hindi samuhik chudai kahani Archives - Antarvasna https://sexstories.one/tag/hindi-samuhik-chudai-kahani/ Hindipornstories.org Wed, 21 Jul 2021 10:06:01 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1 एक भाई की दो हॉट बहने https://sexstories.one/bhai-ki-do-hot-bahne/ Wed, 21 Jul 2021 10:04:36 +0000 https://sexstories.one/?p=3997 हैल्लो दोस्तों, मेरे बारे में आप सभी पहले से ही जानते है, क्योंकि में भी आप सभी की तरह अब तक ना जाने कितनी कहानियों के मज़े ले चुका हूँ और आज की मेरी इस ... >> पूरी कहानी पढ़ें

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हैल्लो दोस्तों, मेरे बारे में आप सभी पहले से ही जानते है, क्योंकि में भी आप सभी की तरह अब तक ना जाने कितनी कहानियों के मज़े ले चुका हूँ और आज की मेरी इस कहानी से पहले भी मैंने अपनी घटना को आप सभी की सेवा में हाजिर किया था. दोस्तों में फिर भी अपनी कहानी को शुरू करने से पहले अपना परिचय दे देती हूँ.

मेरी उम्र 22 साल है और में अभी एक कॉलेज से बी.कॉम की पढ़ाई कर रही हूँ और आज में बहुत दिनों के बाद अपनी एक सच्ची घटना को लिखने जा रही हूँ. दोस्तों ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि में आज कल पढ़ाई में बहुत व्यस्त रहती हूँ इसलिए मुझे लिखने का समय नहीं मिलता, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि मैंने सेक्सी कहानियों को पढ़ना बंद कर दिया है. अब भी में आप लोगों की घटनाओ को पढ़कर मज़े जरुर करती हूँ. दोस्तों में आज आप सभी को अपनी एक सच्ची घटना बताने जा रही हूँ, उस खेल में मुझे भी बहुत मस्त मज़ा आया और आज आप सभी को भी जरुर मज़ा आएगा ऐसा मेरा मन कहता है और अब शुरू करते है. दोस्तों यह बात उन दिनों की है जब मेरे पेपर के बाद कुछ दिनों की छुट्टियाँ चल रही थी और इसलिए में अपने घर में ही थी.

फिर मुझे दो दिन के बाद पता चला कि मेरी चचेरी बहन जिसका नाम सुमन है, उसकी उम्र 20 है वो हमारे घर आने वाली है और वो मेरे साथ ही कुछ दिन रहेगी. दोस्तों वो रिश्ते में मेरे मामा जी की लड़की थी, लेकिन उसको मिले हुए मुझे करीब तीन चार साल हो चुके थे और इस बीच हम दोनों कभी नहीं मिले. फिर वो लोग रविवार के दिन ही हमारे घर आ गए और सुमन भी उनके साथ ही थी, लेकिन में उसको इतने दिनों के बाद मिलने की वजह से पहचान भी नहीं सकी. दोस्तों वो दिखने में बहुत ही सुंदर थी, इसलिए में उसकी तरफ बड़ी आकर्षित थी, क्योंकि उसका वो गोरा बदन बड़े आकार के एकदम गोलमटोल बूब्स मेरे पूरा ध्यान अपनी तरफ खीच रहे थे.

अब हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ मुस्कुराते हुए बड़े ही प्यार से हालचाल पूछने के बाद बैठकर बहुत सारी बातें की मुझे उसके साथ बैठना बातें करना बहुत अच्छा लगा और इसलिए मुझे पता ही नहीं चला कि इतनी जल्दी रात भी हो गई. फिर हम दोनों ने साथ में बैठकर खाना खाया, मुझे उसका व्यहवार बात करने का तरीका बड़ा पसंद आया और कुछ देर के बाद रात को वो मेरे कमरे में सोने के लिए आ गयी और उसने उस समय मेक्सी पहनी हुई थी. दोस्तों मैंने भी उस समय मेक्सी पहनी हुई थी, वो बहुत हॉट सेक्सी नजर आ रही थी और बार बार मेरी नजर उसके बदन को घूरने लगी थी. अब हम दोनों बातों ही बातों में बहुत अच्छी तरह से खुल चुके थे, इसलिए अब हम बातें हंसी मजाक करने लगे थे.

में : सुमन यार एक बात तो तुम मुझे सच सच बताओ क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?

सुमन : हाँ है ना यार और वैसे आजकल यह सभी का होता है.

में : अच्छा तो यह बात है.

सुमन : और तुम्हारा है कि नहीं वो भी तो तुम मुझे बताओ?

में : हाँ यार मेरा भी है.

सुमन : अच्छा मतलब कि तुम भी पीछे नहीं हो.

में : अच्छा ठीक है, अब तुम मुझे सच सच एक बात बताओ क्या कभी तुमने उसके साथ कुछ किया है?

सुमन : मतलब वो नहीं ऐसा मैंने कुछ भी नहीं किया.

में : सच में.

सुमन : हाँ मैंने नहीं किया, लेकिन क्या तुमने किया है?

में : सच बताऊँ तो हाँ मैंने उसके साथ कई बार किया है.

सुमन : ओह क्या तुम सच कह रही हो? अच्छा यह बताओ कि वो सब करने में कैसा लगता है?

में : बहुत अच्छा लगता है और बहुत मज़ा भी आता है.

सुमन : अच्छा ऐसा है, लेकिन क्या वो सब करने से डर नहीं लगता?

में : जब उस काम को करने में मज़ा आने लगता है, तो उसके बाद बिल्कुल भी डर नहीं लगता.

सुमन : अच्छा मुझे लगता है कि उस काम को करने में बहुत मज़ा आता है यह बात मुझे तुम्हारे चेहरे से पता चल रही है.

में : हाँ तुमने ठीक पहचाना, मेरी ब्रा का नंबर 34 इंच है और तुम्हारा क्या आकार है?

सुमन : मेरी ब्रा का आकार 32 इंच है.

में : वैसे यार तेरा पिछवाड़ा बहुत अच्छा है.

सुमन : हाँ आपका भी बहुत अच्छा है.

अब मेरा मन करने लगा कि अगर बॉयफ्रेंड नहीं है तो क्यों ना में अपनी बहन के साथ ही मज़ा ले लूँ? और में अब यह बात अपने मन में सोचकर उत्साहित होकर उसको उकसाने लगी थी.

में : यार क्या कभी तुमने किसी के साथ चुम्मा किया है?

सुमन : नहीं यार मुझे यह सब करने से बहुत डर लगता है.

में : अच्छा तुम्हारा मन तो यह सब करने के लिए करता ही होगा ना? मेरा तो बहुत दिल करता है.

सुमन : हाँ, लेकिन में क्या करूँ मुझे बहुत डर भी लगता है?

में : क्या तुम वो सब करना चाहोगी?

अब वो मेरे मुहं से यह बात सुनकर एकदम चकित होकर मेरी तरफ बहुत ध्यान से देखने लगी थी, लेकिन वो चुप ही रही शायद उसके मन में यह काम करने की इच्छा थी.

में : सुमन चलो आज हम दोनों एक दूसरे को मज़ा देते है, चलो आ जाओ सुमन आज हम दोनों अलग दुनिया में चले जाते है

दोस्तों अब तब तो गरम हो चुकी थी और अब उसका भी चेहरा मेरे साथ यह बातें करके पूरा लाल हो गया था और अब में अच्छी तरह से समझ सकती थी कि उसका मन दो तरफ जा रहा है और वो मन ही मन सोच रही है कि में क्या करूं हाँ करूं या ना? मैंने उसको अपने हाथों में उसके चेहरे को जकड़ लिया और इससे पहले कि वो कुछ बोलती, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

फिर उसी समय में जब उसके होंठों को चूस रही थी तब मैंने महसूस किया कि उसने भी अब जोश में आकर मुझे कसकर जकड़ लिया है और इस वजह से में प्रसन्न होकर उसके होठों को कस कसकर चूस रही थी और मेरी बाहों में जकड़े होने की वजह से उसके बूब्स भी मेरे बूब्स से दबे हुए थे और रगड़ खा रहे थे. फिर मैंने बिना देर किए उसकी मेक्सी को खोल दिया और बिना समय खराब किए मैंने तुरंत ही उसको अपने सामने नंगा कर दिया और देखा कि वो बिना कपड़ो के बहुत ही अच्छी लग रही थी. अब मैंने अपनी मेक्सी को भी उतार दिया और अब हम दोनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे हो चुके थे और अपनी चकित नजरों से हम एक दूसरे के नंगे गोरे बदन को लगातार घूरकर देख रहे थे, लेकिन अब वो थोड़ा सा शरमा रही थी.

अब में उसके पास गयी और मैंने तुरंत ही उसके एक बूब्स को अपने मुहं में भर लिया और फिर में गपगप करके चूसने लगी, जिसकी वजह से उसको भी अब बहुत मज़ा आने लगा था. अब उसने मज़े और जोश के मिलेजुले असर की वजह से हिम्मत करके मेरे बूब्स की निप्पल को मसलना शुरू कर दिया और मैंने खुश होकर उसका साथ देते हुए उसके दोनों बूब्स को बार बार बूब्स को अपने हाथ से दबाते हुए चूसा और उसकी उठी हुई निप्पल को छोटे बच्चो की अपने मुहं में भरकर अच्छी तरह चूसा और चूस चूसकर एकदम लाल कर दिया.

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सुहागरात की कहानी मेरी जुबानी https://sexstories.one/suhagraat-me-meri-chudai/ Sun, 04 Oct 2020 21:36:39 +0000 https://sexstories.one/?p=296 आप लोगों ने मेरे द्वारा पोस्ट किये गए हर थ्रेड को काफी सराहा है और हमेशा मेरा उत्साहवर्धन किया है, मैं अक्सर यहाँ हिंदी सेक्स कहानी और भैया से चुदाई कहानी पढ़ने आती हु.. मेरी शादी ... >> पूरी कहानी पढ़ें

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आप लोगों ने मेरे द्वारा पोस्ट किये गए हर थ्रेड को काफी सराहा है और हमेशा मेरा उत्साहवर्धन किया है, मैं अक्सर यहाँ हिंदी सेक्स कहानी और भैया से चुदाई कहानी पढ़ने आती हु.. मेरी शादी अभी नहीं हुयी है, अगले साल फरवरी में होनी है, पर मन में कई सारी बातें हैं जो कि सुहागरात और उसके बाद होने वाले हसीं पलों से सम्बंधित होती हैं. (Mastram story, Hindi sex story, hindi sex kahani, suhagraat ki chudai)

यह कहानी जो मैं यहाँ लिखने जा रही हूँ, वो कल्पना से लिखी गयी है, इसका मेरी निजी जिंदगी से कोई सम्बन्ध नहीं है. पर मैंने पूरी कोशिश की है कहानी के हर पल को मैं जीते हुए लिखूं जिससे की उस में जान आ जाए. जोकि मेरे कई प्रशंषकों को पसंद है.

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चलिए अब ज्यादा इन्तजार नहीं करते हैं , कहानी पड़ते हैं….अगर अच्छी लगे तो आपको पता ही है की क्या करना होता है…!!??
वो मेरी सुहागरात थी और लडकियां और भाभियाँ मेरे को फूलो से सजे हुए कमरे में छोड़ कर चली गयी. शादी के बाद की थकान में महसूस कर पा रही थी, इसलिए मैंने नहाने का सोचा. इसलिए मेने जल्दी से नहा ली और एक साड़ी पहन कर फिर से तैयार हो गयी. जैसे की आप सभी जानते ही होंगे की सुहाग रात की एहमियत बहुत होती है एक पति और पत्नी के लिए. मैं यह भी जानती थी की वो भी मेरी तरह कुंवारे (virgin) थे.

जैसे ही मैं पलंग पर बैठी मेरे पति रोहित कमरे में आ गए. उनके शारीर में से चन्दन, गुलाब और पर्फियुम की महक आ रही थी. मैं थोडी सी घबरा रही थी जैसे ही वो मेरे पास आये, मैं उठकर खड़ी हो गयी. वो भी पलंग पर मेरे साथ बैठ गए और हमने शादी से सम्बंधित बातें की, और जो गिफ्ट्स हमें मिले थे उनके बारे में. और फिर बड़े प्यार से उन्होंने मेरे से पूछा, “क्या मैं तुम्हे किस कर सकता हूँ?”

और वो खड़े हुए और मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर मेरे गाल पर किस किया और फिर मेरे बहुत नजदीक आकर बैठ गए. और बैठने के बाद उन्होंने मेरी आँखों को भी किस किया और मेरे को बताया कि इस दिन का वो जब से इन्तजार कर रहे थे जबसे कि वो मुझसे पहली बार मिले थे.

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उन्होंने मेरे हाथों को अपने हाथों में लेकर मेरे से पुछा कि क्या मैं थकी हुयी महसूस कर रही हूँ? अगर ऐसा है तो मैं सो सकती हूँ. जिसे सुनकर मेने एक मुस्कराहट के साथ यह कहकर जवाब दिया कि अगर वो भी थके हो तो हम सो जाते हैं..!!

यह सुनकर उन्होंने मुझे आँख मारी और मुस्कुराते हुए मेरे नजदीक आकर मुझे फिर से किस करने लगे. मैं व्याकुलता महसूस कर रही थी और वैसे भी यह उनका पहला किस नहीं था. ऐसा वो पहले भी कर चुके थे. हमारी सगाई के बाद, जब भी हम अकेले होते थे, चाहे घर पर या कहीं भी जहाँ हम साथ घूमने जाते थे. पर शादी के बाद किया जाने वाला किस पता नहीं क्या जादू करता है…जिसे कि मैं शब्दों में व्याख्यान नहीं कर सकती. मैं अपनी सुहागरात को लेकर बड़ी उत्सुक थी और न जाने मेरे मन में क्या क्या चल रहा था…!!

हम लोग एक दुसरे को किस करने लगे थे. उन्होंने मेरी पींठ, कमर पर अपनी उंगलियाँ फेरनी शुरू कर दी थीं. मेरे हाथ उनके कन्धों पर थे और मैं उनको अपनी और धकेल रही थी.

मैंने महसूस किया की उन्ही जीभ मेरे होंठों में से मेरे मुह में अन्दर जाना चाह रही थी. मेरे होंठों को खोलती हुयी जीभ मेरे मुह में चली गयी और उसी बीच उनके हाथ मेरे पल्लू में से होते हुए मेरी पीन्थ, कमर पर होते हुए मेरे स्तनों पर पहुँच गया.

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उनका हाथ मेरे ब्लाऊज के ऊपर से मेरे स्तनों को दबा रहा था. मेरी आँखें पूरी तरह से बंद थी. और मैं उनके हर प्रयास को अनुभव कर रही थी और उसका पूरा मजा ले रही थी. जब उन्होंने मेरे कपडे उतारने शुरू किये तो मैं बहुत उत्तेजित थी, कि आज मैं पहली बार किसी लड़के के सामने बिना कपडों के होने वाली थी. आज तक मम्मी ने भी मेरे को बिना कपडों के नहीं देखा था. जब मैं चौदह पन्द्रह साल की थी तब भी नहाते समय मम्मी की अगर मदद सर धोने में लेती थी तो भी या तो मैं टोवल लपेटी होती थी या ब्रा और पैंटी पहनी होती थी. और तो और आज एक पुरुष को पूर्ण नग्न देखने का मौका मिलने वाला था.

उन्होंने मेरे पल्लू को मेरे कन्धों से हटाया और वो एक तरफ गिर गया, साथ ही साड़ी का दूसरा हिस्सा जो पेटीकोट में घुसा हुआ होता है, उसे भी बाहर की तरफ खींच कर निकाल दिया और साड़ी पूरी तरह से निकाल दी. मैं उनके सामने पेटीकोट और ब्लाउज में खड़ी थी. उन्होंने एक बार फिर से मुझे अपनी बाहों में भर लिया और हम दोनों एक दुसरे की आँखों में देखने लगे और साथ ही उन्होंने मेरे ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए.

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और फिर उन्होंने उसे मेरे कन्धों पर से होते हुए उतार दिया. अब मैं नरम और सेटिन की ब्रा में थी जिसमे मेरे स्तन पूरी तरह फिट थे और बाहर आने को आतुर थे. उन्होंने मुझे पलंग की तरफ चलने को कहा और हम दोनों पलंग पर साथ साथ लेट गए. फिर उन्होंने मेरी ब्रा के भी हूक खोल दिए और मेरे स्तनों पर से उसे हटा दिया. मेरे चुचुक (निप्पल) उत्तेजना से खड़े हो चुके थे. उनके हाथों ने मेरे स्तनों को अपनी हथेलियों में भरा और उन्हें किस करने लगे. उन्होंने मेरे स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया. हम दोनों की साँसे तेज तेज चलने लगी.

वो मेरी निप्पल के साथ खेल रहे थे. वो मेरे स्तनों को देखे जा रहे थे और मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था. उन्होंने एक निप्पल अपने मुह में रखा और उसे चूसने लगे. हे भगवान्….नहीं बता सकती की उस पल क्या अनुभूति हुयी. फिर उन्होंने दुसरे निप्पल को किस किया और उसे भी चूसना शुरू कर दिया. मेने अपना सर उत्तेजना और आनंद के मारे पीछे की और कर लिया थी.

वो बार बार मेरे बाएँ और दायें निप्पल को चूसना जारी करे रहे जब तक की मेरे पूरे शरीर में एक आग सी न लग गयी.पहली बार कोई ऐसा मेरे साथ कर रहा था. तभी पता नहीं क्या हुआ, मेरे शरीर में एक उफान सा आया और मैं निढाल सी हो गयी और मुझे मेरी योनी में गीलापन सा महसूस हुआ. वो मेरा पहला ओर्गास्म था उस सुहागरात में और मुझे लगा कि मेने अपनी पैंटी में पेशाब कर लिया है. मैं बहुत शर्मिंदगी महसूस करने लगी.

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वो समझ गए और उन्होंने पुछा, “क्या हुआ, क्या तुम्हे ओर्गास्म हुआ ?”

“यह क्या था? मुझे लगा कि मेने पेशाब कर दिया.”, मैंने पूछा.

“नहीं..तुम्हे जरूर ही ओर्गास्म हुआ होगा..”, उन्होंने जवाब दिया.

फिर उन्होंने मेरे स्तनों पर से अपने हाथ नीचे की और बदाये और मेरे पेटीकोट पर पहुँच गए. उन्होंने पेटीकोट का नाडा खोल दिया और उनकी उँगलियों का मेरी पैंटी पर स्पर्श हुआ और मेरे बदन में सिरहन दौड़ गयी. वो मेरी कमर पर किस कर रहे थे और फिर मेरी नाम हो रखी पैंटी पर भी किस किया. उन्होंने पीछे से मेरे हिप्स को पकडा और अपने चेहरे को मेरी पैंटी से सटा डाला और उसे चूमने लगे. उन्होंने धीरे से अपनी उंगलियाँ मेरी पैंटी के की इलास्टिक में डाली और धीरे धीरे उसे नीचे करना शुरू कर दिया. मेरी योनी प्रदेश के बाल नजर आने लगे थे. और मेने अपनी टाँगे फैला दी जिससे की उन्हें आसानी हो सके. फिर मेने अपने एक पैर को ऊपर किया और फिर दूसरा जिससे की उन्होंने मेरी पैंटी भी उतार दी.

तब रोहित को लगा कि उन्होंने अपने कपडे तो उतारे ही नहीं..सो उन्होंने अपने कुरते और पायजामे को उतार दिया और अंडरवियर पहन कर मेरे ऊपर लेट गए. मेरे स्तन उनके सीने के नीचे दबे हुए थे. उनके हाथ मेरे बदन को महसूस कर रहे थे और में अपनी टांगों के बीच गीलापन महसूस कर रही थी.

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उनके कहने पर मेने अपना हाथ उनके अंडरवियर पर रखा और…और..मेने उनका कठोर लिंग पकडा. मैंने उसे अपनी उँगलियों में लपेट लिया. वो बहुत बड़ा था. मुझे नहीं पता था कि यह मेरे अन्दर जा भी पायेगा कि नहीं. उनके हिप्स भी हरकत करने लगे थे. वो खड़े हुए और अपना अंडरवियर उतार दिया. उसके बाद उन्होंने मुझे इस तरह लिटा दिया कि मेरी पीन्थ उनकी छाती से लग गयी. उन्होंने अपने दोनों हाथों में मेरे स्तन दबा लिए. हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे और एक दुसरे के शरीर कि महसूस कर रहे थे.

फिर उन्होंने मेरे स्तनों को मसलना शुरू कर दिया. कभी वो मेरी निप्पल को उमेठते तो कभी स्तनों को दबा देते. उसके बाद में सीधी लेट गयी और उन्होंने मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. उन्होंने अपनी एक ऊँगली भी मेरी चूत के लिप्स में डाली और अन्दर दाल कर बाहर निकाल ली. फिर उन्होंने मेरी क्लिटोरिस को भी रगड़ दिया. मेरा बुरा हाल था. मेरे मुह से आहे निकल रही थी. में उनकी उँगलियों द्वारा मेरी चूत पर किये जा रहे घर्षण को मजे से महसूस कर रही थी. उन्होंने मेरे से पुछा कि ऊँगली डालने पर दर्द तो नहीं हो रहा?

मैं मन कर दिया, तो उन्होंने दो उंगलियाँ अन्दर डाल दी, और मैंने महसूस किया कि उनकी उँगलियों को अन्दर जाने में कुछ रुकावट आ रही है. उन्होंने ही कहा, “शायद तुम्हारी हायमन है..जो रोक रही है… कोई बात नहीं. फिर वो मुझे चूमने लगे और मेने उनका लिंग फिर से पकड़ लिया. उन्होंने फिर से मेरे गुलाबी निप्पल चूसने शुरू कर दिए.

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हम दोनों ही आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो चुके थे. वो मेरी चूत के गीले लिप्स को महसूस कर पा रहे थे. उन्होंने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत के लिप्स पर लगा दी और दबाने लगे जिससे कि उनकी उँगलियों ने मेरी चूत के लिप्स खोलते हुए ऊँगली को अन्दर जाने दिया. वो कुछ देर तक ऐसे ही करते रहे. मुझे अच्छा महसूस हो रहा था और जब भी उनकी ऊँगली मेरी चूत के लिप्स के नजदीक आती थी तो मैं अपनी हिप्स ऊपर उठाकर उसे अन्दर डालने की कोशिश करती.

और आखिर मैं मेरे से रहा नहीं गया और मैं बोल पड़ी, “रोहित. प्लीज मुझे प्यार करो.”
“क्या तुम इसके लिए तैयार हो?”, उन्होंने पूछा.

“हाँ, मैं पूरी तरह से अब आपकी ही हूँ. मुझे सुहागरात का पूर्ण सुख चाहिए ..”, मैंने जवाब दिया.

“देखो, हो सकता है कि तुम्हे थोडा दर्द हो…पर बाद में अच्छा लगेगा.”, उन्होंने कहा.

“मैं जानती हूँ. बस आप मुझे प्यार करो.”, मैंने बोला.

वो मुस्कुराये और मेरी टांगों के बीच में आ गए. उसके बाद उन्होंने एक हाथ पर अपने शरीर को सँभालते हुए दुसरे हाथ से मेरी चूत के नम लिप्स सहलाने लगे. और फिर कुछ देर ऐसा करने के बाद, उन्होंने अपने हाथों से अपने लिंग को पकडा लिया. मैंने देखा कि वो अपने लिंग को मेरी तरफ ला रहे थे,और मैं लिंग के मुंड को अपनी चूत पर महसूस कर पा रही थी. उन्होंने बहुत ही धीरे से उसे ऊपर से नीचे तक रगडा, जैसे कि सही जगह ढूंढ रहे हो अन्दर डालने के लिए. सही जगह का अनुमान होने पर वो रुक गए. धीरे से वो नीचे की ओर झुके और उनके लिंग ने मेरी चूत में प्रवेश किया.

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वो मेरी आँखों में देख रहे थे, की मैं उन्हें संकेत दे सकूँ अगर मुझे दर्द महसूस हो तो. मैंने उनकी छाती पर अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया. उन्होंने धीरे धीरे और अन्दर डालना शुरू किया. फिर वो धीरे से थोडा पीछे आये और फिर अन्दर की ओर बढे.

मैं अपने अन्दर उस गहरायी में हो रहे उस अनुभव को लेकर बहुत आश्चर्यकित थी.
यहाँ तक की मैं उनके लिंग को मेरी योनी के दीवारों पर महसूस कर रही थी. एक बार फिर वो पीछे हटे और फिर अन्दर की ओर दवाब दिया. मेरे अन्दर अवरोध महसूस होने लगा था. वो उठे और फिरसे धक्का दिया, ज्यादा गहरायी तक नहीं पर थोडा जोर से.

मुझे पता था कि उनके लिंग को मेरी योनी रस ने भिगो दिया था, जिसकी वजह से उनका लिंग आसानी से अन्दर और बाहर हो पा रहा था. और अगली बार के धक्के में उन्होंने थोडा दवाब बड़ा दिया. मेरी साँसे जल्दी जल्दी आ रही थीं. मैंने अपनी बाहें उनके कंधे पर लपेट दी थीं और मेरे नितम्बो को ऊपर कि ओर उठा दिया. मैंने एक तीव्र चुभन सी महसूस की. रोहित का लिंग मेरी हायमन से टकरा रहा था और जब उसने उसे भेदकर आगे बढ़ना चाहा तो मुझे लगा कि दर्द के मारे मैं मर जाउंगी.

“ओह माँ…” मेरे मुह से निकला. मेरे स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गया जैसे ही मेरे पति का गर्म, आकर में बड़ा लिंग पूरी तरह से मेरी गीली हो चुकी योनी में घुस गया. अन्दर, और अन्दर वो चलता गया, मेरी चूत के लिप्स को खुला रखते हुए मेरी क्लिटोरिस को छूता हुआ वो अन्दर तक चला गया था. मेरी योनी मेरे पति के लिंग के सम्पूर्ण स्पर्श को पाकर व्याकुलता से पगला गयी थी. उधर उनके हिप्स भी कड़े होकर दवाब दे रहे थे और लिंग अन्दर जा रहा था.

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मेरी आँखों से आंसू भी निकल आये थे. मैं अपना कौमार्य खो चुकी थी और लिंग मेरे अन्दर था. रोहित रुका और मेरे आंसुओं पर एक निगाह डाली पर मैं नहीं रुकी, मैं अपने हिप्स ऊपर की ओर उठाकर उनके लिंग को और अन्दर तक ले गयी.
हम दोनों के शरीर एक दुसरे से चिपटे हुए थे. हम दोनों एक दुसरे को किस किये जा रहे थे और मेने महसूस किया कि उनके हिप्स आगे पीछे हो रहे हैं धीरे धीरे, और फिर अचानक उन्होंने अपने हिप्स और ऊपर किये जिससे लिंग थोडा बाहर आया और फिर वो अन्दर डालने लगे. इसी तरह उन्होंने एक लय में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. जब जब उनका लिंग मेरी योनी की दीवारों से टकराता हुआ मेरी गहराईयों में जाता तो उसके स्पर्श मात्र से मेरे पूरे शरीर में सनसनाहट दौड़ जाती.

“मैं ज्यादा देर नहीं रुक सकता…मेरा यह पहला समय है..!”, उन्होंने कहा.

“मेरे अन्दर ही निकाल दो…मैं भी यही चाहती हूँ”. मेने जवाब दिया.

उन्होंने अपनी गति बड़ा दी और बड़ी जल्दी ही उनका वीर्य निकल गया. मैं महसूस कर पा रही थी की मेरे पति के लिंग में से निकल रहा वीर्य मेरी योनी को तर कर रहा था. मैं रोहित से मिलने वाले सुख का पूरा आनंद ले रही थी, मेरा पति, पहली बार….मेरी योनी में अपने वीर्य को उडेल रहा था.

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कुछ देर बाद रोहित ने अपने लिंग को मेरी योनी में से बाहर निकाल दिया. वो खून से लाल हो रखा था. चादर पर भी एक लाल धब्बा सा था और मेरी योनी की दीवारें भी खून से सनी थी. कुछ मिनटों तक हम दोनों साथ साथ लेटे रहे. मेरा सर उनके सीने पर था. उन्होंने मेरे से पुछा, “कैसा लगा?”. मैंने उन्हें किस किया और कहा, “It was so exciting.”

फिर हम लोग बाथरूम में चले गए. अपने आप को साफ़ किया और हमारे इस पहले प्यार की सारी निशानी कमरे में से साफ़ की. फिर लगभग एक घंटे तक हम दोनों नंगे ही रहे और सो गए. अगली सुबह हम उठकर तैयार हुए और बीच बीच में एक दुसरे को चूमते भी रहे.

अगली सुबह रोहित की बहिन हम लोगो को उठाने आयी , मैं शर्मा रही थी और उनसे आँख नहीं मिला पा रही थी. वो समझ गयी और गर्दन हिला कर मुझे चिढाने के अंदाज़ में बोली, “क्यूँ भाभी? भैया ने ज्यादा परेशान तो नहीं किया न?”

मैं कुछ नहीं बोली और शर्मा कर वहां से निकल गयी.

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