mastram kahaniya Archives - Antarvasna https://sexstories.one/tag/mastram-kahaniya/ Hindipornstories.org Tue, 12 Oct 2021 05:59:40 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1 तुम रोशनी को अपना लो https://sexstories.one/roshni-ko-apna-bana-lo/ Tue, 12 Oct 2021 05:59:16 +0000 https://sexstories.one/?p=4481 वह मुझे कहने लगी क्या आज आपने यह सब देखा मैंने रोशनी से कहा मैंने तो तुम्हारी सुंदरता को कब से देख लिया था लेकिन आज तुम ज्यादा ही सुंदर लग रही हो, उसके स्तन मुझे साफ दिखाई दे रहे थे उसके गोरे और बड़े स्तन देखकर मेरा लंड एकदम तन कर खड़ा हो चुका था

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Hindi sex story, antarvasna kamuk kahani एक दिन रोशनी मुझसे मिलने के लिए घर पर आई रोशनी उस वक्त बहुत ज्यादा टेंशन में थी मैं रोशनी को देखते ही समझ गया कि उसे जरूर कोई परेशानी है। मैंने रोशनी से कहा तुम इतनी हड़बड़ी में कहां जा रही हो और तुम्हारे चेहरे पर बहुत ही परेशानी दिख रही है रोशनी ने मुझे कहा दीपक भैया मैं तुम्हें क्या बताऊं सुरेश भैया का कुछ मालूम ही नहीं पड़ रहा है वह ना जाने कल रात से कहां चले गए हैं वह ना तो अपना फोन उठा रहे हैं और ना ही उनका कोई अता-पता है। मैं भी इस बात से बहुत ज्यादा शॉक्ड हो गया मैंने रोशनी से पूछा क्या तुमने सुरेश को फोन किया था तो वह कहने लगी हां हम लोग कल रात से उन्हें फोन कर रहे हैं लेकिन वह फोन ही नहीं उठा रहे हैं मैंने रोशनी से कहा तुम चिंता मत करो मैं देखता हूं।

मैंने उसे पहले तो आराम से बैठने के लिए कहा वह सोफे पर बैठ गई मैंने अपनी मम्मी से कहा मम्मी आप रोशनी का ध्यान दीजिएगा और मैं वहां से चला गया मैं सीधा ही पुलिस स्टेशन गया वहां पर मैंने सुरेश की कंप्लेंट दर्ज करवा दी लेकिन शायद पुलिस वाले भी उसे नहीं ढूंढ पा रहे थे। इस बात को करीब एक हफ्ता हो चुका था सब लोग बहुत ज्यादा परेशान थे मुझे भी बहुत बुरा लग रहा था क्योंकि सुरेश मेरे बचपन का दोस्त है और हम दोनों ने साथ में अपनी पढ़ाई पूरी की परंतु ना जाने कुछ समय से  सुरेश की मानसिक स्थिति ठीक नहीं चल रही थी जिस वजह से वह बिना बताए ही कई बार घर से चला जाया करता था इससे सब लोग परेशान थे और अब सब लोगों को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा था सुरेश का कुछ अता पता नहीं चल रहा था इस बात को काफी समय हो चुका था मेरी तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि सुरेश के साथ आखिरकार हो क्या गया है। सुरेश पढ़ने में बहुत ही अच्छा था हर चीज में वह सबसे आगे रहता था लेकिन अचानक से उसका दिमागी संतुलन बिगड़ गया और जब से उसका दिमाग का संतुलन बिगड़ा है तब से वह हमेशा ही बिना बताए किहीं भी चला जाता है सुरेश घर का इकलौता है और अब रोशनी ही घर पर रह गई है हम लोगों ने सुरेश को बहुत ढूंढने की कोशिश की लेकिन वह कहीं नहीं मिला।

एक दिन मेरे फोन पर किसी अननोन नंबर से फोन आया मैंने जब वह फोन उठाया तो मैंने हेलो कहा सामने से एक व्यक्ति कहने लगा दीपक मैं सुरेश बोल रहा हूं मैंने सुरेश से कहा तुम कहां हो घर वाले तुम्हें ढूंढ रहे हैं और सब लोग बहुत परेशान हैं तो वह कहने लगा कि मैं लखनऊ में हूं, हम लोग दिल्ली में रहते हैं और सुरेश लखनऊ में चला गया। मैंने सुरेश से पूछा तुम वहां किसके साथ गए तो वह कहने लगा कि मैं अकेले ही लखनऊ चला आया मैंने उसे कहा लेकिन लखनऊ में तुम क्या कर रहे हो? उसने कोई जवाब नहीं दिया और फोन काट दिया। मैंने जब उसके घर में यह बात बताई तो सब लोग खुश हो गए सब लोग अब लखनऊ जाने की तैयारी करने लगे सुरेश को लखनऊ में ढूंढने के लिए हम सब लोग चले गए। मेरे पास वही नंबर था जिस नंबर से कॉल आया था मैंने उस नंबर पर कॉल किया तो किसी व्यक्ति ने वह फोन उठाया हमने उसे सारी बात बताई और जब हम लोग उनके बताए पते पर पहुंचे तो उन्होंने हमें बताया कि सुरेश को आए हुए यहां काफी समय हो चुका है वह हम लोगों के साथ ही रहता है।

मैंने उनसे पूछा कि आखिर कार वह आपको कहां से मिला तो वह व्यक्ति कहने लगे कि एक दिन मैं अपनी दुकान में बैठा हुआ था तभी मेरे पास सुरेश आया, मुझे उसकी बातों से तो यह लग चुका था कि यह किसी अच्छे घर का लड़का है लेकिन उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए मैंने उसे अपने पास ही रख लिया मैंने उसे कई बार उसके घर का पता पूछा लेकिन उसने हमें कुछ भी नहीं बताया परंतु जब से वह हमारे साथ रह रहा है तो मुझे ऐसा लगा कि शायद अब यब दिमागी रूप से थोड़ा बहुत स्वस्थ होने लगा है और सब लोगों से वह सामान्य तरीके से बात करता है। जब हम लोग सुरेश से मिले तो उसके परिवार वाले रोने लगे उसके माता पिता की आंखों में आंसू थे और उन्होंने सुरेश को गले लगा लिया सुरेश को भी एहसास हो चुका था कि उसे शायद ऐसा नहीं करना चाहिए था लेकिन वह भी कुछ समझ ही नहीं पा रहा था और फिर हम लोग उसे लेकर वापस दिल्ली चले आए।

जब हम लोग दिल्ली वापस आ गए तो सुरेश के परिवार वालों ने उसका इलाज करवाने की सोची और अब उसका इलाज चलने लगा था वह थोड़ा बहुत ठीक होने लगा था लेकिन उसके ठीक होने की संभावनाएं पूरी तरीके से कम ही थी उसकी मम्मी और पापा हमेशा ही बहुत दुखी रहते हैं मैं जब भी उनके घर जाता तो वह हमेशा ही मेरे पास सुरेश के बारे में कहते मुझे भी लगता था कि सुरेश के साथ यह सब गलत हो रहा है लेकिन ना जाने ऐसा क्या हो गया था कि उसकी मानसिक स्थिति पूरी तरीके से खराब हो गयी और वह कभी भी घर से कहीं भी चले जाया करता था। एक दिन मुझे सुरेश की मम्मी ने कहा बेटा अब सुरेश के ठीक होने की उम्मीद तो कम ही है और अब हमारे कंधों पर रोशनी की जिम्मेदारी है हम चाहते हैं कि रोशनी से तुम शादी कर लो मैंने उन्हें कहा लेकिन आंटी यह संभव नहीं है वह मुझे भैया कहती है और मैंने कभी उसे उस नजर से नहीं देखा। उसकी मम्मी कहने लगी देखो दीपक हमें तुम पर पूरा भरोसा है और हम तुम्हें काफी समय से जानते हैं तुम्हारे जैसा लड़का रोशनी को मिल पाना संभव नहीं है मैंने उन्हें कहा आंटी यह सब तो ठीक है लेकिन मैं अपने दोस्त की बहन से कैसे शादी कर सकता हूं।

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उन्होंने मुझे कहा अब तुम ही बताओ हम क्या करें हम लोग भी तो इतनी परेशानी से जूझ रहे हैं उसके बावजूद भी  हमने कभी हार नहीं मानी लेकिन रोशनी को तुम्हारे जैसे लड़का मिल पाना शायद मुश्किल ही होगा मैं उनकी इस बात से पूरी तरीके से संतुष्ट नहीं था मैंने उन्हें कहा मुझे आप सोचने का मौका दीजिए। एक दिन मैंने इस सिलसिले में रोशनी को घर पर बुलाया रोशनी ने मुझसे कहा मैंने आपको कभी भी इस नजर से नहीं देखा है मैंने भी रोशनी से कहा मैं भी तुम्हारे साथ शादी नहीं करना चाहता लेकिन तुम्हारे माता-पिता मुझ पर जोर डाल रहे हैं।

हम दोनों ने एक दूसरे के साथ समय बिताने के बारे में सोचा क्योंकी हम लोग एक दूसरे को काफी समय से जानते हैं लेकिन मुझे रोशनी के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था कि उसे क्या चीज अच्छी लगती है और क्या बुरी इसी वजह से हम दोनों ने एक साथ समय बिताने की सोची और हम दोनों एक दूसरे के साथ समय बिताने लगे रोशनी के माता-पिता को इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी और सुरेश के ठीक होने की संभावनाएं भी अब कम ही थी इसलिए वह चाहते थे कि मैं ही अब रोशनी से शादी करूं और बुढ़ापे में उन लोगों का सहारा बनूं। समय बीता जा रहा था और करीब तीन महीने हो चुके थे सुरेश का इलाज अब भी जारी था रोशनी और मैं साथ में समय बिताया करते मुझे जब भी समय मिलता तो मैं रोशनी के साथ ज्यादा समय बिताया करता था लेकिन मैंने उससे शादी करने की नहीं सोची थी। एक दिन रोशनी और मेरे बीच में वह सब हो गया जो हम लोग कभी नहीं चाहते थे। रोशनी उस दिन मेरे घर पर आई हुई थी, हम दोनों साथ में ही बैठे हुए थे तभी मैंने देखा रोशनी के स्तन मुझे दिखाई दे रहे थे उसके गोरे और बड़े स्तन देखकर मैं उत्तेजित हो गया था, मैं यह सब देखे जा रहा था। मैंने रोशनी से कहा तुम दिखने में तो बहुत सुंदर हो।

वह मुझे कहने लगी क्या आज आपने यह सब देखा मैंने रोशनी से कहा मैंने तो तुम्हारी सुंदरता को कब से देख लिया था लेकिन आज तुम ज्यादा ही सुंदर लग रही हो, उसके स्तन मुझे साफ दिखाई दे रहे थे उसके गोरे और बड़े स्तन देखकर मेरा लंड एकदम तन कर खड़ा हो चुका था। जब मैंने अपने लंड को रोशनी के मुंह में डाला तो वह मेरे लंड को चूसने लगी वह जब मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करती तो मेरे अंदर का जोश और भी ज्यादा हो जाता। मैंने रोशनी के स्तनों को भी बहुत देर तक चूसा जब मैंने उसकी योनि को चाटना शुरू किया तो उसकी योनि पर एक भी बाल नहीं था और वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई थी। उसने मुझे कहा अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है मैंने भी उसकी योनि पर अपने लंड को रगडना शुरू किया और धीरे से अंदर की तरफ धकेला, वह चिल्ला उठी और मुझे उसने कसकर पकड़ लिया। मैंने उसे कहा तुम अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लो, उसने अपने दोनों पैरों को अच्छे से चौडा कर लिया, जब मैंने एक जोरदार झटके से उसकी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवाया तो वह चिल्ला उठी और मुझे कहने लगी मुझे बहुत दर्द हो रहा है।

मुझे उसे धक्के देने में बड़ा मजा आ रहा था और मुझे इतना ज्यादा मजा आता कि मैं उसे तेजी से झटके मारता जाता। मेरे झटके इतनी तेज होते कि उसका शरीर पूरी तरीके से हिल जाता है। वह मुझे कहती मेरे अंदर से एक अलग ही करंट निकल रहा है मैंने उस दिन रोशनी की सील भी तोड़ दी थी। वह एकदम फ्रेश माल थी और इस बात से मेरा दिल उस पर आ गया क्योंकि मैं जिससे शादी करना चाहता था वह एकदम फ्रेश और टाइट माल होनी चाहिए थी। मुझे इस बात का तो पता चल चुका था अब मैं रोशनी से शादी करने के लिए भी तैयार था। मैं बड़ी तेजी से उसे धक्के दिए जाता, जब मैं उसकी चूत की गर्मी को बर्दाश्त ना कर सका तो मेरा वीर्य बड़े ही तेज गति से बाहर की तरफ को निकला और मैंने अपने वीर्य को उसकी योनि के अंदर ही प्रवेश करवा दिया। हम दोनों एक दूसरे के हो चुके थे, मैं उससे शादी करने को भी तैयार था हम दोनों की शादी भी हो गई और अब मेरी ही कंधों पर उसके घर की भी जिम्मेदारी है, सुरेश अब भी पहले जैसा ही है।

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