pehli baar chudai Archives - Antarvasna https://sexstories.one/tag/pehli-baar-chudai/ Hindipornstories.org Thu, 26 Mar 2020 10:16:44 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1 सुहागरात पर पहली बार चुदाई https://sexstories.one/suhagraat-par-pehli-baar-chudai/ Thu, 26 Mar 2020 10:16:44 +0000 https://sexstories.one/?p=499 मेरी शादी की रात सारी रस्में खत्म होने के बाद मेरी ननद मुझे एक कमरे में ले कर गई.. जो पहले से फूलों और दूसरी सजावटी चीजों से सजा हुआ था, साथ ही उस कमरे ... >> पूरी कहानी पढ़ें

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मेरी शादी की रात सारी रस्में खत्म होने के बाद मेरी ननद मुझे एक कमरे में ले कर गई.. जो पहले से फूलों और दूसरी सजावटी चीजों से सजा हुआ था, साथ ही उस कमरे में से एक अलग ही खुशबू आ रही थी।

मुझे कमरे में छोड़ कर मेरी ननद चली गई और फिर मैं अपना घूँघट काढ़ कर बिस्तर पर बैठ गई और पति का इंतजार करने लगी।

उस समय मेरी हालत बहुत बुरी हो रही थी क्योंकि उस रात में किसी और की होने वाली थी, अन्दर से थोड़ा डर भी लग रहा था और उत्साह भी था कि आज मेरी चुदाई होने वाली थी।

कुछ समय मैं कमरे में अकेली ही बैठी थी.. पर थोड़ी देर बाद कमरे के बाहर से लड़कियों की हँसने की आवाज आई.. फिर मेरे कमरे का दरवाजा खुला और मेरे पति ने कमरे में अन्दर आकर दरवाजा बन्द कर दिया।

मेरे पति मेरे पास आकर बैठ गए और मेरा घूँघट उठाने लगे, मैं शर्म के मारे अपनी आँखें बन्द करके बैठी थी।

फिर मेरे पति ने मेरी ठोड़ी को उठा कर मेरा चेहरा अपनी ओर घुमाया.. तो मैंने धीरे से उनकी आँखों में देखा, उनकी आँखों में मुझे एक अलग ही किस्म की शरारत दिख रही थी, मैं भी हल्के से मुस्कुरा उठी।

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फिर थोड़ी देर तक वे मेरे साथ प्यार भरी बातें करने लगे.. और इसी दौरान उन्होंने मुझे धीरे से अपनी बांहों में भर लिया, मैंने भी समर्पण करते हुए उनका साथ दिया।

अब उन्होंने अपने हाथों से मेरे शरीर को सहलाना शुरू कर दिया और फिर मेरी ओर अपना मुँह लाकर पहले मेरे सर पर चूमा और फिर गालों पर किस करते हुए मेरे होंठों को चूमना चालू कर दिया।

उनके चुम्बन के दौरान मैंने भी अपने हाथों को उनके गालों पर सहलाते हुए किस करने में उनका साथ देना चालू कर दिया।

फिर धीरे से किस करते हुए वो आगे बढ़ने लगे और मेरी गर्दन पर चुम्बन करने लगे। इसी दौरान उन्होंने मेरी साड़ी का पल्लू हटा कर मेरे ब्लाउज पर से ही मेरे मम्मों को दबाना चालू कर दिया और मेरे गर्दन पर और जोर से किस करने लगे। इस सब में मुझे कुछ अलग ही मजा आ रहा था और धीरे धीरे मैं गर्म भी हो रही थी।

कुछ पलों बाद वो मेरे गले में से मेरे गहने निकाल कर बाजू में रखने लगे.. साथ ही साथ वे मेरे शरीर को किस भी करते जा रहे थे। कुछ मिनट में ही उन्होंने मेरे सारे गहने निकाल दिए.. फिर मेरी साड़ी को निकाल कर मुझे ब्लाउज और पेटीकोट में ला दिया।

मुझे अब थोड़ी अधिक शर्म आ रही थी.. तो मैंने अपनी आँखें बन्द कर दीं। वो मुझे बांहों में भरके मुझे फिर से किस करने लगे। मुझे भी थोड़ा जोश आ रहा था.. तो मैं भी उनके शरीर पर किस करने लगी।

उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और वो मुझ पर छा गए। इसके बाद वो मेरे होंठों को किस करते हुए अपने हाथों से मेरे मम्मों को दबाने लगे। मुझे भी मजा आने लगा, वो बहुत जोर-जोर से मेरे मम्मों को मसलने लगे।

मुझे कुछ दर्द सा होने लगा था.. इस वजह से मेरे मुँह से आवाज निकलने लगी, पर वो मेरे होंठों को अपने होंठों से बन्द करके मेरी आवाज को दबा दे रहे थे। मुझे दर्द तो हो रहा था पर साथ में मजा भी आ रहा था।

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फिर वो मेरे ऊपर से हटे और मुझे बिठा कर मेरा ब्लाउज निकालने लगे। मैं थोड़ा शर्माने लगी.. फिर भी उन्होंने मेरा ब्लाउज़ निकाल दिया और अब मैं ब्रा में रह गई।
उन्होंने भी अपनी शर्ट और बनियान निकाल दी और ऊपर से नंगे हो गए।

उनके खुले शरीर को देख कर मुझे कुछ कुछ होने लगा था.. लेकिन मुझे साथ में बड़ी शर्म भी आ रही थी। मैं अपनी ब्रा को हाथों से छुपा रही थी.. तो वो मेरे हाथों को खोलने की कोशिश कर रहे थे।

जब उनकी हाथ हटाने जोर बढ़ा तो मैंने उनसे लिपट गई और उनकी गर्दन पर किस करने लगी।

अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था.. तो मैं उनका साथ देने लगी और वो भी मेरी गर्दन पर किस करते हुए मेरी ब्रा का हुक खोलने लगे।

फिर उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोल कर मेरी ब्रा को हटा दिया मेरी चूचियाँ नंगी हो गई और हम दोनों ऊपर से पूरे नंगे हो गए थे।

इसके बाद उन्होंने गालों पर किस करते हुए मेरे मम्मों को चूमना चालू कर दिया। फिर मेरे निप्पलों को अपने दांतों से हल्का-हल्का काटने लगे.. और साथ में मेरे मम्मों को जोर-जोर से मसलने लगे।

इस सब में मुझे बहुत मजा आ रहा था तो मैं अपने हाथ से उनका सर मेरी नंगी चूची पर खींचने लगी.. और इससे वो भी बड़े जोश में आकर मेरे मम्मों से खेलने लगे।

थोड़ी देर मेरे मम्मों के साथ खेलने के बाद वो अपना एक हाथ धीरे से मेरी चुत की ओर ले गए और पेटीकोट के ऊपर से ही मेरी चुत को अपने हाथ से मसलने लगे।

फिर उन्होंने मुझे इशारे से कहा- इसे निकाल दो..

मैं तुरंत खड़े होकर अपना पेटीकोट निकालने लगी.. और इसी समय उन्होंने भी अपनी पैंट निकाल दी।

अब हम दोनों अब सिर्फ अंडरवियर में आ गए थे।

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इतनी देर के प्रेमालाप में हम दोनों एक-दूसरे के साथ खुल गए थे और मेरी शर्म भी अब चली गई थी।

पेटीकोट निकालने के बाद मैं सिर्फ पेंटी में ही बिस्तर पर लेट गई और वो मेरे पास आकर बैठ कर मुझे किस करते हुए अपने एक हाथ से मेरे मम्मों को दबाने लगे और दूसरे हाथ से मेरी चुत को सहलाने लगे।

मैंने पहले से ही अपनी चुत के बालों को साफ करके रखा था.. इसलिए वो बहुत खुश हुए और मुझसे अपनी खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने मेरे हाथ को अपने अंडरवियर पर रख दिया।

उनकी अंडरवियर गीली हो गई थी और मैं उनके कड़क लंड को अंडरवियर के ऊपर से महसूस कर सकती थी। उनके बड़े लंड को अंडरवियर के बाहर से महसूस करने के बाद मैं अंडरवियर के अन्दर हाथ डाल कर उनके लंड को मसलने लगी।

तभी मेरे मुँह में से निकल गया- अब नहीं रहा जा रहा है.. इस मेरे अन्दर डाल दो!

फिर क्या था.. वो भी इसी बात का इंतजार कर रहे थे और फिर उन्होंने बिस्तर के नीचे से एक पैकेट निकाला, जो कि कंडोम का था। उस पैकेट से एक कंडोम निकाल कर उन्होंने मेरे हाथ में रख दिया और कहा- लो तुम ही पहना दो इसे!

मैंने उनकी अंडरवियर निकाल दी और उनके 7 इंच के लंड पर कंडोम लगाकर थोड़ी देर हल्के हाथों से लंड को मसलने लगी।

अब उन्होंने मुझे बिस्तर पर चित लेटा कर मेरी पेंटी निकाल दी और मेरी नंगी चूत को सहलाने लगे, फिर अपनी एक उंगली डाल कर मेरी चूत में उंगली को अन्दर-बाहर करने लगे।

पहली बार मेरी चूत में किसी और की उंगली गई थी.. इसलिए मुझे कुछ अलग ही मजा आ रहा था। थोड़ी देर में ही वे मेरी चूत में दो उंगलियां डाल कर थोड़ा जोर-जोर से चूत में फिंगरिंग करने लगे।

मेरी चूत में उंगली डालने की वजह से पूरे रूम में हल्की सी ‘फच..फच..’ की आवाज गूँजने लगी थी।

अगले ही पल वो मेरे ऊपर आ गए और मेरी नंगी चूत पर अपना लंड घुमाने लगे और फिर अपने लंड को मेरी चूत में डालने की कोशिश करने लगे।

दोस्तो.. इधर मैं आपको बता दूँ कि इससे पहले मैंने कभी किसी से चुदाई नहीं थी और खुद ही अपनी चूत में मुश्किल से दो उंगलियां डाल पाती थी.. इसलिए मेरी चूत का छेद छोटा सा था।

शायद इसलिए मेरे पति को मेरी चूत में लंड डालने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी। जब वो अपना लंड मेरी चूत में डाल रहे थे.. तब मुझे भी बहुत दर्द हो रहा था क्योंकि उनका लंड मोटा था और मेरी चूत छोटी थी, इसलिए दर्द होना लाजिमी था।

इस वजह से मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगीं और कुछ समय में ही उन्होंने जोर से झटका लगा दिया और अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया।
लंड घुसने के साथ ही मेरे मुँह से एक जोर से चीख निकल गई- उम्म्ह… अहह… हय… याह…

लंड बहुत मोटा था, जिससे मुझे बेहद दर्द हो रहा था। मैं जोर-जोर से आवाज निकाल रही थी, फिर भी वो रुकने का नाम नहीं ले रहे थे और मेरी चूत में अपना लंड बार-बार अन्दर-बाहर किए जा रहे थे।

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थोड़ी देर बाद वो रुके और अपना लंड मेरी चूत में से बाहर निकाला, तब मैंने देखा कि मेरी चूत खून से लाल हो गई थी। उन्होंने पास में पड़े कपड़े से मेरी चूत को साफ किया और अपने कंडोम पर लगे खून को भी साफ किया।

अब उन्होंने मुझे किस करना चालू किया और जब मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ.. तब वो फिर मेरी नंगी चूत में अपना लंड डालने लगे।

पर इस बार जब उन्होंने अपना लंड डाला, तब पहले के मुकाबले कम दर्द हुआ। अब उन्होंने अपने लंड को हल्के-हल्के से मेरी चूत में डाल कर मुझे चोदना चालू किया।

थोड़ी देर हल्के-हल्के झटके मारने के बाद उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ाई और जोर-जोर से मेरी चूत में अपना लंड डालने लगे, पर इस बार दर्द कम हो रहा था और मजा ज्यादा आ रहा था।

थोड़ी देर बाद मेरी चूत में से पानी निकलने लगा था.. पर वो तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे और मेरी धकापेल चुदाई किए जा रहे थे। चुदाई के साथ वो मेरे मम्मों को दबाते और भंभोड़ते हुए मुझे किस भी कर रहे थे।

इससे हुआ ये कि थोड़ी ही देर बाद फिर से मेरी चूत मजा लेने लगी और कुछ ही पलों बाद चूत फिर अपना पानी निकालने लगी। इतने में ही उनका लंड भी अपना पानी छोड़ने लगा।

थोड़ी देर वो मुझ पर ही ढेर हो गए और मैंने तृप्त होकर उनको किस करते हुए अपनी बांहों में भर लिया।

कुछ देर बाद हम दोनों अलग हो गए और थोड़ी देर अपनी साँसों को नियंत्रित करने लगे।

करीबन दस मिनट बाद मैं उनके लंड को धीरे-धीरे सहलाने लगी। थोड़ी देर बाद वो दूसरा राउंड लेने के लिए तैयार हो गए और उन्होंने अपने लंड पर से कंडोम निकाल दिया। वो कंडोम लंड के पानी से काफी भर गया था.. ये देख कर मैं थोड़ी हैरान हो गई कि मेरी चूत में आज इतना पानी चला जाता तो मैं अभी से ही प्रेग्नेंट हो जाती।

फिर उन्होंने मेरे हाथ में दूसरा कंडोम रख दिया और मैंने भी वक्त न गंवाते हुए उनके लंड पर कंडोम लगा दिया।

अब उन्होंने मुझसे कहा- मैं नीचे लेट जाता हूँ और तुम मेरे लंड पर अपनी नंगी चूत लगा कर.. मेरे लंड पर उछलो।

जैसा उन्होंने बताया.. वैसे ही मैं उनके लंड पर बैठ कर उछलने लगी और मज़े से चुदवाने लगी। थोड़ी देर ऐसे पोज़ में चुदाई के बाद उन्होंने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और वो खुद बिस्तर से नीच उतर गए। अब उन्होंने बिस्तर के पास खड़े हो मेरे एक पैर को अपने कंधे पर रख लिया और मेरी चूत को खड़े-खड़े चोदना चालू कर दिया।

उस पोज़ में उनका पूरा लंड मेरी चूत में जा रहा था और मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था। ऐसे ही चुदाई के दौरान हम दोनों फिर एक साथ अपना पानी छोड़ दिया और फिर हम दोनों बिस्तर पर साथ लेट कर प्यार भरी बातें करने लगे।

करीब एक घंटे बातें करने के बाद वो मेरी गांड को सहलाने लगे और मुझसे कहा- अगर तुम तैयार हो.. तो एक राउंड पीछे से भी ले लूँ!

फिर मैंने भी मुस्कुरा कर ‘हाँ’ में जवाब दे दिया।

अब उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया और अपना लंड मेरी गांड पर घुमाते हुए अन्दर डालने की कोशिश की.. पर मेरी गांड बहुत टाइट होने की वजह से उनका मोटा लंड मेरी गांड में जा नहीं रहा था। गांड में लंड डालने के दौरान मुझे बहुत दर्द हो रहा था.. तो फिर उन्होंने पास में रखी तेल की बोतल मेरे हाथ में दे दी।

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मैंने उनका मतलब समझते हुए उनके लंड की तेल से मालिश की और उन्होंने मेरी गांड के छेद में तेल डाल कर उंगली से छेद को तेल से तर कर दिया।

फिर वे अपने लंड को हाथ से सहलाते हुए मेरे पीछे आए और मेरी गांड में लंड डालने लगे। जब गांड में लंड गया, तब तेल लगा लंड होने की वजह से वो मेरी गांड में तो चला गया.. पर मुझे बहुत दर्द हो रहा था।

मैंने उनको मना करने की कोशिश की, पर वो नहीं मान रहे थे और उन्होंने मेरी गांड की चुदाई जारी रखी। मुझे बहुत दर्द हो रहा था पर कुछ ही देर में मेरी गांड ने लंड से हार मान ली और मुझे मज़ा भी आने लगा था।

थोड़ी देर की गांड चुदाई के बाद उन्होंने अपने लंड का गर्मागर्म पानी मेरी गांड में डाल दिया और ऐसे मेरी पहली चुदाई पूरी हुई।

चुदाई के बाद हम दोनों बाथरूम में जा कर फ्रेश हो कर आए, फिर नंगे ही एक-दूसरे की बांहों में सोने लगे। मैंने टाइम देखा तो पता चला कि रात के ढाई बज गए थे।

सुबह ही हम दोनों को जल्दी तैयार होना था.. इसलिए मैंने उनको उठाने की ट्राई की.. वो जागे तो, पर वो जागते ही मेरी चुदाई करने की कोशिश करने लगे।

मैं जैसे-तैसे उनसे बच कर बाथरूम में फ्रेश होने चली गई और फिर वो भी फ्रेश होकर रिश्तेदारों से मिलने में बिजी हो गए।

उस रात के बाद अगले दिन रिवाज के मुताबिक एक हफ्ते हम दोनों मेरे पापा के घर रुके थे.. इस लिए सुहागरात के बाद एक हफ्ते तक मुझे मेरे पति के लंड से दूर रहना पड़ा।

रीति रिवाजों के पूरा होने के बाद हम दोनों जम कर लंड चूत चुदाई करते हुए मजा लेने लगे थे।

फिर तो काम की वजह से वो मुझे टाइम नहीं दे पाते थे और इसका फायदा मेरे देवर ने उठा कर मेरी एक साल तक जम कर चुदाई की थी।

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पहला चुदाई अनुभव https://sexstories.one/pehla-chudai-anubhav/ Sun, 22 Mar 2020 09:46:58 +0000 https://sexstories.one/?p=477 मैं गुजरात की रहने वाली हूँ और सांवली लेकिन भरे फ़ूले शरीर की मालकिन हूँ। मैं एक अच्छे खाते पीते परिवार की लड़की हूँ। मेरे पापा बहुत बड़े सरकारी अफसर हैं। मेरी मां एक पढ़ी-लिखी ... >> पूरी कहानी पढ़ें

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मैं गुजरात की रहने वाली हूँ और सांवली लेकिन भरे फ़ूले शरीर की मालकिन हूँ। मैं एक अच्छे खाते पीते परिवार की लड़की हूँ। मेरे पापा बहुत बड़े सरकारी अफसर हैं। मेरी मां एक पढ़ी-लिखी और फ़ेशनेब्ल स्त्री हैं, वहीं मेरे पापा बहुत ही शरीफ़ और इमानदार अफ़सर है। मेरा भाई विदेश में रहता है।

मेरे भाई का एक दोस्त था, जिसका एक छोटा भाई था जिसका नाम अरविन्द था। अरविन्द अपने भाई के साथ कई बार हमारे घर आया करता था। मुझे अरविन्द शुरु से ही बहुत पसन्द था। धीरे धीरे वो भी मुझे पसन्द करने लगा था।

अब वो अपने भाई के बिना भी हमारे घर आने लगा था। हम दोनों अक्सर मोबाईल पे बातें किया करते थे, अब हमारी बातें प्रेमियों की तरह होने लगी थी। वो हमारे घर किसी ना किसी बहाने से आ ही जाता था। घर वाले उसके इस तरह घर आने पे शक भी नहीं करते थे।

इस तरह एक साल बीत गया और अब तक मुझे भी दोस्ती और प्यार में फ़र्क पता चल गया था, मेरे मन में भी अरविन्द को लेकर कई तरह के खयाल आने शुरु हो गये थे।

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अब हम मोबाइल पर एक दूसरे का चुम्बन आदि करने लगे थे, इसी तरह अरविन्द ने मिलने पर भी चुम्बन मांगना शुरु कर दिया लेकिन मैं उसे मना कर देती थी।

लेकिन मैं उसको इस तरह ज्यादा दिन मना नहीं कर पाई और एक दिन वो मुझे पढ़ाने के बहाने मेरे घर आया। मेरी माँ अपने कमरे में टी वी देख रही थी, उस वक्त उसने मुझे अचानक कन्धों से पकड़ लिया और मुझे चुम्मा देने के लिये कहने लगा।

इस बार मैं उसको मना नहीं कर पाई और उसने माँ के आ जाने के डर से मुझे धीरे से एक बार चूम कर छोड़ दिया। कुछ ही देर बाद वो वापिस अपने घर चला गया।

उस रात मैं बेसब्री से उसके फोन का इन्तजार कर रही थी कि ग्यारह बजे के करीब उसका फोन आया। मैं बहुत खुश थी।

उसने मुझे पूछा- तुम्हें चुम्बन में मजा आया?

तो मैंने अपने दिल का हाल उसे बता दिया।

उस दिन उसने मेरे साथ फोन सेक्स भी किया। मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी थी, मेरा दिल चाह रहा था कि अरविन्द अभी आ जाये और मुझे अपनी बाहों में भर के वो सब कुछ कर डाले जो फोन पे कह रहा था।

अब हम मिलते तो चुम्बन तो आम हो गया था अब अरविन्द बेझिझक मेरे शरीर पर जहाँ चाहता हाथ फ़ेरता था। हमने घर से बाहर रेस्टोरेन्ट में भी मिलना शुरू कर दिया था। वहाँ अरविन्द बेझिझक मेज़ के नीचे मेरी स्कर्ट के अन्दर मेरी जांघों पर हाथ फ़ेरता था कभी मौका पा के शर्ट के उपर से ही मेरे स्तनों को सहला देता था।

ये सब मुझे बहुत अच्छा लगता था। घर पे मैं अपने भैया का कम्प्यूटर ही प्रयोग करती थी जिस में मैं कई बार ब्लू-फ़िल्म देखा करती थी। अब मुझे इस सबकी अच्छी तरह समझ आ चुकी थी। मैं मन ही मन ना जाने कितनी बार अरविन्द के साथ सम्भोगग कर चुकी थी। इस बीच मेरे पापा का तबादला कहीं और हो गया लेकिन मेरी पढ़ाई की वजह से मुझे और मेरी माँ को गुजरात में ही रुकना पड़ा।

इसी बीच एक बार हमारा एसी खराब हो गया और पापा ने जहाँ से एसी लिया था वहाँ फोन से शिकायत लिखवा दी। उस दिन रविवार था और वो शोरूम बन्द था इसलिए शोरूम के मालिक जो हमारे घर के पास ही रहते थे का बेटा खुद एसी चेक करने हमारे घर आ गया।

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उनके परिवार से हमारे बहुत अच्छे पारिवारिक सम्बंध थे, अक्सर हमारे घर आते जाते रहते थे। उनका नाम सोमेश था, मैं उनको सोमेश भैया कहती थी। वो करीब 27-28 साल के होंगे। उन्होंने थोड़ी ही देर में एसी ठीक कर दिया। माँ ने उन्हें कोल्ड ड्रिंक वगैरह पिलाई और कुछ देर बातें करने के बाद वो चले गये।

लेकिन इसके बाद उनका हमारे घर आना जाना बढ़ गया। अकसर माँ उनसे फोन पे बातें करती रहती थी जो मुझे अच्छा नहीं लगता था। हम शनिवार और रविवार को पापा के पास चले जाया करते थे या पापा यहाँ आ जाया करते थे और घर की चाबियाँ सोमेश भैया के पास ही रहती थी, दूसरी चाबी हमारे पास होती थी।

एक बार माँ किट्टी-पार्टी पे जा रही थी। जब माँ जा रही थी तो सोमेश भैया भी बाहर खड़े थे, माँ ने उन्हें मेरा ध्यान रखने को बोला और चली गई।

माँ के घर से बाहर जाते ही मैंने अरविन्द को फोन कर दिया तो अरविन्द ने घर पे मिलने की जिद करनी शुरु कर दी, मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था अरविन्द को अकेले में मिलने का, मैंने माँ को फोन करके अपनी सहेली के घर जाने का पूछा, माँ ने कह दिया कि मैं 3-4 घंटे में वापिस आ जाउँगी उससे पहले वापिस आ जाना।

मैंने अरविन्द को फोन किया और घर बुला लिया। मैं भी बहुत खुश थी कि आज अरविन्द के साथ जो अपने सपनों में होते देखा था आज हकीक़त में उसका मजा लूँगी।

इसी बीच अरविन्द आ गया। अरविन्द को अन्दर बुला कर मैंने जल्दी से बाहर वाले दरवाज़े को लॉक कर लिया। मैंने उस समय आसमानी रंग की स्कर्ट और सफ़ेद रंग का टोप पहना हुआ था। अरविन्द ने मुझे वहीं से अपनी बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले गया।

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वो कुछ ज्यादा ही जल्दी में लग रहा था, मैंने उसे कहा- माँ ने 3-4 घंटे बाद वापिस आना है, पहले कुछ खा पी तो लो!

लेकिन वो कहने लगा- एक शिफ़्ट हो जाये उसके बाद देखेंगे खाना पीना!

कुछ ही पलों में मैं सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी। उस समय मैं 30 नम्बर की ब्रा पहनती थी जोकि उम्र के हिसाब से कहीं बड़ा था। अब मैं भी आपा खो चुकी थी मैंने जल्दी से अरविन्द की टी-शर्ट उतार दी और उसकी पैंट की जिप खोलने लगी, उसने मेरी ब्रा की हुक खोल दी और मेरे मम्मों को बाहर निकाल के चूसना शुरु कर दिया। मैंने भी अरविन्द का लण्ड बाहर निकाल के उसको हाथों से सहलना शुरु कर दिया।

अब अरविन्द के हाथ भी चल रहे थे, वो मुँह से मेरे मम्मों को चूस रहा था और हाथों से मेरी पेंटी उतार रहा था। मैं अरविन्द के सामने बिल्कुल नंगी थी, अरविन्द मेरे मम्मे चूसता हुआ अपनी एक उंगली को धीरे धीरे मेरी फ़ुद्दी (चूत) में घुसाने की कोशिश कर रहा था, उसकी इस कोशिश की वजह से मैं आपे से बाहर हो गई और अरविन्द को अपना लण्ड मेरी फ़ुद्दी (चूत) में डालने को कहने लगी।

अरविन्द ने भी मौके की नजाकत को समझा और मुझे बेड पे पीठ के बल लेट जाने को बोला, मैंने वैसा ही किया।

अब अरविन्द मेरी दोनों टांगों के बीच में था, उसने कहा- अपनी दोनों टांगों को फ़ैलाओ!

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मैंने वैसा ही किया, अरविन्द ने मेरी टांगों को उठा के अपने कन्धों पर रख लिया और धीरे से अपना लण्ड मेरी फ़ुद्दी पे रख दिया, यह मेरी और अरविन्द दोनों की ही पहली चुदाई थी। अरविन्द ने अपना लण्ड मेरी फ़ुद्दी पे रख के दबाव बढ़ाना शुरु किया। लण्ड थोड़ा सा अन्दर गया और फ़िसल कर बाहर आ गया, इस तरह एक दो बार हुआ तो अरविन्द खुद पे कन्ट्रोल नहीं कर पाया और इतने में ही स्खलित हो गया।

इतने में दरवाजे पर आहट हुई और कोई अन्दर आया। हम दोनों के होश उड़ गये, वो और कोई नहीं सोमेश भैया थे। अरविन्द उठ कर भागने लगा तो भैया ने उस्को पकड़ लिया। हमने भैया से बहुत मिन्नतें की लेकिन भैया ने अरविन्द को उसी बेडरूम में बन्द कर दिया और मुझे खींच कर दूसरे कमरे में ले गये।

मैंने सोचा- कैसी मुसीबत में फ़न्स गये? किया भी कुछ नहीं और पकड़े भी गये!

लेकिन भैया का मूड़ कुछ और ही था। या फ़िर मेरा नंगा जिस्म देख के उनके होश उड़ गये थे।

उन्होंने मुझे सीधा ही बोल दिया- अगर तुम बदनामी और अपनी माँ से बचना चाहती हो तो तुम्हें मुझसे चुदना होगा।

मेरे पास और कोई चारा भी नहीं था और वैसे भी मैं अभी चुदी कहाँ थी लण्ड का स्वाद चखने से पहले ही पकड़ी गई थी। सोमेश की बात मैं मान गई। लेकिन मैंने सोमेश भैया को पहले अरविन्द को छोड़ने के लिये बोला। भैया मान गये लेकिन उन्होंने पहले मुझे इसी हालत में फोटो खिंचवाने के लिये बोला ताकि मैं अपनी बात से मुकर ना जाऊँ! लेकिन मैं तो खुद ही तैयार थी इसलिये मैं झट से मान गई।

भैया ने जल्दी से अपना मोबाईल निकाला और मेरे नग्न शरीर की 6-7 तस्वीरें खींची और मुझे कपड़े पहनने को बोल दिया और अरविन्द को डरा धमका कर घर से भगा दिया।

अरविन्द के जाने के बाद मैं झट से किचन में गई और सोमेश भैया के लिये फ़्रिज से कोल्ड ड्रिन्क ले आई। भैया ने एक दो घून्ट ही कोल्ड ड्रिन्क पी और मुझे बेडरूम में आने का इशारा करके मेरे आगे आगे चल पड़े। बेडरूम में पहुँचते ही उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा कर बेड पे लिटा दिया।

Antarvasna Pheli baar ki chudai – पति के भतीजे और एक पंजाबी से चुदवाया

भैया ने जल्दी से बिना वक्त गंवाए मेरे कपड़े उतारने शुरु कर दिये, देखते ही देखते एक मिनट से भी पहले मैं भैया के सामने नग्न लेटी हुई थी।

अब भैया मेरे सामने खुद के भी कपड़े निकालने लगे, भैया सिर्फ़ अन्डरवियर में मेरे सामने खड़े थे, अन्डरवियर में से उनका लण्ड थोड़ा उभरा हुआ सा नजर आ रहा था। लेकिन भैया ने अपना अन्डरवियर भी निकाल दिया और हम दोनों अब निर्वस्त्र थे। भैया का लण्ड देख के मेरे तो होश ही उड़ गये, सोमेश भैया का लण्ड मेरे अनुमान से बहुत ज्यादा बड़ा था।

भैया ने कहा- तुम सिर्फ़ मेरी वजह से चुदना चाहती हो या मजा लेना चाहती हो?

मैंने बेझिझक बोल दिया- मैं मजा लेना चाहती हूँ।

तो भैया की आँखों में अजीब सी खुशी नजर आई मुझे। मैं बेड पर बैठी थी और सोमेश भैया मेरे सामने खड़े थे। सोमेश ने कहा- मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लो और इसको लॉलीपॉप की तरह चूसो!

मैं वैसा ही करने लगी। तीन चार मिनट तक यूँ ही मैं उनका लण्ड चूसती रही, सोमेश भैया का लगभग नौ इंच का लण्ड अपने पूरे आकार में तन गया था, जिससे मुझे लण्ड को पूरा मुँह में लेने में परेशानी हो रही थी। तभी भैया ने अपना लण्ड मेरे मुँह में से बाहर निकाल लिया।

अब भैया ने मेरे मम्मों को अपने हाथों में संभाल लिया, वे उन्हें बड़े प्यार से सहलाने लगे वह कभी मेरे स्तनों को तो कभी गहरे गुलाबी रंग के चुचूकों को चुटकियों से मसल रहे थे। मुझे इस सब में बहुत मजा आ रहा था।

भैया ने मम्मे चूसते चूसते अपनी एक उंगली को धीरे धीरे मेरी फ़ुद्दी में घुसा दिया। मैं अब आपा खो चुकी थी, सोमेश भैया अब अपनी जीभ से मेरी फ़ुद्दी चाटने लगे थे, मेरे शरीर में बिजलियाँ दौड़ने लगी थी, मैं कामुक स्वर में बोली- सोमेश! अब देर मत करो प्लीज़…

इतना सुनते ही भैया ने मेरी फ़ुद्दी में ढेर सारा थूक लगाया और अपने मोटे लण्ड के मुँह को मेरी फ़ुद्दी के मुँह पर रख कर धक्का मारा, मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ लेकिन कुंवारी फ़ुद्दी होने के कारण सोमेश का लण्ड भी अरविन्द की तरह फिसल जाने के कारण ज्यादा दर्द नहीं सहना पड़ा।

Antarvasna Pheli baar ki chudai – बड़े चुचे वाली मौसी

पर सोमेश भैया तो पक्के शिकारी थे, उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और अपने हाथों से मेरी जाँघों को थोड़ा और फ़ैला दिया और लिंग-मुंड को फिर से फंसा कर दोबारा कोशिश करने लगे।

भैया ने इस बार हल्का सा धक्का दिया, लिंग-मुंड मेरी फ़ुद्दी को लगभग फाड़ते हुए अन्दर घुस गया। दर्द के मारे मेरी चीख निकल गई… आ ई ई ई ऊई मां मर गई मैं तो… प्लीज… निकालो इसे…

मैं इतना ही कह पाई थी कि सोमेश ने थोड़ा पीछे हट कर एक धक्का और मारा!
मैं बुरी तरह चीखी- उफ… आई… मां प्लीज…भैया प्लीज ओह…

और दर्द के मारे मैं आगे कुछ नहीं कह पाई और अपने सिर को बेड से सटा लिया, मेरी आँखों में पानी आ गया था।
भैया ने कहा- बस एक दो इंच बचा है…अगर कहो तो डाल दूँ?

मैंने कहा-…अब इतना दर्द नहीं है… भैया…अगर एक दो इंच ही रह गया है तो डाल दो… मैं झेल लूंगी…

लेकिन भैया झूठ बोल रहे थे, लण्ड अभी आधा बाहर ही था। भैया ने लण्ड को दो तीन इंच पीछे खीच कर एक जोर का धक्का मारा, मेरा मुँह बेड पर घिसटता हुआ सा आगे सरक गया, मुझे लगा जैसे किसी ने कोई तेज़ तलवार मेरी फ़ुद्दी में घुसा दी हो, मेरे हलक से मर्मांतक चीख निकली, मेरा हाथ मेरी फ़ुद्दी पर पहुँच गया, हाथ चिपचिपे से द्रव्य से सन गया।

मैंने हाथ को आँखों के सामने ला कर देखा तो और डर गई, अंगुलियाँ खून से लाल थी, उफ…मेरी फ़ुद्दी तो जख्मी हो गई…अब क्या होगा…उफ निकालिए इसे… मैं रोती हुई कह रही थी, भैया मैं मर जाऊँगी।

भैया ने मेरे मम्मे मसलते हुए कहा- यह तो थोड़ी सी ब्लीडिंग योनि-पट फटने से होती है… अब तुम्हें सिर्फ़ मजा ही मजा आएगा।

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उनकी बात सच ही थी- धीरे धीरे मेरा दर्द आनन्द में बदलने लगा था। भैया अब थोड़ा जल्दी जल्दी अपने लंबे लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगे। मैं बुरी तरह कांपने लगी थी, मेरे मुँह से कामुक आवाजें फ़ूट रही थी। अब मुझे बहुत मजा आने लगा था। मैंने कहा- भैया! ज़रा जोर-जोर से कीजिये! उफ…उफ…! मैं टूटे शब्दों में बोली।

भैया ने रफ़्तार बढ़ा दी, मेरी सिसकारियाँ और भी कामुक हो गई, वो जैसे निर्दयी हो गए थे, फ़च फ़च की आवाज़ सारे कमरे में गूँज रही थी, उत्तेजना में मैंने भैया की पीठ को नोचना शुरु कर दिया था, उसने मेरे स्तनों को और मेरे लबों को चूसना शुरु कर दिया।

मैं हुच.. हुच. की आवाजों के साथ बिस्तर पर रगड़ खा रही थी। सोमेश भैया अपने पूरे जोश में थे, वह मेरे मम्मों को सहलाते तो कभी मेरे चुचक को मसलते हुए आगे पीछे हो रहे थे।

अब उनकी गति में और तेजी आ गई, मैं दांतों तले होंठों को दबाये उनके लिंग द्वारा प्राप्त आनन्द के सागर में हिलोरें ले रही थी। अब भैया चित्त लेट गए और मुझे अपने लण्ड पर बिठा लिया मैं स्वयं ऊपर नीचे होने लगी, एसी चालू होने के बावजूद हम दोनों को पसीना आ गया था।

अचानक भैया का तेवर बदला और उन्होंने बैठ कर मुझे फिर पीठ के बल लिटा दिया और मेरी फ़ुद्दी में अपना लण्ड डाल कर जोर जोर से धक्के मारने लगे। मैं अपने चरम पर आ चुकी थी, अचानक उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि से निकाल लिया और मेरे मुँह में डालकर जोर जोर से धक्के मारे और फिर मेरे सर को थाम कर ढेर से होते चले गए, वह मेरे मुख में ही झड़ हो गए।

मैंने उनके लिंग को छोड़ा नहीं बल्कि उसे चूस चूस कर दोबारा उत्तेजित करने लगी। सोमेश भैया ने मेरे मम्मों से खेलना शुरू कर दिया और बोले- क्यों? कैसा रहा…?

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बहुत मजा आया भैया!… लेकिन मेरी फ़ुद्दी तो जैसे सुन्न हो गई है… मैंने उनकी पीठ को सहलाते हुए कहा।

यह सुन्नपन तो ख़त्म हो जायेगा थोड़ी देर में, पहली बार में तो थोड़ा कष्ट उठाना ही पड़ता है, अब तुम अगली बार देखना इतनी परेशानी नहीं होगी बल्कि सिर्फ मजा आएगा, भैया ने मेरे स्तन को चूसते हुए कहा।

‘उफ भैया… इन्हें आप चूसते हैं तो कैसी घंटियाँ सी बजती है मेरे शरीर में!… प्लीज भैया चूसिये इन्हें!’ मैं कामुक तरंग में खेलती हुई बोली।

अच्छा लो! कह कर सोमेश भैया मेरे गहरे गुलाबी रंग के निप्पलों को बारी बारी चूसने लगे, मैं आनन्दित होने लगी।

मैंने भैया से पूछा- आपने पहले किसी को चोदा है?
‘हाँ चोदा है लेकिन इससे पहले मैंने 20 साल से कम उम्र की किसी लड़की को कभी नहीं चोदा।’

उस दिन माँ के आने से पहले भैया ने मुझे एक बार और चोदा। इस चुदाई के एक सप्ताह तक मुझे पेशाब करते वक्त पेशाब वाली जगह पे बहुत जलन होती रही। अब यह सिलसिला लगातार चल रहा है।

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शादी में मेरी पहली चुदाई https://sexstories.one/shaadi-me-pehli-baar-chudai/ Sun, 15 Mar 2020 08:56:46 +0000 https://sexstories.one/?p=433 अन्तर्वासना, कामुकता और हिंदी सेक्स स्टोरी की दुनिया में आपका स्वागत है.. मैं अमिता सिंह, 35 वर्षीय शादीशुदा महिला हु। मेरे में वो सब कुछ है जो किसी भी मर्द को मस्त कर दे। 36 ... >> पूरी कहानी पढ़ें

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अन्तर्वासना, कामुकता और हिंदी सेक्स स्टोरी की दुनिया में आपका स्वागत है.. मैं अमिता सिंह, 35 वर्षीय शादीशुदा महिला हु। मेरे में वो सब कुछ है जो किसी भी मर्द को मस्त कर दे। 36 कि चूची .. मांसल बदन .. हल्का गोरा रंग। लेकिन ये कहानी 13 साल पहले की है।जब मैं कॉलेज जाती थी 22 साल की उम्र , 34 की चूची, छरहरा बदन। [desi kahani, antarvasna]

मैं मिडिल क्लास परिवार से थी। लेकिन कॉलेज में लड़कों की आंखों की तारा थी।

अधिकतर लड़के अपनी आदत से मजबूर मेरे पीछे भी पड़े हुए थे। स्कूल के एनुअल फंक्शन में तो कई लड़को ने छेड़छाड़ भी की थी क्योंकि मैं स्कर्ट और टॉप में खूब सज संवर कर गयी थी।

कुछ ने चूची भी मसल दी थी। मैं सब कुछ समझती भी थी। होस्टल की लड़कियों से दोस्ती थी वे सब कई बार ब्लू फिल्म भी दिखा देती थी। इसलिए मैं सब कुछ जानती थी लेकिन खुद पर कंट्रोल करती थी और लड़कों से दूर रहती थी।

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मेरी सहेली थी रेनू बड़े परिवार की खुले विचारों की.. कार से आती जाती थी .. लड़को के साथ दोस्ती यारी चलती रहती थी। लेकिन स्वभाव की बहुत अच्छी.. कोई घमण्ड नही और मेरे ख्याल से लड़को से भी एक दूरी मेंटेन किये रहती थी।

मुझसे काफी पटती थी।

उसके घर शादी थी उसने मुझे भी बुलाया था।

मुझे क्या सारे स्कूल को ही बुला लिया था। यहां तक कि टीचर्स को भी।

बहुत बड़ा घर था उसके लान में ही शादी का प्रोग्राम हो रहा था उसकी बुआ का। मैं खाश थी इसलिए दोपहर में ही आ गयी थी और पूरे घर मे घुल मिल गयी थी।

शाम को मैं रेनू के कमरे में ही तैयार हुई। घाघरा चोली पहना खूब अच्छे से तैयार हुई। रेनू तो देखकर मजाक भी करने लगी कि तेरी भी शादी आज ही करवा दु क्या ?

अपने रूम की चाभी उसने मुझे दे दिया कि मैं रखु वो किसी दूसरे कमरे में सेट हो जाएगी। बारात आ गयी सब कार्यक्रम चल रहा था मैं भी सब एन्जॉय कर रही थी।

Mastram Desi kahani – कुसुम की झांट की सफाई

रात में 11 बजे मुझे बाथरूम जाना था। तो मैं रेनू के कमरे में गयी। बाथरूम जाना था तो कपड़े गंदे न हो जाये इसलिए घाघरा और पैंटी रूम में उतार कर बाथरूम में घुस गई लेकिन कमरे का दरवाजा लॉक करना भूल गयी।

बाथरूम से वापस आयी तो कमरे में अंधेरा था ही मैंने लाइट नही जलाया था। लेकिन घाघरा और पैंटी गायब थी!!

मैं परेशान और शॉक्ड की कौन कपड़े ले गया। दरवाजे की तरफ देखा तो अब दरवाजा भी अंदर से बंद था। जो कि मैने बन्द नही किया था। मैंने तुरंत लाइट जलाया लेकिन जो देखा तुरंत बेड से चादर खींच कर अपने को लपेट लिया। क्योकि सामने सोफे पर मेरे 35 वर्षीय इंग्लिश के सर मेरी पैंटी हाथ मे लिए बैठे थे। और सूंघ रहे थे।

कॉलेज के सबसे स्मार्ट और कड़क टीचर माने जाते थे और काफी लोकप्रिय भी।

लेकिन इस स्थिति में देखकर मुझे तो साँप सूंघ गया।

मैंने पूछा यहां क्या कर रहे है सर तो बोले तुम्ही ने तो बुलाया था दरवाजा खुला छोड़ कर।

मैं समझ गयी कि सर मुझे फसाना चाहते है कि मैं अगर शोर मचाऊं तो सर कहे कि मैने खुद बुलाया है।

इतने में मनीष सर उठे और पैंटी को सूंघते हुए मेरे पास और बोले कितनी अच्छी महक है तुम्हारे बुर की।

सर के मुँह से इतने खुले शब्दो को सुनकर मैं तो चौक पड़ी।

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तभी सर मेरे पास आये और आते ही एक झटके से चादर खींच दी। मैं एकदम नीचे से नंगी सर के सामने खड़ी थी।

मैने अपने हाथ से अपने बुर को ढक लिया सर नीचे बैठे और जबरदस्ती मेरा हाथ हटाने लगे और बोले चुपचाप खड़ी रहो नही तो जबरदस्ती तो चोदना ही है कॉलेज में भी बदनाम कर दूंगा। कॉलेज में मेरी छवि इतनी अच्छी है कि कोई मेरी बात नही कटेगा और इंग्लिश में फेल भी कर दूंगा।

मैं रुआंसी हो गयी सर प्लीज् मत करिए मेरी इज्जत मत खराब करिये।

सर बोले देखो बाहर तो किसी को पता चलेगा नही और जिसे तुम इज्जत कह रही हो ये जवानी के मजे है।

आराम और प्यार से करवाओ तो मजा भी आएगा और कष्ट भी नही होगा।

सर बोले कॉलेज की कई लड़कियों और टीचर को चोद चुका हूं। कभी किसी को पता चला। मेरी नजर बहुत पहले से थी तुम पर एक दिन रेनू को चोदते समय मैने उससे तुम्हारे बारे में बात की तो उसने बोला शादी में मैनेज करती हूं और उसी ने चाभी तुम्हे दी और मुझे पीछे से भेजा..

मैंने कहा आप झूठ बोल रहे है रेनू तेज तो है लेकिन आपके साथ कुछ नही किया होगा..

तभी सर खड़े हुए मोबाइल निकाला और एक वीडियो ओपन कर दिया..

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वीडियो देख कर मेरा तो दिमाग सुन्न हो गया..

रेनू सर के साथ पूरी नंगी होकर कार में चुदवा रही थी।

मुझे याद आया वो कार भी रेनू की थी।

तभी सर नीचे बैठे मेरा हाथ हटाया अब मैं विरोध की स्थिति में नही थी। और मेरी 2 दिन पहले सेव की हुई बुर पर अपने होठ रख दिये..

पहले सुंघा फिर किश करने लगे..

मेरे पैर कांप रहे थे..

तभी सर ने जीभ निकाला और मेरी बुर को चाटने लगे.. गुदगुदी और उत्तेजना हो रही थी.. सही कहूँ तो अच्छा लग रहा था लेकिन घबराहट से पैर कांप रहे थे..

बिना बुर को खोले जीभ से 2 मिन तक चाटते रहे।

फिर खड़े हुए मेरे होठों को किस किया और कान में बोले – मुझे मालूम है तुम्हे अच्छा लग रहा है साथ दो तो और अच्छा लगेगा..

फिर मेरे होठों पर टूट पड़े ..।5 मिन तक चूसते रहे।

सर की स्टाइल थी एक समय मे एक काम होठ चूसते समय दोनों हाथ पीछे किये रहे । मेरे सरीर से दूर किये रहे । फिर गले पर किश करना शुरू किया। गालो पर आंखों पर लेकिन जब कानो के नीचे किश किया तो मेरी हालत खराब हो गयी मन किया कि मैं भी टूट पडू.. किश करू लेकिन कंट्रोल किये रही..

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तभी सर ने झटके से चोली खोल दी और फेक दी ।

अब मैं सिर्फ ब्रा में सामने खड़ी थी।

सर ने धकेल कर मुझे दीवार के सहारे किया और ब्रा के ऊपर से मेरी चुचियो को दबाने लगे… मैं तो हवा में उड़ रही थी.. रोकना भी चाहती थी लेकिन आवाज ही नही निकल रही थी।

तभी सर ने मेरी ब्रा खोल दी और मेरे 34 के सुदर सुडौल सुसंगठित चुचियो को मसलना चालू किये.. मेरे मुंह से अब मस्ती की सिसकारियां निकल रही थी सर को भी ये अहसास था कि मुझे मजा आ रहा है..

तभी सर ने इतनी तेज से मेरी चूची को दबाया तो मैं चीख पड़ी और मेरे मुंह से पहली बार निकला.. कि सर धीरे करिये..

सर ने तुरंत मेरी चूची को मुह में लिया और पीने लगे.. एक चूची पी रहे थे.. दूसरे चूची को मसल रहे थे..

घुंडीयो को उंगलियों से सहला रहे थे.. तभी एक हाथ नीचे ले गए और चूची पीते हुए बुर को सहलाने लगे..

बुर के दाने पर उनका हाथ जाते ही मैं उछल पड़ी और सर के गले लग गयी और बोली सर मुझे पता नही क्या हो रहा है कुछ करिये..

Mastram Desi kahani – मकान मालिक की बेटी को चोदा

सर मुझे पीछे किये और हँसते हुए मेरे होठो को किस किया..

लेकिन मैं इतनी उत्तेजित थी कि मैं उनके होठो पर टूट पड़ी और चूसने लगी.. सर मेरे चुचियो को मसल रहे थे.. फिर मेरे हिप्प को दबाने लगे.. और एकाएक एक उंगली झटके से बुर में डाल दिये.. पहली बार कुछ बुर में गया था मैं उछल पड़ी और हांफने लगी ..

गर्मी से पसीना आने लगा.. वही बिस्तर पर बैठ गयी.. सर पीछे गए कमरे की ऐसी को चालू किया.. और एक गिलाश पानी लेकर मुझे दिया..

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