incest sex story Archives - Antarvasna https://sexstories.one/tag/incest-sex-story/ Hindipornstories.org Fri, 31 Dec 2021 07:32:23 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1 मां का प्यार https://sexstories.one/maa-ka-sexy-pyar/ Fri, 31 Dec 2021 07:32:23 +0000 https://sexstories.one/?p=3512 तभी मेरे मन मे माँ की सुबह वाली बात चेक करने का विचार आया और मैने अपनी लुंगी का सामने वाला हिस्सा थोडा खोल दिया जिस से मेरा लंड खड़ा होकर बाहर निकल गया और अपने हाथो को अपनी आँखो पर...

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Maa Ka Pyar – मेरे घर मे में, मेरी माँ, मेरी पत्नी और मेरी बहन है, मेरी बहन की शादी हो चुकी है और वो अपने ससुराल मे रहती है। में अपनी माँ और पत्नी के साथ यहाँ कोलकाता मे रहता हूँ, हम लोग बनारस (उ.प.) से यहाँ बचपन मे ही आ गये थे और यही बस गये. मेरी उम्र 28 साल की है और मेरी पत्नी 24 की है. मेरी सास और मेरी साली अभी भी बनारस के पास एक गांव मे रहते है. और साल मे 2-3 महीने हमारे यहाँ आते है. सच पूछो तो मेरा घर एक स्वर्ग है, जहाँ किसी भी तरह की कोई मना नही, में आपको शुरू से ही ये सारी बातें बताता हूँ।

यह बात मेरे बचपन की है, घर पर मेरी माँ, मेरी दीदी और में सब साथ रहते थे, मेरी उम्र करीब 18-19 के आस पास थी. मेरी लंबाई 5’7” की है. मेरी दीदी की उम्र 18 साल हे, उसकी स्पोर्ट्स मे रूचि थी और वो स्टेडियम जाती थी. मेरी माँ टीचर है, उसकी उम्र 37-38 की होगी, मगर देखने मे किसी भी हालत मे 31-32 से ज्यादा की नही लगती थी. माँ और दीदी एकदम गोरे है. माँ मोटी तो नही लेकिन भरे शरीर वाली थी और कुल्हे उनके चलने पर हिलते थे. उनकी शादी बहुत जल्दी हो गयी थी, मेरी माँ बहुत सुंदर और हँसमुख है।

वो जिंदगी का हर मज़ा लेने मे विश्वास रखती है, हालाकि वो सबसे ओपन नहीं होती है पर मैने उसे कभी किसी बात पर गुस्सा होते हुए नही देखा. ये बात उस समय की जब मैं 9th मे था और हर चीज के बारे मे मेरी इच्छा बढ़ रही थी स्पेशली सेक्स के बारे मे. मेरे स्कूल के दोस्त अक्सर लड़की पटा कर मस्त रहते थे उन्ही मे से दो तीन दोस्तो ने अपने परिवार के साथ सेक्स की बाते भी बताई तो मुझे बड़ा अज़ीब लगा. मैने माँ को कभी उस नज़र से नही देखा था पर इन सब की बातों को सुन-सुन कर मेरे मन मे भी इच्छा बढ़ने लगी और मै अपनी माँ को ध्यान से देखने लगा, चूँकि गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी और में हमेशा घर पर ही रहता था।

घर मे, में माँ के साथ ही सोता था और दीदी अपने कमरे मे सोती थी, माँ मुझे बहुत प्यार करती थी, माँ, दीदी और में आपस मे थोड़ा खुले हुए थे, हालाकि सेक्स करने की कोई बात तो नही हुई थी पर माँ कभी किसी चीज का बुरा नही मानती थी और बड़े प्यार से मुझे और दीदी को कोई भी बात समझाती थी, कई बार अक्सर उत्तेजना की वजह से जब मेरा लंड खड़ा हो जाता था और माँ की नज़र उस पर पड़ती तो मुझे देख कर धीरे से मुस्कुरा देती और मेरे लंड की तरफ इशारा करके पूछती कोई परेशानी तो नही है, में कहता “नही” तो वो कहती कोई बात नही… तो में भी मुस्कुरा देता, वो खुद कभी-कभी हम दोनो के सामने बिना शर्माये एक पैर बेड पर रख कर साड़ी थोड़ा उठा देती और अन्दर हाथ डालकर अपनी चूत खुजलाने लगती, नहाते समय या हमारे सामने कपड़े बदलते वक़्त अगर उसका नंगा बदन दिखाई दे रहा हो तो भी कभी भी शरीर को ढकने या छुपाने की ज़्यादा कोशिश नही की, ऐसा नही था की वो जान बुझ कर दिखाने की कोशिश करती हो, क्यों की इन सब के बाद भी मैने उसकी या दीदी की नंगी चूत नही देखी थी, बस वो हमेशा हमे नॉर्मल रहने को कहती और खुद भी वैसे ही रहती थी।

धीरे धीरे में माँ के और करीब आने की कोशिश करने लगा, और हिम्मत कर के माँ से उस वक़्त पास आने की कोशिश करता जब मेरा लंड खड़ा होता, मेरा खड़ा लंड कई बार माँ के बदन से टच होता पर माँ कुछ नही बोलती थी. इसी तरह एक बार माँ किचन मे काम कर रही थी और माँ की हिलते हुए कुल्ले देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैने अपनी किस्मत आज़माने की सोची और भूख लगने का बहाना करते हुए किचन मे पहुँच गया, और माँ से बोला “माँ भूख लगी है कुछ खाने को दो.. ” और ये कहते हुए माँ से पीछे से चिपक गया, मेरा लंड उस समय पूरा खड़ा था और मैने अपनी कमर पूरी तरह माँ के कुल्हे से सटा रखी थी जिसके कारण मेरा लंड माँ के कुल्हो के बीच तोडा सा घुस गया था. माँ हंसते हुए बोली “क्या बात है आज तो मेरे बच्चे को बहुत भूख लगी है..” “हां माँ, बहुत ज्यादा, जल्दी से मुझे कुछ दो..” और मैने माँ को और ज़ोर से पीछे से पकड़ लिया और उनके पेट पर अपने हाथो को कस कर दबा दिया, कस कर दबाने की वज़ह से माँ ने अपने कुल्ले थोड़े पीछे किये जिससे मेरा लंड थोडा और माँ के कुल्हे के बीच मे घुस गया, उत्तेजना की वज़ह से मेरा लंड झटके लेने लगा पर में वैसे ही चिपका रहा और माँ ने हंसते हुए मेरी तरफ देखा पर बोली कुछ नही।

फिर माँ ने जल्दी से मेरा खाना लगाया और थाली हाथ मे लेकर बरामदे मे आ गई, में भी उसके पीछे पीछे आ गया, खाना खाते हुए मैने देखा तो माँ मुझे और मेरे लंड को देख कर धीरे धीरे हंस रही थी, जब मैने खाना खा लिया तो माँ बोली की अब तू जाकर आराम कर में काम कर के आती हूँ… पर मुझे आराम कहा था में तो कमरे मे आकर आगे का प्लान बनाने लगा की कैसे माँ को चोदा जाए. क्योंकि आज की घटना के बाद मुझे पूरा विश्वास था की अगर में कुछ करता भी हूँ तो माँ अगर मेरा साथ नही देगी तो भी कम से कम नाराज़ नही होगी, फिर ये ही हरकत मैने 5-6 बार की और माँ कुछ नही बोली तो मेरी हिम्मत बढ़ी।

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एक रात खाना खाने के बाद में कमरे मे आकर लाइट ऑफ कर के सोने का नाटक करने लगा, थोड़ी देर बाद माँ आई और मुझे सोता हुआ देख कर थोड़ी देर कमरे मे कपड़े और समान ठीक किया और फिर मेरे बगल मे आकर सो गई, करीब एक घंटे के बाद जब मुझे विश्वाश हो गया की माँ अब सो गयी होगी तो मै धीरे से माँ के ऊपर सरक गया और धीमे धीमे अपना हाथ माँ के कुल्हो पर रख कर माँ को देखा जब माँ ने कोई हरकत नही की तो में उनके कुल्हो को सहलाने लगा और उनकी साड़ी के ऊपर से ही दोनो कुल्हो और गांड को हाथ से धीमे धीमे दबाने लगा।

जब उसके बाद भी माँ ने कोई हरकत नही की तो मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ी और मैने माँ की साड़ी को हल्के हल्के ऊपर खिचना शुरु किया, ऊपर करते करते जब साड़ी कुल्हो तक पहुँच गई तो मैने अपना हाथ माँ की कुल्हो और गांड के ऊपर रख कर थोड़ी देर माँ को देखने लगा, पर माँ ने कोई हरकत नही की, फिर में अपना हाथ उनकी गांड के छेड़ से धीरे धीरे आगे की और करने लगा, पर माँ की दोनो जांगे आपस मे सटी हुई थी जिससे में उन्हे खोल नही पा रहा था. फिर मैने अपनी दो उंगलिया आगे की और बड़ाई तो मेरी सास ही रुक गई. मेरी उंगलिया माँ की चूत के ऊपर पहुँच गई थी।

फिर मैने धीरे धीरे अपनी उंगलियो से माँ की चूत सहलाने लगा, माँ की चूत पर बाल महसूस हो रहे थे, चूँकि मेरे लंड पर भी झांटे थी तो में समझ गया की ये माँ की झांटे है, इतनी हरकत के बाद भी माँ कुछ नही कर रही थी तो मैने धीरे से अपनी पूरी हथेली माँ के चूत पर रख दी और चूत के दोनो होंठो को एक एक कर के छूने लगा, तभी मुझे महसूस हुआ की माँ की चूत से कुछ मुलायम सा चमड़े का टुकड़ा लटक रहा है।

जब मैने उसे हल्के से खींचा तो पता चला की वो माँ की चूत की पूरी लंबाई के बराबर चूत यानी ऊपर से नीचे तक की लंबाई मे बाहर की तरफ निकला हुआ था और जबरदस्त मुलायम था।

उस समय मेरा लंड इतना टाइट हो गया था की लगा जैसे फट जाएगा, में धीरे से उठ कर बैठ गया और अपनी शर्ट उतार कर लंड को माँ के कुल्हे से सटाने की कोशिश करने लगा पर कर नही पाया तो में एक हाथ से माँ की चूत मे उंगली डाल कर बाहर निकले चमड़े को सहलाता रहा और दूसरे हाथ से मुठ मारने लगा. 2-3 मिनट मे ही मैं झर गया पर जब तक में अपना जूस रोक पाता वो माँ के कुल्हो पर पूरा गिर चूका था, ये देख कर में बहुत डर गया और चुपचाप शर्ट पहन कर माँ को वैसा ही छोड़ कर सो गया. सुबह जब में उठा तो देखा की माँ रोज की तरह अपना काम कर रही थी और दीदी हाकी की प्रेक्टीस जो सुबह 6 बजे ही शुरू हो जाती थी, जा चुकी थी में डरते डरते बाथरूम की तरफ जाने लगा तो माँ ने कहा आज चाय नही मांगी तूने…

तो मैने बात पलटते हुए कहा की “हा पी रहा हूँ, पेशाब कर के आता हूँ..”, जब में बाथरूम से वापस आया तो देखा माँ बरामदे मे बैठी सब्जी काट रही थी और वही पर मेरी चाय रखी हुई थी. में चुपचाप बैठ कर चाय पीने लगा तो माँ मेरी तरफ देख कर हंसते हुए बोली की “आज बड़ी देर तक सोता रहा हां माँ नींद नही खुली..” तो माँ बोली “एक काम किया कर आज से रात को और जल्दी सो जाया कर..” ये कह कर वो हंसते हुए किचन मे चली गयी. जब मैने देखा की माँ कल रात के बारे मे कुछ भी नही बोली तो में खुश हो गया. उस दिन पूरे दिन मैने कुछ भी नही किया, मेने सोच रखा था की अब में रात को ही सब कुछ करूँगा जब तक या तो माँ मुझसे चुदाई के लिए तैयार ना हो या मुझे डाट नही देती. रात को में खाना खा कर जल्दी से रूम मे आकर सोने का नाटक करने लगा, थोरी देर मे माँ भी दीदी के साथ आ गई।

उस दिन माँ बहुत जल्दी काम ख़त्म करके आ गई थी, खैर में माँ के सोने का इंतजार करने लगा. थोरी ही देर मे दीदी के जाने के बाद माँ धीरे से बेड पर आकर लेट गई करीब एक घंटे तक लेटे रहने के बाद मैने धीरे से आँखे खोली और माँ की तरफ सरक गया, थोड़ी देर मे जब मैंने बरामदे की हल्की रोशनी मे माँ को देखा तो चौंक गया. माँ ने आज साड़ी की जगह नाईटी पहन रखी थी और उन्होने अपना एक पैर थोडा आगे की तरफ कर रखा था।

फिर मैने सोचा की अगर ये किस्मत से हुआ तो अच्छा है और अगर माँ जानबूझ कर यह कर रही है तो माँ जल्दी ही चुद जाएगी. उस रात मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ी हुई थी, थोड़ी देर नाईटी के ऊपर से माँ का कुल्ले सहलाने के बाद मैने धीरे से माँ की नाईटी के सामने का बटन खोल दिया और उसे कमर तक पूरा हटा दिया और धीरे से माँ के कुल्हो को सहलाने लगा. मैं जांघो को भी सहला रहा था, माँ की कुल्ले और जांघे इतने मुलायम थे की में विश्वास नही कर पा रहा था।

फिर मैने अपना हाथ उनकी जांगो के बीच डाला तो मैं हैरान रह गया, माँ की चूत एकदम चिकनी थी, उनके चूत पर बाल का नामोनिशान नही था. उनकी चूत बहुत फूली हुई थी और चूत के दोनो होंठ फैले हुए थे शायद एक जांग आगे करने के कारणउनकी चूत से निकला हुआ चंदा लटक रहा था (मेरे कई दोस्तों ने उसके बारे मे बताया था की उनके घर की ओंरतो की चूत से भी ये निकलता है और उन्हे इस पर बड़ा नाज़ होता है). में तो उत्तेजना की वज़ह से पागल हो रहा था. मैने लेटे-लेटे ही अपना शर्ट निकाल दिया और माँ की तरफ थोडा और सरक गया जिससे मेरा लंड माँ के कुल्ले से टच करने लगा, थोड़ी देर तक चुप रहने के बाद जब मैने देखा की माँ कोई हरकत नही कर रही है तो मेरी हिम्मत और बढ़ी।
में लेटे लेटे ही माँ की चूत को सहलाने का पूरा मज़ा लेने लगा.

थोड़ी ही देर मे मुझे लगा की माँ की चूत से कुछ चिकना चिकना पानी निकल रहा है. क्या खुशबु थी उसकी, मेरा लंड फूल कर फटने की इस्थिति मे हो गया. में अपना लंड माँ के कुल्ले, गांड के छेद, उनकी जांघो पर धीमे धीमे रगड़ने लगा. तभी मुझे एक आईडिया आया की क्यों ना आज थोडा और बढ़ कर माँ की चूत से अपना लंड टच करूं, जब मैने अपनी कमर को आगे खिसका कर माँ की जांघो से सटाया तो लगा जैसे करंट फैल गया हो, मुझे झड़ने का जबरदस्त मन कर रहा था पर मैने सोचा की एक बार माँ की चूत मे लंड डाल कर उनकी चूत के पानी से चिकना कर लूँगा और फिर बाहर निकाल कर मुठ मार लूँगा।

ये सोच कर मैने अपनी कमर थोडा ऊपर उठाया और अपना लंड माँ की चूत से लटके चमड़े को उंगलियों से फैलाते हुए उनके छेद पर रखा तो माँ की चूत से निकलते हुए चिकना पानी मेरे सूपडे पर लिपट गया और थोडा कोशिश करने पर मेरा सूपड़ा माँ की चूत के छेड़ मे घुस गया।

जैसे ही सूपड़ा अंदर गया उफ़ माँ की चूत की गर्मी मुझे महसूस हुई और जब तक में अपना लंड बाहर निकालता मेरे लंड से वीर्य का फव्वारा माँ की चूत मे पिचकारी की तरह निकलने लगा में घबरा तो गया पर ज्यादा हिलने से डर रहा था की कहीं माँ जग ना जाए. जब तक मैं धीमे से अपना लंड माँ की चूत से निकालता तब तक मेरे लंड का पानी माँ की चूत मे पूरा खाली हो चूका था और लंड निकलते वक़्त वीर्य की धारा माँ के गांड के छेद पर बहने लगी. मुझे लगा अब तो में पक्का पीटूँगा और डर के मारे जल्दी से शर्ट पहन कर सो गया. मुझे नींद नही आ रही थी पर मैं कब सो गया पता ही नही चला।

अगले दिन उठा तो देखा की हमेशा की तरह माँ सफाई कर रही थी पर दीदी स्टेडियम नही गई थी. मुझे देखते ही माँ ने दीदी से कहा “वीना, जा चाय गर्म करके भाई को देदे… और मुझे प्यार से वहीं बैठने के लिए कहा. मैने चोरी से माँ की तरफ देखा तो माँ मुझे देख कर पूछी आज नींद कैसी आई… मैने कहा की “अच्छी”, तो माँ हसने लगी और मेरी पैंट की ऊपर देखकर बोली की “अब तू रात मे सोते समय थोड़े ढीले कपड़े पहना कर… अब तू बड़ा हो रहा है.. देख में और वीनू भी ढीले कपड़े पहन कर सोते है… में यह सुन कर बड़ा खुश हुआ की माँ ने मुझे डाटा नही।

उस दिन मुझे पूरा विश्वास हो गया था की अब माँ मुझे रात मे पूरे मज़े लेने से मना नही करेगी भले ही दिन मे चुदाई के बारे मे खुल कर कोई बात ना करे. अब तो में बस रात का ही इंतजार करता था, खैर उस रात फिर जब में सोने के लिए कमरे मे गया तो मुझे माँ की ढीले कपड़े पहनने वाली बात याद आई पर मेरे पास कोई बड़ी शर्ट नही थी. फिर मैने आलमरी मे से एक पुरानी लुंगी निकाली और अंडरवेयर उतार कर पहन लिया और सोने का नाटक करने लगा।
तभी मेरे मन मे माँ की सुबह वाली बात चेक करने का विचार आया और मैने अपनी लुंगी का सामने वाला हिस्सा थोडा खोल दिया जिस से मेरा लंड खड़ा होकर बाहर निकल गया और अपने हाथो को अपनी आँखो पर इस तरह रखा की मुझे माँ दिखाई दे. थोरी ही देर मे माँ कमरे मे आई और नाईटी पहन कर बेड पर आने और लाइट ऑफ करने के लिए मूडी और मेरे लंड को देखते ही रुक गई।

थोड़ी देर वैसे ही मेरे लंड को जो की पूरे 6” लंबा और 1.5” मोटा था, देखती रही, फिर पता नही क्यों उसने लाईट बंद करके नाईट बल्ब जला दिया और बेड पर लेट गई वो मेरे लंड को बड़े प्यार से देख रही थी पर मेरे लंड को उसने छुआ नही. फिर दूसरी तरफ करवट बदल कर एक पैर को कल की तरह आगे फैला कर लेट गई. मुझे पक्का विस्वाश था की आज माँ जानबूझ कर नाईट बल्ब ऑन किया है ताकि में कुछ और हरकत करू।

आधे एक घंटे के बाद जब में माँ के ऊपर सरका तो लूँगी की गाँठ रगड से अपने आप ही खुल गई और में नंगे ही अपने खड़े लंड को लेकर माँ की तरफ सरक गया और नाईटी खोल कर कमर तक हटा दिया. उस रात मैने पहली बार माँ के कुल्हे, गांड और चूत को देख रहा था. मेरी खुशी का ठिखाना नही था, में झुक कर माँ की जांगो और कुल्हे के पास अपना चेहरा ले जाकर चूत को देखने की कोशिश करने लगा. मुझे अपनी आँखो पर विश्वास नही हो रहा था की कोई चीज इतनी मुलायम, चिकनी और सुन्दर हो सकती है, माँ की चूत से बहुत अच्छी भीनी भीनी खुशबु आ रही थी. में एकदम मदहोश होता जा रहा था. पता नही कैसे में अपने आप ही माँ की चूत को नाक से सटा कर सूंघने लगा। चूत से निकले हुए चंदे के दोनो पत्ते किसी गुलाब की पंखुड़ी से लग रहे थे. माँ की चूत का छेद थोडा लाल था और गांड का छेद काफ़ी टाइट दिख रहा था, पर सब मिला कर उनकी पुरे कुल्हे और जांघे बहुत मुलायम थी।

में उसी तरह कुछ देर सूंघने के बाद माँ के चूत के दोनो पत्तो को मुहँ मे भर लिया और चूसने लगा उनकी चूत से बेहद चिकना लेकिन नमकीन पानी निकलने लगा, में भी आज चुदाई के मज़े लेना चाहता था. फिर मैने माँ की चूत से निकलते हुए पानी को अपने सूपडे पर लपेटा और धीरे से माँ की चूत मे डालने की कोशिश करने लगा. पर पता नही कैसे आज मेरा लंड बड़ी आसानी से माँ की चूत के छेद मे घुस गया।

में वैसे ही थोड़ी देर रुका रहा फिर मैने लंड को अंदर डालना शुरू किया, दो तीन प्रयासो मे मेरा लंड माँ के चूत मे घुस गया ओह क्या मज़ा आ रहा था, माँ की चूत काफ़ी गर्म थी और मेरे लंड को चारो और से जकड़े हुए थी. थोड़ी देर उसी तरह रहने के बाद मैने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया ओह जन्नत का मज़ा मिल रहा था।

4-5 मिनट अंदर बाहर करते ही मुझे लगा की मैं झड़ने वाला हूँ तो मैने अपनी स्पीड और तेज़ कर दी और अपना वीर्य माँ की चूत मे डाल दिया…

अच्छा दोस्तों फिर मिलता हूँ….

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भाभी ने बहन और माँ को पटाया https://sexstories.one/%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%ad%e0%a5%80-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%b9%e0%a4%a8-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%81-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%aa%e0%a4%9f%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%be/ Tue, 19 Oct 2021 09:28:21 +0000 https://sexstories.one/?p=3055 मैंने देखा रूम में भाभी अपने चुत में ऊँगली कर रही थी और अपने मम्मे मसल रही थी.. मैंने वहा खड़े होकर उनकी वीडियो बनाई... कुछ टाइम बाद भाभी अपना फ़ोन वहीँ रख कर वाशरूम चली गयी... मैंने जल्दी से जाकर देखा। फ़ोन में बहुत साड़ी उनकी वीडियोस थी...

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Bhabhi sex story Maa aur Bahan ko pataya हेलो दोस्तो मेरा नाम कबीर है। मैं चंडीगढ़ का रहने वाला हूं। ये कहानी में मैं अपनी आप बीती सुनाने जा रहा हूं। मेरी उमर 23 साल है और मैं कॉलेज में पढ़ता हूं। मेरी भाभी और भैया की शादी को 1 साल हुआ है। और घर में मैं, मेरी मम्मी, भाई और भाभी और एक बहन रहती है।

मेरी भाभी का जिस्म देख वड्डे वड्डो का लंड पंत में ही पानी छोड़ दे। जिस्म के बारे में बताना तो भूल गया। भाभी का नाम रिया है (बदला हुआ)। भाई का नाम साहिल (बदला हुआ) और बहन प्रीत (बदला हुआ) और मां सविता (बदला हुआ).. मेरी बहन की भी शादी हो चुकी है और उनके बारे में तो क्या कहूं वड्डे मम्मे, मोटी गांड, चोदने वाले को मजा ही आ जाए….

अब आता हूं कहानी पर ……

मैंने अपनी +2 बोर्डिंग स्कूल से की थी, तो ज्यादा तर घर से बहार ही रहा हूं। पर कॉलेज के लिए मैं चंडीगढ़ ही वापीस आ गया था। और भैया की शादी भी नई-नई हुई थी। भैया एक कंपनी एम जॉब करते हैं, सेल्स के रिलेटेड, तो वो ज्यादा तर बिजी या घुमते ही रहते हैं..

भाभी इतनी सुंदर थी का मेरा मन उनके ऊपर रहा था। जब वो तयार होती, तो पताका लगी थी। धीरे धीरे में उनकी तरफ आकर्षित हो गया था। और मैं अब भाभी को छेड़ने के स्पर्श करने के बहाने ढूंढ़ता था.. एक दिन की बात है. जब भाभी नीचे खड़ी हुई थी और मैं उनकी ओर देख रहा था.. और मुझे उनके मम्मे आधे दिखाई दे रहे थे… क्या नज़ारा था… और मैंने देखना नहीं बंद किया… देखता रहा…

फिर अचानक भाभी ने ऊपर देखा। मुझे देखकर उन्होंने अपना दुप्पटा ठीक किया और अंदर चली गयी…

मेरे डर के मारे शॉट हो गए थे.. की अब डांट पक्की… फिर मैंने कुछ नहीं किया और वहां से चला गया… एक दिन भाइये ५ दिन के लिए कहीं ट्रिप पर थे काम से तो भाभी अकेली थी उस टाइम…

जब मैं उस दिन रात को उठा और किचन में जाते हुए देखा भाभी के रूम में.. भाभी ने देख लिया…. पर मुझे शक था की कुछ तो बात है की भाभी किसीसे बात कर नहीं है..

और मैं रूम में आ गया. उसके १० मिनट् बाद भाभी मेरे रूम में आ गयी…

भाभी – तुम्हे शर्म नहीं आती, अपनी भाभी को ऐसे देखते हुए… मैं तुम्हारे भाइये को बताउंगी… और घर में भी बताउंगी…

मैं डर के मारे कांप रहा था की अब तो फस गया.. अब पिटाई होगी..

मैं – भाभी, मुझे माफ़ कर दो.. मैंने कुछ जान बूझ के नहीं किया.. मैं गुज़र रहा था तब अचानक से आपको देखकर रुका नहीं गया… माफ़ कर दो… आगे से नहीं होगा…

भाभी – तुम्हे मार तो पड़नी चाहिए… मैंने देखा था उस दिन तुम मुझे छत पर से घूर रहे थे…

मैं – भाभी ऐसे कुछ नहीं है.. मुझे माफ़ करदो… आगे से नहीं होगा… प्रॉमिस करता हु…

भाभी – चलो अब प्रॉमिस करते हो तो लास्ट वार्निंग दे रही हूँ… वरना घर में बता दूंगी..

मैं – शुक्रिया भाभी…

भाभी वह से चली गयी और मेरी भी सांस में सांस आयी…

फिर मैं उनसे बदला लेने का मौका ढूंढ़ता रहा…

एक दिन जब मैं कॉलेज से घर वापस आया तो मैंने देखा रूम में भाभी अपने चुत में ऊँगली कर रही थी और अपने मम्मे मसल रही थी.. मैंने वहा खड़े होकर उनकी वीडियो बनाई… कुछ टाइम बाद भाभी अपना फ़ोन वहीँ रख कर वाशरूम चली गयी… मैंने जल्दी से जाकर देखा। फ़ोन में बहुत साड़ी उनकी वीडियोस थी जो उन्होंने किसी लड़के को भेजी थी… और उनकी चैट जो उससे की हुई थी…

मैं – भाभी बता देना भैया को मैं भी बताऊंगा की आप उनके पीठ पीछे क्या करती हो…

भाभी – पागल है क्या? भौंक रहा है तू… जानता भी है?

मैं – सब जानता हूँ… और मेरे पास प्रूफ भी है.. डरो मत.. मैंने आपके फ़ोन से सारा डाटा अपने फ़ोन में दाल रखा है.. दिखाऊंगा मैं भैया को…

भाभी – कबित देख.. मैं तेरी भाभी हूँ… सच बताऊँ… मेरी भी कुछ तमन्ना है.. तुम्हारे भैया कुछ करते नहीं.. ट्रिप पर ही रहते है ज़्यादा टाइम… मेरी भी कुछ ज़रूरतें है..

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मैं – ऐसी कैसी ज़रूरत? क्या नहीं देते भैया आपको जो आपको ये सब करना पद रहा है?

भाभी – हर चीज़ पैसे से नहीं खरीदी जाती.. कुछ पर्सनल भी होता है… मेरी शारीरिक ज़रूरत जो हर औरत अपने पति से चाहती है..

मैं – बताओ क्या नहीं दिया आपको भाइये ने…

भाभी – तुम्हारे भैया मुझे टाइम नहीं देते.. मेरी सेक्स लाइफ ठीक नहीं चल रही है.. इसीलिए मुझे ये कदम उठाना पड़ा…

मैं – पर ये तो गलत है..

भाभी – तुम जो मांगोगे मैं दूंगी. जितने पैसे कहोगे दे दूंगी.. पर प्लीज किसी को मत बताना…

मैं – पैसों की ज़रूरत नहीं है..

भाभी – तो क्या चाहिए तुझे?

मैंने – मैं आपके साथ वही सब करना चाहता हूँ जो आप भाइये से चाहते हो..

भाभी – पागल तो नहीं हो तुम? मैं तुम्हारी भाभी हूँ.. ये कभी नहीं होगा…

मैं – ठीक है फिर… मैं भैया तो बता देता हूँ…

भाभी – देखो कबिर, ये गलत है…

मैं – जो तुम कर रही हो वो कौनसा ठीक है.. और तुम्हारी ज़रुरत है, मेरी भी ज़रूरत है.. कुछ गलत नहीं है… और मैं किसी को भी नहीं बताऊंगा…

भाभी – ठीक है.. पर…

मैं – पर-वर कुछ नहीं.. आप बस साथ दो..

फिर मैंने उनके एक ना सुनी और अपने होंठ भाभी को होंठों पर रख दिए… और किस करने लगा… धीरे धीरे भाभी भी साथ देने लगी..

फिर मैंने भाभी को बेड पर धक्का दिया और उनके कपडे खोलने शुरू किये… और पूरी बॉडी पर किस करते जा रहा था..

भाभी – देवरजी, जबसे शादी हुई तबसे प्यासी हूँ..

मैं – आप चिंता मत करो भाभी, मैं आज आपकी साड़ी प्यास बूझा दूंगा…

भाभी अंगड़ाइयां ले रही थी.. और मज़े ले रही थी..

फिर मैंने धीरे-धीरे उनके कपडे खोले और जब मैंने उनकी ब्रा खोली तो उनके वड्डे-वड्डे मम्मे आज़ाद हुए… क्या नज़ारा था… फिर मैंने भाभी के दूध पीना शुरू किया और भाभी आअह्ह्ह्हह…. आह्ह्ह्हह्ह…. ऊह्ह्ह्हह्ह…. ऊह्ह्हह्ह… की आवाज़े निकाल रही थी…

भाभी – देवरजी क्या कमाल हो… आपने क्यों नहीं शादी की मुझसे? आपका भाई तो फुद्दू है.. एक नंबर का माल जैसे बीवी पर ध्यान नहीं देता…

मैं – ये तो सही है भाभी… आपको देखकर बुड्ढ़ों का भी लंड खड़ा हो जाए…

भाभी – तुम अपना खड़ा करो.. और अपने कपडे तो उतारो.. मुझे तो एक पल में नंगा कर दिया..

मैं – तुम खुद ही उतार दो.. इतनी उतावली हो अगर…

और इतना कहने की देर थी, भाभी जानवर के तरह मेरे ऊपर टूट पड़ी.. मेरे कपडे खोल दिए… मेरा लंड देखकर बोली…

भाभी – क्या औज़ार है यार तेरा….. मार डालेगा मुझे पर मज़ा भी बहुत आएगा…

मैं – इस औज़ार को मुँह में लेकर देखो.. मज़ा आएगा…

भाभी – यार मैंने कभी नहीं लिया…. गन्दा लगता है…

मैं – यार भाभी प्लीज… मेरे लिए ले लो एक बार…

भाभी – तुम्हारे लिए तो कुछ भी मंज़ूर है.. तुमने आज मुझे खुश जो कर दिया…

फिर भाभी धीरे-धीरे मेरे लंड को चूसने लगी.. और फिर एक झटके में मैंने अपना सारा लंड उनके मुँह में दाल दिया.. और उनके मुँह को चोदने लगा..

२०-२५ मिनट बाद मैं उनके मुँह में ही झड गया..

भाभी – अब खुश हो मेरे देवरजी…

मैं – भाभी आपने मुझे जन्नत की सैर करवादी… अब मेरी बारी…

और मैंने भाभी की चुत की चाटना शुरू किया… क्या मज़ा आ रहा था.. क्या बताऊँ…

१० मिनट बाद भाभी भी झड़ गयी.. और भाभी ने फिरसे चूसकर मेरा लंड खड़ा कर दिया.. फिर भाभी तड़पने लगी… कहने लगी की..

भाभी – अब और मत तड़पाओ चोद डालो मुझे…

मैं – रुक जाओ मेरी रंडी भाभी… अभी लो..

और मैंने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और लंड सेट किया उनकी चूतपर और ज़ोर से झटका मारा… आधा लंड अंदर चला गया और भाभी चिल्ला उठी…

भाभी – पति निठल्ला और देवर निकला बल्ला-बल्ला… मार दिया साले कुत्ते ने… आराम से कर…. रंडी नहीं हु… तेरी भाई तो ठोकता ही नहीं… समझ तेरी ही बीवी हूँ… नयी-नयी चुत है…

मैं – मेरी हो तभी तो प्यार कर रहा हु… मेरी रंडी जान..

५-१० मिनट बाद भाभी का दर्द शांत हुआ… अब वो आवाज़ें निकाल रही थी…

“आआह्ह्हह्ह्ह्ह….. ऊह्ह्ह्ह…. उम्मम्मम्मम…. फ़क फ़क हार्ड बब्बी… एस्सस…. उह्ह्ह… अरे.. ग्रेट… आह्ह्ह्ह… ऊह्ह्ह्ह…. फ़क… ”

मैंने भाभी को कम से कम आधे घंटे चोदा और पुछा की..

मैं – मेरा झड़ने वाला है.. कहाँ निकालूँ?

भाभी – अंदर ही निकाल दे कबीर… मेरी जान… मैं तेरे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ… वैसे भी तेरे भाई ने मुझे ये सुख नहीं दिया अभी…

मैं – लो मेरी जान…

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ऐसे ही हमारा चलता था… मैं भाभी को ठोकता रहता जब भी मौका मिलता…

कुछ दिनों बाद जब मेरी बहन, जिसकी नयी नयी शादी हुई थी वो जब पहली बार कुछ दिन रहने के लिए घर आयी, तब मैं उसे लेने गया तो मैं देखता ही रह गया…

उसके चुचे पहले से थोड़े बड़े लग रहे थे.. शायद भाभी को चोदने के बाद मेरा नजरिया बदल गया था…

मैंने अपनी बहन को बाइक पर बिठाया और घर ले आया.. आते टाइम मैंने काफी बार ब्रेक लगायी.. जिससे उनके बड़े-बड़े तरबूज़ मैं महसूर कर सकू… क्या मज़ा आ रहा था तब…

घर पहुँचा और कुछ टाइम बाद जब मैं भाभी से मिला तब मैंने भाभी को किस किया और बोला की भाभी प्रीत तो पहले से भी ज़्यादा माल बन गयी है… भाभी चौंक गयी और बोली…

भाभी – तू क्या बोल रहा है? वो तेरी बहन है…

मैं – क्या करू भाभी… लंड बहन मानने को राज़ी नहीं हो रहा… उसके मम्मे देखकर रहा नहीं जा रहा… एक बार दिलादो उसकी…

भाभी – पागल हो गया है क्या? तू क्या बोल रहा है? ऐसा नहीं हो सकता…

मैं – क्यों नहीं हो सकता… जब मैं तुझे चोद सकता हूँ तो उसको क्यों नहीं?

भाभी – चल देखती हूँ… मनाने की कोशिश करती हूँ… तू भी उलटी पुलटि चीज़े बोलता है..

मैं – लव यू मेरी प्यारी भाभी जान..!!

इतना कहकर मैंने भाभी के चूचियों को मसला और किस किया.. और अपने रूम में चला गया… उसके बाद भाभी ने दीदी से बात की और दीदी को मनाने की कोशिश की..

भाभी – और प्रीत, क्या हाल है?

प्रीत – ठीक हूँ भाभी.. आप बताओ..

भाभी – मैं भी ठीक हूँ.. और तुम्हारी सुहागरात कैसी थी? क्या क्या किया दामादजी ने?

प्रीत – क्या करना… कुछ नहीं किया भाभी.. बल्कि मैंने करने की कोशिश को तो उन्होंने मुझे दूर कर दिया और सो गए.. मेरे तो अरमान ऐसे ही रह गए…

भाभी – तुम्हारे अरमान ऐसे कैसे रह गए.. मैं पूरे करुँगी.. तुम रात को तैयार रहना..

भाभी ये सब बातें करके मेरे पास आयी और बोली की रात को तैयार रहना.. मैंने मना लिया है… तुम कैसे वश में करते हो तुम पर है..

जैसे मुझे भाभी ने बोलै, मैंने ठीक वैसे ही प्रीत के रूम में गया.. जाकर लोअर खोली और उसके ऊपर चढ़ गया.. उसके मम्मे दबाने लगा और किस करने लगा.. मैंने देर न करते हुए उसके कपडे खोल दिए और नंगा कर दिया उसको.. और खुद भी नंगा हो गया…

पर प्रीत ने जैसे ही लाइट चालू किया वो शर्म के मारे मरने लग गयी.. और खुद को कपड़े से ढकने लगी.. तभी भाभी आयी और बोली…

भाभी – कुछ नहीं होता.. तुम बस मज़ा लो.. मैं खुद प्यासी थी… और मेरी प्यास इसिने बुझाई है.. तुम भी इसपर भरोसा रखो.. कुछ नहीं होगा.. तुम्हे खुश कर देगा ये मेरा वादा है..

प्रीत – ठीक है भाभी.. अगर आप कहते हो तो…

फिर जब मैंने रौशनी में देखा… क्या मम्मे थे प्रीत के.. मज़ा आ गया.. मैंने उसको लंड चूसने को बोलै और उसने पहले मना किया फिर मान गयी और फिर अच्छे से उसने मेरा लंड चूसा…

प्रीत – अब तड़पाओ मत.. चोद डालो मुझे…

मैं – रुको बहना… लो अभी.. लो..

और मैंने ठुकाई शुरू की। वो वर्जिन थी.. तो उसको बहुत दर्द हुआ… खून भी निकला और वो बहुत आवाज़ें निकाल रही थी… जैसे.. आह्ह्ह्ह… ऊह्ह्ह…. ममम…. फ़क… फ़क….

फिर ऐसे ही ये सिलसिला चलता रहा.. जब जब वो आती मैं उसकी ठुकाई करता.. बाद में तो भाभी ने मुझे मेरी माँ की चूत भी दिलवाई…

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