा लो..
राजवीर बोला अगर मैं जीता तो तुमको सबके सामने मेरे होठों पे चुम्बन देना होगा..
मैने भी कहा कि अगर मैं जीती तो तुम सबके सामने मेरी जुती को सबके सामने चुमोंगे..
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वो तैयार हो गया|
ये शर्त लगा कर मैने सबसे बडी गलती कर दी थी..
शादी का क्रायकर्म जोर शोर से चल रहा था मैं अपनी सहेली के साथ जुते चुराने कि तैयारी मे लग गई और बहुत कोशिश के बाद मैने जुते चुरा भी लिये लेकिन मेरे होश तब उड गये जब दुल्हे के जुते मांगने पर राजवीर ने जुते लाकर दुल्हे को दे दिये और राजबीर मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगा और अपने होठ पर अंगुली ऱख कर किस करने का इशारा करने लगा..
मैने अपना सर नीचे कर लिया और सोचने लगी की जो जुते मैने चुराये वो किसके है..
तभी राजबीर मेरे पास आया और बोला क्या हुआ शर्त दुल्हे के जुते चुराने की लगी थी तुम तो मेरे ही चुरा कर ले गई अब अपनी शर्त पुरी करो..
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]]>The post कामिनी और दिव्या – अनोखी दास्ताँ (पार्ट 3) appeared first on Antarvasna.
]]>आज बहुत खुश था मैं … क्योंकि मेरी रानी आज मेरे सामने थी, धीरे से उसका घूंघट ऊपर उठाया तो उसने मेरी तरफ देखा फिर शरमा के नजरें नीची कर ली, सच में उसकी माँ ने उसे बहुत अच्छे से सजाया था, मैंने अपने चेहरा उसके पास लेजाकर उसके एक गाल को अपने होंठों के बीच दबा लिया और आँखें बंद करके उसे चूसने लगा.
अचानक दिव्या मेरे सीने से लग गई, उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी.
मैंने उससे पूछा- दिव्या, तुम खुश हो ना?
उसने नजरें उठा कर मेरी आँखों में देखा और बोली- आप खुश हैं ना?
मैंने पलकें झपका कर हाँ में उत्तर दिया तो वो फिर मेरे सीने से लग गयी.
फिर उसे मैंने लेटा दिया, मैं भी एक कंधे पर उसके पास लेटते हुए अपने होंठ उसके होंठों के पास ले गया, आज उसके होंठ मुझे बहुत हसीन लग रहे थे, ऊपर से लाल लिपस्टिक उसे गुलाब की पंखुड़ी होने का अहसास दिला रहे थे।
धड़कते दिल से मेरे होंठ जैसे ही उसके होंठों के पास आये तो मैंने उसकी साँसों को महसूस किया, उसकी आंखें बंद हो चुकी थी, हमारे होंठ आपस में मिल चुके थे, धीरे धीरे मैंने उन्हें चूसना शुरू किया, कभी ऊपर वाला कभी नीचे वाला तो कभी दोनों को एक साथ चूसने लगा, दिव्या अनाड़ी की तरह बीच बीच में मेरे होंठ को अपने दोनों होंठों के बीच दबा रही थी।
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अब मेरे हाथ फिसलते हुए उसकी कमर को छू रहे थे, मैं उसके पेट पर हाथ फिराने लगा, बहुत चिकना और सपाट पेट था, जब मेरा हाथ उसकी नाभि के नीचे जाता तब उसका शरीर कांपने लगता और वो हम्म हम्म करने लगती। मैं उसके होंठों को चूसता जा रहा था, अब होंठों पर मेरी पकड़ मजबूत हो चली थी।
लगभग 5 मिनट तक लिप-किस करने के बाद मैंने उसके कान के नीचे वाले हिस्से पर चुम्बन किया, तो झट से मेरे गले लग गई।
फिर मैंने उसके गले पर किस करना शुरू किया, अब मेरा एक हाथ उसके वक्ष पर आ चुका था, ब्लाउज के ऊपर से ही मैं उसे दबाने लगा, दिव्या के मम्मे ज्यादा बड़े तो नहीं लेकिन अच्छे आकार के थे. अब दिव्या के मुख से भी सिसकारियां निकलने लगी थी।
एक हाथ से अब मैं ब्लाउज के हुक खोलने लगा, सब हुक खोलने के बाद मैंने ब्लाउज को हटाने की कोशिश की, तो दिव्या ने उठ कर उसे निकालने में मेरी मदद की। उसने वही ब्रा पहनी थी जो मैंने पसन्द की थी, मैंने उसके क्लीवेज पर किस किया, फिर ब्रा की साइड वाली पट्टियों को कंधे से नीचे उतार दिया तो दिव्या के नग्न उरोज मेरे सामने आ गए. आह… इतने मुलायम और चिकने मम्मे मैंने कभी नही देखे थे, मैं तो बस पागल हो गया और टूट पड़ा दोनों मम्मों पर!
उधर दिव्या की सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी।
एक हाथ से मैं दिव्या की साड़ी खींचने लगा और उसे उसके बदन से अलग कर दिया. उसके बाद मैंने पेटिकोट का नाड़ा खींच कर खोल दिया और उसे नीचे खिसका दिया, इस दौरान मेरे हाथ उसकी जांघों से टकराये तो लगा कि शायद उसकी मां ने उसके पूरे शरीर की वैक्सिंग कर दी थी.
अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था, मम्मों को छोड़ अब मैं उसके पेट को चाटने लगा। फिर जांघों को चाटना और चूमना शुरू किया, दिव्या ने सफेद रंग की छोटी से वी शेप पेन्टी पहन रखी थी, जिसका जांघों के पास वाला भाग गीला हो रहा था।
सच में दोस्तो, उसकी चिकनी टांगें चाटने का मजा ही अलग था, कुछ देर बाद जांघें चाटना छोड़ कर अपने दोनों हाथों से उसकी पैंटी हटाना शुरू किया तो दिव्या ने कमर उठा कर मेरी मदद कर दी। उफ्फ्फ… आह…ह्म्म्म शानदार… इतनी सुंदर चूत मैंने पहली बार देखी थी, उसकी तारीफ में शब्द कम पड़ जाएं इतनी सुंदर चूत थी।
चूत के बाल साफ़ किये हुए होने से बिल्कुल चमक रही थी चूत।
दोस्तो, दिव्या की चूत के बारे में आपको बता दूं, उसकी चूत ऊपर की और उठी हुई थी साथ ही वो चूत का उठाव इतना शानदार था कि किसी नपुंसक का लन्ड खड़ा हो जाये। नीचे की ओर आयें तो उस उठाव के बीच के हिस्से से शुरू होते हुए दो गुलाबी पत्तियां हल्की सी गोलाई लेते हुए नीचे वापिस मिल चुकी थी, ये गुलाबी पत्तियां मुश्किल से एक इंच की दूरी में थी, मुझे यह अंदाजा तो हो गया था कि इस लड़की को पहली बार दर्द तो बहुत होगा।
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मैंने अपने हाथ से उसकी चूत की दोनों पत्तियों को अलग किया तो दिव्या सीत्कार कर उठी, उसकी चूत का छेद भी बहुत छोटा था। मुझसे रुका नहीं गया और मैंने दोनों फांकों के बीच अपनी जीभ रख दी, दिव्या मारे उत्तेजना के धनुष की तरह तन गयी बीच से। उसकी चूत के छेद की खुशबू इतनी मस्त थी कि दुनिया की सब सुगंध उसके आगे फेल हो जायें।
मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से लपर लपर चाटने लगा। बीच बीच में उसके दाने को भी अंगूठे से सहला देता तो उसकी तड़प और बढ़ जाती।
अब उसकी सिसकारियां कराह में बदल गयी थी- ओह … आह … कुछ हो रहा है मुझे, कुछ ही रहा है मुझे!
इसके साथ ही उसके शरीर ने साथ छोड़ दिया और वह स्खलित हो गयी, उसकी साँसें उखड़ रही थी, मैंने उसका रस चाट लिया। अब वह शान्त पड़ चुकी थी, मैंने भी उठ कर अपने कपड़े उतार दिए, साथ ही उसके उसकी ब्रा भी पूरी तरह निकाल दी।
मेरा लन्ड पूरी तरह तन चुका था, यह देखकर दिव्या बोली- यह तो बहुत बड़ा होता है, मैं मर जाऊंगी इससे।
मैंने समझाया- देखो एक बार दर्द होगा, लेकिन अपने प्यार के लिए तुम इतना सहन कर लेना, वरना अपना प्यार अधूरा रह जायेगा।
यह सुनकर दिव्या ने हिम्मत बटोरकर हामी भर दी, मैंने भी उसे अपने ऊपर लिटा लिया, फिर से उसके होंठ चूसने लगा, साथ दोनों हाथ पीछे ले जाकर उसकी गांड को सहलाने लगा। हम दोनों ने फिर से लगभग 5 मिनट लंबा किस किया।
अब मैंने दिव्या को घोड़ी की तरह होने को बोला तो वो बन गयी, अब मैं नीचे लेटकर अपना मुंह इस तरह उसकी जांघों के बीच रखा कि उसकी चूत मेरे मुंह तक पहुंच जाए, फिर उसके पैर चौड़े करके उसकी चूत को अपने मुंह पर टिका लिया और फिर से चपर चपर चूत चाटना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर बाद दिव्या की चूत का दबाव मेरे मुंह पर बढ़ने लगा और उसकी सिसकारियां भी बढ़ गयी।
मैंने देर न करते हुए उसे अपने ऊपर से हटाया और उसे लेटा दिया, उसके दोनों पैरों को चौड़ा कर दिया, मैं अपने लन्ड को उसकी चूत पर घिसने लगा, हालांकि मेरे लिए भी रुकना मुश्किल होता जा रहा था.
अब दिव्या अपनी चूत ऊपर उठाने लगी, मैंने ज्यादा देर न करते हुए अपने लन्ड पर थोड़ा थूक लगा कर चिकना किया और दिव्या के होंठों को अपने होंठों में दबाकर लन्ड उसकी चूत के छेद पर टिका दिया।
मैंने सुपाड़े को थूक से अच्छी तरह से गीला किया और फिर कोशिश की.. लेकिन फिसल गया। फिर मैंने अपना सुपाड़ा चमड़ी से ढक लिया और सही एंगिल बना कर उसे चूत में दबाने लगा। बड़ी कोशिश के बाद लण्ड का अगला सिरा चूत में घुस कर.. कुछ जगह बनाने में सफल हो गया। फिर थोड़ा और जोर लगाया तो सुपाड़ा फोरस्किन से बाहर फिसला और लगभग एक डेड़ उंगल गहराई तक घुस गया।
उसकी चूत की मांसपेशियां खिंची और वो दर्द से तड़प सी गई और मुझे परे धकेलने लगी.. लेकिन मैंने उसे हिलने नहीं दिया.. मैं जानता था कि अब प्यार-मोहब्बत.. दया ममता से काम नहीं चलने वाला.. मुझे ताकत से काम लेना ही था।
मैंने लण्ड को आहिस्ता से थोड़ा और धकेला.. तो वो आगे जाकर किसी अवरोध से रुक गया। मैं समझ गया कि मेरा सुपाड़ा उसकी चूत की झिल्ली पर दस्तक दे रहा था। मैंने लण्ड को धीरे से थोड़ा और आगे की तरफ हाँका.. तभी वो दर्द से तड़पी और मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी। मैंने उसकी कलाइयाँ पकड़ के और ताकत से लण्ड को चूत में दबा दिया।
‘बाहर निकाल लो… मैं आपका पूरा नहीं सह पाऊँगी..’ कहते हुए दिव्या की आँखों में आँसू उमड़ आए थे।’
मैं भी उसकी हालत देख दुखी हो उठा था और पछता रहा था.. लेकिन अब क्या हो सकता था। समय का चक्र पीछे नहीं घुमाया जा सकता.. अब वापस लौटना बेवकूफी ही कहलाएगी।
यही सोच कर मैंने उसके स्तन अपनी मुट्ठियों में जकड़ लिए..
मैंने जी कड़ा करके अपने लण्ड को जरा सा पीछे खींचा और दांत भींच कर.. पूरी ताकत और बेरहमी से दिव्या की कमसिन कुंवारी चूत में धकेल दिया।
इस बार मेरा काला.. केले जैसा मोटा और टेड़ा लण्ड उसकी सील तोड़ता हुआ गुलाबी चूत में गहराई तक धंस गया दिव्या के मुँह से ह्रदय विदारक चीख निकली और वो छटपटाने लगी..
मैंने लण्ड को थोड़ा सा पीछे लिया और फिर से बलपूर्वक चूत में धकेल दिया.. इस बार मेरी झांटें उसकी झांटों से जा मिलीं और मैं लण्ड को चूत में अच्छी तरह से फिट करके मैं कुछ देर के लिए रुक गया।
दिव्या की चूत मेरे लण्ड को जबरदस्त तरीके से जकड़े हुए थी और उसका कसाव मुझे तरंगित कर रहा था।
साथ ही मैंने महसूस किया कि कोई गुनगुना सा रस मेरे लण्ड को भिगो रहा है.. मैं समझ गया कि दिव्या की चूत से कुंवारेपन का खून बह निकला है।
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कुंवारी चूत के खून से लथपथ मेरा लण्ड रक्त स्नान करता हुआ मुझे असीम सुख और हर्ष का अनुभव करा रहा था। दिव्या मेरे नीचे दबी हुई बिलख रही थी और मैं उसके दूध अपनी मुट्ठियों में भर के उसके आँसू चूमते हुए उसे चुप करा रहा था।
‘बस हो गया रानी.. चुप हो जा अब.. तू तो बहुत सुंदर है ना..।’ मैं बोला और उसकी गर्दन चूमने लगा, उसकी कलाइयाँ थाम के दोनों मम्मों को एक-एक करके पीने लगा।
दिव्या कुछ बोल नहीं रही थी.. बस रोये जा रही थी। उधर मेरा लण्ड लट्ठ की तरह उसकी चूत में गड़ा हुआ था।
कुछ देर तक मैं यूं ही लेटा रहा और उसको यहाँ-वहाँ चूमता-दुलारता पुचकारता रहा.. मैं जानता था कि कुछ ही देर में वो नार्मल हो जाएगी।
हुआ भी यही और उसका रोना थम गया। तब मैंने उसके चूचुकों को अपनी चुटकियों में भर लिए और हल्के-हल्के दायें-बायें उमेठने लगा.. जैसे किसी घुण्डीदार नट को चुटकी में पकड़ कर खोलते या कसते हैं।
‘मार डालो आप तो मुझे…’ वो रुआंसी होकर महीन स्वर में बोली।
‘ऐसा नहीं कहते रानी.. मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ..’ मैं बोला और उसके सिर पर हाथ फेरता हुआ उसके गालों को चूमने लगा।
‘आज देख लिया आपका प्यार… आज आप मुझे चीर-फाड़ के रख दिया.. निर्दयी हो आप..’ वो शिकायत भरे स्वर में बोली।
मुझे उसके इस भोलेपन पर हंसी भी आई और प्यार भी.. मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप उसके ऊपर लेटा हुआ उसकी नई-नवेली चूत की जकड़न का आनन्द लेता रहा।
कुछ देर बाद मुझे लगा कि अब चुदाई शुरू करना चाहिए।
मैं उसके ऊपर से उठा और धक्का मारने को लण्ड को थोड़ा पीछे खींचना चाहा तो साथ में चूत भी खिंचती चली आई.. जैसे लण्ड से जुड़ी हुई हो..
फिर मैंने लण्ड को एकदम से बाहर खींच लिया।
चूत से ‘पक्क’ की आवाज सी निकली.. जैसे बियर की बोतल का ढक्कन खुला हो.. खून से सना हुआ मेरा लण्ड हवा में लहरा गया। मेरी झांटें तक खून से सन गई थीं। उधर चूत से भी खून रिस रहा था। मैंने सुपारे को फिर से मुहाने पर सैट किया और भीतर की तरफ ताकत से ठेल दिया।लो फिर से दर्द से कसमसाई.. लेकिन उसने इस बार हिम्मत से काम लिया और पूरा लण्ड झेल गई।
करीब एक मिनट रुकने के बाद मैंने धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करना शुरू किया.. जल्दी ही उसकी चूत की पकड़ कुछ ढीली हुई और मैं उसे तबियत से चोदने लगा।
कुछ ही देर में वो मुँह से आनन्द भरी कराहें निकालने लगीं और वो अपनी एड़ियाँ रगड़-रगड़ कर नितम्ब उठा-उठा कर मुझसे लिपटने लगी, वो मुझे अपनी बाहों में भरने लगी।
फिर मैंने उसकी चूत के दाने को अपनी झांटों से घिस-घिस कर चोदना शुरू किया.. तो उसके मुँह से कामुक किलकारियाँ आने लगीं और उसने उत्तेजना में भरकर मेरे कंधे में अपने दांत गड़ा दिए और मेरे धक्कों के साथ ताल में ताल मिलाती हुई चुदने लगी।
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‘ कुछ हो रहा है.. देखो रूम हिल रहा है.. ये बेड़ भी हिल रहा है.. मुझे पकड़ लो आप..’ वो थरथराती कामुक आवाज में बोली और अपनी चूत मुझसे कसके सटा दी और अपनी टाँगें मेरी कमर में लपेट कर.. मुझे अपनी भुजाओं में पूरी ताकत से भींच लिया।
मैं समझ गया कि वो झड़ रही थी।
मैं भी अपने चरम पर पहुँच रहा था.. सो मैंने जल्दी-जल्दी शॉट मारना शुरू किए.. चूंकि उसने अपनी टाँगें मेरी कमर में लॉक कर रखी थीं.. अतः लण्ड ठीक से अन्दर-बाहर नहीं हो पा रहा था और मेरे धक्कों के साथ वो भी चिपकी हुई उठ गिर रही थी।
जल्दी ही मेरे लण्ड से वीर्य की पिचकारियाँ चूत पड़ीं और उसकी चूत में भरने लगीं।
मैं उसके ऊपर निढाल सा लेट गया और गहरी-गहरी साँसें लेने लगा।
उधर दिव्या मेरी पीठ को प्यार से सहला रही थी और उसकी चूत मेरे लण्ड से लिपटी हुई स्वतः ही खुल-बंद हो रही थी। उसकी मांसपेशियां संकुचित हो-हो कर मेरे लण्ड से वीर्य की एक-एक बूँद निचोड़ने लगीं।
कुछ देर बाद ही मेरा लण्ड सिकुड़ गया और उसे चूत ने बाहर निकाल दिया और अपने पट बंद कर लिए।
तभी दिव्या ने मुझे चूम लिया और बोली- कर ली ना अपने मन की.. अब सोने दो मुझे.. बहुत देर हो गई..
रात के तीन बजे थे.
हम दोनों की सांसों को कण्ट्रोल होने में लगभग 4-5 मिनट लग गए। लेकिन आज जैसी संतुष्टि मुझे कभी नहीं मिली थी। आँखें खोल कर देखा तो सारी बेडशीट बीच से लाल हो गई थी। लोग तो कहते हैं कि थोड़ा सा खून निकलता है लेकिम यह तो बहुत ज्यादा था।
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]]>मैंने दिव्या को हर जगह तलाश किया लेकिन वो मिल ही नहीं रही थी, ना नीचे गली में, ना सीढ़ियों पर, ना ही नीचे और ऊपर वाले फ्लोर पर! पन्द्रह बीस मिनट तक खोजने पर भी नहीं मिली तो मेरे पैर कांपने लगे, मैं वहीं सीढ़ियों पर बैठ गया.
अचानक मेरे दिमाग में आया कि एक बार सबसे ऊपर छत पर भी देख लेता हूँ, क्या पता वहीं हो!
मैं लंबे लंबे कदमों से सीढियां चढ़ते हुए छत पर गया तो देखा कि दिव्या वहीं पानी की टंकी के पास बैठी थी, मैं दौड़ कर गया उसके पास, मुझे देखते ही वह खड़ी हो गई।
यह क्या … वह रो रही थी।
मैंने उससे पूछा- दिव्या, क्या हुआ, तुम यहां क्यूँ आ गई और रो क्यूँ रही हो?
उसने नाराजगी भरे लहजे में कुछ देर मेरी आँखों में देखा, फिर मुझसे पूछा- क्यों? आपको नहीं पता मैं क्यूँ रो रही हूं?
उसकी यह बात सुनकर मैं तुरन्त समझ गया कि निश्चित ही इसने मुझे और कामिनी को सेक्स करते हुए देख लिया है। मैंने उसके कंधे पर हाथ रखकर नीचे चलने को कहा, तो उसने बोला- यहां क्या समस्या है?
तो मैंने उसे समझाया कि जो भी बात करनी है नीचे चल कर करना, अभी तुरंत नीचे चलो, तुम्हारी माँ बहुत परेशान हो रही है।
मेरी यह बात सुनकर वह नीचे जाने लगी, मैं भी उसके पीछे पीछे चलने लगा।
फ्लैट में आकर मैंने दरवाजा बंद कर दिया, दिव्या को देखते ही उसकी माँ उठ खड़ी हुई और उसके पास जाकर एक जोरदार थप्पड़ दिव्या के गाल पर जड़ दिया, फिर साथ ही उसे जोर से अपने गले लगा लिया और दोनों रोने लगी।
माहौल गमगीन हो गया था और मैं भी बुत बना खड़ा था, माहौल को हल्का करने के लिए मैंने उन दोनों माँ बेटी से कहा- चलो यार, कोई मूवी देखने चलते हैं।
लेकिन वो दोनों ही कुछ नहीं बोली.
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तो मैंने उनके पास जाकर पूछा- क्या हुआ दिव्या? कुछ बोल क्यों नहीं रही हो?
दिव्या जैसे मेरे इसी प्रश्न का इंतजार ही कर रही थी, अपनी मां की ओर देखते हुए मुझे बोली- मैं जानती हूँ कि मेरी माँ एक औरत है, उसके शरीर की भी कुछ जरूरतें हैं. लेकिन आप दोनों को एक दूसरे के साथ देखा तो न जाने क्यूँ … मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ, इसलिए मैं ऊपर छत पर जा कर रोने लगी थी।
दिव्या अपनी माँ के हाथ को पकड़ते हुए बोलने लगी- मां, मैं इनसे से प्यार करने लगी हूँ, न जाने कब, ना जाने कैसे ये मुझे अच्छे लगने लगे हैं, मैं जानती हूं कि ये मुझसे 5-6 साल बड़े हैं, दिखने में भी कोई राजकुमार नहीं हैं लेकिन इनके पास सबसे अच्छा दिल है और मन ही मन इन्हें मैं अपना सब कुछ मान चुकी हूं।
यह सुनकर कामिनी अपनी बेटी को प्यार से देखकर उसके दाएं गाल पर हाथ रखते हुए बोली- बेटा, ये भी तुमसे बहुत प्यार करता है, यह पहले ही मुझे बता चुके हैं, हम दोनों ने जो कुछ भी किया वो बस भावनाओं का बहाव था, आगे से हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे।
दिव्या मेरी और देखने लगी, मैंने सहमति में गर्दन हिला दी। यह सही वक्त था दिव्या से सब कुछ कह देने का, तो मैं रूम से सिदूंर ले आया और दिव्या के पास गया, तो दिव्या मेरी और प्रश्न भरी नजरों से देखने लगी, साथ ही दिव्या की माँ कामिनी भी आंखें फाड़ के देख रही थी।
मैं दिव्या का हाथ अपने हाथ में लेकर बोला- दिव्या, जिन हालातों में तुम लोग जीये, उन हालातों में जिंदा रहना बहुत मुश्किल था, लेकिन ऊपर वाले को हम लोगों को ऐसे ही हालात में मिलवाना था, तुम लोग भी जिंदगी की अहमियत जान चुके हो और मुझे भी तुम दोनों के रूप में जीने की वजह मिल चुकी है, तुम जैसी मासूम और सुंदर लड़की किसी की जिंदगी में आना किस्मत की बात है। दिव्या क्या तुम मुझे जिंदगी भर के अकेलेपन से बचाओगी जैसे तुमने मुझे उस तेंदुए से बचाया?
मेरी ये बातें सुनकर दिव्या की आंखों में खुशी के आंसू आ गए और वो मेरे गले लग गयी, मैंने भी उसे अपनी बांहों में ले लिया. कामिनी अपनी बेटी को मेरे से लिपटी हुई देख कर खुश हो रही थी. उसे पूरा भरोसा था मुझ पर कि मैं उसकी बेटी का पूरा पूरा ख्याल रखूँगा.
काफी देर तक दिव्या मेरे कंधे पर ठोड़ी रख कर रोती रही. मैंने भी उसे नहीं छेड़ा, मैंने सोचा कि रोकर इसका दिल हल्का हो जाएगा.
मेंने एक नजर कामिनी की ओर देखा तो पाया कि वो मेरी मन्शा समझ चुकी थी औऱ अपनी सहमति दे चुकी थी, लेकिन दिव्या अब भी अनजान थी।
इससे पहले कि दिव्या कुछ समझ पाती मैंने सिंदूर अंगूठे से उसकी मांग में रगड़ दिया।
हर्ष से दिव्या की आंखें बंद हो चुकी थी, साथ ही उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी। मैंने उसे फिर से गले लगाया, तो वह मुझसे चिपक गयी, मैंने दिव्या की मम्मी कामिनी को भी हमारे पास आने के इशारा किया तो वह भी हम दोनों से लिपट गयी।
माहौल खुशनुमा हो चुका था, मैंने और दिव्या ने मूवी जाने का प्लान बनाया, हम चाहते थे कि कामिनी भी हमारे साथ चले लेकिन कामिनी ने ‘मेरा मन नहीं है, तुम दोनों चले जाओ!’ कह कर मना कर दिया.
उसने घर पर रुकने की सोची, साथ ही हम दोनों के लिए एक सरप्राइज भी तैयार रखने का बोली।
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]]>आज मैं जो कहानी आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ वह मेरे जीवन के सबसे हसीन पलों में से एक है।
जॉब लगने के बाद मेरी पहली पोस्टिंग एक जंगल एरीया मे हुई। एक छोटा शहर वहाँ से 30 किलोमिटर दूर था.काम के सिलसिले मे गाढ़े जंगल के आसपास के स्थानो मे मेरा आना जाना लगा रहता था। एक बार मुझे काम के लिए थोडे दूर जाना पड़ा। सुबह जल्दी निकलने के बाद भी मुझे रात के 9 बज गए। बस पकड़ने के लिए बसस्टैंड पहुँचा ही था कि बारिश शुरू हो गयी, वापस जाने के लिए सीधी बस का इंतजार करते करते रात के 11 बज गए, अब मुझे लगा कि सुबह तक इंतजार करना पड़ेगा, सुबह निकलूंगा तो देर हो जायेगी, इसलिए मैं बस स्टैंड से बाहर आया तो एक जीप खड़ी थी जो मेरे जाॅब वाले गाँव के लिये चिल्ला रहा था, मैं भी उसी जीप में चढ़ गया।
जीप में मुश्किल से 3 आदमी थे। मैं, ड्राइवर और एक सवारी और थी। 8-10 किलोमीटर चलने के बाद वह सवारी उतर गई। अब बचे हम दो, ऊपर से बारिश की वजह से जीप भी धीरे चल रही थी,
कुछ दूर चलने के बाद ड्राइवर ने शराब के ठेके के पास रोक कर शराब खरीद ली।
मैंने मना किया तो वह हंस कर बोला- साहब रोज का काम है कुछ नहीं होगा.
वह पीते पीते गाड़ी चला रहा था, 3-4 किलोमीटर चलने के बाद उसने गाड़ी रोक दी और मुझे उतरने के लिए कहने लगा, कहने लगा- मेरा गांव आ गया है आगे नहीं जाऊंगा।
जब मैंने उसे आगे तक चलने के लिए कहा तो बोला- बस और आगे नहीं जाएगी गाड़ी।
मुझे वहीं उतार कर उसने अपनी गाड़ी एक कच्चे रास्ते पर मोड़ दी।
अब सुनसान सड़क पर अकेले मेरी गांड फटके हाथ में आ गयी। ऊपर से हल्की हल्की बारिश भी हो रही थी।
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कुछ देर इंतजार करने के बाद मैंने चलने का फैसला किया, थोड़ा आगे चलने के बाद पता चला मैं तो जंगल में फंस गया हूँ, रात के लगभग 1 बजे का समय था, जंगल के जानवरों की आवाजें आ रही थी, ऊपर से मोबाइल की बैटरी भी जवाब दे गई थी। वह सड़क मेन हाईवे से दूर होने की वजह से कोई गाड़ी भी नहीं आ रही थी। अब तो बस ऐसे लगने लगा कि बस मौत नजदीक है, तो मैंने कुछ गुनगुनाने का फैसला किया.
अभी कुछ कदम चला ही था कि अचानक कुछ आवाज हुई, मेरी गले में सांसें अटक गई क्योंकि मेरे ठीक सामने एक तेंदुआ खड़ा था।
अब काटो तो खून नहीं … कुछ समझ नहीं आ रहा था, सब भगवान याद आ गए। गला सूख चुका था पूरी तरह … फिर भी मैं हिम्मत करके एक पगडंडी पर तेज दौड़ लगा दी, वह तेंदुआ मेरे पास आता जा रहा था, मैं बेतहाशा दौड़ता जा रहा था चारों और घना जंगल था कोई मदद की उम्मीद भी नहीं नजर आ रही थी.
मेरी सांस भी फूलने लगी थी, तेंदुआ पास आता जा रहा था, मेरे पैर लड़खड़ाए और मैं गिरने ही वाला था कि अचानक कहीं से एक हाथ आया और मुझे किसी झोपड़ी में खींच लिया.
और मैं तेंदुए से बाल बाल बच गया।
मैं गिरते ही बेहोश हो गया।
कुछ देर बाद मुझे होश आया तो देखता हूं मैं एक झोपड़ी में लेटा हुआ हूं, मेरे ठीक पास एक औरत बैठी थी।
मैं उठ खड़ा हुआ और उस औरत को पूछा- मैं कहां हूँ।
उस औरत ने बताया- तुम आराम करो, अभी सुरक्षित हो।
मैं उठकर बैठा तो देखा कि उस औरत के पास लड़की भी सोई हुई थी, चाँद की रोशनी में 18-19 साल की सी लगी। मैंने उस लड़की की तरफ देखा तो वह औरत बोली- यह मेरी बेटी है, इसी ने कल आपकी जान बचाई थी, अभी सोई है वरना आपके पास बैठी थी।
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]]>बात उस दिन की है जब मैं अपना बी.ए. फाइनल का एग्जाम देने गाव से बनारस आ रहा था! मौसम खराब था और आधे रास्ते में ही बारिश शुरु हो गई थी लेकिन एग्जाम जरूरी था इसलिए रुक कर इंतजार करने का कोई विचार ही नहीं था मेरे मन में… बारिश भी धीरे धीरे तेज हो रही थी और सड़क पर इक्का दुक्का वाहन ही दिख रहे थे!
चलते चलते बीच रास्ते में पक्की सड़क खत्म हो गई और एक कच्ची पगडंडी शुरु हो गई जो बारिश के कारण चलने के लायक नहीं बची थी और तेज हवा के झोंके सफर को और भी मुश्किल बना रहे थे!
फिर भी धीरे धीरे मैं बाइक को लेकर उस कच्ची पगडंडी के सुनसान से रास्ते पर चलता रहा…
Antarvasna Hindi – दो सहेलियां
कुछ दूर चलने पर देखा कि कोई इंसान छतरी लेकर शायद किसी की मदद का इंतजार कर रहा है…
थोड़ा पास पहुंचा तो पता चला छतरी के नीचे कोई लड़की खड़ी है शायद उसकी स्कूटी खराब हो गई है और वो किसी की मदद पाने के लिए वहाँ बारिश में खड़ी हुई है!
उसने मुझे हाथ के इशारे से रोका… मैं बाइक को एक तरफ लगाकर उसके पास गया…पास आकर लड़की बोली- जी मेरी स्कूटी में पानी चला गया है जिसकी वजह से यह स्टार्ट नहीं हो रही है… आप प्लीज एक बार देख लीजिए शायद आप मेरी कुछ मदद कर पाएँ… मेरा एग्जाम है बनारस में…
तो मैंने कहा- मैं भी वहीं जा रहा हूँ… आप घबराइये मत… मैं देख लेता हूँ…
दोस्तो, लड़कियाँ तो बहुत देखी थी लेकिन ऐसी लड़की जिसके बारे में सपने ही देखा करता था आज वैसी ही लड़की मेरी आँखों के सामने खड़ी बारिश में भीग रही थी… दूध जैसा रंग था जिस पर उसके भीगे हुए बाल देखकर लग रहा था जैसे अभी नहाकर आई है…
मोटी मोटी काली आँखें और बारिश के पानी के बोझ से बार बार झपकती पलकें उसको और मासूम बना रही थीं… ठंड की वजह से कांपते गुलाबी होंठों से पानी की बूंदें टपकती हुई उसकी ठोडी से होती हुई गले तक जा रही थीं…
उसने सफेद रंग का सूट पहन रखा था जो बारिश में बिल्कुल भीग चुका था…और उसके नीचे पहनी गुलाबी रंग की ब्रा में उसके उभार कसे हुए थे… उसके उभारों को संभालने के लिए ब्रा छोटी पड़ रही थी जिसकी वजह से उसकी भीगी हुई वक्षरेखा ऊपर तक दिखाई दे रही थीं… जिनमें उसकी होठों से आता हुआ पानी जा रहा था… और उसकी चूचियों को और भी सेक्सी बना रहा था!
कंधे पर लाल रंग का दुपट्टा था जो उसके एक उभार पर से होता हुआ दाएं घुटने तक जा रहा था… नीचे सफेद रंग की कसी हुई पजामी पहनी थी जो बारिश में उसकी त्वचा से चिपक गई थी और कूल्हों पर सूट के कट में से उसकी गुलाबी पैंटी भी नज़र आ रही थी…
उसने दोबारा कहा- क्या आप मेरी मदद करेंगे प्लीज़…
मैं ख्यालों की दुनिया से निकला और स्कूटी की तरफ बढ़ा…
चाबी लेकर तेल की टंकी चैक करने के लिए झुका तो वो भी मेरे ऊपर छाता लेकर कर खड़ी हो गई…एका एक तेज हवा का झोंका आया और छतरी हवा में उड़ गई और उसका दुपट्टा उसके मुंह पर जा चिपका और सूट ऊपर हवा में उड़ गया जिससे उसका पेट नंगा हो गया और सफेद पजामी में चिपकी गुलाबी पैंटी में बनी उसकी शेप भी नजर आने लगी…
मेरे लंड में एक हलचल सी हुई एक हल्का झटका सा लगा… लेकिन मैंने भावनाओं को काबू में रखा…
उसने खुद को संभाला और दुपट्टे को ओढ़ा और सूट को नीचे किया… शर्म से उसका मुंह लाल हो गया… और वो टूटी हुई छतरी उठाने के लिए झुकी तो उसके कूल्हों की शेप ने तो कहर ही ढहा दिया… उसका कमीज चूतड़ों के बीच की दरार में फंस हुआ था!
वो उठी और मेरे पास आकर खड़ी हो गई… अब तक मेरी ब्लू जींस और व्हाइट टी शर्ट भी बिल्कुल भीग चुकी थी और पानी से तर बतर मेरी चेस्ट की शेप ऊभर कर आ रही थी जिसमें से होता हुआ पानी मेरे अंडरवियर तक को भिगा चुका था…और मेरे लंड का उभार भी जींस में से साफ दिख रहा था!
Antarvasna Hindi – मसाज़ वाले से चुद गयी
मैंने कहा- हम कहीं पेड़ के नीचे खड़े हो जाते हैं, बारिश बहुत तेज हो गई है… पास खडे पेड़ के नीचे जाने लगे तो अचानक उसका पैर फिसला और उसको संभालने के चक्कर में मैं भी उसके ऊपर जा गिरा और हम पेड़ से लग गए… वो नीचे मैं ऊपर… अपना वजन रोकने के लिए मैंने पेड़ को पीछे से पकड़ा जिससे मेरी बाहों ने उसको घेर लिया और उसकी बाहें मेरी कमर पर थीं… मेरी छाती उसकी छातियों को दबा रही थी और मेरी एक टांग उसकी भीगी जांघों के बीच में घुस चुकी थी…
हमारी नजरें मिलीं और कुछ ही सेकेंड्स में होंठ भी मिल गए… मैं बेतहाशा उसके होठों को चूसने लगा और मेरे हाथ अपने आप ही उसकी छातियों को दबाने लगे… वो मेरा सिर पकड़ कर मेरे होठों को चूस रही थी और हम एक दूसरे में खोते जा रहे थे…
होठों को छोड़ अब मैंने अपना मुंह उसकी चूचियों में दे दिया और उसकी ब्रा को दांतों से नीचे खींचने लगा… और हाथों से उसकी गांड को दबाने लगा!
वो अपने हाथों से मेरा मुँह चूचियों में घुसा रही थी…
अब मैंने शर्ट को गले तक ऊपर उठाया और जिससे उसकी भीगी हुई गुलाबी ब्रा सामने आ गई और उनमें से तने हुए निप्पलों को मैंने चुटकी से मसल दिया, जिसके परिणाम में उसने मेरा लंड पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया… जिससे मुझे और जोश चढ़ा और मैंने शर्ट को निकाल कर ब्रा को सरका दिया और वो ऊपर से नंगी हो गई!
अब मैं पूरे जोश के साथ उसकी चूचियों को चूसने और काटने लगा. .वो मदहोश होने लगी और मेरी टी शर्ट को निकालने की कोशिश करने लगी…
मैंने टी शर्ट निकाली और वो मेरी चेस्ट को चूमने लगी… और मैं उसके चूतड़ों को मसलने लगा…
अब मैंने उसे पेड़ के सहारे टिकाया और नीचे बैठकर पजामी निकाल दी… जिससे गुलाबी पैंटी में भीगी उसकी चूत की शेप साफ दिखने लगी!
मैंने उस पर मुंह रख दिया… तो उसने एक टांग उठाकर मेरे कंधे पर रख दी… मैंने हाथों से पैंटी नीचे खींची तो उसकी लाल चूत मेरी आँखों के सामने थी जो पानी से तर बतर थी…
मैंने जीभ को पैना किया और चूत में घुसा दी… उसकी सिसकी निकल गई और उसने पूरे जोर के साथ मेरा मुंह चुत में घुसा दिया…
और मैं उसकी चूत को चाटने लगा…
उसको इतना सेक्स चढ़ चुका था कि उसने दोनों हाथों को पीछे करके पेड़ को पकड़ लिया और वो पूरी नंगी होकर अपनी चूत को मेरे मुंह में धकेले जो रही थी… आह…आह…की आवाजों में बारिश का शोर सुनना बंद हो गया था…
मैं खड़ा हुआ तो जींस में से लंड का डंडा बना चुका था बार बार झटके मार रहा था… मैंने बटन खोलकर जींस जांघों तक सरकाई तो जॉकी के सफेद अंडरवियर में मेरा लंड उफान मार रहा था!
उसने अंडरवियर पर हाथ रख कर लंड को दबाया तो मैं बेकाबू हो गया और उसकी चूचियों को दबाते हुए होठों को चूसने लगा!
इस दौरान मैं अंडरवियर में से ही उसकी चूत में धक्के मार रहा था!
उसने अपने हाथों से अंडरवियर को नीचे कर दिया तो मेरा लंड चूत से टकराने लगा और अंदर जाने का रास्ता बनाने लगा…
दोनों के जननांगों से निकलते रस की वजह से पच-पच की आवाज आने लगी…
अब उससे रहा नहीं गया और उसने अपने हाथ से लंड को चूत के छेद पर रखा और मेरे होठों को चूमते हुए दोनों हाथों से मेरे कूल्हों को अपनी चूत की तरफ धकेल दिया…
Antarvasna Hindi – आशा का नशा
और मैंने भी पूरी ताकत के साथ धक्का मारा तो लंड चूत को चौड़ी करते हुए अंदर तक जा फंसा!
अब मैंने आव देखा ना ताव और उसकी चूचियों को मसलते हुए उसकी चूत को चोदने लगा…
वो पागल होने लगी…
मेरी स्पीड धीरे धीरे बढ़ रही थी…
आह… आह… प्लीज… आह… जान… कहते हुए वो चुदे जा रही थी और मैं पागलों की तरह उसको चोद रहा था…
क्या गर्म चूत थी और ऊपर से बारिश में भीगते हमारे नंगे बदन…
कुछ देर बाद उसने मेरा मुंह अपनी छाती में दबा दिया और उसकी चूत से रस निकलने लगा जिसने मेरे लंड को भिगा दिया!
अब मुझे और जोश चढा़ और दोगुनी स्पीड से चूत मारने लगा!
वो एक टांग को मेरे कूल्हों पर रखे हुए मुझसे लिपटी हुई चुद रही थी… मन कर रहा था चूत को फाड़ दूं…
और 5 मिनट बाद मेरे लंड ने अपना रस उसकी गर्म चूत में छोड़ दिया और हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर निढाल हो गए…
2 मिनट तक ऐसे ही रहने के बाद फटाफट कपड़े पहने और उसे भी पहनाए!
मैं एग्जाम के लिए जाने लगा और उसको भी अपने साथ चलने के लिये कहा लेकिन वो स्कूटी छोड़ कर जाने को तैयार नहीं हुई!
उसको सॉरी बोलकर जाते हुए नाम पूछा तो बोली- अंजना…
कहते हुए उसकी आंखों से आँसू आ गए…
ना चाहते हुए भी मुझे उसको छोड़कर जाना पड़ा…
लेकिन उसके वो आँसू आज भी मेरे लिए एक सवाल बने हुए हैं…
मैं कई बार उस रास्ते पर गया भी लेकिन वो मुझे कभी नहीं मिली…
कहानी पसंद आई या नहीं, अपनी राय दें.
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]]>The post पडोस्वाली कुंवारी लड़की appeared first on Antarvasna.
]]>मेरी एक gf थी, उसका नाम नीलम था। मेरे घर के पास ही एक और लड़की रहती थी सिर्फ़ 18 साल की…। उसका नाम था संध्या… संध्या और नीलम आपस में सहेलियां थी, संध्या को नीलम और मेरे बारे में पता था। मे नीलम के घर फोन संध्या से ही करवाता था।
संध्या को सब पता होता था कि नीलम और मे कहाँ जा रहे हैं, क्या क्या करते हैं।
ये सब सुन सुन कर अब संध्या को भी सेक्स करने की इच्छा होने लगी थी, वह अक्सर मेरे घर पर आती और मुझसे पूछती- राज भैया, आपने कल नीलम के साथ क्या किया।
मे बोलता- तुझे इन सब बातों से क्या काम है?
तो वो शर्मा कर चली जाती।
मेने नीलम से पूछा तो उसने मुझे बता दिया कि वह हमारे बीच हुई सब बातें संध्या को बताती है।
मे समझ गया।
एक दिन जब मे अपने घर में काम कर रहा था तो संध्या मेरे पास आई और मुझसे बात करने लगी।
मेने उसको कहा- तू अभी जा… थोड़ी देर से आना, मुझे अभी काम करना है।
मगर वह नहीं मानी।
मेने उसे थोड़ी देर तक आने को बोला तो फिर वह चली गई।
मेरी मम्मी को मार्केट जाना था तो मम्मी ने मुझसे कहा- मे थोड़ी देर में वापस आ जाऊंगी, तुझे चाय पीनी हो तो संध्या को बोल देना, वह बना देगी!
मेने कहा- ठीक है!
मम्मी के जाने के ठीक बाद ही संध्या फिर से मेरे यहाँ आ गई और मुझे परेशान करने लगी।
मे अपना काम नहीं कर पा रहा था।
इतने में संध्या मेरे हाथ से पेन छीन कर मेरे कमरे में भागने लगी। मे उसको पकड़ने के लिए खड़ा हुआ, मेने उसको पीछे से पकड़ लिया। जब मेने उसको पकड़ा तो मेरे हाथ उसकी चुची पर थे। संध्या की चुची बहुत ही नर्म थी पर छोटी भी थी। मेरा लंड उसकी गांड पर था। थोड़ी देर तक पकड़ने के बाद उसने मुझे पेन दे दिया।
मे पेन नहीं लेना चाहता था मगर मेने उसे छोड़ दिया, मेने उसको कहा- मुझे चाय बना दे!
उसने कहा- ठीक है भैया!
और वह चाय बनाने के लिए चली गई।
Padoswali ladki ki chudai kahani – सुहागरात पर पहली बार चुदाई
मे थोड़ी देर तक सोचता रहा कि क्या करूँ, मगर अब मुझसे बिना सेक्स करे नहीं रहा जा सकता था। मे धीरे से उसके पास किचन में गया और उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया, कहने लगा- अभी तक चाय नहीं बनी क्या?
मेरा लंड उसके चुतड़ों पर लग रहा था तो वह समझ गई थी, वह मुझसे कतराने लगी।
मे भी समझ गया कि यह अब मुझसे कतरा रही है।
उसने मुझे चाय दी और कहा- भैया, मे जा रही हूँ घर!
मेने कहा- रुक ना… चाय तो पीने दे, उसके बाद चली जाना!
उसने कहा- ठीक है, पी लो।
मे उसे अपने कमरे में ले गया। वह मेरे कमरे में एक कोने में चुपचाप खड़ी हो गई। मे सोच रहा था कि अब क्या किया जाए।
मेने उससे जान कर नीलम की बात को छेड़ा, मेने उससे पूछा- तेरी नीलम से कोई बात हुई है क्या?
उसने कहा- नहीं!
फिर मेने उसको कहा- तू नीलम को फोन कर के यहाँ बुला ले!
उसने कहा- क्यों? यहाँ क्यूँ बुला रहे हो भैया?
मेने कहा- मम्मी नहीं है ना इसलिए!
उसने कहा- ठीक है।
फिर वह बोली- मे फोन करके आती हूँ।
मेने कहा- रुक!
मेरे यह कहने से वह रुक गई और पूछने लगी- बोलो क्या?
मेने उससे पूछा- नीलम तुझे क्या क्या बात बताती है?।
तो उसने कहा- कुछ नहीं।
मे समझ गया कि यह अब डर रही है मुझसे बोलने में… मेने कहा- संध्या, तू मेरे पास आ!
वह बोली- क्यों?
मेने कहा- आ तो सही!
वह धीरे से मेरे पास आई, मेने उसको बेड पर बैठाया और कहा- संध्या, तुझे सब पता है ना मेरे और नीलम के सेक्स के बारे में?
तो वह कहने लगी- भैया, मुझे कुछ नहीं पता है कसम से!
वह उस समय डर गई थी।
फिर मेने कहा- कोई बात नहीं। तुझे हमारी बातें जानना हो तो मुझसे पूछ लिया कर… मगर नीलम से मत पूछा कर!
तो उसने तुरंत पूछा- क्यों?
मेने कहा- कहीं नीलम ने तेरी मम्मी से कह दिया तो?
उसने धीरे से हाँ की।
उसके बाद मेने उससे पूछा- तुझे जानना है क्या अभी बात?
तो उसने धीरे से अपने चेहरे को नहीं में हिलाया।
फिर भी मेने उसको बात बताना शुरू कर दिया। थोड़ी देर तक तो वह ना ना कर रही थी, उसके बाद वह गौर से सुनने लगी। मेने उसको एक बात तो पूरी बता दी।
उसके बाद उसने मुझसे कहा- भैया कोई और दिन की सुनाओ ना?
जब मेने उससे कहा- मे अब सुनाना नहीं करना चाहता हूँ।
वह एकदम से खड़ी हो गई।
मेने उसको आगे से पकड़ लिया और उसके होंठों पर चूमने लगा।
वह मुझसे छूटने की पूरी कोशिश कर रही थी मगर मेने उसको छोड़ा नहीं…
थोड़ी देर के बाद मेने उसको कहा- बेड पर लेट जा!
मगर वह बोली- मे चिल्ला दूँगी।
मेने कहा- ठीक है, तू चिल्ला!
मेने उसको अपने हाथों से उठाया और बेड पर लेटा दिया और उसके ऊपर लेट गया। मेने उसके हाथों को पकड़ लिया और उसको चूमने लगा।
थोड़ी देर तक तो वह ना ना करती रही फिर मेने अपने एक हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और एक हाथ से उसके सलवार का नाड़ा खोल दिया।
वह नहीं नहीं कर रही थी।
फिर मे उसके सलवार में हाथ डाल कर उसकी चुत को सहलाने लगा। थोड़ी देर तक यह करने के बाद वह भी गर्म होने लगी। मेने फिर उसके हाथ छोड़ दिए और उसके बाद मे समझ गया कि अब यह भी गर्म हो चुकी है, अब चुदाई में नखरे नहीं करेगी।
फिर मेने उसकी कुरती उतारी और उसके साथ उसकी समीज़ भी उतार दी। मे उसकी चुची को सहलाने लगा और उसकी चुत को हाथ से सहलाने लगा।
मुझे पता था कि यह पहली बार सेक्स कर रही है।
उसके मुख से ‘हह हह हह…’ की आवाज़ आ रही थी।
मेने उसको कहा- मे नीलम के साथ भी यही करता हूँ।
तो उसने अपनी बंद आँखें खोली और कहा- इसके बाद क्या करते हो?
मे समझ गया कि यह अब पूरी गर्म हो गई है, मेने उसके पूरे कपड़े उतार दिए, अब वह मेरे सामने पूरी नंगी थी।
मेने फिर अपने कपड़े उतारे और तेल की शीशी लेकर आया। मेने मेरे लंड पर तेल लगाया, उसके बाद उसकी चुत में तेल लगाया।
मेने उसको पूछा- मे अपना लंड डालूँ?
तो उसने कहा- डाल दो!
मेने जैसे ही अपना लंड थोड़ा सा उसकी चुत में डाला तो वह ज़ोर से चिल्ला दी- ऊऊओंम आआआअ ईईईईई नहियीईईईईईई भैयआआअ निकालओ।
मेने लंड निकाला और कहा- थोड़ा तो दर्द होगा। तू इतनी ज़ोर से मत चिल्ला!
उसने कहा- ठीक है, मगर भैया थोड़ी धीरे डालना!
मेने फिर से अपना लंड उसकी चुत में डाला तो वह जैसे ही चिल्लाई, मेने अपना मुँह उसके मुँह पर रख दिया और उसके होंठों को चूसने लगा।
थोड़ी देर के बाद उसका चिल्लाना कम हुआ।
फिर मेने अपनी कमर को थोड़ा पीछे कर के ज़ोर से एक झटका दिया और अपना पूरा लंड उसके चुत में डाल दिया। उसके बाद वह तो जैसे मर ही गई, इतनी ज़ोर से चिल्लाई- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मम्मय्यययी नहियीईईईईईई भैयाआआ निकालऊऊऊऊऊऊ!
फिर मेने उसके होंठ अपने होंठों में ले लिए और ज़ोर ज़ोर से हिलने लगा।
उसकी चुत में से खून आने लगा और वह पागल सी हो गई।
मेने उसके चिल्लाने पर भी उसे चोदना नहीं छोड़ा और चोदता ही चला गया।
थोड़ी देर के बाद मेरा वीर्य निकल गया जो मेने उसकी चुत में नहीं जाने दिया, बाहर निकाल दिया।
और उसके ऊपर ही थोड़ी देर लेटा रहा।
मेरे लंड को उसकी चुत में से बाहर निकालने के बाद ही उसने चैन की सांस ली और कहा- भैया, अब मे आपसे कभी नहीं चुदुंगी।
मेने उसको कहा- तू अपना खून साफ कर ले और कपड़े पहन ले!
मेने अपने कपड़े पहन लिए और उसके बाद अपना काम करने लग गया।
थोड़ी देर के बाद वह कमरे से बाहर आई और कहा- भैया, मे जा रही हूँ।
मेने कहा- ठीक है, अब कब आएगी?
उसने कहा- जब टाइम मिलेगा।
आज भी मे उसको जब भी मौका मिलता है तो चोदता रहता हूँ।
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