Gaand chudai ki kahani Archives - Antarvasna https://sexstories.one/tag/gaand-chudai-ki-kahani/ Hindipornstories.org Sat, 06 Nov 2021 07:01:26 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1 क्या मस्त गांड है तेरे, जिया! https://sexstories.one/jiya-ki-gaand-chudai-ki-kahani/ Sat, 06 Nov 2021 07:01:26 +0000 https://sexstories.one/?p=3293 अब उसने मेरे कपडे उतारने शुरू कर दिए | फिर उसने मेरी निक्कर को उतार दिया और चड्डी भी उतार के अलग कर दी | अब मैं उसके सामने पूरा नंगा खड़ा हुआ था | फिर वो मुझे चूमते हुए मेरे लंड को हाँथ से पकड़ कर हिलाने लगी और जब वो सख्त हो गया...

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kamukta, chodan, gaand chudai ki kahani नमस्कार मेरे प्रिय Hindi Sex Kahaniyan के पाठको, कैसे हैं आप सभी ? मैं आशा करता हूँ कि आप सभी अच्छे होंगे और सभी अपना लौड़ा हिला रहे होंगे | मेरा नाम विनय है और मैं लालपुर का रहने वाला हूँ | लालपुर एक गाँव है | मेरी उम्र 21 साल है और मैं दिखने में अच्छा हूँ और रंग गोरा है | मेरा कद 5 फुट 8 इंच है और मेरे लंड का साइज़ 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है | दोस्तों, आज जो मैं अपनी कहानी लिखने जा रहा हूँ ये मेरी पहली कहानी है |

मैं चुदाई की कहानियों का शौक़ीन हूँ और मुझे इन्ही सब कहानी से पढ़ कर मन किया है मैं आप सभी के सामने अपनी कहानी प्रस्तुत करू | मैं उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को मेरी ये कहानी जरुर पसंद आयगी | ये कहानी मेरे और मेरी गर्लफ्रेंड जिया की कहानी है | इस कहानी में मैं आप लोगो को बताऊंगा कि कैसे मैंने जिया की मस्त चूत और गांड चोदा | चलिए दोस्तों, मुद्दे पर आता हूँ अब |

मैं और जिया एक दुसरे से बहुत प्यार करते थे | हम दोनों ही एक दूसरे से शादी करना चाहते लेकिन वो मुस्लिम है और मैं हिन्दू | इसी वजह से हमारे घर वालो की कई बार लड़ाइ हो चुकी है | इसके बावजूद हम दोनों ने कभी एक दूसरे का साथ नही छोड़ा | अगर हम दोनों एक दूसरे के नही हुए तो हम दोनों कभी किसी से भी शादी नही करेंगे | कॉलेज टाइम में ही धीरे धीरे हम दोनों की दोस्ती हुई और फिर अचानक से दोस्ती कब प्यार में बदल गयी पता ही नही चला | फिर जब हम पहली बार मिले तो हम दोनों काफ़ी देर तक चुप ही रहे क्यूंकि दोनों को ही कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या करे ? कैसे बात करे | फिर हमने बात शुरू की |

फिर हमारा चोरी छुपे मिलना, बाहर बिना बताये घूमने जाना, खाना पीना, ये सब हमे चोरी छुपे करना पड़ता था | क्यूंकि जिया के पापा वसूली भाई हैं और उनकी काफ़ी चलती है गाँव में | एक दिन की बात है मेरा घर खाली था तो मैंने जिया को अपने घर बुलाया | मैंने जिया को पहले ही बता दिया था कि मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ और उसने भी मना नही किया | वैसे मैं ये बता दूँ आप लोगो को कि जिया एक बहुत सीधी सादी लड़की है और वो भी मेरे ही उम्र की है | उसके बूब्स मध्यम साइज़ के हैं और गांड उठी हुई है | कुल मिलाकर वो मस्त माल है |

जब वो मेरे घर आई तो मैंने दरवाजा बंद किया और सीधा उसे अपनी बांहों में भर लिया | वो भी मुझे सहलाने लगी और मैं भी उसे सहला रहा था | फिर मैंने उसके होंठ में अपने होंठ रख दिया और उसके होंठो कि लालिमा को चूसने लगा | वो भी मेरा साथ देते हुए मुझे किस करते हुए मेरे होंठ को जोर जोर से चूसे जा रही थी | थोड़ी देर बाद मैं उसकी गर्दन पर किस करने लगा | गर्दन पर किस करते करते मैंने उसके टॉप को उतार दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसके दोनों दूध को मसलने लगा तो वो  आआहाआ ऊऊन्न्ह ऊऊम्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहाआ ह ह हह ह ह हह हह ह्ह्ह हह ह ह अहाअ अहहहा हहहाआअ अहहहाआ ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह ऊनंह ऊउम्म्म्ह अहहहाआआअ आहाआआउन्ह ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह आहा आआआहा ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह आअहा आअ करते हुए सिसकियाँ भरने लगी |

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अब मैंने उसकी ब्रा भी उतार दिया और उसके दूध को अपने मुंह में ले कर चूसने लगा और दूसरे को जोर से मसलने लगा और वो आआहाआ ऊऊन्न्ह ऊऊम्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहा आअ हाअ अहहहा हहहाआअ अहहहाआ ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह ऊनंह ऊउम्म्म्ह उम् मम म म मम म मम म म मम अहहहा आआअ आहाआआउन्ह ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह आहा आआ आहा ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह आअहाआअ करते हुए आन्हे भरने लगी | फिर मैंने दूसरे दूध को अपने मुंह में ले कर चूसने लगा और पहले वाले दूध को मसलने लगा और वो आआ हाआ ऊऊन्न्ह ऊऊम्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहा आअहाअ अहहहा हहहा आअ अहहहाआ ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह ऊनंह ऊउम्म्म्ह अहहहाआआअ आहाआ आउन्ह ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह आहा आआ आहा ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह आअ हाआअ की सिस्करिया लगातार लिए जा रही थी |

फिर मैंने दोनों दूध को अपने मुंह में लिया और साथ में चूसने लगा साथ ही साथ उसके दूध के निप्पलस को भी होंठ से दबा कर चूसने लगा तो वो आआहाआ ऊऊन्न्ह ऊऊम्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहा आअहाअ अहहहा हहहा आअ अहहहाआ ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह ऊनंह ऊउम्म्म्ह अहहहाआआअ आहाआआउन्ह ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह आहा आआआहा ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह आअहा आअ करते हुए मेरे सिर के बाल को सहलाने लगी |

अब उसने मेरे कपडे उतारने शुरू कर दिए | फिर उसने मेरी निक्कर को उतार दिया और चड्डी भी उतार के अलग कर दी | अब मैं उसके सामने पूरा नंगा खड़ा हुआ था | फिर वो मुझे चूमते हुए मेरे लंड को हाँथ से पकड़ कर हिलाने लगी और जब वो सख्त हो गया तो उसने अपनी जीभ से चाटना चालू कर दिया | उसके लंड चूसने का तरीका मुझे बहुत पसंद आया | थोड़ी देर तक ऐसे ही लंड चुस्वाने के बाद मिने उसको लिटा दिया | अब मैंने उसकी टांगो से चूमना चालू कर दिया और अब मैं उसकी चूत में अपनी जीभ लगाया और चाटने लगा तो वो आआहाआ ऊऊन्न्ह ऊऊम्म्ह  ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहाआअहाअ अहहहा हहहाआअ अहहहाआ ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह ऊनंह ऊउम्म्म्ह अहहहाआआअ आहाआ आ आह्ह  हह ह हह हह ह हह आउन्ह ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह आहा आआआहा ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह आअहा आअ करने लगी |

उसकी चूत गीली हो चुकी थी |

अब मैं उसकी चूत को चाट रहा था और साथ में उसके दूध को दबाते जा रहा था और वो आआहाआ ऊऊन्न्ह ऊऊ म्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहाआअहाअ अहहहा हहहाआअ अहहहाआ ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह ऊनंह ऊउम्म्म्ह अहहहा आआअ आहाआ आउन्ह ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह आहा आआआहा ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह आअहाआअ करते हुए अपनी गांड मटका रही थी | थोड़ी देर उसकी चूत चाटने के बाद मैंने अपने लंड पर क्रीम लगायी और उसकी चूत में भी | अब मैंने उसकी चूत में अपना लंड एक ही झटके में उतार दिया | वो दर्द की वजह से आआहाआ ऊऊन्न्ह ऊऊम्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहाआअहाअ अहहहा हहहाआअ अहहहाआ ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह ऊनंह ऊउम्म्म्ह अहहहाआआअ आहाआआउन्ह ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह आहा आआआहा ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह आअहाआअ करते हुए चुदवा रही थी |

फिर मैंने उसकी एक टांग को उठाया और अपने कंधे पर रख लिया | अब मैं फिर से उसकी चूत को जोर जोर से धक्के मार मार के चोदने लगा | वो भी आआहाआ ऊऊन्न्ह ऊऊम्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहाआअहाअ अहहहा हहहाआअ अहहहाआ ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह ऊनंह ऊउम्म्म्ह अहहहाआआअ आहाआ आउन्ह ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह आहा आआआहा ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह आअहाआअ करते चुदवाने लगी |

थोड़ी देर तक ऐसे ही चुदाई करने के बाद मैंने उसे घोड़ी बना दिया और पीछे से लंड डाल कर चोदने लगा और वो आआहाआ ऊऊन्न्ह ऊऊम्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहा आअहाअ अह हहा हहहाआअ अहहहाआ ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह ऊनंह ऊउम्म्म्ह अहहहाआआअ आहाआआउन्ह ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह आहा आआ आहा ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह आअहाआअ करते हुए गांड आगे पीछे करते हुए साथ देने लगी | फिर मैंने उसकी गांड में वैसलीन लगाया और अपने लंड पर भी | वो मेरा इशारा समझ गयी और मना करने लगी | मैंने उसको थोडा समझाया की मैं आराम से करूंगा, दर्द नही होगा | मेरे काफी देर तक मनाने के बाद वो मान गयी |

उसकी इजाजत मिली तो मुझे तो मजा ही आ गया | अब मैंने लंड उसकी गांड पर टिकायाऔर धीरे धीरे उसकी गांड में डाल दिया | अब मैं उसकी गांड को जोर जोर से धक्के मारते हुए चोदने लगा और वो भी आआहाआ ऊऊन्न्ह ऊऊ म्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहाआ अहाअ अहहहा हहहाआअ अहहहाआ ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह ऊनंह ऊउम्म्म्ह अहहहा आआअ आहा आआउन्ह ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह आहा आ आह्ह हह ह्ह्ह हह हह ह ऊऊ उ ऊऊऊऊ ऊऊउईइ ईई ईईई ईईईइ ईईईइ ईई ईईई ईई आआहा ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह आअहाआअ करते हुए अपने दूध को मसल रही थी |

फिर मैंने आआहाआ ऊऊन्न्ह ऊऊम्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहाआअहाअ अहहहा हहहाआअ अहहहाआ ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह ऊनंह ऊउम्म्म्ह अहहहाआआअ आहाआआउन्ह ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह आहा आआआहा ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह आअहाआअ करते हुए उसके गांड में ही झड़ गया |

गांड से लंड निकालने पर मैंने देखा की उसमे से खून आ रहा था | मैं समझ गया की वो सच में मुझसे बहुत प्यार करती है इसीलिए इतना दर्द झेल लिया उसने | तो दोस्तों, ये थी मेरी चुदाई की कहानी | मैं उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी |

आप सभी का मेरी कहानी पढने के लिए धन्यवाद |

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पहला चुदाई अनुभव https://sexstories.one/pehla-chudai-anubhav/ Sun, 22 Mar 2020 09:46:58 +0000 https://sexstories.one/?p=477 मैं गुजरात की रहने वाली हूँ और सांवली लेकिन भरे फ़ूले शरीर की मालकिन हूँ। मैं एक अच्छे खाते पीते परिवार की लड़की हूँ। मेरे पापा बहुत बड़े सरकारी अफसर हैं। मेरी मां एक पढ़ी-लिखी ... >> पूरी कहानी पढ़ें

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मैं गुजरात की रहने वाली हूँ और सांवली लेकिन भरे फ़ूले शरीर की मालकिन हूँ। मैं एक अच्छे खाते पीते परिवार की लड़की हूँ। मेरे पापा बहुत बड़े सरकारी अफसर हैं। मेरी मां एक पढ़ी-लिखी और फ़ेशनेब्ल स्त्री हैं, वहीं मेरे पापा बहुत ही शरीफ़ और इमानदार अफ़सर है। मेरा भाई विदेश में रहता है।

मेरे भाई का एक दोस्त था, जिसका एक छोटा भाई था जिसका नाम अरविन्द था। अरविन्द अपने भाई के साथ कई बार हमारे घर आया करता था। मुझे अरविन्द शुरु से ही बहुत पसन्द था। धीरे धीरे वो भी मुझे पसन्द करने लगा था।

अब वो अपने भाई के बिना भी हमारे घर आने लगा था। हम दोनों अक्सर मोबाईल पे बातें किया करते थे, अब हमारी बातें प्रेमियों की तरह होने लगी थी। वो हमारे घर किसी ना किसी बहाने से आ ही जाता था। घर वाले उसके इस तरह घर आने पे शक भी नहीं करते थे।

इस तरह एक साल बीत गया और अब तक मुझे भी दोस्ती और प्यार में फ़र्क पता चल गया था, मेरे मन में भी अरविन्द को लेकर कई तरह के खयाल आने शुरु हो गये थे।

Antarvasna Pheli baar ki chudai – मेरी पड़ोसन जिया

अब हम मोबाइल पर एक दूसरे का चुम्बन आदि करने लगे थे, इसी तरह अरविन्द ने मिलने पर भी चुम्बन मांगना शुरु कर दिया लेकिन मैं उसे मना कर देती थी।

लेकिन मैं उसको इस तरह ज्यादा दिन मना नहीं कर पाई और एक दिन वो मुझे पढ़ाने के बहाने मेरे घर आया। मेरी माँ अपने कमरे में टी वी देख रही थी, उस वक्त उसने मुझे अचानक कन्धों से पकड़ लिया और मुझे चुम्मा देने के लिये कहने लगा।

इस बार मैं उसको मना नहीं कर पाई और उसने माँ के आ जाने के डर से मुझे धीरे से एक बार चूम कर छोड़ दिया। कुछ ही देर बाद वो वापिस अपने घर चला गया।

उस रात मैं बेसब्री से उसके फोन का इन्तजार कर रही थी कि ग्यारह बजे के करीब उसका फोन आया। मैं बहुत खुश थी।

उसने मुझे पूछा- तुम्हें चुम्बन में मजा आया?

तो मैंने अपने दिल का हाल उसे बता दिया।

उस दिन उसने मेरे साथ फोन सेक्स भी किया। मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी थी, मेरा दिल चाह रहा था कि अरविन्द अभी आ जाये और मुझे अपनी बाहों में भर के वो सब कुछ कर डाले जो फोन पे कह रहा था।

अब हम मिलते तो चुम्बन तो आम हो गया था अब अरविन्द बेझिझक मेरे शरीर पर जहाँ चाहता हाथ फ़ेरता था। हमने घर से बाहर रेस्टोरेन्ट में भी मिलना शुरू कर दिया था। वहाँ अरविन्द बेझिझक मेज़ के नीचे मेरी स्कर्ट के अन्दर मेरी जांघों पर हाथ फ़ेरता था कभी मौका पा के शर्ट के उपर से ही मेरे स्तनों को सहला देता था।

ये सब मुझे बहुत अच्छा लगता था। घर पे मैं अपने भैया का कम्प्यूटर ही प्रयोग करती थी जिस में मैं कई बार ब्लू-फ़िल्म देखा करती थी। अब मुझे इस सबकी अच्छी तरह समझ आ चुकी थी। मैं मन ही मन ना जाने कितनी बार अरविन्द के साथ सम्भोगग कर चुकी थी। इस बीच मेरे पापा का तबादला कहीं और हो गया लेकिन मेरी पढ़ाई की वजह से मुझे और मेरी माँ को गुजरात में ही रुकना पड़ा।

इसी बीच एक बार हमारा एसी खराब हो गया और पापा ने जहाँ से एसी लिया था वहाँ फोन से शिकायत लिखवा दी। उस दिन रविवार था और वो शोरूम बन्द था इसलिए शोरूम के मालिक जो हमारे घर के पास ही रहते थे का बेटा खुद एसी चेक करने हमारे घर आ गया।

Antarvasna Pheli baar ki chudai – लंड और गांड का मिलन

उनके परिवार से हमारे बहुत अच्छे पारिवारिक सम्बंध थे, अक्सर हमारे घर आते जाते रहते थे। उनका नाम सोमेश था, मैं उनको सोमेश भैया कहती थी। वो करीब 27-28 साल के होंगे। उन्होंने थोड़ी ही देर में एसी ठीक कर दिया। माँ ने उन्हें कोल्ड ड्रिंक वगैरह पिलाई और कुछ देर बातें करने के बाद वो चले गये।

लेकिन इसके बाद उनका हमारे घर आना जाना बढ़ गया। अकसर माँ उनसे फोन पे बातें करती रहती थी जो मुझे अच्छा नहीं लगता था। हम शनिवार और रविवार को पापा के पास चले जाया करते थे या पापा यहाँ आ जाया करते थे और घर की चाबियाँ सोमेश भैया के पास ही रहती थी, दूसरी चाबी हमारे पास होती थी।

एक बार माँ किट्टी-पार्टी पे जा रही थी। जब माँ जा रही थी तो सोमेश भैया भी बाहर खड़े थे, माँ ने उन्हें मेरा ध्यान रखने को बोला और चली गई।

माँ के घर से बाहर जाते ही मैंने अरविन्द को फोन कर दिया तो अरविन्द ने घर पे मिलने की जिद करनी शुरु कर दी, मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था अरविन्द को अकेले में मिलने का, मैंने माँ को फोन करके अपनी सहेली के घर जाने का पूछा, माँ ने कह दिया कि मैं 3-4 घंटे में वापिस आ जाउँगी उससे पहले वापिस आ जाना।

मैंने अरविन्द को फोन किया और घर बुला लिया। मैं भी बहुत खुश थी कि आज अरविन्द के साथ जो अपने सपनों में होते देखा था आज हकीक़त में उसका मजा लूँगी।

इसी बीच अरविन्द आ गया। अरविन्द को अन्दर बुला कर मैंने जल्दी से बाहर वाले दरवाज़े को लॉक कर लिया। मैंने उस समय आसमानी रंग की स्कर्ट और सफ़ेद रंग का टोप पहना हुआ था। अरविन्द ने मुझे वहीं से अपनी बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले गया।

Antarvasna Pheli baar ki chudai – प्यारी नंदिनी

वो कुछ ज्यादा ही जल्दी में लग रहा था, मैंने उसे कहा- माँ ने 3-4 घंटे बाद वापिस आना है, पहले कुछ खा पी तो लो!

लेकिन वो कहने लगा- एक शिफ़्ट हो जाये उसके बाद देखेंगे खाना पीना!

कुछ ही पलों में मैं सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी। उस समय मैं 30 नम्बर की ब्रा पहनती थी जोकि उम्र के हिसाब से कहीं बड़ा था। अब मैं भी आपा खो चुकी थी मैंने जल्दी से अरविन्द की टी-शर्ट उतार दी और उसकी पैंट की जिप खोलने लगी, उसने मेरी ब्रा की हुक खोल दी और मेरे मम्मों को बाहर निकाल के चूसना शुरु कर दिया। मैंने भी अरविन्द का लण्ड बाहर निकाल के उसको हाथों से सहलना शुरु कर दिया।

अब अरविन्द के हाथ भी चल रहे थे, वो मुँह से मेरे मम्मों को चूस रहा था और हाथों से मेरी पेंटी उतार रहा था। मैं अरविन्द के सामने बिल्कुल नंगी थी, अरविन्द मेरे मम्मे चूसता हुआ अपनी एक उंगली को धीरे धीरे मेरी फ़ुद्दी (चूत) में घुसाने की कोशिश कर रहा था, उसकी इस कोशिश की वजह से मैं आपे से बाहर हो गई और अरविन्द को अपना लण्ड मेरी फ़ुद्दी (चूत) में डालने को कहने लगी।

अरविन्द ने भी मौके की नजाकत को समझा और मुझे बेड पे पीठ के बल लेट जाने को बोला, मैंने वैसा ही किया।

अब अरविन्द मेरी दोनों टांगों के बीच में था, उसने कहा- अपनी दोनों टांगों को फ़ैलाओ!

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मैंने वैसा ही किया, अरविन्द ने मेरी टांगों को उठा के अपने कन्धों पर रख लिया और धीरे से अपना लण्ड मेरी फ़ुद्दी पे रख दिया, यह मेरी और अरविन्द दोनों की ही पहली चुदाई थी। अरविन्द ने अपना लण्ड मेरी फ़ुद्दी पे रख के दबाव बढ़ाना शुरु किया। लण्ड थोड़ा सा अन्दर गया और फ़िसल कर बाहर आ गया, इस तरह एक दो बार हुआ तो अरविन्द खुद पे कन्ट्रोल नहीं कर पाया और इतने में ही स्खलित हो गया।

इतने में दरवाजे पर आहट हुई और कोई अन्दर आया। हम दोनों के होश उड़ गये, वो और कोई नहीं सोमेश भैया थे। अरविन्द उठ कर भागने लगा तो भैया ने उस्को पकड़ लिया। हमने भैया से बहुत मिन्नतें की लेकिन भैया ने अरविन्द को उसी बेडरूम में बन्द कर दिया और मुझे खींच कर दूसरे कमरे में ले गये।

मैंने सोचा- कैसी मुसीबत में फ़न्स गये? किया भी कुछ नहीं और पकड़े भी गये!

लेकिन भैया का मूड़ कुछ और ही था। या फ़िर मेरा नंगा जिस्म देख के उनके होश उड़ गये थे।

उन्होंने मुझे सीधा ही बोल दिया- अगर तुम बदनामी और अपनी माँ से बचना चाहती हो तो तुम्हें मुझसे चुदना होगा।

मेरे पास और कोई चारा भी नहीं था और वैसे भी मैं अभी चुदी कहाँ थी लण्ड का स्वाद चखने से पहले ही पकड़ी गई थी। सोमेश की बात मैं मान गई। लेकिन मैंने सोमेश भैया को पहले अरविन्द को छोड़ने के लिये बोला। भैया मान गये लेकिन उन्होंने पहले मुझे इसी हालत में फोटो खिंचवाने के लिये बोला ताकि मैं अपनी बात से मुकर ना जाऊँ! लेकिन मैं तो खुद ही तैयार थी इसलिये मैं झट से मान गई।

भैया ने जल्दी से अपना मोबाईल निकाला और मेरे नग्न शरीर की 6-7 तस्वीरें खींची और मुझे कपड़े पहनने को बोल दिया और अरविन्द को डरा धमका कर घर से भगा दिया।

अरविन्द के जाने के बाद मैं झट से किचन में गई और सोमेश भैया के लिये फ़्रिज से कोल्ड ड्रिन्क ले आई। भैया ने एक दो घून्ट ही कोल्ड ड्रिन्क पी और मुझे बेडरूम में आने का इशारा करके मेरे आगे आगे चल पड़े। बेडरूम में पहुँचते ही उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा कर बेड पे लिटा दिया।

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भैया ने जल्दी से बिना वक्त गंवाए मेरे कपड़े उतारने शुरु कर दिये, देखते ही देखते एक मिनट से भी पहले मैं भैया के सामने नग्न लेटी हुई थी।

अब भैया मेरे सामने खुद के भी कपड़े निकालने लगे, भैया सिर्फ़ अन्डरवियर में मेरे सामने खड़े थे, अन्डरवियर में से उनका लण्ड थोड़ा उभरा हुआ सा नजर आ रहा था। लेकिन भैया ने अपना अन्डरवियर भी निकाल दिया और हम दोनों अब निर्वस्त्र थे। भैया का लण्ड देख के मेरे तो होश ही उड़ गये, सोमेश भैया का लण्ड मेरे अनुमान से बहुत ज्यादा बड़ा था।

भैया ने कहा- तुम सिर्फ़ मेरी वजह से चुदना चाहती हो या मजा लेना चाहती हो?

मैंने बेझिझक बोल दिया- मैं मजा लेना चाहती हूँ।

तो भैया की आँखों में अजीब सी खुशी नजर आई मुझे। मैं बेड पर बैठी थी और सोमेश भैया मेरे सामने खड़े थे। सोमेश ने कहा- मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लो और इसको लॉलीपॉप की तरह चूसो!

मैं वैसा ही करने लगी। तीन चार मिनट तक यूँ ही मैं उनका लण्ड चूसती रही, सोमेश भैया का लगभग नौ इंच का लण्ड अपने पूरे आकार में तन गया था, जिससे मुझे लण्ड को पूरा मुँह में लेने में परेशानी हो रही थी। तभी भैया ने अपना लण्ड मेरे मुँह में से बाहर निकाल लिया।

अब भैया ने मेरे मम्मों को अपने हाथों में संभाल लिया, वे उन्हें बड़े प्यार से सहलाने लगे वह कभी मेरे स्तनों को तो कभी गहरे गुलाबी रंग के चुचूकों को चुटकियों से मसल रहे थे। मुझे इस सब में बहुत मजा आ रहा था।

भैया ने मम्मे चूसते चूसते अपनी एक उंगली को धीरे धीरे मेरी फ़ुद्दी में घुसा दिया। मैं अब आपा खो चुकी थी, सोमेश भैया अब अपनी जीभ से मेरी फ़ुद्दी चाटने लगे थे, मेरे शरीर में बिजलियाँ दौड़ने लगी थी, मैं कामुक स्वर में बोली- सोमेश! अब देर मत करो प्लीज़…

इतना सुनते ही भैया ने मेरी फ़ुद्दी में ढेर सारा थूक लगाया और अपने मोटे लण्ड के मुँह को मेरी फ़ुद्दी के मुँह पर रख कर धक्का मारा, मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ लेकिन कुंवारी फ़ुद्दी होने के कारण सोमेश का लण्ड भी अरविन्द की तरह फिसल जाने के कारण ज्यादा दर्द नहीं सहना पड़ा।

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पर सोमेश भैया तो पक्के शिकारी थे, उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और अपने हाथों से मेरी जाँघों को थोड़ा और फ़ैला दिया और लिंग-मुंड को फिर से फंसा कर दोबारा कोशिश करने लगे।

भैया ने इस बार हल्का सा धक्का दिया, लिंग-मुंड मेरी फ़ुद्दी को लगभग फाड़ते हुए अन्दर घुस गया। दर्द के मारे मेरी चीख निकल गई… आ ई ई ई ऊई मां मर गई मैं तो… प्लीज… निकालो इसे…

मैं इतना ही कह पाई थी कि सोमेश ने थोड़ा पीछे हट कर एक धक्का और मारा!
मैं बुरी तरह चीखी- उफ… आई… मां प्लीज…भैया प्लीज ओह…

और दर्द के मारे मैं आगे कुछ नहीं कह पाई और अपने सिर को बेड से सटा लिया, मेरी आँखों में पानी आ गया था।
भैया ने कहा- बस एक दो इंच बचा है…अगर कहो तो डाल दूँ?

मैंने कहा-…अब इतना दर्द नहीं है… भैया…अगर एक दो इंच ही रह गया है तो डाल दो… मैं झेल लूंगी…

लेकिन भैया झूठ बोल रहे थे, लण्ड अभी आधा बाहर ही था। भैया ने लण्ड को दो तीन इंच पीछे खीच कर एक जोर का धक्का मारा, मेरा मुँह बेड पर घिसटता हुआ सा आगे सरक गया, मुझे लगा जैसे किसी ने कोई तेज़ तलवार मेरी फ़ुद्दी में घुसा दी हो, मेरे हलक से मर्मांतक चीख निकली, मेरा हाथ मेरी फ़ुद्दी पर पहुँच गया, हाथ चिपचिपे से द्रव्य से सन गया।

मैंने हाथ को आँखों के सामने ला कर देखा तो और डर गई, अंगुलियाँ खून से लाल थी, उफ…मेरी फ़ुद्दी तो जख्मी हो गई…अब क्या होगा…उफ निकालिए इसे… मैं रोती हुई कह रही थी, भैया मैं मर जाऊँगी।

भैया ने मेरे मम्मे मसलते हुए कहा- यह तो थोड़ी सी ब्लीडिंग योनि-पट फटने से होती है… अब तुम्हें सिर्फ़ मजा ही मजा आएगा।

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उनकी बात सच ही थी- धीरे धीरे मेरा दर्द आनन्द में बदलने लगा था। भैया अब थोड़ा जल्दी जल्दी अपने लंबे लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगे। मैं बुरी तरह कांपने लगी थी, मेरे मुँह से कामुक आवाजें फ़ूट रही थी। अब मुझे बहुत मजा आने लगा था। मैंने कहा- भैया! ज़रा जोर-जोर से कीजिये! उफ…उफ…! मैं टूटे शब्दों में बोली।

भैया ने रफ़्तार बढ़ा दी, मेरी सिसकारियाँ और भी कामुक हो गई, वो जैसे निर्दयी हो गए थे, फ़च फ़च की आवाज़ सारे कमरे में गूँज रही थी, उत्तेजना में मैंने भैया की पीठ को नोचना शुरु कर दिया था, उसने मेरे स्तनों को और मेरे लबों को चूसना शुरु कर दिया।

मैं हुच.. हुच. की आवाजों के साथ बिस्तर पर रगड़ खा रही थी। सोमेश भैया अपने पूरे जोश में थे, वह मेरे मम्मों को सहलाते तो कभी मेरे चुचक को मसलते हुए आगे पीछे हो रहे थे।

अब उनकी गति में और तेजी आ गई, मैं दांतों तले होंठों को दबाये उनके लिंग द्वारा प्राप्त आनन्द के सागर में हिलोरें ले रही थी। अब भैया चित्त लेट गए और मुझे अपने लण्ड पर बिठा लिया मैं स्वयं ऊपर नीचे होने लगी, एसी चालू होने के बावजूद हम दोनों को पसीना आ गया था।

अचानक भैया का तेवर बदला और उन्होंने बैठ कर मुझे फिर पीठ के बल लिटा दिया और मेरी फ़ुद्दी में अपना लण्ड डाल कर जोर जोर से धक्के मारने लगे। मैं अपने चरम पर आ चुकी थी, अचानक उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि से निकाल लिया और मेरे मुँह में डालकर जोर जोर से धक्के मारे और फिर मेरे सर को थाम कर ढेर से होते चले गए, वह मेरे मुख में ही झड़ हो गए।

मैंने उनके लिंग को छोड़ा नहीं बल्कि उसे चूस चूस कर दोबारा उत्तेजित करने लगी। सोमेश भैया ने मेरे मम्मों से खेलना शुरू कर दिया और बोले- क्यों? कैसा रहा…?

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बहुत मजा आया भैया!… लेकिन मेरी फ़ुद्दी तो जैसे सुन्न हो गई है… मैंने उनकी पीठ को सहलाते हुए कहा।

यह सुन्नपन तो ख़त्म हो जायेगा थोड़ी देर में, पहली बार में तो थोड़ा कष्ट उठाना ही पड़ता है, अब तुम अगली बार देखना इतनी परेशानी नहीं होगी बल्कि सिर्फ मजा आएगा, भैया ने मेरे स्तन को चूसते हुए कहा।

‘उफ भैया… इन्हें आप चूसते हैं तो कैसी घंटियाँ सी बजती है मेरे शरीर में!… प्लीज भैया चूसिये इन्हें!’ मैं कामुक तरंग में खेलती हुई बोली।

अच्छा लो! कह कर सोमेश भैया मेरे गहरे गुलाबी रंग के निप्पलों को बारी बारी चूसने लगे, मैं आनन्दित होने लगी।

मैंने भैया से पूछा- आपने पहले किसी को चोदा है?
‘हाँ चोदा है लेकिन इससे पहले मैंने 20 साल से कम उम्र की किसी लड़की को कभी नहीं चोदा।’

उस दिन माँ के आने से पहले भैया ने मुझे एक बार और चोदा। इस चुदाई के एक सप्ताह तक मुझे पेशाब करते वक्त पेशाब वाली जगह पे बहुत जलन होती रही। अब यह सिलसिला लगातार चल रहा है।

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