desisex Archives - Antarvasna https://sexstories.one/tag/desisex/ Hindipornstories.org Mon, 24 Jan 2022 07:18:59 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1 समाज सेवा के साथ चूत सेवा https://sexstories.one/office-me-manager-ko-choda/ Mon, 24 Jan 2022 07:18:59 +0000 https://sexstories.one/?p=5113 उसके बाद फिर से हम थोड़ी देर के लिए चुप हो गए. लेकिन दोनों ही समझ चुके थे कि हम एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए तैयार हैं. इंतजार सिर्फ इस बात का है की पहल कौन करता है. मेरे तन बदन में गुदगुदी सी हो रही थी.

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Office me Choda – मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता हूं. एक अधिकारी के माध्यम से मेरी पहचान बैंक की असिस्टेंट मैनेजर से हुई. वो अविवाहित थी. हम दोनों की दोस्ती हुई और बात चुदाई तक पहुँच गयी. दोस्तो, मेरा नाम दीप है यह मेरी पहली कहानी है. पिछले कई वर्षों से मैं सेक्स कहानियां पढ़ रहा हूं लेकिन कभी कहानी लिखने का मौका नहीं मिला.

आज मैं आपसे कुछ महीनों पहले अपने साथ हुई एक हसीन घटना शेयर करूँगा.

पहले मैं आपको अपने बारे में बताता हूं. मैं एक सामाजिक संगठन का सदस्य हूँ और हिमाचल के मंडी जिले में रहता हूँ. मेरी उम्र 28 साल है. बॉडी फिट है और लंड का साइज़ भी काफी मोटा है.

यह कहानी मेरी और कँगना की है. कँगना बैंक में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत है. हालांकि कँगना उम्र में मुझसे बड़ी है वो लगभग 32 वर्षीय एक अविवाहित लड़की है और एक सोसाइटी में फ्लैट लेकर अकेली रहती है.

कँगना दिखने में काफ़ी सुंदर है. उसका फ़िगर 34-30-36 का होगा. रंग गोरा है और आंखें गहरी और नीली हैं.

कँगना से मेरी पहचान एक मेरे परिचित पुलिस अधिकारी के माध्यम से हुई. क्योंकि मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता हूं और कई अधिकारियों के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं.

उस पुलिस अधिकारी ने एक दिन बातों बातों में मुझसे कहा- मेरी एक दूर की रिश्तेदार कँगना यहां बैंक में कार्यरत है. और उसके घर वालों ने उसकी शादी के लिए लड़का ढूंढने की जिम्मेदारी मुझे दी है.

उन्होंने मुझसे कहा- अगर तुम्हारी नजर में कोई लड़का हो तो तुम जरूर बताना. और तुम एक बार कँगना से बात कर लो.

और उन्होंने मुझे कँगना का नंबर व्हाट्सएप पर सेंड कर दिया.

उस समय मैंने बात को इतनी गंभीरता से नहीं लिया. लेकिन कुछ दिनों बाद उनके फिर से जिक्र करने पर मैंने कँगना को कॉल किया.

फोन पर कँगना की आवाज़ में एक मुझे एक मस्ती सुनाई दी.

मैंने उसे बताया कि आपके रिलेटिव पुलिस अधिकारी ने मुझे आपका नंबर दिया है.

वो बहुत फ्रैंकली मुझसे बात कर रही थी. उस समय हम दोनों में थोड़ी बात हुई और बाद में बात करना तय हुआ.

दो दिन बाद उसका फोन आया और उसने काफी देर तक मुझसे बात की.

इस दौरान मैंने उससे पूछा- शादी के लिए तुम्हें किस तरह का लड़का चाहिए?

तो उसने मुझे अपनी पसंद बताई.

बातों बातों में कँगना ने कहा- कभी समय मिले तो मुझसे मिलने आना.

मैंने पूछा- कहाँ पर?

तो उसने कहा- बैंक में भी आ सकते हो और घर पर भी.

मैंने कहा- ठीक है.

लगभग दो सप्ताह बाद मैंने कँगना को वाट्सएप पर मैसेज किया कि मुझे बैंक का कुछ काम है और आपसे मिलना है.

तो उसने कहा कि परसों रविवार को मैं घर पर आ जाऊँ और उसने मुझे अपना एड्रेस सेंड कर दिया.

उस समय तक मैं नहीं जानता था कि कँगना फ्लैट में अकेली रहती है.

रविवार को मैं कँगना के घर पहुंचा. कँगना ने दरवाज़ा खोला और मेरा स्वागत किया.

थोड़ी देर बैठने के बाद मैंने पूछा- घर में और कोई नहीं है?

तो कँगना ने बताया- नहीं, यहां मैं अकेली ही रहती हूँ और छुट्टियों में अपने घर जाती हूँ.

तब मुझे लगा कि कँगना काफी खुले विचारों की और फ्रेंक लड़की है. तभी तो एक अंजान को घर पर बुला लिया.

हम दोनों में उस दिन बहुत सारी बातें और हंसी मज़ाक हुआ.

उस दिन के बाद कँगना से मेरी मैसेज और फोन से आये दिन बातें होने लगी. मेरे मन में हर वक्त कँगना का ख्याल रहने लगा और उसका भी शायद यही हाल था.

पता ही नहीं चला कि मैं कब कँगना के प्रति सेक्सुअली आकर्षित हो गया. अब मैं हर वक्त कँगना को चोदने के बारे में सोचता रहता था लेकिन अपनी तरफ से कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था.

एक दिन कँगना का फ़ोन आया और हमारी सामान्य बातचीत हुई बातों ही बातों में उसने मुझे मिलने के लिए बुलाया.

इस बार मैं कँगना से मिलने के लिए उत्साहित था. मैं चाहता था कि बात किसी भी तरह से आगे बढ़े.

कँगना ने उस दिन हरे रंग का टाइट शर्ट और लेगी पहनी हुई थी. इन कपड़ों में उसके सभी अंगों का उभार और आकार साफ देखा जा सकता था. उसका सेक्सी फ़िगर देखकर मेरी साँसें तेज़ हो गई.
उस दिन कँगना के चेहरे पर एक खास चमक थी.

हमने चाय नाश्ता किया और बातें करने लगे.

मैंने देखा कि कँगना मुझसे बात करने वक्त अपनी आंखें नहीं मिला रही थी. तो मैंने पूछा- आंखें क्यों नहीं मिला रही हो?

तो वो और ज्यादा शर्मा गई और नीचे की तरफ देखने लगी.

मैं समझ गया कि बेचैनी उसके मन में भी है.

मैंने उससे दोबारा जोर देकर पूछा तो उसने शर्माते हुए कहा- पता नहीं क्यों तुमसे नजरें नहीं मिला पाती हूं. तुम जब मेरी तरफ देखते हो तो कुछ कुछ होता है.

मैंने पूछा- क्या होता है?

तो वह चुप हो गई और दूसरी तरफ देखने लगी.

मैंने मौके का फायदा उठाते हुए कहा- मैं जानता हूं कि क्या होता है. और जो तुम्हें होता है वह मुझे भी होता है.

इसके बाद हम दोनों थोड़ी देर के लिए शांत हो गए और मंद मंद मुस्कुराते रहे.

थोड़ी देर बाद मैंने उससे पूछा- अगर तुम बुरा न मानो तो एक बात पूछूं?

उसने कहा- पूछो.

मैंने कहा- तुम इतनी पढ़ी लिखी हो, सेल्फ डिपेंड हो. और घर से बाहर अकेली रहती हो. क्या तुमने कभी सेक्स किया है?

तो उसने मुस्कुराते हुए बोला- नहीं! हालांकि मैं अकेली रहती हूं और खुले विचारों की भी हूं. इसलिए इस बात पर तुम्हारे लिए यकीन करना मुश्किल होगा लेकिन मैंने आज तक कभी सेक्स नहीं किया.

फिर उसने मुझसे पूछा- क्या तुमने किया है?

तो मैंने कहा- हां, मैंने आज तक तीन बार सेक्स किया है.

उसके बाद फिर से हम थोड़ी देर के लिए चुप हो गए. लेकिन दोनों ही समझ चुके थे कि हम एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए तैयार हैं. इंतजार सिर्फ इस बात का है की पहल कौन करता है.

मेरे तन बदन में गुदगुदी सी हो रही थी. मुझे पूरा माहौल अनुकूल लग रहा था और मैं इस मौके को छोड़ना भी नहीं चाहता था इसलिए मैंने कँगना से स्पष्ट कह दिया.

मैंने उससे कहा- तुम मुझ पर पूरी तरह भरोसा कर सकती हो. मैं तुम्हें किसी भी हाल में नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा. तुम मुझे अच्छी लगती हो मैं तुम्हारे प्रति आकर्षित हूं और तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूं. अगर तुम्हें ये सब बुरा लगा हो तो तुम मुझसे साफ-साफ कह सकती हो. आगे से मैं कभी भी इस तरह की बात नहीं करूंगा.

उसने कहा- नहीं, मुझे बुरा नहीं लगा.

इतना कहकर वह रुक गई और मुस्कुराने लगी.

अब मैं समझ गया कि ग्रीन सिगनल मिल चुका है. मैंने उठकर कँगना का हाथ पकड़ लिया. उसने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश नहीं की तो मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया. वह भी मुझसे लिपट गई.

थोड़ी देर बाद हम दोनों अलग हुए और कँगना मेरा हाथ पकड़ के मुझे बेडरूम की तरफ ले गई.

बेडरूम में लाइट काफी कम थी.

मैंने अपने जूते उतारे और बेड पर लेटते ही कँगना को अपनी ओर खींच लिया. कँगना भी पूरी तरह से मुझसे लिपट कर लेट गई. थोड़ी देर बाद मैं कँगना के ऊपर लेट गया और उसके होठों को चूमने लगा.

कँगना ने भी मेरे होठों को चूसना शुरू कर दिया. कँगना के अंदाज से साफ पता चल रहा था कि वह भी वासना की आग में जल रही थी.

मैंने कँगना के होंठों को चूसते हुए नीचे से उसके शर्ट के अंदर हाथ डाल दिया. कँगना के मुँह से आह निकल गई.

हम दोनों की गर्म साँसें एक दूसरे से टकरा रही थी.

मैंने कँगना के कपड़े उतारने शुरू कर दिए. पहले मैंने उसका कमीज उतारा और फिर नीचे से उसकी पजामी को भी उतार दिया.

अब वह सिर्फ पेंटी और ब्रा में मेरे सामने लेटी हुई थी. शर्म की वजह से उसने अपने चेहरे को हाथों से ढक लिया.

उसका गोरा बदन देखकर मेरा लंड भी सख्त हो गया.

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मैंने ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियों को दबाना शुरू किया और उसके पूरे गोरे बदन पर हाथ फिराया. चूची, पेट से लेकर जांघों तक हाथ फिराने से मेरा लंड लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था.

मेरे सामने अर्धनग्न लेटी हुई कँगना किसी मछली की तरह मचल रही थी. मचलते हुए कँगना ने दूसरी ओर करवट बदल ली और मेरी तरफ अपनी पीठ कर ली.

मैंने अपनी शर्ट और जीन्स उतारी और कँगना के शरीर से सटकर लेट गया. फिर पीछे से उसकी ब्रा का हुक खोलने लगा. नीचे से मेरा लंड कँगना की गांड से लग रहा था. तब तक मैंने अपना अंडरवियर नहीं उतारा था. मेरा लंड अंडरवियर के अंदर से ही उसके चूतड़ों के बीच में घुसने को तैयार था.

शायद अपनी गांड पर मेरे लंड का स्पर्श पाकर कँगना को भी अच्छा लग रहा था. इसीलिए वो भी अपने चूतड़ों को मेरे लंड पर दबा रही थी.

अब मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसके स्तनों को आजाद कर दिया. मैं पीछे से ही उसकी दोनों चूचियों को सहलाते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा. नीचे से अपने लंड को उसकी गांड पर रगड़ना भी जारी था. इस अवस्था में दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था.

फिर ना जाने कब कँगना का हाथ आकर मेरे लंड पर रखा गया. पहले उसने लंड पर हाथ रखा और फिर उसने अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया.

मैंने भी अपना हाथ उसके स्तनों से हटा कर उसकी चूत पर रख दिया.

उसकी चूत पर मेरे हाथ पहुंचते ही कँगना ने लंड को मुट्ठी में भर लिया. मैं कँगना को सामने से नंगी देखना चाहता था इसलिए मैंने उसे सीधा लेटने के लिए हाथ से जोर दिया.

कँगना सीधी मेरे सामने लेट गई. कँगना के बदन पर सिर्फ पेंटी थी.

उसके गोरे और मोटे स्तनों को देखकर मैंने तुरंत उन्हें चूसना शुरू कर दिया. स्तन का निप्पल मेरे मुँह में जाते ही कँगना आह आह की आवाज़ कर रही थी.

स्तनों को चूसते हुए मैंने उंगलियों से उसकी पेंटी को नीचे खिसकाया और कँगना ने पेंटी को अपने जिस्म से अलग कर दिया. अब वो पूरी तरह नंगी हो चुकी थी.

मैंने उसकी चूत पर हाथ रख कर उसे सहलाना शुरू किया. उसकी चूत बिल्कुल चिकनी थी शायद चुदने का मन होने की वजह से कँगना ने चूत के बाल साफ किये थे. मैंने कँगना की चूत में उंगली घुसाई तो कँगना ने दोनों टांगों को आपस में भींच लिया.

कँगना ने मेरा अंडरवियर नीचे की तरफ खींच कर उसे उतारने का इशारा किया. मैंने देर ना करते हुए अपना अंडरवियर और बनियान उतार दिया. अब हम दोनों ही पूरी तरह नंगे हो गए. मैंने कँगना की टांगें फैलाई और उसकी दोनों टांगों के बीच में बैठ गया.

अब चुदाई का खेल शुरू होने वाला था.

पहली बार मैंने सामने से कँगना की चूत देखी. कँगना की चूत एकदम कसी हुई थी और चूत की फांकें एकदम गुलाबी थी. गुलाबी फांकें देख कर मुझसे रुक नहीं गया और मैंने कँगना की चूत को चाटना शुरू कर दिया.

मेरी जीभ का चूत पर स्पर्श पाकर कँगना के मुँह से तेज़ सिसकारी निकल गई. मैं लगातार चूत को चाटता रहा.

फिर मैं रुक कर इस तरह लेट गया कि मेरा लंड कँगना के मुँह की तरफ आ गया और मेरा मुँह कँगना की चूत के पास. जिसे 69 की पोजिशन भी कहते हैं.

मैं देखना चाहता था कि क्या कँगना भी मेरा लंड चूसना चाहती है.

मैं फिर से उसकी चूत को चाटने लगा.

कँगना ने भी देर नहीं कि पहले उसने मेरे लंड को पकड़कर सहलाया और फिर उस पर अपनी जीभ फिराने लगी. कँगना की जीभ और होंठों को लंड से छूने पर मेरे अंदर करंट सा दौड़ गया और मैंने भी अपनी जीभ कँगना की चूत के छेद में अंदर तक घुसा दी.

मेरी जीभ चूत में अंदर जाते ही कँगना जोश से भर गई और मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी. कँगना की मुँह की गर्मी को मैं अपने लंड पर महसूस कर रहा था. मैं भी उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था. करीब पांच मिनट तक चूसने और चाटने का सिलसिला चलता रहा. हम आपस में बात नहीं कर रहे थे लेकिन चुदाई के खेल में दोनों एकदूसरे का भरपूर साथ दे रहे थे.

अब मैं उठा और कँगना की दोनों टांगों के बीच में जाकर उसकी चूत पर अपना लंड रखा और बिना रुके धीरे से धक्का लगाया.

लंड पर थूक लगा होने के कारण लंड सीधा कँगना की चूत में प्रवेश कर गया. कँगना को हल्का दर्द हुआ तो उसके मुख से निकला- उम्म्ह… अहह… हय… याह… उसने दोनों हाथों से बैड की चादर को पकड़ लिया.

अब मैं पोजिशन बदलते हुए पूरी तरह कँगना के ऊपर लेट गया और धक्के लगाने शुरू कर दिए. धक्कों के साथ कँगना की चूचियाँ भी फुदक रहीं थीं.

एक हाथ को बैड पर टिकाकर मैंने कँगना की चूची को भी दूसरे हाथ से जकड़ लिया और उसे मसलते हुए कँगना की चुदाई करने लगा. हम दोनों के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही और तेज धक्के लगातार जारी थे.

थोड़ी देर ऊपर लेट कर चोदने के बाद मैंने लंड निकाला और साइड में लेट गया.

कँगना समझ गई कि मैं क्या चाहता हूं. वो उठी और मेरे ऊपर आकर बैठ गई. उसने मेरे लंड को हाथ से पकड़कर चूत के छेद को लंड के सामने किया और चूत को लंड पर दबा दिया जिससे पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.

अब उसने लंड पर बैठकर ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया. मैं अपने दोनों हाथों से उसके स्तनों को दबाने लगा. करीब दस मिनट तक ऐसे ही चुदने के बाद कँगना पूरी तरह मेरे ऊपर लेट गई और मेरे होंठों को चूसने लगी.

मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है. मैंने भी नीचे लेटकर ही तेज़ तेज़ धक्के लगाने शुरू कर दिए.

उसकी चूत से आ रही फचक फचक की आवाज के बीच हम दोनों एक साथ झड़ने लगे. झड़ते वक्त कँगना मेरे बालों को पकड़ लिया और मैंने भी उसके स्तनों को मसल डाला.

थोड़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे और उसके बाद कँगना ऊपर से हटकर बराबर में लेट गई और हमें गहरी नींद आ गई. करीब आधे घंटे बाद हम उठे और कपड़े पहनने लगे.

कपड़े पहनते हुए मैंने कँगना से पूछा- कैसे लगा?

उसने मुस्कुराते हुए कहा- अच्छा लगा.

फिर मैंने कँगना के गाल को चूमा और वहां से निकल गया.

उसके बाद भी कई बार मैंने कँगना की चुदाई की.

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रास्ते में मिली चूत https://sexstories.one/raaste-me-mili-chut-hindipornkhani/ Thu, 23 Dec 2021 07:50:23 +0000 https://sexstories.one/?p=3566 फिर मैं उसकी चूत से अपनी ऊँगली को निकाल कर मैंने अपने कपडे निकाल दिए | फिर अपने लंड को हाथ में पकड कर हिलाने लगा | तब वो मेरे लंड को अपने हाथ में पकड कर हिलाते हुए मुंह में रख कर चूसने लगी..

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hindipornkhani हेल्लो दोस्तों कैसे हो आप सभी ? मैं आशा करता हूँ की आप सभी ठीक ही होगे | दोस्तों आप सभी चुदाई करना पंसद तो करते ही होगे अगर करते हो तो आप लोगो को चुदाई करते रहना चाहिए | मेरा नाम कमलेश है | मेरी उम्र 20 साल है | मैं रहने वाला चेन्नई का हूँ | मैं बी काम फस्ट इयर में पढता हूँ | मैं दिखने में गोरा हूँ और मेरी हाईट 6 फुट 9 इंच है जिससे में स्मार्ट लगता हूँ | मेरे लंड का साइज़ 8 इंच लम्बा और मोटा 3 इंच है | मेरे घर में मेरे मम्मी और पापा मैं रहता हूँ | मैं अपने मम्मी और पापा की इकलोती संतान हूँ इसलिए मेरे मम्मी पापा मुझे बहुत प्यार करते हैं |

मुझे सेक्सी कहानियाँ पढना बहुत पसंद है और मैं सेक्सी कहानियाँ बहुत अरसे से पढता आ रहा हूँ | मुझे भी कहानी लिखने की खवहिश थी | जो मैं लिखने जा रहा हूँ ये मेरी पहली कहानी है और मेरे जीवन की सच्ची घटना है | ये मेरी पहली कहानी है तो इसमें आप को गलती भी नज़र आयेगी अगर आप को गलती नज़र आती है तो मुझे माफ़ करना | मैं जो कहानी लिखने जा रहा हूँ | मैं आशा करता हूँ मेरी कहानी आप लोगो को पसंद आयेगी और पढने में मज़ा भी आयेगा | तो मैं आप लोगो का ज्यादा समय न लेते हुए सीधे अपनी कहानी पर आता हूँ |

ये कहानी कुछ दिन पहले की है जब मैं चेन्नई से घुमने के लिए कोलकाता जा रहा था | तब मुझसे रास्ते में एक लड़की ने लिफ्ट मांगी और मैंने उसे अपनी कार में बैठा लिया और उसका नाम पूछा तब उसने अपना नाम नन्दनी बताया | वो दिखने में बहुत गोरी थी और उसका फिगर मस्त था | उसके बड़े बड़े बूब्स और उसकी बड़ी चौड़ी गांड को देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया | वो मुझको सेक्सी नजरो से देख रही थी | मैं उससे उसके बारे में पूछ रहा था और पूछा आपको कहाँ जाना है | तब उसने मुझसे कहा आप जहाँ जा रहे हो मुझे वहीँ तक छोड़ दो | उसका मस्त फिगर देख कर मेरा लंड खड़ा था | फिर मैं उसकी जांघों को सहलाने लगा तो वो मेरी और सेक्सी नजरो से देखने लगी | कुछ देर तक मैं उसकी जांघों को सहलाता रहा | फिर वो मेरे लंड को सहलाने लगी |

तब मैंने अपनी कार को एक सुनसान जगह पर रोक कर | मैं उसकी होठो पर अपने होठ रख कर उसकी होठो को चूसने लगा | वो भी मेरे होठो को चूसने लगी | मैं उसकी होठो को चूसते हुए उसकी बूब्स को कपडे के ऊपर से दबाने लगा | मैं उसके बूब्स को दबाते हुए उसके कपडे निकाल दिए | वो अब सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी | तो मैं उसके एक दूध को ब्रा के ऊपर से चूसने लगा तो उसके मुंह से उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह की सिसिकियाँ निकल गयी | मैं उसके बूब्स को चूसते हुए उसकी ब्रा खोल दी और मैं उसके बूब्स को मुंह में भर कर चूसने लगा |

मैं एक दूध को हाथ में पकड कर दबाने लगा | वो उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ करती हुई अपनी चूत के सहलाने लगी | मैं उसके दूध को मुंह में रख कर चूस रहा था और दुसरे को हाथ से मसल रहा था | वो उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ करती हुई अपनी ऊँगली को चूस रही थी |

मैं उसके बूब्स को एक एक करके चूस रहा था | वो अपनी चूत को सहलाती हुई उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ कर रही थी | मैं उसके बूब्स को कुछ देर तक ऐसे ही चूसता रहा | फिर उसकी टांगो को थोडा सा फेला कर उसकी चूत में अपना मुंह घुसा कर चूत को चाटने लगा | तो वो उह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह करने लगी | मैं उसकी चूत में अपनी जीभ को घुसा कर अन्दर बाहर करते हुए चाटने लगा साथ में उसकी चूत में अपनी ऊँगली को घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा |

जिससे उसके मुंह से हलकी हलकी आवाज में उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह आह्ह्ह करती हुई अपने दोनों बूब्स को जोर जोर से मसलने लगी | मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटने के साथ चूत में ऊँगली को घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा | तो वो उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह उफ्फ्फ करने लगी | मैं उसकी चूत में अपनी ऊँगली को जोर जोर से अन्दर बाहर करते हुए उसकी चूत को चोदने लगा |

hindipornkhani जिग्ना की कामुकता

तो वो उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह करने लगी | मैं उसकी चूत को कुछ देर तक ऐसे ही चाटता रहा | फिर मैं उसकी चूत से अपनी ऊँगली को निकाल कर मैंने अपने कपडे निकाल दिए | फिर अपने लंड को हाथ में पकड कर हिलाने लगा | तब वो मेरे लंड को अपने हाथ में पकड कर हिलाते हुए मुंह में रख कर चूसने लगी | तो मेरे मुंह से उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह करते हुए अपने लंड को चूसाने लगा |

वो मेरे लंड को अपने मुंह में रख कर अन्दर बाहर करते हुए चूसने लगी | मेरे मुंह से हलकी हलकी आवाज में उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह अहह करते हुए उसके मुंह में धीरे धीरे धक्के मारने लगा और मैं उसके मुंह को चोदने लगा | मैं कुछ देर तक उसके मुंह को ऐसे ही चोदता रहा साथ में धीमी धीमी आवाज में उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह अहह करता रहा | फिर मैं उसके मुंह से अपने लंड को निकाल कर उसकी टांगो को थोडा सा फेला कर उसकी चूत के मुंह पर अपने लंड को घुसा कर उसको चोदने लगा | तो उसके मुंह से उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह्ह करने लगी | मैं उसकी चूत में अन्दर बाहर करते हुए उसको चोदने लगा |

मैं उसकी चूत में जोर जोर से धक्के मारने लगा | वो उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह करती हुई अपने बूब्स को मसलने लगी | मैं उसकी चूत को जोरदार धक्को के साथ चोद रहा था साथ में उसके बूब्स को भी दबा रहा था | वो उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह कर रही थी | फिर मैं उसकी चूत से लंड को निकाल कर उसके मुंह में डाल कर चुसाने लगा | वो मेरे लंड को चूसने लगी कुछ देर तक लंड चूसाने के बाद फिर से उसकी चूत में लंड को डाल कर चोदने लगा | वो उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह अह्ह्ह करने लगी |

मैं उसको जोरदार धक्को के साथ चोद रहा था वो अपनी चूत को सहलाती हुई उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह कर रही थी | मैं उसकी ये सिसिकियाँ सुनकर उसकी चूत में और तेज से धक्के मारने लगा जिससे कार में धक्को की आवाज घुजने लगी | मैं उसको इसी तरह से उसको चोदे जा रहा था | वो उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ करती हुई अपनी चूत को हिलाती हुई चोदने लगी | मैं उसकी चूत में अन्दर बाहर करते हुए चुद रहा था |

वो अपनी चूत को आगे पीछे करती हुई चुद रही थी साथ में उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्हह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह फ्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ कर रही थी | मैं उसको जोरदार धक्के के साथ उसको 40 मिनट तक चोदता रहा और उसके बाद उसकी चूत के ऊपर मेरे लंड ने माल निकाल दिया | मैं उसकी मस्त चुदाई के बाद उसको कोलकाता तक ले गया और वहां से घुमा कर फिर यहीं छोड़ दिया |

ये थी मेरी कहानी दोस्तों | मैं आशा करता हूँ की आप लोगो को मेरी कहानी पसंद आई होगी और पढने में मज़ा भी आया होगा |

मेरी कहानी पढने के लिए धन्यवाद् |

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एक चुडक्कड़ परिवार की कहानी https://sexstories.one/desi-indian-family-ki-incest-porn-kahani/ Fri, 17 Dec 2021 08:09:33 +0000 https://sexstories.one/?p=5020 उसने उसके दाहिने स्तन को खोल दिया और पहली बार उसने उसके नग्न भव्य स्तन को देखा, वह उसके खुले स्तन के ऊपर झुक गया और उसके निप्पल पर चूमा, लेकिन वह और अधिक चाहता था...

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Desi Indian Family ki Incest Porn Kahani – आरव अपने पिता द्वारा खरीदा गया रंगीन टीवी देखकर खुश था, यह उसके गाँव का पहला रंगीन टीवी था और वह अपने दोस्तों को इसके बारे में शेखी बघारते नहीं थकता था। आरव एक 18 साल के बच्चे के लिए थोड़ा अपरिपक्व था और उसकी काया ने मदद नहीं की या तो कोई उसे आसानी से 15 या 16 साल के लिए भूल जाएगा। इसके कुछ लाभ भी थे; उसके पिता उसे खेती में शामिल नहीं करते थे।

पिछली बार जब उनके पिता उन्हें चावल की बुवाई के लिए खेत में ले गए, तो उन्होंने एक ही छेद में सारे बीज डाल दिए, अपने बचाव में उन्होंने कहा “पिताजी, आपने मुझे बीज को जमीन में डालने के लिए कहा था, आपने कुछ भी नहीं बताया इसे समान रूप से फैलाने के बारे में। ” उस घटना के बाद उसके पिता उसे कभी खेत में नहीं ले गए।

“माँ, आरव मुझे परेशान करता है, वह मुझे मेरा एपिसोड देखने नहीं दे रहा है, मैं एक महीने से इसका पालन कर रहा हूँ।” आरती ने अपनी मां से शिकायत की।

“माँ, मुझे शक्तिमान देखना है, मैं एक साल से इसका पालन कर रहा हूँ।” आरव ने कहा कि वह जानता है कि उसकी मां उससे ज्यादा प्यार करती है और उसकी किसी भी इच्छा से इनकार नहीं किया; आखिर वह घर का इकलौता बेटा था।

“अरे तब हमारे पास टीवी नहीं था।” आरती अपने भाई पर चिल्लाई।

“आरती, अपने भाई को टीवी देखने दो, क्या तुमने बर्तन बनाए।” शालिनी कुएं से चिल्लाई।

वह गाँव के बाहर नदी में स्नान करने वाली अन्य महिलाओं के विपरीत, अपने घर के ठीक बाहर गाँव के कुएँ में स्नान करना पसंद करती थी। आमतौर पर महिलाएं कुएं से पानी अपने घर ले जाती थीं, लेकिन चमत्कारिक रूप से जब भी शालिनी स्नान करतीं तो कई पुरुष कुएं से पानी लेने आते। ऐसा नहीं था कि शालिनी को यह नहीं पता था, लेकिन गाँव के कुएँ में नहाना दिन का उसका पसंदीदा हिस्सा था, वह पूरे दिन उसका इंतजार करती थी।

“कमबख्त वेश्या।” आरती ने अपनी सांस के नीचे अपनी मां को बताया।

आरव ने अपने अहंकार को और भी अधिक चोट पहुँचाने पर विजयी रूप से मुस्कुराया और खुद को टीवी देखने में लगा दिया।

आरती ने बर्तन लिए और उन्हें साफ करने के लिए कुएं पर चली गई, लेकिन वह अपने सामने की जगह को देखकर चौंक गई, उसकी माँ का ब्लाउज गीला था और उसके लाल निप्पल स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे, वह देख सकती थी कि दो आदमी खुलेआम अपनी आँखें उस पर दावत दे रहे हैं। . भले ही वह उससे नाराज़ थी, फिर भी उसने अपनी सुरक्षा महसूस की और उसने उसे चेतावनी देने का फैसला किया।

“अरे, माँ क्या तुम मुझे कुएँ से कुछ पानी खींचोगी।” आरती ने अपनी माँ से यह उम्मीद करते हुए पूछा कि वह उसकी ओर मुड़ेगी ताकि वह उसे अपनी स्थिति के बारे में बता सके।

Desi Maa ki Incest Sex – माँ ने चुदवा लिया मुझसे – 3

“माँ, तुम्हारा ब्लाउज।” आरती ने अपनी माँ को इशारा किया कि वह उससे बाल्टी लेने के लिए उसकी ओर मुड़ी।

“ओह …” उसने हैरान होकर अपने ब्लाउज को समायोजित किया, उसे पछतावा हो रहा था कि उसने उसे व्यंजन करने के लिए बुलाया और उसने एक मानसिक नोट लिया, अगली बार जब वह स्नान करेगी तो वह उसे टीवी देखने देगी।

“माँ, आपने खाने में क्या बनाया है?” आरव ने पास बैठी आरती पर प्यार से चेहरा बनाते हुए अपनी माँ से पूछा।

वे मिट्टी और लकड़ी से बने एक बहुत छोटे से घर में रहते थे, छत सूखी झाड़ियों से बनाई जाती थी जो बारिश के पानी को घर में रिसने से रोकती थी, जिससे फर्श मैला हो जाता था, उनके पास दो छोटे कमरे थे। उन्होंने एक कमरे में खाना पकाने की सामग्री और दूसरे में घरेलू सामान रखा था, दोनों कमरे एक छोटे से दरवाजे के साथ मिट्टी की दीवार में एक छोटे से छेद से जुड़े थे।

“आरती, आज अपने भाई के साथ सो जाओ।” अपनी माँ की शर्मीली आवाज सुनकर आरती एक मुस्कान को दबा नहीं पाई, वह अपने भाई की तरह गूंगी नहीं थी, यह समझने के लिए कि जब भी वे एक साथ कुछ निजी समय बिताने के मूड में होते, तो उसे अपने भाई के साथ सोने के लिए भेज दिया जाता था अन्यथा वह सो जाती थी माँ के साथ और उसका भाई अपने पिता के साथ सोएगा।

आरती ने लाल रंग की फूलदार स्कर्ट पहनी थी जो मुश्किल से उसकी जांघों के बीच में आती थी और कई जगहों पर सिल दी जाती थी, उसने अपने भाई को मुस्कुराते हुए देखा जब उसने सुना कि वह उसके साथ सो रही है।

“यदि आप आज कुछ भी करते हैं, तो मैं पिताजी को बता दूँगा और वह आपकी बकवास को हरा देंगे।” आरती ने अपने भाई से दृढ़ता से कहा, पिछली बार जब वह अपने भाई के साथ सोई थी, तो वह किसी तरह अपना हाथ उसके ऊपर डालने में कामयाब रहा था और उसके स्तनों को सहला रहा था, आरती उस पर नाराज थी लेकिन वह इसकी गंभीरता को जानती थी इसलिए उसने नहीं किया उसके माता-पिता के साथ उसका भंडाफोड़ किया और खुद चीजों को संभालने का फैसला किया।

“मैंने कुछ नहीं किया।” आरव ने साहसपूर्वक उत्तर दिया, वह जानता था कि वह झांसा दे रही है।

आरती ने उसे अनसुना कर दिया, वह बिस्तर बनाने में व्यस्त हो गई, उसने फर्श पर छोटी-सी चटाई बिछा दी और तकिया बनाने के लिए चादर घुमा दी। उसकी माँ ने उसके पिता को रंगीन टीवी खरीदने के लिए राजी किया था, जबकि वे उस पैसे से कई घरेलू सामान खरीद सकते थे।

आरव उत्तेजना से सो नहीं पा रहा था, वह उसके स्तनों की कोमलता के बारे में सोच रहा था, यह उसके हाथों में कैसा लगा, वह जानता था कि वह बादाम के आकार की आँखों से सुंदर थी, प्यारी छोटी नाक, उसके बेदाग गुलाबी गाल लेकिन सबसे अच्छा उसके चेहरे का हिस्सा उसके होंठ थे, स्वाभाविक रूप से गुलाबी रंग और ऐसा लग रहा था कि यह उसके चेहरे पर तराशा गया हो। “क्या बात है, क्या मैं सोच रहा हूँ कि वह एक झटका है।” उसने सोचा, उसे अपनी बहन की इस तरह सराहना करते हुए अजीब लगा।

आरव ने करवट बदली और देखा कि उसकी बहन गहरी नींद सो रही है, वह सोते समय बहुत सुंदर लग रही थी, वह उसके गुलाबी होंठों को देखकर उत्तेजित हो गया और उसे चूमना चाहता था, लेकिन इसके बजाय उसने अपना बायाँ हाथ ब्लाउज से ढके उसके स्तन पर घुमाया, उसने उसके स्तन दबा दिए थोड़ा और उसका चेहरा देखा कोई प्रतिक्रिया देखने के लिए, कोई नहीं। उसने धीरे से उसके ब्लाउज के बटन खोले और अपने हाथों को उसके ब्लाउज के अंदर खिसका दिया, उसे अपने हाथों में उसके नग्न स्तन को थपथपाना बहुत अच्छा लगा, और वह उसके निप्पल को अपनी हथेली से चरते हुए महसूस कर सकता था।

उसने धीरे से अपना हाथ उसके स्तन को घुमाते हुए घुमाया और वह उसके निप्पल को अपने हाथों में बढ़ता हुआ महसूस कर सकता था, उसने उसके दाहिने स्तन को खोल दिया और पहली बार उसने उसके नग्न भव्य स्तन को देखा, वह उसके खुले स्तन के ऊपर झुक गया और उसके निप्पल पर चूमा, लेकिन वह और अधिक चाहता था इसलिए वह नीचे झुक गया और भूख से उसके आधे स्तन को अपने मुंह में ले लिया और उसके चिकने, मुलायम लेकिन कोमल स्तनों को बेतहाशा चूस रहा था।

आरती को उत्तेजना महसूस हुई, वह एक उन्माद में थी कि वह समझ नहीं पा रही थी कि उसके स्तन को क्या हो रहा है, उसे ऐसा लग रहा था कि कोई उसके स्तन को उसके शरीर से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा है और इसने उसे उत्तेजना से जंगली बना दिया है। तब उसने महसूस किया कि यह उसका भाई है जो उसकी छाती को चूस रहा है, वह एक झटके के साथ अपना सिर एक तरफ करके बैठ गई।

“आप क्या कर रहे हो।” आरती ने पूछा, एक ही समय में दोहरी भावनाओं को महसूस करते हुए, वह उस पर गालियाँ देना चाहती थी, लेकिन वह अपनी उत्तेजित अवस्था के कारण ऐसा नहीं कर सकी। वह उत्तेजना से भर गई थी, उसके गाल लाल हो गए थे और उसने उसकी ओर देखा लेकिन उसे नहीं पता था कि क्या करना है।

“मुझे बहुत खेद है, आप बहुत सुंदर लग रहे थे, मैं खुद को नियंत्रित नहीं कर सका, मुझे वास्तव में खेद है, कृपया पिता को मत बताना।” आरव चिंता से बौखला गया, वह जानता था कि वह बहुत दूर चला गया है, छूना एक बात है लेकिन उसके स्तनों को चूसना पूरी तरह से अलग था, वह एक रेखा थी।

वह शांत हो गई जब उसने अपने भाई को यह कहते हुए सुना कि वह सुंदर दिखती है, किसी ने उसे कभी नहीं बताया कि वह सुंदर थी, वह हमेशा अपने बारे में सचेत रहती थी, वह हमेशा सोचती थी कि वह अच्छी दिख रही है या नहीं, इसलिए जब उसने अपने भद्दे भाई (जो एक ट्रिलियन वर्ष में उसकी किसी भी चीज़ की प्रशंसा न करें) उसके पूरक के रूप में, उसने अपने भीतर गर्व की लहर महसूस की।

“क्या आपको लगता है कि मैं सुंदर हूँ।” उसने अपने भाई से बाकी सब कुछ भूल जाने के लिए कहा, जो उसके अभी भी खुले स्तन को देख रहा था।

उसने महसूस किया कि उसने उसकी कमजोर जगह को छू लिया है। “बेशक, तुम सुंदर हो।” उसने मुस्कराहट दबाते हुए उत्तर दिया।

“चलो सो जाते हैं, लेकिन कोई शरारत नहीं।” आरती ने गंभीर स्वर में आरव से कहा।

to be continued..

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बुआ की लड़की को पटाया https://sexstories.one/bua-ki-ladki-ko-pataya-aur-chod-daala/ Wed, 15 Dec 2021 07:09:39 +0000 https://sexstories.one/?p=3473 मैने अपना हाथ उसकी पेंटी से बाहर निकालकर उसको पीछे से जकड़ कर एक झटका अपनी लेफ्ट साइड दिया जिससे मैं उसकी पीठ पर लेट गया अब वो मेरे नीचे थी और मैं उसके उपर उसके दोनो बूब्स को जकड़े हुए...

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Bua Ki Ladki Ko Pataya – मेरा नाम अनुज है मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ मेरी उम्र 32 साल है आज मैं आपको अपनी एक स्टोरी के बारे मैं बताता हूँ ये मेरी रियल स्टोरी है ये स्टोरी उस समय की है जब मैं इस साइट की स्टोरी बहुत पढ़ता था मेरी बुआ जी भी दिल्ली मैं रहती हैं उनकी 2 बड़ी लड़कियाँ हैं और एक छोटा लड़का है दोनो बड़ी लड़कियों किरण और मौली की उम्र 22, 18 साल है और प्रवीण 16 साल का है ऐसे तो दोनो ही सुंदर हैं लेकिन मौली कुछ ज़्यादा ही खूबसूरत है मेरे पास बुआजी का फोन आया की अनुज तुम्हारे फुफा जी और मैं प्रवीण के साथ कल से 3-4 दिनो के लिए गावं जा रहे हैं शिप्रा (मेरी वाइफ) तो मायके गयी हुई है.

तुम जब तक हम नही आते यही आकर सो जाना क्योकी किरण और मौली अकेली हैं मैने कहा ठीक है बुआ जी मैं वही आकर वही सो जाऊंगा कल आप सुबह निकल जाना मैं शाम को ऑफीस से सीधे वही पहुँच जाऊंगा आज तो गुरुवार है मेरी भी 2 दिन की शनिवार,रविवार की छुट्टी रहेगी सोमवार दिन की बात है मंगलवार को तो आप आ ही जाओगे बुआ जी बोली हाँ हम लोग मंगलवार को आ जायेगे वो लोग अगले दिन सुबह चले गये मेरे दिमाग़ में अपनी बुआ जी की लड़कियों को चोदने का विचार आने लगा मैं ऑफीस से 2 बजे ही लंच ख़त्म करके मैं बहाना करके निकल आया.

मैने रास्ते से 2 सेक्सी कहानियों की किताब ली जिसमें ज़्यादातर भाई बहन वाली स्टोरी थी। और एक ब्लू फिल्म की डी.वी.डी ली पहले मैं अपने रूम पर गया वहाँ से एक छोटा बैग लिया और उसमें अपने 2-3 दिन के लिए कपड़े और उसी बैग मैं एक पॉकेट मैं दोनो मैगज़ीन और सी.डी डाल दी और कपड़ों मैं अपने फोन का चार्जर रख दिया अपनी बाइक से मैं उनके घर पहुँच गया दरवाजा किरण ने खोला और मुझसे बोली भैया आप इतनी जल्दी कैसे आ गये अभी तो 3 बजे हैं मैने कहा हाँ किरण तुम लोग अकेले होगे सोचकर जल्दी आ गया वो बोली भैया आप सच मैं कितने अच्छे हो आपको हमारा कितना ख्याल है इसके बाद किरण ने मेरे लिए चाय बनाई और हम दोनो ने साथ बैठकर चाय पी मुझे मौली के बारे मैं पता था की वो पढ़ने गयी है और किरण अक्सर घर पर ही रहती है.

फिर भी मैने जानबुझ कर उससे पूछा मौली कहाँ है तो उसने कहा मौली अभी पढ़कर नही आई है वो तो 7 बजे तक कोचिंग से आती है मैने कहा तुम्हारा क्या है तुम नही जाती एम.बी.ए क्लास के लिए तो उसने कहा भैया एम.बी.ए कर रही हूँ उसमें कभी कभी क्लास होती है थोड़ी देर हम दोनो इधर उधर की बातें करते रहे और थोड़ी देर बाद मैं अपने प्लान के अनुसार बोला किरण मेरे बैग की पॉकेट मैं मेरे फोन का चार्जर रखा होगा ज़रा निकाल कर ले आना थोड़ा फोन चार्ज करूँगा वो बोली ठीक है भैया लेकर आती हूँ वो जैसे ही अंदर वाले कमरे मैं बैग से चार्जर लेने गयी मैं भी उसके पीछे पीछे गया और उसको पर्दे के पीछे से छुपकर देखने लगा जैसे ही उसने बैग की आगे वाली पॉकेट की चैन खोली उसने उसमें मस्तराम की बुक देखी और उसको देखकर जल्दी जल्दी से उसको पलटकर देखने लगी.

मैं वापस अपने उसी रूम मैं आ गया कुछ देर बाद वो मेरे पास आई और बोली भैया मैने पॉकेट चेक की मुझे तो चार्जर नही मिला मैने कहा हो सकता है कपड़ों मैं रख दिया हो कपड़ों के अंदर देख लो वो दोबारा गयी और चार्जर लेकर आई मैने फोन को चार्जिंग मैं लगाया और उसे कहा किरण मैं थोड़ा थक सा गया हूँ थोड़ा आराम कर लेता हूँ वो बोली ठीक है भैया मैं अपनी आँखों पर अपना हाथ रखकर सोने का बहाना करके उसे पड़ा पड़ा देखता रहा और वो वहीं टी.वी देखती रही कुछ देर बाद उसने आवाज़ लगाई भैया सो गये क्या मैं कुछ नही बोला वो टी.वी बंद करके चली गयी मैने देखा वो उसी कमरे मैं गयी है जिसमें मेरा बैग रखा है मैं भी 5 मिनिट बाद उस कमरे मैं गया और पर्दे से छुपकर देखा तो वो उसी बुक को पढ़ रही थी उसका एक हाथ उसकी पेंटी मैं था मैं समझ गया की उसको बुक पढ़ने मैं मज़ा आ रहा है मैं दबे कदम उसके पास पहुँच गया लेकिन उसको पता भी नही चला जैसे ही उसने मुझे अपने पास देखा वो बुरी तरह से डर गयी मुझे ऐसे लगा जैसे उसको 440 वोल्ट्स का करंट का झटका लगा हो.

Hindipornkahani – तान्या और उसकी बीडीएसएम कहानी

मैने कहा क्या पढ़ रही हो किरण उसने कहा भैया कुछ नही मैने कहा फिर डर क्यों गयी थी दिखाओ क्या है उसने डरते हुए बुक मुझे दी और कहा आपके बैग से निकाली थी तो मैने अंजान बनते हुए कहा मेरे बैग से? ये बुक्स शायद मेरे फ्रेंड की होंगी जिससे आज मैने ये बैग लिया था क्योकी मेरे पास कोई छोटा बैग नही था कपड़े रखने के लिए और मैने जब देखा तो ऐसे नाटक करते हुए मुस्कुराते हुए बोला ये तो सेक्स स्टोरी की किताब है अच्छा तो ये पढ़ रही हो छुप छुपकर वो बोली भैया सॉरी मैने कहा सॉरी किस लिए पढ़ो कोई बात नही और उसको बुक्स लौटाने लगा वो बोली भैया ये गंदी बुक है मुझको नही पढ़ना.

मैने मुस्कुराते हुए कहा अगर गंदी है तो फिर तुम्हारा एक हाथ पेंटी के अंदर क्यों था बोलो…..वो भी मुस्कुरा दी और अपनी नज़रें नीचे कर ली मैने अपने हाथ से उसकी ढाढ़ी पर हाथ लगाते हुए मुस्कुराकर बोला………बोलो……..बोलो….गंदी है तो क्यों पढ़ रही थी? मैने उसकी मुस्कुराहट का फ़ायदा उठाया और उसको जल्दी से लिप्स पर एक किस कर दिया वो ये देखकर हैरान रह गयी और बोली भैया आप ये क्या कर रहे हो मैं आपकी बहन हूँ मैने कहा जब गंदी बुक पढ़ती हो तो ये सब याद नही रहता है की इस बुक मैं जो स्टोरी हैं वो सब तो भाई बहन की ही हैं उन्हे पढ़कर मजा ले सकती हो लेकिन वास्तव मैं क्यों शर्म करती हो चलो शर्म छोड़ो चलो हम लोग साथ साथ पढ़ते हैं और उसके पास आकर बैठ गया वो बोली भैया नही ये गंदी बुक है इसको हम एक साथ कैसे पढ़ सकते हैं.

मैने कहा ये समझो मैं यहाँ नही हूँ थोड़ी देर पहले तो पढ़ रही थी अब क्या हुआ और ये कहते कहते मैने उसके सामने किताब खोलकर उसके हाथ मैं पकड़ा दी वो बोली भैया रहने दो ना प्लीज़ तो मैं बोला अच्छा ठीक है 3-4 स्टोरी दिल ही दिल मैं चुपचाप पढ़कर रख देंगे वो बोली नही भैया ठीक है 1 स्टोरी मैने कहा ओके ठीक है लेकिन स्टोरी मैं पसंद करूँगा वो बोली ठीक है मैने उसमें से एक लंबी सी स्टोरी निकाली जो की बुआ की लड़की की चुदाई की ही थी और मेरी स्टोरी से मिलती जुलती थी हम दोनो एक दूसरे के आजू बाजू बैठ गये और मन ही मन मैं पढ़ना शुरू किया मुझे पढ़ने मैं थोड़ी परेशानी हो रही है ये कहकर मैं उसके पीछे पैर लंबे करके बैठ गया और उसकी गर्दन की तरफ से देख कर पढ़ने लगा मैने पढ़ते पढ़ते उसकी गर्दन पर सिर रख दिया तो वो बोली भैया सीधे बैठे रहो.

मैने कहा यार किरण मेरी गर्दन दर्द करने लगी है इसलिये सिर रखा है धीरे धीरे मैं उसके कान मैं अपने मुँह और नाक से लंबी लंबी साँसे लेकर गर्म करने लगा बुक पढ़ते पढ़ते उसके हाथ और शरीर का कंपन मुझे साफ दिख रहा था वो भी अब गर्म हो चुकी थी मैने अपना एक हाथ बड़ी तेज़ी के साथ उसकी पेंटी के अंदर डाल दिया उसने गुस्सा दिखाते हुए बुक रख दी और बोली भैया ये क्या है हाथ बाहर निकालो मैने कहा कुछ देर पहले तो अपना हाथ डाल रखा था मेरे हाथ मैं क्या काँटे लगे हैं देखना मेरे हाथ से बहुत मज़ा आयेगा वो अपने आप को इधर उधर हिलाकर उठकर जाने का प्रयास करने लगी और मैने अपना दूसरा हाथ उसकी चूची पर रखकर उसको अच्छी तरह से जकड़ लिया.

वो बोली आप मान जाओ भैया। मैने कहा मान जाऊंगा लेकिन स्टोरी पूरी पढ़ने के बाद वो बोली ठीक है इससे ज़्यादा कुछ हरकत मत करना वरना देख लेना फिर मैने हँसते हुए कहा दिखाओंगी तो देख भी लूँगा वो बोली भैया आप बहुत गंदे हो आपके बारे मैं मैने कभी ऐसा नही सोचा था। और तभी मैने अपना हाथ उसकी पेंटी से बाहर निकालकर उसको पीछे से जकड़ कर एक झटका अपनी लेफ्ट साइड दिया जिससे मैं उसकी पीठ पर लेट गया अब वो मेरे नीचे थी और मैं उसके उपर उसके दोनो बूब्स को जकड़े हुए मैने किरण को कहा किरण तुम बहुत सुंदर हो मैं आज तुमको जी भरकर प्यार करना चाहता हूँ। उसका मन भी कर रहा था लेकिन वो शर्म से बोल नही पा रही थी इसलिए वो बोली ठीक है भैया लेकिन उपर उपर से करना अंदर मत डालना वरना मैं प्रेंग्नेंट हो जाउंगी मैने कहा मैं तुमको प्रेंग्नेंट नही होने दूँगा मैं कन्डोम से कर लूँगा.

वो बोली अभी रहने दो मौली का आने का टाइम भी हो रहा है शाम का खाना भी बनाना है रात को करेंगे मैं बोला ठीक है और हम दोनो खड़े हो गये वो शाम के खाने की तैयारी करती रही मौली 30-40 मिनिट के बाद आई लेकिन मैं तब तक उसके पीछे लगा लगा उसको कभी किस करता कभी उसकी चूचीयों को दबाता उसके हिप्स पर हाथ फेरता और वो इसका जवाब मुस्कुराकर देती वो भी चुदने के लिए बड़ी उतावली हो रही थी मौली जब घर आई तो उसने मुझे नमस्ते भैया बोला मैने उसको नमस्ते कहा और मैं उसको देखकर बिल्कुल दंग रह गया वो गजब की सुंदर हो गयी थी 18 साल की जो हो गयी थी तो मेरा दिल उसको देखकर ललचाने लगा मैने सोचा की काश किरण के साथ साथ इसकी भी मिल जाये तो मज़ा आ जाये.

मौली मुझे देखकर बोली भैया क्या सोचने लगे मैने उसके बूब्स की तरफ देखकर बोल ही दिया मौली तुम तो काफ़ी बड़ी हो गयी हो और पहले से काफ़ी सुंदर भी वो भी मुस्कुराकर बोली भैया आप काफ़ी दिनो बाद हमसे मिले हो शायद इसलिये आपको ऐसा लग रहा है किरण और मौली दोनो नाइट मैं एक बेड पर और उन्होने कहा भैया आप इसी कमरे मैं सोना चाहते हो तो इसमें एक चारपाई डाल दूँ या दूसरे कमरे मैं बेड पर सो जाओ मैं तो अलग कमरे मैं सोना चाहता था। इसलिये मैने कहा नही मैं दूसरे कमरे मैं सो जाऊंगा और मैं किरण को उस कमरे मैं आने का इशारा करके दूसरे कमरे मैं चला गया किरण, मौली के सोने के बाद करीब 10 बजे मेरे पास आई उसकी नज़रें झुकी हुई थी चेहरा शर्म से लाल हो रहा था लेकिन वो आज मज़ा लेना चाहती थी.

मैं बेड से उठा और उसके पास जाकर उसको बाहों मैं भर लिया और उसको बिस्तर पर लेटा दिया मैने उसके चेहरे पर अपने होठो से किस की बारिश सी कर दी उसने भी जवाब मैं मुझको 3-4 किस की वो अभी भी वो शर्मा रही थी। मैने रूम की लाइट बंद की और नाइट लेम्प ऑन कीया। मैने पहले उसकी टी-शर्ट उतारी और उसके बाद उसकी लोवर अब वो सिर्फ़ अंडरगारमेंट्स मैं थी गुलाबी ब्रा से उसके 36 साइज की चूचीयाँ निकलने को बेताब हो रही थी मैने उसकी ब्रा को भी उसके नीचे हाथ लगा कर खोल दिया उसकी चूचीयाँ बड़ी मस्त थी मैने पहले उनको किस किया और फिर धीरे धीरे से कभी उनको सहलाता और कभी उनको चूसता मैं कुछ मिनिट तक सिर्फ़ उसकी चूचीयों को ही प्यार करता रहा उसके बाद मैने उसकी पेंटी भी उतार दी उसने शाम को ही उसको साफ किया था एकदम चिकनी होकर आई थी वो चुदवाने के लिए.

मैने उससे पूछ ही लिया किरण दोपहर मैं तो चिकनी नही थी तुम्हारी ये कब चिकनी की? तो वो बोली भैया शाम को खाना बनाना के बाद अब मैं उसकी जांघों के नीचे बैठ गया और उसकी चूत को काफ़ी देर तक चूसा वो भी मस्त होकर अपने चूतडो को उठा उठा कर ये बता रही थी की उसको खूब मज़ा आ रहा है इसके बाद मैं उसके उपर चड गया और जैसे ही उसकी चूत पर अपना लंड रखा तो वो बोली भैया कन्डोम लगाया क्या?तो मैं बोला नही तो वो बोली भैया कुछ गड़बड़ ना हो जाए तो मैने कहा मैं अपना वीर्य बाहर निकाल दूँगा तुम चिंता मत करो वो बोली ठीक है मैने पहले उसको अच्छी तरह से जकड़ लिया और उसकी चूत पर अपना लंड रखकर एक ज़ोर का झटका दिया लगभग सारा लंड उसकी चूत मैं घुस गया वो ज़ोर से चिल्लाना चाहती थी लेकिन मैने उसका मुँह दबा दिया उसकी चीख वही दबकर रह गयी.

वो बोली भैया बहुत दर्द हो रहा है थोड़ी देर के लिए बाहर निकालो मैने कहा ऐसे ही रहने दो थोड़ी देर मैं ठीक हो जायेगा थोड़ी देर मैने कोई हरकत नही की मैने उसका ध्यान इधर उधर करने के लिए होठो पर किस किया और जब वो नॉर्मल हो गयी तो मैने अपनी स्पीड बड़ा दी कुछ देर बाद हम दोनो ही झड़ गये जब मैं उसके उपर से उठा तो देखा बेड शीट पर काफ़ी खून और वीर्य पड़ा है मैने किरण से बोला की इसको सुबह साफ कर देना वो बोली ठीक है उस रात मैने किरण को 2 बार आगे से और एक बार पीछे से चोदा और मैने अगली रात को मौली को चोदने के लिए भी प्रोग्राम बना लिया था उसके लिए मैने क्या किया ये मैं आपको अगली कहानी मैं बताउंगा..

मुझे आशा है आपको मेरी यह स्टोरी जरुर पसंद आयेगी.

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दोस्त की बीवी गैर मर्द की दीवानी https://sexstories.one/dost-ki-biwi-gair-mard-ki-deewani/ Sun, 24 Oct 2021 12:11:43 +0000 https://sexstories.one/?p=3110 अब भाभी ने उसके लंड को कसकर पकड़ा और कहा कि सिर्फ़ पेटीकोट ही उतारना, उसने अब अपना अंडरवियर भी उतारा और पूरा नंगा हो गया। अब वो उसके लंड को ज़ोर ज़ोर से मसलने लगी, इस बीच उसने भाभी की मेक्सी को और पेटीकोट दोनों ऊपर उठाए....

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Dost Ki Biwi Gair Mard Ki Deewani मेरा नाम सन्नी है। मेरा एक दोस्त है जिसका नाम आकाश है और वो सरकारी विभाग में एक अच्छे पद पर है। मेरा उसके घर पर हमेशा आना जाना रहता है और उसकी बीवी का नाम दीपा है। उसकी उम्र लगभग 40, एकदम दूध जैसी गोरी है। वो दिखने में सुंदर, सुशील, एकदम सीधी है और किसी को भी उन्हें देखकर ऐसा नहीं लगता है कि वो औरत एक नंबर की चुदक्कड़ है। में उसे भाभी कह कर बुलाता हूँ और वो मेरे साथ बहुत खुलकर रहती है, फिर भी मुझे एक दिन भी उन्हें देखकर ऐसा नहीं लगा कि इस औरत ने कई लोगो के लंड से जी भरकर खेला है।

एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा कि तू तेरे दोस्त आकाश के घर पर ज़्यादा मत जाया कर तो मैंने पूछा कि ऐसा क्यों? तब उसने मुझे बताया कि उसकी औरत बहुत चालू है और अब तक कई लोगो ने उसे ठोका है और उनमे से ऐसे लोग भी है जो बुरा काम करते है जैसे कि गुंडे और बदमाश के साथ उसके गलत संबध है और वो चुदाई के लिए कुछ भी कर सकती है। दोस्तों मुझे उसकी इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ, लेकिन अब मेरे मन में एक शक सा पैदा हुआ और मैंने उससे पूछा कि तुम यह सब कुछ कैसे जानते हो? तो उसने मुझे बताया कि में कई बार उसे चुदते हुए और कई बार उसकी खिड़की के बाहर से रात भर यह सब कुछ देख चुका हूँ और उसे नये नये लड़को को पटाकर चुदवाना बहुत अच्छा लगता है और अगर तुझे विश्वास नहीं है तो उसका पति जब भी अपने घर से बाहर जाता है तो तू देखना उसके घर पर कोई ना कोई नया आदमी रहता है और वो उससे जमकर चुदवाती है और उसे भी मज़ा देती है और वो मुझसे इतना कहकर वो चला गया।

दोस्तों उसकी यह बात सुनकर मुझे भी कुछ कुछ याद आने लगा कि जब भी में उनके घर पर जाता था तो उसके मोबाईल पर बहुत बार कॉल आते थे और भाभी उससे बाद में बात करती हूँ यह कहकर काट देती थी और कई बार जब हम बाहर बैठकर बातें करती थी तो उसकी नज़र हमेशा बाहर आने जाने वाले पर टिकी रहती और कई बार वो मेरी तरफ देखकर भी मुझे कुछ इशारे करती थी। उस वक़्त में उन बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था, लेकिन अब मेरे दोस्त की बातें सुनकर मुझे भाभी पर शक़ हुआ और अब मैंने कैसे भी करके मेरे शक़ को दूर करने की ठान ली और सही मौके का इंतजार करने लगा। एक दिन ऐसा मौका आ गया। मुझे पता चला कि आकाश अपने यूनियन के काम से दो दिन के लिए बैंगलोर जा रहा है। में उस दिन शाम को करीब 7 बजे उसके घर पर चला गया।

आकाश उस वक़्त घर पर था और जाने की तैयारी कर रहा था। उसकी गाड़ी 8.00 बजे थी और हमे बातें करते करते 7.30 बज गये थे। उतने में आकाश के ऑफिस से कुछ दोस्त आए और आकाश को अपने साथ लेकर चले गये। फिर में और भाभी दोनों बातें करते रहे कि तभी मैंने गौर किया कि कुछ देर बाद भाभी का फोन बजा और भाभी ने फोन उठाया और फिर दूसरे कमरे के अंदर जाकर उन्होंने आहिस्ते से बात करनी शुरू कर दी। मुझे ठीक से सुनाई नहीं दिया, लेकिन इतना जरूर सुना कि में कुछ देर में अपको फोन करूँगी तैयार रहना और वो फोन काटकर फिर उसी जगह आकर मेरे पास आकर बैठ गई जहाँ पर पहले वो बैठी हुई थी।

वो अब मुझसे इधर उधर की बातें करने लगी, लेकिन में समझ गया कि यह मुझे जल्द से जल्द यहाँ से भगाना चाहती है और इसलिए में भी उनसे भाभी में अब जाता हूँ कहकर वहां से रवाना होने का नाटक करके थोड़ा दूर रुककर उसके घर की तरफ नज़र रखने लगा और जैसे ही वो अंदर गई तो में जल्द से जाकर उनके घर के पीछे की खड़की के पास जाकर बैठकर अंदर देखने लगा। तभी मुझे फोन पर बात करने की आवाज़ सुनाई दी और मैंने उसे किसी से बातें करते हुए सुना, वो कह रही थी जल्दी आ जाओ में तुम्हारा ही इंतजार कर रही हूँ।

तभी उधर से किसी से कुछ कहने पर वो फिर से बोली कि ज़रा इधर उधर नज़र डालकर आना वैसे तो इस समय सभी लोग अपने घर पर ही रहते है और हमारे आस पास में कोई भी नहीं रहता है। फिर वो उधर से और कुछ सुनकर बोली कि ठीक है, लेकिन थोड़ा जल्दी आ जाना में बाहर खड़ी रहती हूँ जब में अंदर आ जाऊं तो तुम घर में आ जाना और उन्होंने ठीक है कहकर फोन रख दिया और बाथरूम जाकर फ्रेश होकर बेडरूम में जाकर एक नीले रंग की चूड़ीदार सलवार पहनकर तैयार होकर बाहर आकर अब उसका इंतजार करने लगी। फिर कुछ देर बाद मैंने देखा कि एक हट्टाकट्टा सा आदमी उसके घर के सामने रुककर इधर उधर देख रहा है, लेकिन बाहर अंधेरा बहुत था इसलिए मुझे उसका चेहरा ठीक से दिखाई नहीं दिया और देखते ही देखते वो भाभी का इशारा पाकर अंदर चला आया और भाभी ने बाहर आकर दरवाजे के पास रुककर इधर उधर देखकर दरवाजे को लगाया और अंदर चली आई में तुरंत उनकी खिड़की के पास जाकर उसके आगे का नजारा देखना लगा। वो आदमी देखने में एकदम काला सांड जैसा था, लेकिन बहुत हट्टाकट्टा था। उसे देखते ही लगता था कि वो कोई गुंडे किस्म का इंसान है और मैंने अब तक उसे अपने शहर में कभी नहीं देखा था और भाभी उसके सामने वाली सीट पर बैठ गई।

फिर उसने कहा कि क्या मेडम घर तो बहुत अच्छा सज़ा रखा है बिल्कुल आपकी तरह एकदम सुंदर तो भाभी ने कहा कि धन्यवाद। तो उस बात पर उसने कहा कि इसमे धन्यवाद की क्या बात है? आप तो वैसे ही बहुत सुंदर हो तो भाभी ने कहा कि आप मेरी बिना वजह तारीफ कर रही हो। फिर उसने अपने साथ लाए हुए बेग से एक छोटी सी पुड़िया निकली और भाभी के हाथ में देते हुए कहा कि हमारे मिलन की खुशी में आपको मेरा पहला तोफा। भाभी ने कहा कि इसकी क्या ज़रूरत थी? वैसे भी तो आपके मेरे ऊपर बहुत सारे अहसान है, आपने मुझे जब भी में कहती हूँ पैसे दिए है और में आपकी वो उधारी चुकाने की कोशिश कर रही हूँ। यह बात कहकर वो उठकर अंदर चली गई और अंदर से एक विस्की की बॉटल और एक ग्लास और साथ में कुछ स्नेक्स लेकर आई और उसके सामने वाली टेबल पर रख दिए।

यह सब देखकर उसने बोला कि क्या जल्दी भेजने का प्लान है क्या? अभी तो में आया हूँ। इस पर भाभी ने कहा कि नहीं नहीं आप ग़लत मत समझना, मुझे तो आपका यहाँ पर आना बहुत अच्छा लगा रहा है और आपका जब जी करेगा तब चले जाना। मुझे दिल से कोई ऐतराज़ नहीं है। अब उसने कहा कि आप इतना दूर क्यों बैठी हो? थोड़ा नज़दीक बैठो ना। फिर भाभी उठकर उसके पास दीवान पर बैठ गई, तब उसने विस्की की बॉटल को खोला और एक पेग बना दिया और भाभी से कहा कि आप भी लो ना। फिर भाभी ने कहा कि मुझे इसकी आदत नहीं है, तो उसने कहा कि मेरे खातिर एक सीप लो ना प्लीज, में तुम्हारा झूठा पीना चाहता हूँ। तो भाभी ने उस ग्लास को मुहं से लगाकर एक सीप लिया और फिर उसे पीने को कहा। उसने एक ही झटके में पूरा ग्लास खाली कर दिया। फिर भाभी ने और एक पेग बनाया और खुद ने एक सीप लगाई और उसे दे दिया। उसने अब आहिस्ते आहिस्ते पीना शुरू कर दिया और कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा।

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फिर उसने भाभी से कहा कि इतने दिन हमारी सिर्फ़ फोन पर ही बात होती थी, लेकिन आज तुमने मुझे अकेले में मिलने का मौका दिया, क्यों तुम खुश हो ना मेडम? तो भाभी ने कहा कि मौका मैंने नहीं दिया बल्कि आपने खुद बनाया है, में इसकी अहसान मंद हूँ और में भी चाहती थी एक ऐसा इंसान जो मुझे केवल देखकर ही मेरे शौक पूरे करवाता रहे और मुझे खुश रखता रहे। में ऐसे आदमी को एक बार मेरे साथ खुलकर रहने का मौका नहीं दे दूँ तो मेरे जैसी मतलबी इंसान कोई नहीं होगी। तब उसने धन्यवाद मेडम कहा। तो यह बात सुनकर भाभी बोली कि मुझे मेडम मत कहा करो, मुझे मेरे नाम से पुकारा करो ठीक है। फिर उसने कहा कि ठीक है दीपा और फिर इस बीच उसने वो पेग भी खाली कर दिया था और भाभी से कहा कि आखरी टाईम तुमने साड़ी लेने के लिए पैसे लिए थे ना तो साड़ी ली क्या?

फिर भाभी ने कहा कि हाँ अरे वो तो में बातों ही बातों में आपको दिखना ही भूल गई, में अभी दिखाती हूँ और हाँ बोलकर वो बेडरूम में चली गई और साड़ी लेकर आ गई। उसके हाथ में देकर पूछा कि कैसी है? वो साड़ी एक नीली रंग की थी और उस पर छोटी छोटी डिज़ाईन थी और वो दिखने में बहुत महंगी थी। वो साड़ी देखकर बोला कि बहुत अच्छी है और तुम पर खूब जमेगी और जब तुम इसे पहनोगी तो बिल्कुल परी जैसी लगोगी। तब भाभी ने कहा कि अच्छा तो में इसे पहनकर अभी आती हूँ। मैंने इसे अभी तक नहीं पहनी थी और सोचा था कि जब हम पहली बार मिलेंगे तब में इसे पहनूंगी, यह कहकर वो उठाने लगी। तभी उसने भाभी का हाथ पकड़ा और उसे अपने सामने बैठाकर उससे कहा कि तुम अगर बुरा ना मनोगी तो में एक बात कहूँ? तो भाभी ने कहा कि मुझे आपकी कोई बात बुरी नहीं लगती है, कहो ना। तब उसने कहा कि तुम बहुत सुंदर हो और मैंने पहली बार जब आपको देखा था तो आपके बहुत नज़दीक आने की ठान ली थी। मुझे आपको देखकर ना जाने क्या हो जाता है? में आपसे बहुत प्यार करता हूँ प्लीज ना मत करना।

तब भाभी बोली कि में सच कहूँ तो में अपने पति को बहुत चाहती हूँ और मैंने उनके अलावा आज तक किसी और को नहीं देखा, लेकिन मुझे जो भी पति से नहीं मिला वो आपने मुझे दे दिया। इससे में कुछ परेशानी में हूँ कि में हाँ कहूँ या ना, लेकिन एक बात है आप मुझे पसंद हो बस और कुछ नहीं। तब उसने कहा कि बस इतना बहुत है मेरे लिए, लेकिन क्या में तुमसे हाँ सुनकर ही रहूँगा। तब भाभी बोली कि में भी चाहती हूँ, लेकिन मेरी मजबूरी है कि में शादीशुदा हूँ और अगर किसी को पता चला तो मेरी और मेरे परिवार की बहुत बदनामी होगी। फिर वो बोला कि में किसी को खबर नहीं होने दूँगा और जब तुम कहोगी तब ही आपसे मिलूँगा, कोई ज़बरदस्ती नहीं करूँगा, अब तो बोलो प्लीज़। तभी भाभी ने कहा कि मुझे सोचने दो, लेकिन अब नहीं अभी में आपकी बहुत सेवा करना चाहती हूँ क्यों ठीक है? तब उसने कहा की ठीक है जैसी आपकी मर्ज़ी, लेकिन क्या मेरी एक बात तो मनोगी? तो भाभी ने पूछा कि कहो कौन सी बात? तब उसने कहा कि जो यह साड़ी है, में इस साड़ी को तुम्हे मेरे हाथों से पहनाना चाहता हूँ?

अब भाभी बोली कि मुझे बहुत शर्म आती है, तभी उसने कहा कि क्या तुम मेरे लिए इतना भी नहीं करोगी? तो भाभी ने कहा कि ठीक है, लेकिन सिर्फ साड़ी ही बाकी सब में पहनूंगी। फिर उसने कहा कि ठीक है और भाभी उठकर अंदर चली गई। उससे कहा कि तुम इधर ही बैठना में बाकी सब पहनकर आती हूँ और यह कहकर वो बेडरूम में चली गई और थोड़ी देर में भाभी नीले कलर का ब्लाउज और उसी कलर का पेटीकोट पहनकर उसके सामने आकर खड़ी हो गई और वो भाभी को देखता ही रहा। यह देखकर भाभी ने कहा कि जल्दी से मुझे साड़ी पहनाओ मुझे अब बहुत शर्म आ रही है और फिर उसने साड़ी उठाई तो भाभी ने उसके एक पल्लू को अपने पेटीकोट में घुसाकर गोल गोल घूमने लगी और इस बीच उसने दो तीन बार भाभी के जिस्म को छूकर महसूस किया, लेकिन भाभी ने इसका कोई विरोध ना करते देख पूरी साड़ी पहनाने के बाद उसने भाभी के दोनों कंधो पर हाथ रखकर भाभी को दीवार के सहारे चिपकाकर खड़ा करके देखने लगा। भाभी बोली कि क्यों घूर रहे हो, क्या कभी कोई औरत नहीं देखी?

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फिर उसने कहा कि हाँ देखी जरुर है, लेकिन तुम्हारे जैसी नहीं, तुम बहुत सुंदर लग रही हो और अब भाभी मुस्कुराकर अपना मुहं नीचे करके खड़ी हो गई। फिर उसने धीरे से भाभी के कंधो से हाथ नीचे सरकाते हुए भाभी की कमर तक लाकर धीरे से कमर को पकड़कर धीरे से दबाया और भाभी के मुहं से आहह्ह्ह उह्ह्ह्हह् की आवाज़ निकली और भाभी ने कहा कि यह क्या कर रहे हो? तो उसने कहा कि में एक सुंदर औरत को जी भरकर देख रहा हूँ, क्या तुम्हे कोई ऐतराज़ है? अब भाभी ने कहा कि नहीं और फिर उसने भाभी को उठाया और दीवाना पर लाकर लेटा दिया। भाभी एकदम सीधा लेट गई और उसके आगे की हरक़त का इंतज़ार करने लगी और अब उन्हें देखकर लगता था कि भाभी जल्द से जल्द उससे चुदवाना चाहती थी, लेकिन नाटक कर रही थी और इस बीच वो भाभी के पास आकर लेट गया और लेटे लेटे ही उसने एक और पेग बनाया और भाभी से उसे पीने को कहा तो भाभी बैठ गयी और ग्लास पकड़कर एक सीप पीकर उसे दे दिया और फिर से उसी पोज़िशन में लेट गई और तब उसे भी अंदाजा लग गया कि यह भी वही चाहती है जो में चाहता हूँ।

फिर उसने वो सारी विस्की एक ही बार में खाली कर दी और ग्लास को टेबल पर रखकर भाभी के साथ लेट गया और भाभी से पूछा कि मेरे साथ सोकर तुम्हे कैसा लग रहा है? तो भाभी बोली कि मैंने कभी भी ऐसा नहीं सोचा था कि में तुम्हारे साथ ऐसे अकेले में एक बिस्तर पर सो जाउंगी, लेकिन जो कुछ भी हो रहा है मुझे वो बहुत अच्छा लग रहा है और तुमने मुझे इतना प्यार किया कि में अब पागल हो रही हूँ। तब उसने धीरे से भाभी का पेट सहलाया और कहा कि में तुम्हारी मर्ज़ी के बगैर कुछ भी नहीं करूँगा, क्योंकि मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो। फिर भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा कि में तुम्हारी इसी बात के ऊपर फिदा हो गई हूँ।

फिर उसने धीरे से भाभी का पल्लू थोड़ा साईड में किया और भाभी से कहा कि में तुम्हे किस करना चाहता हूँ तो भाभी ने कहा कि हाँ मेरा भी मन कर रहा है, लेकिन में मजबूर हूँ क्योंकि में एक शादीशुदा औरत हूँ, अगर मैंने ऐसा किया तो यह बिल्कुल ग़लत होगा। तब उसने कहा कि कुछ भी गलत नहीं होगा, जो कुछ भी होगा हम दोनों के बीच होगा और यहाँ पर तो कोई भी नहीं है। अब भाभी ने कहा कि लेकिन फिर भी मुझे बहुत शरम आ रही है और अब उसने भाभी को अपनी गोद में उठाया और सीधे दीवार पर सेट किया और कहा कि ठीक है अगर तुम्हे शर्म आ रही है तो एक काम करो। तुम यह साड़ी निकालो में तुम्हे उसी पोज़िशन में देखन चाहता हूँ। तो भाभी ने कहा कि आप ही ने पहनाई थी तो आप ही उतार दो। उसने ठीक है कहा और भाभी की साड़ी की गाँठ को खोल दिया और भाभी की साड़ी को उससे अलग कर दिया। अब भाभी पेटीकोट और ब्लाउज में थी और उसने भाभी को अपनी बाहों में ले लिया और ज़ोर से कसकर पकड़ा और अब भाभी के मुहं से आह्ह्हह्ह्ह उह्ह्ह्ह बस आईईईइ बस में उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ पागल हो जाउंगी।

अब उसने भाभी से पूछा कि कैसा लग रहा है? भाभी ने कहा कि बहुत अच्छा लग रहा है और कसकर पकड़ो तब उसने भाभी को और कसकर पकड़ा और भाभी से कहा कि में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ जान और फिर भाभी के मुहं से निकला हाँ बस मुझे ऐसे ही प्यार करना। भाभी के मुहं से यह बात सुनकर उसका जोश और भी बड़ गया और उसने भाभी से पूछा कि क्या तुम मेरे साथ एक बार फिर से बेड पर आ सकती हो? भाभी ने कहा कि क्यों नहीं? आज में आपकी एक बात भी नहीं ठुकराउंगी, तो यह बात सुनकर उसकी हिम्मत दुगनी हो गई और उसने अपनी पेंट और शर्ट को उतार दिया। अब भाभी ने पूछा कि तुम यह क्या कर रहे हो? तब उसने कहा कि तुम्हे गर्मी चाहिए और अगर में कपड़े पहनूं तो कैसे गरम होगी? भाभी ने कहा कि मेरे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है तुम क्या करना चाहते हो?

फिर वो बेड पर आकर लेट गई और वो भी भाभी के पास में आकर लेट गया और भाभी की कमर को पकड़कर आगे खींच लिया और कहा कि तुम बहुत सुंदर हो इतना ही नहीं तुम्हारा फिगर भी बहुत तगड़ा है। अब भाभी ने कहा कि आप भी बहुत हट्टेकट्टे हो और मुझे पहली बार ऐसा लग रहा है कि में किसी असली मर्द के साथ बिस्तर पर हूँ और भाभी ने उसे कसकर पकड़कर कहा कि तुम मुझे किस करना चाहते हो ना, लो तुम्हारी इच्छा पूरी कर लो, यह कहकर भाभी ने भी उसे कसकर पकड़ा और होंठो पर किस करने लगी। तो उसने भी भाभी को और कसकर पकड़ा ज़ोर ज़ोर से किस करने लगा और इस बीच उसने भाभी के सारे बदन को कपड़ो के ऊपर से सूंघ लिया और भाभी की नंगी गर्दन को और पेट को मसलने लगा और भाभी की गांड को कपड़ो के ऊपर से दबाता रहा था और अब भाभी के बड़े बड़े बूब्स ब्लाउज के ऊपर से खड़े होकर बाहर आने को तड़प रहे थे और इस तरह 10-15 मिनट किस करने के बाद भाभी ने कहा कि अब टाईम बहुत हो रहा है।

फिर उसने कहा कि क्यों तुम इतना जल्दी मुझे भेजना चाहती हो? भाभी ने कहा कि अरे नहीं मेरे राजा, में तो खाना खाने की बात कर रही थी। फिर उसने कहा कि नहीं अभी मेरा खाना खाने का मूड नहीं है, मुझे ऐसा लग रहा है कि में बस तुम्हे ऐसे ही किस करता रहूँ। भाभी ने कहा कि अरे बाबा खाना भी खा लो, फिर हम वापिस करेंगे। तब उसने टाइम देखा और कहा कि अभी तो सिर्फ़ 9.45 हुये है और हम 10.30 बजे खाना खाएँगे, क्यों ठीक है? भाभी ने कहा कि ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, लेकिन मुझे एक बार बाहर देखकर आने दो और फिर उसने कहा कि ठीक है और भाभी उठ गई और बेडरूम जाकर अपने ऊपर मेक्सी डालकर दरवाजा खोलकर बाहर गई और कुछ देर खड़े रहकर देखा कि आस पड़ोस में कोई नहीं दिखा तो वो अंदर चली आई और उससे कहा कि अब कोई चिंता नहीं है, तुम रात भर मेरे साथ रुक सकते हो, यह बात कहकर वो अब उसके पास में आकर लेट गई। उसने भाभी से कहा कि तुम पहले जब लेटी थी तब मेक्सी नहीं थी, भाभी ने कहा कि वो मुझे पता है और बात यह कहते हुए भाभी अपनी मेक्सी उतार रही थी। तभी उसने भाभी का हाथ पकड़ाकर कहा कि तुम इतना कष्ट क्यों ले रही हो? में हूँ ना कहकर उसने धीरे से कहा कि इसे अब रहने दो में इसके बदले तुम्हारा पेटीकोट उतार देता हूँ।

फिर भाभी ने कहा कि नहीं नहीं प्लीज मुझे शर्म आती है। उसने कहा कि तुम्हे शर्म आती है, लेकिन तुम उतारना चाहती हो ना? भाभी ने कुछ नहीं बोला और अपनी आखों से इशारा किया कि हाँ तो उसने भाभी का हाथ अपने अंडरवियर पर रखकर कहा कि तुम इसे छू लो तुम्हारी सब शर्म दूर हो जाएगी। दोस्तों पहले तो भाभी ने मना किया, लेकिन फिर भाभी ने धीरे से अपना हाथ उस पर रखा और कहा कि अरे बाप रे यह क्या है? तो उसने कहा कि इसे लंड कहते है तो भाभी ने कहा कि वो तो मुझे भी मालूम है, लेकिन इतना बड़ा और फिर कहा कि प्लीज मुझे कुछ मत करना।

अब भाभी ने उसके लंड को कसकर पकड़ा और कहा कि सिर्फ़ पेटीकोट ही उतारना, उसने अब अपना अंडरवियर भी उतारा और पूरा नंगा हो गया। अब वो उसके लंड को ज़ोर ज़ोर से मसलने लगी, इस बीच उसने भाभी की मेक्सी को और पेटीकोट दोनों ऊपर उठाए और ज़ोर ज़ोर से भाभी की जांघे मसलने लगा और फिर भाभी के पेटीकोट का नाड़ा खोला और एक ही झटके में भाभी का पेटीकोट अलग करके फेंक दिया और उसकी जांघो को पागलों की तरह चाटता रहा चूमता रहा।

अब ऐसे ही करीब 10-15 मिनट लगातार करने के बाद भाभी बोली कि अरे बस नीचे ही करते रहोगे या ऊपर भी करोगे। फिर वो ऊपर आ गया और उसने भाभी के बूब्स को ज़ोर दबाया भाभी अहहहहह चिल्लाई और कहने लगी कि हाँ बहुत मज़ा आ रहा है। अब उसने भाभी की ब्रा का हुक खोल दिया और भाभी ने उसे निकालकर फेंक दिया और फिर उसने एक बूब्स को अपने मुहं में ले लिया और दूसरे को दोनों हाथों से दबाने लगा और भाभी उसका लंड चूसने लगी। वो लंड चूसने का तरीका देखाकर हैरान होकर बोला तुम लंड चूसने ने माहिर हो या तुम्हे ऐसा लंड कभी भी नहीं मिला?

तो भाभी बोली कि हाँ तुम सच कह रहे हो मेरे राजा मुझे बहुत मज़ा आ रहा है, बस अब रुका नहीं जाता, अब में पूरी तरह से तुम्हारी हो गई हूँ, अब में आपको नहीं रोकूंगी कहकर उन्होंने अपनी दोनों जांघे चौड़ी कर दी और कहा कि अब और मत तड़पाओ जल्दी से एक धक्का मारो प्लीज़। फिर उससे भाभी की चूत में दो उँगलियाँ घुसा दी और ऊपर से चूत को चाटने लगा। इसी तरह 5-10 मिनट चलाने के बाद उसने भाभी के दोनों पैरों को और भी चौड़ा किया और अपने लंड को भाभी की चूत पर सेट किया और दबाने लगा। फिर एक ही झटके में पूरा लंड अंदर चला गया और भाभी के मुहं से अहहह्ह्ह्हह सीईईईईई क्या मर्द का लंड है आईईए अब रूको मत, जल्दी से अपनी गाड़ी चलाओ।

फिर उसने पहले दो चार झटके हल्के से लगाए और थोड़ी देर बाद उसने रफ्तार पकड़ ली और धन धना धन चोदने लगा। भाभी उसका अपनी गांड उठा उठाकर साथ दे रही थी और ज़ोर ज़ोर से आहहाह ऊओ उफुफूफूफुफ अहहहह्ह्ह्ह वाह कितना तगड़ा है रे तुम्हारा यह लंड, मेरी बहुत दिन की तमन्ना थी तेरे जैसे लंड से चुदने की और वो भी ज़ोर ज़ोर से धक्के लगता रहा और कहने लगा कि तू भी तो मस्त माल है लगता है कि तुझे जमकर चोदूं। फिर इस तरह 10-12 मिनट धक्के मारने के बाद उसने कहा कि में अब झड़ने वाला हूँ। तो भाभी ने कहा कि कोई समस्या नहीं है, अंदर ही डाल दो तो उसने सारा वीर्य भाभी के अंदर ही छोड़ दिया और वो भाभी के पास में लेट गया।

फिर भाभी ने कहा कि में तैयार हूँ जितना चाहे चोद लो और अब भाभी उठी और उसका लंड मुहं में लेकर थोड़ी देर चूसकर उसे साफ कर दिया और फिर उसने धीरे से भाभी को घोड़ी बनाया और भाभी की गांड को सूंघने लगा और थोड़ी देर बाद उसने अपना लंड निकाला और भाभी की गांड पर सेट किया और हल्के से एक धक्का मारा तो उसका लंड अंदर नहीं गया। फिर भाभी ने अपनी गांड को और भी चौड़ा कर दिया और उससे कहा कि अब धक्का मारो। तो उसने फिर से अपना लंड सेट किया और धीरे से धक्का दिया तो उसका आधा लंड अंदर चला गया और भाभी के मुहं से अहहहहह आईईईईई की चीख निकली।

फिर उसने भाभी को धक्का देना शुरू कर दिया और भाभी भी अपनी गांड को आगे पीछे करते हुए उसका साथ देने लगी और यह सब देखकर उसने बोला कि तू गांड मरवाने में एक्सपर्ट है और भाभी मुहं से अचानक निकला पड़ा कि बहुत दिन के बाद ऐसा तगड़ा लंड मिला है। तो वो मन में हंसा और उसने अपनी स्पीड को बड़ा दिया। करीब 15-20 मिनट में उसने भाभी के अंदर ही अपना वीर्य छोड़ दिया और दोनों एक दूसरे को लिपटकर सो गये। थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद भाभी ने कहा कि तुम बहुत अच्छी तरह से चोदते हो मुझे तुमसे चुदवाना अच्छा लग रहा है।

यह बात हुए भाभी ने उसे एक किस किया और अब उसके लंड को मसलने लगी। तो उसने कहा कि तुम भी मस्त माल हो बहुत मज़ा देती हो में चाहता हूँ कि रोज़ तुम्हारी चुदाई करता रहूँ। अब भाभी ने कहा कि में भी चाहती हूँ, लेकिन में मजबूर हूँ, लेकिन एक बात कहती हूँ इसके बाद जब भी मुझे मौका मिलेगा में तुम्हे ज़रूर बुलाउगी मेरे राजा।उसने भाभी को चार बार आगे से और दो बार पीछे से चोदा।

इस तरह उन दोनों ने रात भर चुदाई की और बहुत मज़े किए ।।

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शादी का सुख – पार्ट २ https://sexstories.one/shadi-ka-sukh-xxx-storiez/ Wed, 20 Oct 2021 06:13:59 +0000 https://sexstories.one/?p=3079 उफ़्फ़ ! जब उसने अपनी जीभ मेरी चूत के दाने पर फेरी तो मेरे तो बदन में जैसे बिजलियाँ दौड़ गई। मैंने अपनी दोनों जांघों में उसका सर दबा लिया और अपने दोनों हाथ उसकी पीठ पर फिराने लगी। गर्मी तो पहले ही मेरे दिमाग में चढ़ी पड़ी थी, सो दो मिनट में ही मैं तो झड़ गई...

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Shadi Ka Sukh – Shaadi sex मेरे लिए तो यही बहुत था, मैंने हाँ कह दी। करीब दो दिन बाद मौका भी मिल गया, भाभी अपने मायके गई और भाई भी उसके साथ गया था, तो घर में रात को कोई नहीं था, मैंने वीरू को सब बता दिया था। सो उस रात वो करीब 11 बजे मेरे घर आया। मैंने दरवाजा खोल कर उसे अंदर बुला लिया और भाई के कमरे में बैठा दिया। फिर जाकर देखा तो माँ सो चुकी थी। मैं फिर से भाई के कमरे में वापिस आ गई।

वीरू ने आते ही मुझे पकड़ लिया- इधर आ साली मोटी भैंस, इतना बड़ा जिस्म किसके लिए संभाल के रखा है?

मैंने भी कह दिया- सिर्फ तुम्हारे लिए !

बस यह सुनते ही वीरू ने मुझे बेड पर गिराया और मेरे ऊपर लेट गया। मेरी आखों में देखा और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। होंठ चूसते चूसते एक दूसरे के जीभें भी चूसने लगे। मैंने वीरू को अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपनी टांगों को उसकी कमर के गिर्द जकड़ लिया। वो अभी आराम से लेटा था पर पर मैं नीचे से कमर उठा उठा कर अपनी चूत को उसके लण्ड पर रगड़ रही थी।

शायद मेरी बेकरारी वो समझ गया था, ‘करें?’ उसने पूछा, मैंने एक स्माइल से उसको इजाज़त दे दी।

तो वो मेरे ऊपर से उठा और उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये, सिर्फ चड्डी छोड़ कर। उसकी चड्डी में से उसका खड़ा हुआ ल

Shaadi sex सेक्सी बीवी को नशे ने चोदा दोस्त ने

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और साथ में यह भी सुखद अहसास था कि आज कोई मेरा अपना बॉय फ्रेंड मुझे चोदेगा।

खैर छतियों को चूसने के बाद वो अपने हाथों और चेहरे से मेरे पेट और कमर को सहलाता हुआ, नीचे को गया और मेरी चूत के आस पास जांघों को सहलाता चूमता मेरे घुटनों तक गया और फिर वापिस आया और मेरी छाती पर बैठ गया।

उसका तना हुआ लण्ड मेरे सामने था, ‘चूस अपने यार को !’ उसने कहा तो मैंने उसका लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसना शुरू कर दिया। वो भी अपनी कमर हिला हिला कर मुझसे मुख मैथुन का आनन्द ले रहा था।

मैंने कहा- क्या तुम मेरी चाट सकते हो, मैंने आज तक कभी नहीं चटवाई, उस दिन मैंने देखा था जब तुम भाभी की भी चाट रहे थे।

वो मुस्कुराया और मेरे ऊपर उल्टा घूम गया, उसने मेरी दोनों टांगे चौड़ी की और अपना मुँह मेरी चूत से लगा दिया, मैंने भी उसका लण्ड पकड़ा और अपने मुँह में ले लिया।

उफ़्फ़ ! जब उसने अपनी जीभ मेरी चूत के दाने पर फेरी तो मेरे तो बदन में जैसे बिजलियाँ दौड़ गई। मैंने अपनी दोनों जांघों में उसका सर दबा लिया और अपने दोनों हाथ उसकी पीठ पर फिराने लगी। गर्मी तो पहले ही मेरे दिमाग में चढ़ी पड़ी थी, सो दो मिनट में ही मैं तो झड़ गई।

मेरी चूत का पानी वो चाट गया, मेरा बदन अकड़ गया, मैंने तो उसका लण्ड दातों से काट लिया। जब मैं थोड़ी ढीली पड़ी तो वो उठा और मेरी टांगे चौड़ी करके उनके बीच बैठ गया, ‘मज़ा आया?’ उसने पूछा।

“हाँ, बहुत !” मैं बोली।

‘तो लो अब और मज़ा लो, असली मज़ा !’ यह कह कर वो मेरे ऊपर लेट गया, तो मैंने उसका लण्ड पकड़ के अपनी चूत पर रखा। उसने धक्का मारा तो लण्ड अंदर नहीं गया, वो बोला- अरे टाइट मत करो, आराम से इसे अंदर लेने की कोशिश करो।

मैंने अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया, जब उसने दोबारा धक्का मारा तो उसके लण्ड का सुपाड़ा मेरी चूत में घुस गया, मुझे दर्द हुआ, मेरे मुँह से हल्की सी चीख निकल गई, थी भी तो मैं सिर्फ 18-19 साल की।

उसने मेरे दोनों हाथों की उँगलियों में अपनी उँगलियाँ फंसाई और मेरे दोनों हाथ खींच के बिल्कुल ऊपर ले गया, मैंने अपनी टाँगों को उसकी कमर के गिर्द लपेट लिया, उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रखे, अपना लण्ड थोड़ा पीछे किया और दूसरा धक्का मारा, अबकि बार लण्ड थोड़ा और मेरे अंदर घुसा, मेरी दूसरी चीख मेरे मुँह से उसके मुँह में ही रह गई।

उसने फिर वैसे ही किया और इस तरह 4-5 घस्सों में उसने अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में उतार दिया। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने लकड़ी का कीला ठोक कर मेरे पेशाब करने की जगह को ही बंद कर दिया हो। मेरी आँखों के दोनों किनारों से आंसू निकल आए, पर उसने कोई परवाह नहीं की।”तेरी चूत बहुत टाइट है, आज तक इतनी टाइट चूत नहीं देखी।”

मैंने भी कहा- तुम पहले इंसान हो जिसने मेरी सील तोड़ी है, आज से पहले इसमे सिर्फ मेरी उंगली या पैन वगैरह ही गए हैं।

यह सुन कर वो बहुत खुश हुआ- वाह, तो आज तो कच्ची फाड़ दी, शुक्रिया भगवान !

यह कह कर वो हँसा और फिर तो चल सो चल, वो आगे पीछे करता रहा। जब मैंने भी फिर से पानी छोड़ना शुरू कर दिया तो वो अपना पूरा लण्ड मेरी चूत के आखरी सिरे तक लेजा कर मुझे चोद रहा था। बेशक मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था पर फिर भी मज़ा आ रहा था। जितना वो ऊपर से ज़ोर लगा रहा था, उतना मैं नीचे से कमर उठा उठा कर उसका साथ दे रही थी।

हम दोनों के बदन पसीने से भीग रहे थे, पर संभोग की गाड़ी पूरी रफ्तार से दौड़ रही थी।

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करीब 8-10 मिनट की चुदाई के बाद उसने अपनी मर्दांगी का सारा रस मेरी चूत में उड़ेल दिया। वो थक कर मेरे ऊपर ही लेट गया। जब उसका लण्ड ढीला पड़ा तो अपने अपने आप मेरी चूत से बाहर निकल गया और उसके साथ उसका वीर्य भी मेरी चूत से बाहर चू गया।

मैं इस बात को लेकर बहुत खुश थी के चलो जो भी सही पर आज कोई है जिसने मेरा कौमार्य भंग कर दिया।

कुछ देर हम लेटे रहे, फिर उसने कहा- मैं तुम्हें फिर से चोदना चाहता हूँ, एक बार फिर से करें?

मैंने बड़ी खुशी से हाँ कही। उस सारी रात हम सोये नहीं, और पूरी रात में उसने 4 बार मेरे साथ सेक्स किया, मेरी फ़ुद्दी रगड़ी।

सुबह करीब 5 बजे वो चुपचाप से मेरे घर से निकाल गया। लेकिन उसके बाद कभी ऐसा मौका नहीं मिला। वीरू फिर भी हमारे घर आता था, पर भाभी ने उसे कभी मेरे लिए नहीं छोड़ा, जब भी वो आता तो भाभी ही उस से मज़े लेती, मुझ तक तो पहुँचने ही नहीं देती।

फिर वीरू भी बाहर चला गया। मेरी पढ़ाई पूरी हो गई, एम ए बी एड करके मैं फिर अपने ही स्कूल में टीचर लग गई, पर न तो मेरी शादी हुई, और न ही चुदाई।

भाभी आज भी मज़े ले रही है, और आज भी मैं अपनी काम-पिपासा बैंगन, खीरा जैसी चीजों से शांत करती हूँ।

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समीक्षा ने मुझे तसल्ली दी https://sexstories.one/desisex-chodayi/ Fri, 01 Oct 2021 07:41:08 +0000 https://sexstories.one/?p=4392 जब उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू किया तो मुझे भी मजा आने लगा और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था। मैने उसके बदन को पूरी तरीके से गरम कर दिया था जैसे ही मैंने समीक्षा की योनि के अंदर अपने लंड को धीरे धीरे डाला तो उसकी योनि से खून बाहर आने लगा था

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desisex porn antarvasna kahani – घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए तो काम करने के लिए शहर जाना पड़ा। मैं जब ट्रेन से उतरा तो मुझे मुंबई ऐसा लगा कि जैसे ना जाने मैं कहां आ गया हूं इतनी भीड भाड और इतने लोग देखकर मैं तो हैरान था। मेरी आंखें उन सब लोगों को देख रही थी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कौन सी तरफ से जाना है मैंने अपने बैग को अपने कंधे पर रखा और मैं स्टेशन से बाहर के लिए निकला तभी एक व्यक्ति मुझे दिखाई दिए उनकी मोटी तोंद और उन्होंने मोटे से चश्मा पहने हुए थे। मुझे लगा यह काफी समझदार लग रहे हैं इनसे ही मुझे पता पूछना चाहिए मैंने उनसे पता पूछा तो उन्होंने मुझे पहले तो ऊपर से लेकर नीचे तक देखा फिर मुझे कहने लगे अरे भाई साहब तुम्हें क्या सुबह सुबह कोई और नहीं मिला। मैंने उन्हें कहा भाई साहब आप ही बता दीजिए वह कहने लगे जाओ किसी और से ही पूछो वह चिल्लाते हुए चले गए ना जाने अपनी किस परेशानी से वह जूझ रहे थे जो की मुझ पर इतना चिल्लाने लगे।

मैं थोड़ा आगे गया तो एक सज्जन व्यक्ति मुझे मिले उन्होंने मुझे पता बताते हुए कहा कि भैया आप यहां से ऑटो कर लीजिए आपको कुछ दूरी पर ही ऑटो वाला छोड़ देगा। मैंने भी सोचा कि यह ठीक कह रहे हैं इसलिए मैंने ऑटो रिक्शा कर लिया ऑटो रिक्शा वाले ने अपने ऑटो के मीटर को ऑन किया और हम लोग वहां से आगे बढ़ गए थे। मैंने अपने मामा को फोन किया और कहा मामाजी मैं आने वाला हूं मामा कहने लगे तुम कहां पहुंचे मैंने मामा से कहा बस आस-पास ही हूं मुझे नहीं पता लेकिन यह ऑटो वाले भैया ही मुझे छोड़ देंगे। वह कहने लगे ठीक है तुम फ्लैट के पास आ  जाओ मैं पहुंचता हूं लेकिन मुझे क्या पता था कि जैसे ही मैं वहां पहुंच जाऊंगा तो मामा जी का फोन ही बंद हो जाएगा। मैं काफी देर तक वहीं बाहर खड़ा उनका इंतजार करता रहा मेरे पास तो उनका पूरा पता भी नहीं था उन्होंने मुझे जो सोसायटी का नाम बताया था वही मुझे मालूम था।

दरवाजा खुला रह गया

वह तो अच्छा हुआ कि मामा जी ने नीचे आकर मुझे देख लिया जब मामा जी मुझे मिले तो मैंने मामा जी से कहा मैं कितनी देर से आपका यहां इंतजार कर रहा हूं। मामा जी कहने लगे मेरी आंख लग गई थी और मुझे पता ही नहीं चला कि तुम्हारा फोन आ रहा था और फिर मेरा फोन भी बंद हो गया था। मैंने मामा जी से कहा कोई बात नहीं वह कहने लगे ठीक है चलो फिर घर चलते हैं। वह मुझे अपने साथ अपने फ्लैट में ले गए जब मैं मामा के फ्लैट में गया तो मैंने मामा जी से कहा आप तो बड़ी अच्छी जिंदगी जी रहे हैं।

मामा कहने लगे अरे खाक अच्छी है यहां दुनिया भर की परेशानियां है जीवन तो जैसे रेस का मैदान बना पड़ा है पता ही नहीं चल रहा है कि कहां जाना है और कहां से आना है बस ऐसे ही अपनी जिंदगी काटे जा रहे हैं। मामा जी ने अब तक शादी नहीं की है और वह 45 वर्षीय कुंवारे हैं मामा एक कंपनी में मैनेजर के पद पर हैं। उन्होंने मुझे कहा कि देखो ललित बेटा यहां पर तुम बड़े ही सोच समझ कर रहना किसी भी लड़की के चक्कर में मत पड़ जाना। मैंने उन्हे कहा अरे मामा जी आप कैसी बात कर रहे हैं मैं यहां काम करने के लिए आया हूं कोई लड़की बाजी करने के लिए थोड़ी आया हूं।

मामा कहने लगे तुम्हें मालूम है ना कि इससे पहले मेरे साथ भी क्या हुआ है। मामा जी को लड़कियों से थोड़ी दिक्कत होती थी मामा जी ने मुझे कहा कि कल तुम मुझे अपना बायोडाटा दे देना और मेरे साथ ही ऑफिस चलना मैंने उन्हें कहा ठीक है मामा जी। अगले दिन मैं उनके साथ ही उनके ऑफिस में गया उन्होंने मुझे अपने बॉस से मिलवा दिया जब उन्होंने मुझे अपने बॉस से मिलाया तो उनका रुतबा देख कर ही लग रहा था कि वह किसी कंपनी के मालिक हों। जब उन्होंने मुझसे मेरे बारे में पूछना शुरू किया तो मैंने उन्हें अपने बारे में सब कुछ बता दिया और उन्होंने मुझसे मेरी पढ़ाई के बारे में पूछा उसके बाद उन्होंने मुझे काम पर रख लिया था। जब मैं उनके कैबिन से बाहर निकला तो मामा जी ने मुझे बताया कि ललित बेटा तुम्हें मालूम है सर कि ना जाने कितनी कंपनियां चल रही हैं और मेरी उनसे बहुत अच्छी बनती है इसलिए उन्होंने तुम्हें काम पर रख लिया नहीं तो इस कंपनी में आने के लिए भी लोगों को जूते घिसने पड़ते हैं।

मेरा पहला ही दिन था इसलिए मैं ज्यादा देर ऑफिस में नहीं रुका और घर चला गया मैंने मामाजी के लिए खाना बना दिया था मामा जी जब घर आए तो कहने लगे अरे ललित तुम तो बड़ा अच्छा खाना बनाते हो। मैंने मामा जी से कहा मामा जी घर में खाना बनाना सीख लिया था ताकि जीवन में आगे चलकर कोई परेशानी ना हो। मामा जी मुझे कहने लगे तुम ने बहुत ही अच्छा किया, बेटा ऐसा स्वादिष्ट खाना यदि तुम मुझे रोज खिलाओगे तो मैं तो मोटा हो जाऊंगा और यह कहते हुए ही मामा जी हंसने लगे। मैं और मामा जी साथ में बैठे हुए थे तो वह मुझे अपने ऑफिस के बारे में बता रहे थे, अब अगले दिन मेरा ऑफिस का पहला ही दिन था मैं जब ऑफिस में गया तो ऑफिस में पहले दिन मैं कई लोगों से मिला। मेरे मामा को वहां काम करते हुए काफी वर्ष हो चुके थे इसलिए सब लोग मुझसे बड़े ही अच्छे से बात कर रहे थे।

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मेरे मामाजी बॉस के बहुत ही  चहिते थे इसीलिए तो बॉस ने मुझे काम पर रख लिया था मैं अब अपने काम पर अच्छे से ध्यान दे रहा था क्योंकि मुझे आए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था इसलिए मुझे थोडी समस्या हो रही थी लेकिन धीरे धीरे सब कुछ ठीक होने लगा था। अब मैं भी काफी हद तक काम सीख चुका था मैं अच्छे से काम करने लगा मुझे ऑफिस में करीब 3 महीने हुए थे लेकिन इस 3 महीने के दौरान मेरे अंदर बहुत कुछ बदलाव आ चुका था मैं भी अब मुंबई में रहने वाला एक जिम्मेदार नागरिक बन चुका था। मेरे कई दोस्त भी बनने लगे थे उन्ही दोस्तों के माध्यम से मेरी मुलाकात समीक्षा से हुई। जब समीक्षा से मैं मिला तो उससे बात करना मुझे अच्छा लगा और ऐसा लगा कि जैसे उससे मैं बात ही करता रहूँ। मैं समीक्षा से अपने दिल की बात कह दिया करता था और जब भी मैं परेशान होता तो उसे ही मैं सब कुछ बता देता था।

सब कुछ बड़े अच्छे से चल रहा था और सब तेजी से भी चल रहा था समय का पहिया इतनी तेजी से चला कि मेरा प्रमोशन भी हो गया। गांव से आया हुआ एक सामान्य सा लड़का मुंबई की बड़ी बिल्डिंग मे रहने लगा था। समीक्षा से मेरी नज़दीकियां भी बढ़ने लगी थी यह बात जब मेरे मामा जी को मालूम पडी तो उन्होंने मुझे कहा बेटा यह सब बिल्कुल ठीक नहीं है। उन्होंने मुझे समझाने की कोशिश की लेकिन मुझे समीक्षा अच्छी लगती थी और उससे बात करना मुझे बहुत पसंद था मैं समीक्षा से घंटो तक बात किया करता था। एक दिन मैंने समीक्षा को अपने फ्लैट में बुला लिया जब वह आई तो उस दिन हम लोगो ने एक दूसरे को किस कर लिया। पहली बार हम दोनों ने एक दूसरे के होठों को चूमा था मैंने समीक्षा को अपना बना लिया था। उसके नरम होठों को चूम कर मुझे ऐसा लगा जैसे उसे मैं अपना बना लूंगा। उस दिन तो हम दोनों के बीच कुछ नहीं हो पाया लेकिन अब हम दोनों के अंदर सेक्स को लेकर चिंगारी जल चुकी थी और वह चिंगारी को बुझाने का समय आ चुका था क्योंकि उसने आग का रूप ले लिया था। हम दोनों ही बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे और मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था मैंने समीक्षा के होठों को बहुत देर तक चूसा और उसे अपनी बाहों में ले लिया।

हम दोनों ने एक दूसरे के साथ बड़े ही अच्छे तरीके से किस किया जैसे ही मैंने समीक्षा की टी-शर्ट को उतारा तो वह मेरे सामने नंगी थी उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी। उसकी ब्रा को उतारते हुए उसके बड़े और सुडौल स्तनो को काफी देर तक मैं चूसता रहा मुझे बढ़ा ही मजा आ रहा था और उसे भी बहुत मजा आ रहा था। जैसे ही हम लोग ऐसा करते तो समीक्षा की चूत से पानी बाहर निकलने लगा वह चाहती थी कि मैं उसकी योनि को चाटू। मैंने उसकी योनि को बहुत देर तक चाटा समीक्षा की योनि को चाट कर मुझे बड़ा मजा आ रहा था। जब उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू किया तो मुझे भी मजा आने लगा और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था। मैने उसके बदन को पूरी तरीके से गरम कर दिया था जैसे ही मैंने समीक्षा की योनि के अंदर अपने लंड को धीरे धीरे डाला तो उसकी योनि से खून बाहर आने लगा था। मुझे भी अच्छा लगा समीक्षा की टाइट और मुलायम योनि के अंदर मेरा लंड जा चुका था उसकी चूत के अंदर लंड जाते ही उसके मुंह से तरह-तरह की आवाज निकलने लगी।

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वह बहुत ज्यादा बेचैन होने लगी थी और मुझे उसे धक्के मारने में बहुत मजा आ रहा था काफी देर तक मैं उसे ऐसे ही तेज गति से धक्के मारता रहा लेकिन जब उसकी चूत से खून बाहर निकलने लगा तो वह मुझे कहने लगी मेरी चूत से बहुत ज्यादा खून निकाल रहा है। मैंने उसे अपने ऊपर आने के लिए कहा और उसने मेरे लंड को अपनी योनि के अंदर ले लिया। मै उसे तेजी से धक्के मार रहा था और वह भी अपनी चूतडो को मेरे लंड के ऊपर नीचे करती जाती जिससे कि उसके अंदर की बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी और मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था। वह अपनी चूतडो को बड़े अच्छे से मेरे लंड से मिलाती जाती। मुझे उसकी उत्तेजना का अंदाजा लग रहा था कुछ ही समय बाद वह झडने वाली थी मैंने उसे अपने नीचे लेटा दिया और बड़ी तेजी से धक्के मारता जाता। जब मेरा वीर्य पतन समीक्षा की योनि के अंदर गया उसने मुझे कहा तुमने तो मेरी योनि में गिरा दिया। मैंने उसे कहा कोई बात नहीं मैं हूं ना।

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