lavda Archives - Antarvasna https://sexstories.one/tag/lavda/ Hindipornstories.org Mon, 25 Oct 2021 06:06:09 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1 लंड तो लेकर रहूंगी मैं https://sexstories.one/bur-me-lund-lekar-rahungi/ Mon, 25 Oct 2021 06:06:09 +0000 https://sexstories.one/?p=3117 मैंने सनी से कहा तुम देर मत करो जल्दी से तुम मेरी इच्छा पूरी कर दो। सनी ने भी अपने कपड़े खोल दिए उसका लंड ऊपर नीचे हो रहा था। जब सनी ने मेरे होठों को चूमना शुरू किया तो मेरे अंदर से गर्मी अधिक मात्रा में निकलने लगी, सनी ने जैसे ही मेरे स्तनों का रसपान किया...

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antarvasna, kamukta bur me lund sex मैं बहुत ही महत्वाकांक्षी महिला हूं मुझे जो चीज पसंद आ जाती है उसे में अपना बना कर ही छोडती हूं। मैं एक बार एक स्वीट शॉप में मिठाई लेने के लिए गई वहां पर मुझे एक गबरु जवान बहुत पसंद आया उसकी लंबाई लगभग 6 फुट के आसपास थी, उसे अपना बनाने की चाह मैंने अपने दिल में पल ली थी। मेरी चूत उसे लेकर बहुत प्यासी थी, उसका लंड मैं अपनी चूत में लेने के लिए तैयार बैठी थी मैं जानबूझकर उसकी शॉप में बार-बार जाने लगी ताकि उस लड़के से मेरी बातचीत हो सके लेकिन वह कभी-कभार ही मुझे वहां पर दिखाई देता था अधिकतर उसके पिताजी ही दुकान में होते थे। मैंने भी ठान ली थी कि उससे अपनी चूत की खुजली में मिटा कर ही रहूंगी मैंने उसका नाम पता करवा लिया उसका नाम सनी है। उसने ही मुझसे पहले बात की।

मैं सनी के पीछे एकदम हाथ धो कर पड़ गई थी और सनी को मेरे बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था, मैं अपनी शादी से बिल्कुल भी खुश नहीं हूं मेरे पति बैंक में मैनेजर हैं और वह तो बिल्कुल भी रोमांटिक नहीं है यदि उनसे कभी भी कुछ प्यार की बातें करने की सोचो तो वह हमेशा ही अपना मुंह फेर लेते हैं और कहते हैं तुम्हें हमेशा यही सब सूझता रहता है तुम्हें पता है मैं अपने जीवन में कितनी मेहनत कर रहा हूं और उसी की वजह से हमारा घर चल पा रहा है। मैंने उनसे अब कुछ भी उम्मीद करना छोड़ ही दिया था लेकिन जब से मैंने सनी को देखा है उसके बाद से तो वह मुझे बहुत अच्छा लगने लगा मैं अधिकतर उसकी दुकान से ही मिठाई लेती थी।

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दिन मैं सनी की स्वीट शॉप में गई तो वहां पर सनी बैठा हुआ था जब मैंने पैसे कटवाए तो वह मुझे कहने लगा मैडम आप हमारी रेगुलर कस्टमर हैं मैं आपको हमेशा ही अपनी शॉप से मिठाई लेते हुए देखता हूं, मैंने सनी से कहा हां मैं अधिकतर आप की दुकान से ही मिठाई लेती हूं, सनी ने मेरा नाम पूछा मैंने सनी को अपना नाम बताया मैंने उसे कहा मेरा नाम शीला है और मैं यही पास में रहती हूं तुम्हारी दुकान की मिठाइयां मुझे अच्छी लगती है इसीलिए मैं तुम्हारी ही शॉप से हमेशा मिठाई लेकर जाती हूं।

सनी कहने लगा मैडम आप बहुत अच्छी बातें कर लेते हैं, मैंने सनी से कहा तुम भी दिखने में काफी अच्छे हो क्या तुम्हारी शादी हो चुकी है? सनी कहने लगा अभी शादी तो नहीं हुई है लेकिन मैं एक लड़की को पसंद करता हूं और उसी से मैं शादी करना चाहता हूं हम दोनों के बीच काफी समय से रिलेशन है और हम दोनों एक दूसरे को पसंद भी करते हैं। मैंने सनी से कहा क्या इस बारे में तुम्हारे माता-पिता को पता है? सनी मुझसे कहने लगा हां इस बारे में मैंने अपने माता पिता को बता दिया है और उन्हें लकी भी काफी पसंद है इसीलिए वह मेरी शादी उससे कराने को तैयार है लेकिन मुझे अभी कुछ और वक्त चाहिए, मैंने सनी से कहा तुम्हें किस चीज के लिए वक्त चाहिए तुम्हारी शॉप तो काफी अच्छी चलती है और मुझे जहां तक जानकारी है कि तुम अपने घर में इकलौते हो, सनी कहने लगा अपने घर में तो मैं एकलौता हूं लेकिन मैं अभी कुछ समय और चाहता हूं।

मैंने सनी से कहा मैं भी चलती हूं फिर कभी फुर्सत में हम लोग बात करेंगे जैसे ही मैं दुकान से बाहर जाने वाली थी तभी सनी ने मुझे आवाज दी और कहां मैडम आप हमारे शॉप से कार्ड लेकर चले जाइए यदि आपको कभी भी कुछ मंगवाना हो तो आप मंगवा सकती हैं, मैंने सनी से कहा ठीक है आप मुझे अपना कार्ड दे दीजिए, सनी ने मुझे अपना कार्ड दिया और उसी कार्ड में सनी का नंबर भी था मेरे लिए तो यह बहुत खुशी की बात थी कि सनी का नंबर मुझे मिल चुका था और मैं अब सनी से मैसेज में बात करने लगी सनी से जब भी मैं मैसेज में बात करती तो वह मुझसे ज्यादा बातें नहीं करता था और उसका ज्यादा रिप्लाई भी नहीं आता। एक दिन मैंने सनी को फोन कर दिया और सनी से कहा क्या आज तुम अपनी शॉप पर हो?

सनी कहने लगा नहीं शीला जी मैं आज कहीं बाहर गया हुआ हूं आप दूसरे नंबर पर फोन कर लीजिए। मैंने कहा ठीक है मैं दूसरे नंबर पर फोन कर लेती हूं लेकिन यह तो सिर्फ मेरा एक बहाना था मुझे सिर्फ सनी से बात करनी थी उस दिन के बाद तो सनी से मेरी अक्सर फोन पर बातें होने लगी सनी और मेरे बीच में जितनी भी बातें होती मुझे बहुत अच्छा लगता मैंने सनी को अपने बारे में सब कुछ बता दिया था मैंने सनी से कहा मैं अपनी शादीशुदा जीवन से बिल्कुल भी खुश नहीं हूं क्योंकि मेरे पति मुझ पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते।

एक दिन सनी और मैं फोन पर बात कर रहे थे मैंने सनी से पूछा क्या तुम अपनी गर्लफ्रेंड से बहुत ज्यादा प्यार करते हो? सनी कहने लगा हां मैं उससे बहुत ज्यादा प्यार करता हूं इसीलिए तो इतने वर्षों से हम दोनों के बीच रिलेशन है। मैंने सनी से कहा क्या तुम दोनों के बीच में कभी भी सेक्स संबंध बने हैं। सनी मुझसे कहने लगा आप यह किस प्रकार की बातें कर रहे हैं, मैंने सनी से कहा यदि तुम्हें यह बात बुरी लग रही है तो हम लोग कुछ और बात कर लेते हैं। सनी कहने लगा नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मैंने सनी से दोबारा पूछा क्या तुम्हारे बीच में कभी सेक्स संबध बने हैं।

वह कहने लगा हां मेरे और मेरी गर्लफ्रेंड के बीच में बहुत बार सेक्स हुआ है, मैंने सनी से अपनी इच्छा भी जाहिर की और उसे कहा क्या तुम मेरी इच्छा भी पूरी कर सकते हो ? सनी कहने लगा नहीं मैडम मैं सिर्फ अपनी गर्लफ्रेंड से ही प्यार करता हूं और उसी के साथ रिलेशन में हूं। उस दिन तो मैंने फोन रख दिया लेकिन कुछ दिनों बाद में उसे अपनी नंगी तस्वीरें भेजने लगी जब मैं उसे अपनी नंगी तस्वीर भेजती तो वह मुझे कोई भी रिप्लाई नहीं करता। सनी भी अपने आपको कितने दिनों तक रोकता आखिरकार वह मेरे बदन पर फिसल गया। एक दिन सनी का फोन मुझे आया और कहने लगा क्या आप घर पर ही हैं? मैंने उसे कहा हां मैं घर पर ही हूं सनी उस दिन मेरे घर पर आ गया।

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जब वह घर पर आया तो सनी मुझे कहने लगा शीला जी आपकी नंगी तस्वीर देखकर मैं अपने आपको ज्यादा समय तक नहीं रोक पाया आपने मेरे अंदर की सेक्स भावना को जगा कर रख दिया है। मैंने सनी से कहा सनी मैं तो तुम्हारे लिए कब से तड़प रही हूं हम दोनों को ज्यादा देरी नहीं करनी चाहिए। मैंने सनी के सामने अपने कपड़े खोल दिए मै सनी के सामने एकदम नंगी खड़ी थी। जब सानी ने मेरे नंगे बदन को अपने हाथों से छुआ तो मेरे अंदर जैसे करंट सा दौड़ने लगा, सनी मुझे कहने लगा आपका बदन तो बड़ा ही गजब का है।

मैंने सनी से कहा तुम देर मत करो जल्दी से तुम मेरी इच्छा पूरी कर दो। सनी ने भी अपने कपड़े खोल दिए उसका लंड ऊपर नीचे हो रहा था। जब सनी ने मेरे होठों को चूमना शुरू किया तो मेरे अंदर से गर्मी अधिक मात्रा में निकलने लगी, सनी ने जैसे ही मेरे स्तनों का रसपान किया तो मैंने भी सनी से कहा मैं तुम्हारे लंड को चूसना चाहती हूं। मैंने सनी के लंड को बहुत देर तक सकिंग किया जब उसके लंड से पानी बाहर निकल आया तो मैंने उसे कहा तुम अब मेरी चूत की गहराइयों में अपने लंड को डाल दो।

उसने जैसे ही मेरी चूत के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवाया तो मेरी योनि पूरी तरीके से गीली हो चुकी थी मेरी योनि से बहुत अधिक मात्रा में पानी बाहर की तरफ निकल रहा था सनी उसका बखूबी इस्तेमाल कर रहा था। वह मेरी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करता जाता उसने काफी देर तक मेरे साथ संभोग किया, जब मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई तो मेरे मुंह से सिसकियां निकलने लगी। उन सिसकिंयो के बीच में सनी का वीर्य पतन मेरी योनि में हो गया, हम दोनों ने एक दूसरे के साथ बहुत अच्छे से संभोग किया। मैंने कभी कल्पना नहीं की थी कि सनी के साथ में इतने अच्छे से सेक्स संबंध बना पाऊंगी उसने मेरी इच्छा को बखूबी पूरा किया।

जिस प्रकार से हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सेक्स का आनंद लिया मुझे बहुत ही खुशी हुई।

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समीक्षा ने मुझे तसल्ली दी https://sexstories.one/desisex-chodayi/ Fri, 01 Oct 2021 07:41:08 +0000 https://sexstories.one/?p=4392 जब उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू किया तो मुझे भी मजा आने लगा और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था। मैने उसके बदन को पूरी तरीके से गरम कर दिया था जैसे ही मैंने समीक्षा की योनि के अंदर अपने लंड को धीरे धीरे डाला तो उसकी योनि से खून बाहर आने लगा था

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desisex porn antarvasna kahani – घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए तो काम करने के लिए शहर जाना पड़ा। मैं जब ट्रेन से उतरा तो मुझे मुंबई ऐसा लगा कि जैसे ना जाने मैं कहां आ गया हूं इतनी भीड भाड और इतने लोग देखकर मैं तो हैरान था। मेरी आंखें उन सब लोगों को देख रही थी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कौन सी तरफ से जाना है मैंने अपने बैग को अपने कंधे पर रखा और मैं स्टेशन से बाहर के लिए निकला तभी एक व्यक्ति मुझे दिखाई दिए उनकी मोटी तोंद और उन्होंने मोटे से चश्मा पहने हुए थे। मुझे लगा यह काफी समझदार लग रहे हैं इनसे ही मुझे पता पूछना चाहिए मैंने उनसे पता पूछा तो उन्होंने मुझे पहले तो ऊपर से लेकर नीचे तक देखा फिर मुझे कहने लगे अरे भाई साहब तुम्हें क्या सुबह सुबह कोई और नहीं मिला। मैंने उन्हें कहा भाई साहब आप ही बता दीजिए वह कहने लगे जाओ किसी और से ही पूछो वह चिल्लाते हुए चले गए ना जाने अपनी किस परेशानी से वह जूझ रहे थे जो की मुझ पर इतना चिल्लाने लगे।

मैं थोड़ा आगे गया तो एक सज्जन व्यक्ति मुझे मिले उन्होंने मुझे पता बताते हुए कहा कि भैया आप यहां से ऑटो कर लीजिए आपको कुछ दूरी पर ही ऑटो वाला छोड़ देगा। मैंने भी सोचा कि यह ठीक कह रहे हैं इसलिए मैंने ऑटो रिक्शा कर लिया ऑटो रिक्शा वाले ने अपने ऑटो के मीटर को ऑन किया और हम लोग वहां से आगे बढ़ गए थे। मैंने अपने मामा को फोन किया और कहा मामाजी मैं आने वाला हूं मामा कहने लगे तुम कहां पहुंचे मैंने मामा से कहा बस आस-पास ही हूं मुझे नहीं पता लेकिन यह ऑटो वाले भैया ही मुझे छोड़ देंगे। वह कहने लगे ठीक है तुम फ्लैट के पास आ  जाओ मैं पहुंचता हूं लेकिन मुझे क्या पता था कि जैसे ही मैं वहां पहुंच जाऊंगा तो मामा जी का फोन ही बंद हो जाएगा। मैं काफी देर तक वहीं बाहर खड़ा उनका इंतजार करता रहा मेरे पास तो उनका पूरा पता भी नहीं था उन्होंने मुझे जो सोसायटी का नाम बताया था वही मुझे मालूम था।

दरवाजा खुला रह गया

वह तो अच्छा हुआ कि मामा जी ने नीचे आकर मुझे देख लिया जब मामा जी मुझे मिले तो मैंने मामा जी से कहा मैं कितनी देर से आपका यहां इंतजार कर रहा हूं। मामा जी कहने लगे मेरी आंख लग गई थी और मुझे पता ही नहीं चला कि तुम्हारा फोन आ रहा था और फिर मेरा फोन भी बंद हो गया था। मैंने मामा जी से कहा कोई बात नहीं वह कहने लगे ठीक है चलो फिर घर चलते हैं। वह मुझे अपने साथ अपने फ्लैट में ले गए जब मैं मामा के फ्लैट में गया तो मैंने मामा जी से कहा आप तो बड़ी अच्छी जिंदगी जी रहे हैं।

मामा कहने लगे अरे खाक अच्छी है यहां दुनिया भर की परेशानियां है जीवन तो जैसे रेस का मैदान बना पड़ा है पता ही नहीं चल रहा है कि कहां जाना है और कहां से आना है बस ऐसे ही अपनी जिंदगी काटे जा रहे हैं। मामा जी ने अब तक शादी नहीं की है और वह 45 वर्षीय कुंवारे हैं मामा एक कंपनी में मैनेजर के पद पर हैं। उन्होंने मुझे कहा कि देखो ललित बेटा यहां पर तुम बड़े ही सोच समझ कर रहना किसी भी लड़की के चक्कर में मत पड़ जाना। मैंने उन्हे कहा अरे मामा जी आप कैसी बात कर रहे हैं मैं यहां काम करने के लिए आया हूं कोई लड़की बाजी करने के लिए थोड़ी आया हूं।

मामा कहने लगे तुम्हें मालूम है ना कि इससे पहले मेरे साथ भी क्या हुआ है। मामा जी को लड़कियों से थोड़ी दिक्कत होती थी मामा जी ने मुझे कहा कि कल तुम मुझे अपना बायोडाटा दे देना और मेरे साथ ही ऑफिस चलना मैंने उन्हें कहा ठीक है मामा जी। अगले दिन मैं उनके साथ ही उनके ऑफिस में गया उन्होंने मुझे अपने बॉस से मिलवा दिया जब उन्होंने मुझे अपने बॉस से मिलाया तो उनका रुतबा देख कर ही लग रहा था कि वह किसी कंपनी के मालिक हों। जब उन्होंने मुझसे मेरे बारे में पूछना शुरू किया तो मैंने उन्हें अपने बारे में सब कुछ बता दिया और उन्होंने मुझसे मेरी पढ़ाई के बारे में पूछा उसके बाद उन्होंने मुझे काम पर रख लिया था। जब मैं उनके कैबिन से बाहर निकला तो मामा जी ने मुझे बताया कि ललित बेटा तुम्हें मालूम है सर कि ना जाने कितनी कंपनियां चल रही हैं और मेरी उनसे बहुत अच्छी बनती है इसलिए उन्होंने तुम्हें काम पर रख लिया नहीं तो इस कंपनी में आने के लिए भी लोगों को जूते घिसने पड़ते हैं।

मेरा पहला ही दिन था इसलिए मैं ज्यादा देर ऑफिस में नहीं रुका और घर चला गया मैंने मामाजी के लिए खाना बना दिया था मामा जी जब घर आए तो कहने लगे अरे ललित तुम तो बड़ा अच्छा खाना बनाते हो। मैंने मामा जी से कहा मामा जी घर में खाना बनाना सीख लिया था ताकि जीवन में आगे चलकर कोई परेशानी ना हो। मामा जी मुझे कहने लगे तुम ने बहुत ही अच्छा किया, बेटा ऐसा स्वादिष्ट खाना यदि तुम मुझे रोज खिलाओगे तो मैं तो मोटा हो जाऊंगा और यह कहते हुए ही मामा जी हंसने लगे। मैं और मामा जी साथ में बैठे हुए थे तो वह मुझे अपने ऑफिस के बारे में बता रहे थे, अब अगले दिन मेरा ऑफिस का पहला ही दिन था मैं जब ऑफिस में गया तो ऑफिस में पहले दिन मैं कई लोगों से मिला। मेरे मामा को वहां काम करते हुए काफी वर्ष हो चुके थे इसलिए सब लोग मुझसे बड़े ही अच्छे से बात कर रहे थे।

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मेरे मामाजी बॉस के बहुत ही  चहिते थे इसीलिए तो बॉस ने मुझे काम पर रख लिया था मैं अब अपने काम पर अच्छे से ध्यान दे रहा था क्योंकि मुझे आए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था इसलिए मुझे थोडी समस्या हो रही थी लेकिन धीरे धीरे सब कुछ ठीक होने लगा था। अब मैं भी काफी हद तक काम सीख चुका था मैं अच्छे से काम करने लगा मुझे ऑफिस में करीब 3 महीने हुए थे लेकिन इस 3 महीने के दौरान मेरे अंदर बहुत कुछ बदलाव आ चुका था मैं भी अब मुंबई में रहने वाला एक जिम्मेदार नागरिक बन चुका था। मेरे कई दोस्त भी बनने लगे थे उन्ही दोस्तों के माध्यम से मेरी मुलाकात समीक्षा से हुई। जब समीक्षा से मैं मिला तो उससे बात करना मुझे अच्छा लगा और ऐसा लगा कि जैसे उससे मैं बात ही करता रहूँ। मैं समीक्षा से अपने दिल की बात कह दिया करता था और जब भी मैं परेशान होता तो उसे ही मैं सब कुछ बता देता था।

सब कुछ बड़े अच्छे से चल रहा था और सब तेजी से भी चल रहा था समय का पहिया इतनी तेजी से चला कि मेरा प्रमोशन भी हो गया। गांव से आया हुआ एक सामान्य सा लड़का मुंबई की बड़ी बिल्डिंग मे रहने लगा था। समीक्षा से मेरी नज़दीकियां भी बढ़ने लगी थी यह बात जब मेरे मामा जी को मालूम पडी तो उन्होंने मुझे कहा बेटा यह सब बिल्कुल ठीक नहीं है। उन्होंने मुझे समझाने की कोशिश की लेकिन मुझे समीक्षा अच्छी लगती थी और उससे बात करना मुझे बहुत पसंद था मैं समीक्षा से घंटो तक बात किया करता था। एक दिन मैंने समीक्षा को अपने फ्लैट में बुला लिया जब वह आई तो उस दिन हम लोगो ने एक दूसरे को किस कर लिया। पहली बार हम दोनों ने एक दूसरे के होठों को चूमा था मैंने समीक्षा को अपना बना लिया था। उसके नरम होठों को चूम कर मुझे ऐसा लगा जैसे उसे मैं अपना बना लूंगा। उस दिन तो हम दोनों के बीच कुछ नहीं हो पाया लेकिन अब हम दोनों के अंदर सेक्स को लेकर चिंगारी जल चुकी थी और वह चिंगारी को बुझाने का समय आ चुका था क्योंकि उसने आग का रूप ले लिया था। हम दोनों ही बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे और मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था मैंने समीक्षा के होठों को बहुत देर तक चूसा और उसे अपनी बाहों में ले लिया।

हम दोनों ने एक दूसरे के साथ बड़े ही अच्छे तरीके से किस किया जैसे ही मैंने समीक्षा की टी-शर्ट को उतारा तो वह मेरे सामने नंगी थी उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी। उसकी ब्रा को उतारते हुए उसके बड़े और सुडौल स्तनो को काफी देर तक मैं चूसता रहा मुझे बढ़ा ही मजा आ रहा था और उसे भी बहुत मजा आ रहा था। जैसे ही हम लोग ऐसा करते तो समीक्षा की चूत से पानी बाहर निकलने लगा वह चाहती थी कि मैं उसकी योनि को चाटू। मैंने उसकी योनि को बहुत देर तक चाटा समीक्षा की योनि को चाट कर मुझे बड़ा मजा आ रहा था। जब उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू किया तो मुझे भी मजा आने लगा और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था। मैने उसके बदन को पूरी तरीके से गरम कर दिया था जैसे ही मैंने समीक्षा की योनि के अंदर अपने लंड को धीरे धीरे डाला तो उसकी योनि से खून बाहर आने लगा था। मुझे भी अच्छा लगा समीक्षा की टाइट और मुलायम योनि के अंदर मेरा लंड जा चुका था उसकी चूत के अंदर लंड जाते ही उसके मुंह से तरह-तरह की आवाज निकलने लगी।

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वह बहुत ज्यादा बेचैन होने लगी थी और मुझे उसे धक्के मारने में बहुत मजा आ रहा था काफी देर तक मैं उसे ऐसे ही तेज गति से धक्के मारता रहा लेकिन जब उसकी चूत से खून बाहर निकलने लगा तो वह मुझे कहने लगी मेरी चूत से बहुत ज्यादा खून निकाल रहा है। मैंने उसे अपने ऊपर आने के लिए कहा और उसने मेरे लंड को अपनी योनि के अंदर ले लिया। मै उसे तेजी से धक्के मार रहा था और वह भी अपनी चूतडो को मेरे लंड के ऊपर नीचे करती जाती जिससे कि उसके अंदर की बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी और मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था। वह अपनी चूतडो को बड़े अच्छे से मेरे लंड से मिलाती जाती। मुझे उसकी उत्तेजना का अंदाजा लग रहा था कुछ ही समय बाद वह झडने वाली थी मैंने उसे अपने नीचे लेटा दिया और बड़ी तेजी से धक्के मारता जाता। जब मेरा वीर्य पतन समीक्षा की योनि के अंदर गया उसने मुझे कहा तुमने तो मेरी योनि में गिरा दिया। मैंने उसे कहा कोई बात नहीं मैं हूं ना।

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मेरी चुड़क्कड़ टीचर https://sexstories.one/hotel-mein-chudakad-teacher-ki-chudai/ Wed, 21 Jul 2021 03:21:11 +0000 https://sexstories.one/?p=3977 मेरा नाम अनिल है और मेरी उम्र 26 साल है। में 5.6 इंच लंबा और मेरा गोरा गठीला बदन है। में एक टीचर हूँ और में आज आप सभी लोगों को अपनी एक सच्ची स्टोरी ... >> पूरी कहानी पढ़ें

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मेरा नाम अनिल है और मेरी उम्र 26 साल है। में 5.6 इंच लंबा और मेरा गोरा गठीला बदन है। में एक टीचर हूँ और में आज आप सभी लोगों को अपनी एक सच्ची स्टोरी सुनाने जा रहा हूँ जो कि कुछ दिन पहले मेरे साथ में घटित हुई एक सच्ची घटना है जिसमे मैंने अपने साथ की एक टीचर के साथ चुदाई की और बहुत मज़े किये.

दोस्तों मेरे ऊपर हमेशा से ही भगवान बहुत मेहरबान रहे है जिस कारण मुझे अलग अलग लड़कियों के साथ सेक्स करने का मौका मिलता रहा है। मैंने इसकी कहानियाँ पढ़कर बहुत सारे चुदाई के तरीके सीखे और उन्हे चुदाई करते समय अपनाए भी है। मैंने हर बार एक नए तरीके से चुदाई की और मैंने बहुत बार इसकी सेक्सी कहानियों को पढ़कर मुठ मारकर भी काम चलाया। अब में अपनी कहानी की तरफ आगे बढ़कर आपको पूरी कहानी विस्तार में सुनाता हूँ।

तो दोस्तों हुआ यह कि मेरे साथ पढ़ाने वाली एक टीचर अपने मायके कोलकात्ता से लौटकर आ रही थी और मेरे उसके साथ पहले से ही शारीरिक संबंध थे। तो उसने मुझे फोन किया कि में तुमसे मिलना चाहती हूँ और तुम पास के ही रेलवे स्टेशन पर 8 बजे के बाद मिलो।

तो मैंने अपनी सभी तैयारी की और 70 किलोमीटर दूर सतना रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया, वहां पर जैसे ही वो एक्सप्रेस ट्रेन आकर रुकी उसमे से वो मुझे मुस्कुराती हुई दिखी और वहीं से वो बोली कि ऊपर आ जाओ। तो में तुरंत बोगी में चढ़ गया, वो बोली कि हम लोग यहाँ से पास की एक माता जी के दर्शन के लिए जायेगें और वहीं पर रात भर रुकेंगे। तो मैंने उससे कहा कि मेरे पास ना तो इतने पैसे है और ना समय, में तो बस तुम्हारे कहने से ऐसे ही चला आया।

तो वो बोली कि में हूँ ना तो फिर तुम चिंता क्यों करते हो? तो मैंने कहा कि ठीक है और फिर हम दोनों 30 किलोमीटर दूर मैहर स्टेशन पर उतर गये और स्टेशन से बाहर निकलते ही हम लोग कमरे की तलाश में आगे बड़ने लगे और तभी वहां पर हमे कई लोज दिखे। तो वो मुझसे बोली कि तुम अपनी आई-डी बाहर निकाल लो, हमे रूम लेने के लिए उसे दिखानी होगी।

तो मैंने अपना लाईसेन्स जेब से बाहर निकाल लिया और हम एक लोज में गए और मैंने वहां पर अपनी आई-डी दिखाई और अपने नाम से एक कमरा बुक किया और वहां पर मैंने हम दोनों को एक दूसरे का पति-पत्नी लिखवाया था और फिर हमें 1000 रूपये में 24 घंटे के लिए एक एसी रूम मिल गया, हम रूम में अंदर गए और अपना समान रखा और फिर मैंने उससे कहा कि में अभी आता हूँ। में नीचे गया और कुछ देर बाद एक सिगरेट पीकर वापस आया।

तो मैंने जाते समय दरवाजे को बाहर से बंद किया था इसलिए में बाहर से दरवाजा खोलकर अंदर चला गया और फिर मैंने देखा कि वो बाथरूम के अंदर थी, मैंने सोचा कि क्यों ना में भी नहा लेता हूँ? मैंने अपने कपड़े उतारे और बाथरूम के खुले हुए दरवाजे से जब अंदर गया तो मैंने देखा कि वो अंदर एकदम नंगी खड़ी हुई नहा रही थी, मैंने उसको पीछे से पकड़ लिया तो वो मुस्कुराने लगी और अब में भी बिल्कुल गीला हो गया था।

उसने साबुन लिया और मुझे नहलाने लगी, उसने मेरी अंडरवियर को उतार दिया और मेरे लंड को साबुन से मलकर धोने लगी और अब उसके नाज़ुक नाज़ुक हाथों के छूने के कारण मेरा लंड एकदम टाईट हो गया और इधर में भी उसके गोरे-गोरे जिस्म को साफ करने और लगा साबुन लगाकर धीरे धीरे मसलने लगा। तभी उसने मुझे पीछे की तरफ धकेल दिया, में दीवार से सट गया तो उसने ढेर सारा साबुन का झाग मेरे लंड पर लगाया और फिर वो अपने पंजो के बल थोड़ा ऊपर हुई।

उसकी लम्बाई मुझसे ज़्यादा नहीं थी, लेकिन वो दिखने में उसका सेक्सी जिस्म बिल्कुल मदहोश कर देने वाला था।

उसकी चूत में वो नशा था जिसमें हर कोई अपने आप को डुबोना चाहता था। उसके बड़े बड़े बूब्स उसकी सुन्दरता पर चार चाँद लगाते थे और जब वो चलती तो हर किसी का लंड उसकी गांड को देखकर एकदम मजबूर होकर खड़ा हो जाता और उसकी गांड, चूत को सलामी देने लगता था, वो शादीशुदा होने के बाद भी अनछुई कली की तरह दिखती थी। उसकी चूत की गुलाबी पंखुड़ियां मुझे चूत चाटने पर मजबूर करती।

दोस्तों फिर उसने लंड को पकड़कर अपनी चूत की गुलाबी पंखड़ियों पर रगड़ना शुरू किया और फिर अपनी कामुक चूत में डालने लगी, तो मैंने भी उसकी मदद की और थोड़ी ही देर में मेरा लंड उसकी चूत में फिसलता हुआ अंदर चला गया।

तो मैंने उसकी कमर को पकड़ा और खुद थोड़ा नीचे होकर उसको धीरे धीरे धक्के देकर चोदने लगा, ऊपर से उस गर्मी के मौसम में ठंडे पानी की बरसात हम दोनों के ऊपर हो रही थी जिसकी वजह से हमारे बदन एक दूसरे को और भी जोश से भर रहे थे और फिर में चुदाई के साथ साथ उसके एक बूब्स को चूसने लगा और दूसरे को दबाने लगा और मेरे ऐसा करने से वो मदमस्त हो रही थी, लेकिन उससे ज़्यादा तो में मस्त हो रहा था।

तो कुछ देर बाद मैंने उसको अपनी गोद में उठाया और बाथरूम के फर्श पर नीचे लेटा दिया। तो वो बोली कि क्या तुम मुझे यहाँ पर लेटाओगे? तो मैंने कहा कि में लेटाउंगा भी और साथ तुम्हारी चुदाई भी करूंगा। फिर वो झट से मुझसे लिपटकर बोली कि में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, लेकिन क्यों में तुम्हे इतना प्यार करती हूँ मुझे नहीं पता? तो मैंने कहा लेकिन में तो तुम्हे प्यार नहीं करता, में तो बस तुम्हारे इन अंगो का दीवाना हूँ।

तो वो बोली कि तुम्हारे अंग अंग में सेक्स भरा है मुझे यह सारा चाहिए। तो में उससे लिपट गया और अपने लंड को उसकी चूत के मुहं पर घिसने लगा तो वो बोली कि इसे थोड़ा अंदर करो ना और फिर मैंने तुरंत ही एक जोरदार धक्का देकर चूत में लंड को पूरा घुसा दिया।

फिर में फर्श पर लेटाकर उसको धक्के देकर चोदने लगा, में जितना उसकी चुदाई में अपनी स्पीड को बढ़ता वो उतना ही मुझे ज़ोर ज़ोर से चूमने लगती। फिर कुछ देर बाद मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधो पर रखा और फिर चोदने लगा। वो अपने होंठो को दातों में दबाए हुए थी और अपनी दोनों आँखे बंद किए हुई थी और कुछ देर तक चोदने के बाद मेरा काम तमाम हो गया और में उसकी चूत में ही झड़ गया।

मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में निकाल दिया, लेकिन वो अभी बाकी थी और फिर मैंने उसकी चूत में उंगलियाँ डालकर ज़ोर ज़ोर से हिलाई तब जाकर उसका काम तमाम हुआ वो कुछ समय एकदम निढाल होकर पड़ी रही। फिर हम दोनों वहां पर नहाए, में उससे पहले बाथरूम से बाहर निकल आया और अपने शरीर को साफ करके बेड पर लेटकर टीवी देखने लगा।

तभी वो बाथरूम से बाहर आई तो उसने अपने सुंदर जिस्म पर सिर्फ़ एक टावल लपेटा हुआ था, तभी उसने उसी टावल को एकदम से खोल दिया और खुद को नीचे ऊपर तक साफ करने लगी और फिर साफ करके मेरे पास लेट गई, वो एकदम ताजी खिली खिली सी लग रही थी, वो मुझसे बातें करते करते मेरे लंड से खेल रही थी और में भी उसके बूब्स दबा रहा था।

फिर थोड़ी देर बातें करने के बाद में फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गया। तो मैंने उसको चूमना शुरू किया और में उसके माथे से चूमते हुए नीचे की तरफ आया बूब्स चूसे, फिर मैंने उसके दोनों पैरों को दूर करते हुए चूत को चूमते हुए चूसना भी शुरू कर दिया वो इस कदर तड़प रही थी मानो पहली बार उसके साथ यह सब हो रहा हो और थोड़ी ही देर के बाद मैंने अपने तने हुए लंड पर थूक लगाया और चूत में घुसा दिया।

तो वो आआहहहहा अहहहहा यार और ज़ोर से चोदो मुझे अह्ह्ह्ह प्लीज और ज़ोर से कह कहकर मुझे जोश दिलाते रही और में भी उसको ताबड़तोड़ धक्के देकर चोद रहा था और मेरे हर एक धक्के से उसके बूब्स हिलते हुए दिख रहे थे। तभी मेरी नज़र सामने की तरफ लगे हुए शीशे पर पड़ी उसमें हम दोनों अपनी चुदाई करते हुए दिखाई दे रहे थे…

तो मैंने उससे कहा कि देखो शीशे में। वो हम दोनों को शीशे में देखकर और भी जोश में आकर बोली कि बिल्कुल ब्लूफिल्म जैसा लग रहा है और मैंने भी उसको लगातार धक्के लगाकर बिल्कुल मस्त कर दिया और कुछ ही देर में हमारा यह तूफान थम गया और थोड़ी देर आराम करने के बाद हम दोनों मार्केट गए। वहां पर हमने खाना खाया और फिर वापस आकर कमरे में लेट गए। हम लोगो को नींद आ गई, फिर अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने उसकी तरफ देखा और उसके चेहरे पर हाथ फेरा।

तो वो बोली कि में अभी सोई नहीं हूँ, मैंने कहा कि क्यों नहीं सोई हो? वो मुझसे लिपटकर बोली कि अगर मुझे सोना ही होता तो घर ना चली जाती। तो मैंने कहा कि अगर ऐसा है तो में तुम्हे जगा सकता हूँ? वो बोली कि तो फिर जगाओ ना मुझे सारी रात। हम दोनों फिर से लिपट गये और शुरू हो गए, पूरी रात हम दोनों सिर्फ़ सेक्स में डूबे रहे और 5 बजे सोए।

7 बजे फिर से जाग गए तैयार हुए फिर माता के दर्शन के लिए गये और वहां से दो घंटे बाद वापस आए। कमरे पर आकर हम अपने कपड़े बदलने लगे, मैंने सिर्फ़ अंडरवियर पहना हुआ था और में जैसे ही पलटा तो वो बिल्कुल नंगी थी और थोड़ा झुककर अपनी पायल उतार रही थी। उसके गोरे गोरे कूल्हे देखकर में चुपके से पास गया और पीछे से उसके कूल्हों को चूमने लगा, वो पायल उतारकर झुके हुए मेरी तरफ देखकर मुस्कुराई।

फिर मैंने कहा कि तुम बहुत सेक्सी लग रही हो और तुम ऐसे ही झुकी रहो और वो झुकी रही। मैंने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और पीछे से लंड को डालकर चोदने लगा और कुछ ही देर में उसके पैर दर्द होने लगे, तो वो सीधी हो गई और बेड के पास आकर दो तकियों को किनारे पर रखकर उन पर अपने दोनों हाथ रखकर झुक गई और में फिर से उसे चोदने लगा।

तो मैंने उससे कहा कि मुझे ऐसा बहुत अच्छा लग रहा है और में साथ में उसकी पीठ को चूम रहा था और बूब्स भी दबा रहा था और बहुत देर की इस धमाचौकड़ी के बाद हम लोग ढेर हो गये और थोड़ी देर लेट गये। फिर हमने चाय मंगवाई उसके बाद टीवी देखने लगे और फिर बाहर होटल में जाकर खाना खाकर वापस आए और थोड़ी ही देर आराम किया और फिर से हम लोग शुरू हो गये, वो मेरे लंड को पकड़कर चूसने लगी।

वो बिल्कुल अनुभवी लग रही थी और वो सेक्सी फिल्म देखने की बहुत शौकीन थी और मेरे साथ हर तरह से सेक्स करने के लिए तैयार थी। वो एक 32 साल की शादीशुदा औरत थी। फिर मैंने उसको बहुत देर तक लंड चुसवाया। वो लंड चूसते हुए एकदम गरम हो चुकी थी और वो लंड चूसते हुए जब मुझे देखती तो उसकी लाल बड़ी बड़ी आँखे देखकर मुझे उसके जोश का अंदाज़ा साफ साफ मिल रहा था और अब में भी बहुत जोश में आ चुका था।

फिर मैंने एक तकिया उठाया और उसके कूल्हों के नीचे रख दिया और अब उसकी चूत ज़्यादा खुलकर ऊपर की तरफ आ गई थी। तो मैंने तुरंत ही उसमे लंड डाल दिया, लेकिन इस बार पता नहीं क्यों वो ज़्यादा ज़ोर ज़ोर से मोनिंग कर रही थी और इस बार वो चोदो हाँ अह्ह्हह्ह्ह्ह और ज़ोर से मेरे राजा आईईईईइ इसी चुदाई के लिए तो में तुम्हारे साथ हूँ और ज़ोर से चोदो मुझे आहहह्ह्ह्ह यह सब सुनकर में और भी जोश में आ रहा था और मेरे हर एक धक्के में हम दोनों के जिस्म टकराने की ठप-ठप की आवाज़ हमे और भी मदमस्त कर रही थी और वो आवाज़ तेज थी इसलिए मुझे टीवी की आवाज को तेज करना पड़ा।

फिर तो मानो हम दोनों ने जिस्मो को इस तरह से आगोश में ले लिया कि मानो बस एक दूसरे के लिए ही बने हो। उस वक़्त हम दोनों ए.सी. चालू होने के बावजूद भी पसीने से भीग गए थे। वो बार बार मेरे चेहरे, सीने से पसीने को साफ करती जा रही थी और इधर उसके शरीर से निकलने वाली मादक खुश्बू आ रही थी, जिससे में और भी ज़्यादा मज़ा ले रहा था और बहुत देर बाद जब मेरे अंदर का लावा फूटा तो उसने पूरी ताक़त से मुझे जकड़ लिया और मैंने उस वक़्त उसके जिस्म को जी भरकर भोगा।

इस तरह हम लोगों ने 24 घंटे साथ में बिताए और इस बीच हमने कितनी बार सेक्स कर लिया यह तो हमे याद ही नहीं था। लेकिन हम दोनों बहुत खुश थे। फिर उसी शाम को हम लोग वहां से अपने शहर वापस आ गए और बस में वो मेरे पास में बैठी हुई थी और फिर मेरे कंधे पर अपना सर रखकर सो गई और उसने एक बेग मेरी गोद में रख दिया और उसके नीचे से अपना हाथ मेरे लंड के ऊपर रखकर सहलाने लगी और नीचे पैर में पैर फंसाकर घिसने लगी और में मज़े लेता रहा।

दोस्तों मुझे इस बात से बहुत हैरानी हो रही थी कि उसकी चूत चुदते चुदते एकदम फूल गई थी, लेकिन वो अब भी मुझसे चुदवाने को तैयार थी और कुछ घंटो के सफर के बाद बस हमारे शहर में आ गई।

फिर बस से दोनों उतरे और अपने अपने घर को चल दिए ।।

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सब्जी वाले का फौलादी लंड https://sexstories.one/sabzi-wale-ka-faulaadi-mota-lund/ Sat, 17 Apr 2021 02:33:39 +0000 https://sexstories.one/?p=3246 हाय फ्रेंड्स, कैसे हैं आप सभी ? मैं आशा करती हूँ कि आप सभी अच्छे होंगे | मेरा नाम प्रतिमा है और मैं झारखण्ड की रहने वाली हूँ | मेरी उम्र 34 साल है और ... >> पूरी कहानी पढ़ें

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हाय फ्रेंड्स, कैसे हैं आप सभी ? मैं आशा करती हूँ कि आप सभी अच्छे होंगे | मेरा नाम प्रतिमा है और मैं झारखण्ड की रहने वाली हूँ | मेरी उम्र 34 साल है और मैं शादीशुदा हूँ | मैं दिखने में गोरी हूँ और मेरा बदन एक दम भरा हुआ है | मेरी हाईट 5 फुट 5 इंच है और मेरे दूध और चूतड़ बड़े हैं | मेरे दो बेटे हैं और दोनों स्कूल में पढाई करते हैं | मेरे पति प्राइवेट जॉब करते हैं |

दोस्तों आज जो मैं आप लोगो के लिए`कहानी लिखने जा रही हूँ ये मेरी पहली कहानी है और मेरे जीवन की एक दम सच्ची घटना है | मैं उम्मीद करती हूँ कि आप लोगो को मेरी कहने पसंद आयगी | मेरी ये पहली कहानी है तो हो सकता है कि मुझसे गलती हो सकती है | अगर आप लोगो को मेरी गलती नजर आये तो कृपया नजरंदाज करके कहानी का मजे लेना | तो अब मैं आप लोगो का ज्यादा समय ना लेते हुए सीधा अपनी कहानी शुरू करती हूँ |

दोस्तों मेरे घर में मैं और मेरे पति साथ में दो बेटे रहते हैं | हमारा परिवार एक दम अच्छे से और हँसते खेलते रहता था | लेकिन सिर्फ मेरा परिवार मैं नहीं | मैं इसलिए खुश नहीं रहती थी क्यूंकि मेरे पति अब नामर्द जैसे हो गए हैं | मेरा पति मुझे नहीं चोदता और मैं मेरी चूत को लंड चाहिए | मेरा पति रात को काफी लेट घर आता था और शराब पी कर आता था |

मुझे उसके शराब पीने से कोई दिक्कत नहीं थी क्यूंकि वो मेरे साथ कभी बदतमीजी नहीं करता था | लेकिन वो मेरी चुदाई भी नहीं करता था ये बात मुझे बहुत खलती थी | मैं हर बार सोचती कि काश कोई अच्छा सा मोटा लंड मेरी चूत में घुसे और मेरा रोम रोम भड़का दे | यही सब सोच कर मेरी चूत गीली हो जाती | मेरी चूत को लंड ऐसा चाहिए कि बस मेरी चूत को भोसड़ा बना दे |

Sex Katha padhiye – Kunwari Dulhan

एक दिन की बात है और मेरा पति काम पर गया हुआ था और मेरे दोनों बेटे भी स्कूल गए हुए थे | उस दिन मेरी चूत में ऐसी आग लगी हुई थी कि मैं बता नहीं सकती | मैं अपने आँगन में पीछे गई और वहां सीड़ी पर बैठ कर अपने ब्लाउज के दोनों हुक खोल कर और ब्रा को ऊपर खिसका कर अपने दूध बाहर निकाल कर बैठ गयी | फिर अपनी साड़ी को ऊपर खिसका कर पेंटी भी उतार दी |

उसके बाद मैं जोर जोर से अपनी चूत को रगड़ने लगी और एक हाँथ से अपने दोनों दूध को बारी बारी से मसल रही थी | जब मैं ऐसा कर रही थी तब मेरे मुँह से आहा ऊनंह ऊम्मंह आहाआ ऊनंह ऊम्म्ह आहा ऊउन्न्ह उम्म्हं आआहा ऊउन्न्ह की सिस्कारियां निकल रही थी | मैं जोर जोर से अपनी चूत को आहा ऊनंह ऊम्मंह आहाआ ऊनंह ऊम्म्ह आहा ऊउन्न्ह उम्म्हं आआहा ऊउन्न्ह की सिस्कारियां लेते हुए रगड़ रही थी |

करीब 15 मिनट तक मैंने अपनी चूत को खूब रगड़ा और वहीँ रस्खलन हो गया मेरी चूत का | मुझे बहुत अच्छा लगा तो मैं 5 मिनट तक वहीँ नंगी ही लेटी रही | फिर मैं उठी और नहाने चले गई | जब मैं नहा कर आई तो बाहर सब्जी वाले की आवाज़ आई | मैंने सोचा कि चलो रात के लिए सब्जी ले लूं | उस समय मैंने ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी और एक पतले से कपड़े का गाउन पहना हुआ था | मेरा बदन गीला था तो उसमे मेरा गाउन चिपक गया और मेरे निप्पलस साफ़ नजर आने लगे थे | ये बात मुझे मालुम थी लेकिन मुझे कोई भी फर्क नहीं पड़ रहा था |

मैं सब्जी लेने बाहर गई और सब्जी लेने लगी | मैं देख रही थी कि सब्जी वाला मुझे और मेरे दूध को घूर घूर कर देख रहा था | मुझे उसका ऐसा देखना अच्छा लग रहा था पर मैं उससे चुदवा तो नहीं सकती थी क्यूंकि और भी लेडीज वहां पर सब्जियां ले रही थी | सब्जी लेने के बाद मैं घर आ गई | मुझे इतना अंदाजा हो गया था कि सब्जी वाले का तो पक्का लंड खड़ा हो ही गया होगा | वो सब्जी वाला हर हफ्ते आता था क्यूंकि वो हर एक एरिया में जाता था | हमारे कॉलोनी के काफी लोग उसे सब्जी लेते थे क्यूंकि वो एक दम ताजा सब्जियां बाजार से लाता था |

अगले हफ्ते वो फिर आया लेकिन उस समय मेरे घर में सब लोग थे तो मैं उससे नहीं चुदा सकी लेकिन हाँ मैंने उसे इशारो इशारो में समझा दिया था कि मेरी चूत प्यासी है और मुझे एक तगड़े लंड की जरुरत है | ऐसे ही करते करते मुझे काफी दिन हो गए पर मौका नहीं मिल पा रहा था कि कैसे मैं उसे अन्दर बुलाऊं और उससे अपनी चूत चुद्वाऊ ? मैं हर दिन बस उस सब्जी वाली याद में अपनी उँगलियाँ चूत में चलाती | वो सब्जी वाला लगभग 40 साल की उम्र का होगा और उसका बदन एक दम गठीला था और उसकी कदकाठी एक पहलवान के जैसी थी |

मैं तो बस ये सोच कर चूत से पानी निकाल लेती कि कितनी बेरहमी से वो मुझे चोदेगा | फिर दिन वो मेरे घर के सामने से निकल रहा था और उस दिन उसने सब्जी का ठेला भी नहीं लिया था | मैंने उसे रोका और पूछा कि आज तुम सब्जी नहीं लाये क्या ? तो उसने कहा मेम साब गया था बाजार लेने सब्जी | पर बहुत महंगी पड़ रही थी क्यूंकि जहाँ से सब्जियां आती हैं वहां ट्रक फंसे हुए हैं |

मैंने कहा अच्छा तो अभी कहाँ जा रहे हो ? तो उसने कहा कि मैडम कहीं नहीं बस पान की दुकान जा रहा हूँ गुटका लगवाने | मैंने सोचा कि ये अच्छा मौका है अगर आज मैं इसे अपनी चूत चुदवा भी लूं तो किसी को शक भी नहीं होगा | मैंने उससे कहा कि अन्दर आओ मुझे तुमसे एक काम है | उसने अन्दर आते हुए कहा हाँ बोलिए | मैंने कहा देख आज मेरे घर में कोई नहीं है और मुझे लंड की बहुत जरूरत है |

मुझे तुझसे अपनी चूत चुदवाना है | तो उसने कहा अरे डार्लिंग इसके लिए तो मैं हमेशा तैयार हूँ | इतना कह कर उसने मुझे अपने गले से लगा लिया और वो कभी मेरे बदन को सहलाता तो कभी मेरी गांड को दबाता | मुझे भी अच्छा लग रहा था उसका ऐसा करना और मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी | फिर वो अपने होंठ मेरे होंठ के पास ले कर आया तो मैंने तुरंत उसके चेहरे को पकड़ कर अपने होंठ से उसके होंठ को दबा दिया और चूसने लगी | वो भी मेरे होंठ को चूस रहा था | हम दोनों ने 10 मिनट तक होंठ को चूसा |

फिर मैंने अपना गाउन उतार दिया और बस ब्रा पेंटी में उसके सामने खड़ी हो गई | वो मेरे पास आया और मेरे ब्रा के ऊपर से ही मेरे दूध को मसलने लगा तो मेरे मुँह से आहा ऊनंह ऊम्मंह आहाआ ऊनंह ऊम्म्ह आहा ऊउन्न्ह उम्म्हं आआहा ऊउन्न्ह की सिस्कारियां निकलने लगी | फिर उसने ब्रा को भी अलग कर दिया और मेरे दोनों दूध को अपने मुँह में ले कर चूसने लगा तो मैं भी आहा ऊनंह ऊम्मंह आहाआ ऊनंह ऊम्म्ह आहा ऊउन्न्ह उम्म्हं आआहा ऊउन्न्ह करते हुए उसके लंड को पेंट के ऊपर से ही मसलने लगी |

उसके बाद मैंने उसके कपड़े उतार कर उसे भी पूरा नंगा कर दिया और उसके लंड को अपने हाँथ में ले कर जीभ से चाटने लगी तो वो आहा ऊनंह ऊम्मंह आहाआ ऊनंह ऊम्म्ह आहा ऊउन्न्ह उम्म्हं आआहा ऊउन्न्ह करते हुए निप्पलस दबाने लगा | उसके लंड को चाटने के बाद मैं उसके लंड को अपने मुँह के अन्दर ले कर चूसने लगी तो वो भी आहा ऊनंह ऊम्मंह आहाआ ऊनंह ऊम्म्ह आहा ऊउन्न्ह उम्म्हं आआहा ऊउन्न्ह करते हुए मेरे मुँह को चोदने लगा |

मुझे काफी मजा आ रहा था | फिर उसने मुझे लेटा दिया और पेंटी को उतार कर मेरी चूत को चाटने लगा तो मैं आहा ऊनंह ऊम्मंह आहाआ ऊनंह ऊम्म्ह आहा ऊउन्न्ह उम्म्हं आआहा ऊउन्न्ह करते हुए आन्हे भरने लगी | मेरी चूत को उसने बहुत अच्छे से चाटा और मुझे मदहोश कर दिया |

फिर उसने अपने फौलादी लंड को मेरी चूत में टिका कर अन्दर पेल दिया और चुदाई शुरू कर दी तो मैं भी आहा ऊनंह ऊम्मंह आहाआ ऊनंह ऊम्म्ह आहा ऊउन्न्ह उम्म्हं आआहा ऊउन्न्ह करते हुए चुदाई के मजे लेने लगी | वो काफी देर तक मुझे ऐसे ही चोद रहा था और फिर उसने एक दम से अपनी चुदाई तेज कर दी  और जोर जोर से शॉट लगाते हुए चोदने लगा तो मैं भी आहा ऊनंह ऊम्मंह आहाआ ऊनंह ऊम्म्ह आहा ऊउन्न्ह उम्म्हं आआहा ऊउन्न्ह की सिस्कारियां भरते हुए चुदाई में उसका साथ देने लगी | करीब आधे घंटे की चुदाई करने के बाद उसने अपना वीर्य मेरे मुँह में छोड़ दिया |

उसके बाद उसको मैंने चुपके से घर से बाहर किया |

तो दोस्तों ये थी मेरी कहानी |

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