desi xxx Archives - Antarvasna https://sexstories.one/tag/desi-xxx/ Hindipornstories.org Sat, 13 Feb 2021 15:51:40 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1 एक नंबर के माल को चोदने का सुख https://sexstories.one/desipapa-chut-sex-story/ Fri, 12 Feb 2021 11:01:10 +0000 https://sexstories.one/%e0%a4%8f%e0%a4%95-%e0%a4%a8%e0%a4%82%e0%a4%ac%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%9a%e0%a5%8b%e0%a4%a6%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%b8/ मेरा नाम कुंदन है मैं जयपुर का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 30 वर्ष है। मैंने पुणे से एमबीए किया है लेकिन मैं अपनी नौकरी से बिल्कुल भी खुश नहीं था इसलिए मैंने सोचा कि ... >> पूरी कहानी पढ़ें

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मेरा नाम कुंदन है मैं जयपुर का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 30 वर्ष है। मैंने पुणे से एमबीए किया है लेकिन मैं अपनी नौकरी से बिल्कुल भी खुश नहीं था इसलिए मैंने सोचा कि क्यों ना कुछ और काम शुरू कर लिया जाए। मैंने अपनी नौकरी से रिजाइन दे दिया और उसके बाद मैं कुछ समय घर पर ही खाली बैठा हुआ था फिर मुझे उसी दौरान समझ आया कि मुझे अपने घर पर ही टिफिन सर्विस का काम खोलना चाहिए। desipapa sex

मैंने टिफिन सर्विस का काम खोल दिया। desipapa sex

मेरे घर के पास ही एक बहुत बड़ा कॉलेज है और उसमें काफी बच्चे पढ़ते हैं। मैंने जब अपना टिफिन सर्विस का काम खोला तो मुझे शुरू से ही अच्छा रिस्पांस मिलना शुरू हो गया। मैंने अपने घर के ऊपर वाले फ्लोर पर सिर्फ अपने टिफिन सर्विस के लिए ही सारी व्यवस्थाएं की थी। वहां पर जो मेरा खाना बनाते थे मैंने उनके लिए भी रहने की व्यवस्था की थी ताकि उन्हें भी कोई परेशानी ना हो।

मेरा काम भी अब अच्छा चलने लगा था। desipapa sex

मुझे पहले सब लोगों ने बहुत ही भला बुरा कहा। सब लोग मुझे कहने लगे कि तुम एमबीए करने के बाद क्या टिफिन सर्विस का काम करोगे। मेरे माता-पिता भी इस पक्ष में नहीं थे और मेरे बड़े भैया भी इस पक्ष में नहीं थे लेकिन मैंने उन्हें जैसे तैसे इस बात के लिए मनाया और उसके बाद ही वह लोग इस बात के लिए राजी हुए लेकिन अब मेरा काम अच्छा चलने लगा और मैं अच्छे पैसे कमाने लगा तो उन्हें भी इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी। वह लोग भी बहुत खुश थे। एक दिन मेरे भैया भी मुझे कहने लगे कि लगता है मुझे भी अब नौकरी छोड़कर तुम्हारे साथ ही काम करना पड़ेगा। मैंने उन्हें कहा भैया आप ऐसा रिस्क मत उठाइए। मैंने तो जोश में आकर यह काम कर लिया लेकिन यदि मेरा काम नहीं चलता तो आपको पता है सब लोग मुझ पर कितनी उंगली उठाते और मुझे कहते कि तुमने अपनी मर्जी की है लेकिन मेरा काम अच्छा चल पड़ा तो अब मुझे किसी चीज की कोई दिक्कत नहीं है।

मेरे भैया जोर से हंसने लगे और कहने लगे तुम यह बात तो बिल्कुल सही कह रहे हो यदि तुम्हारा काम अच्छा नहीं चलता तो सब लोग तुम पर उंगलियां उठाते और तुम्हें ही दोषी ठहराते। मेरे भैया का नेचर बहुत अच्छा है और वह बहुत ही अच्छे व्यक्ति हैं। मेरे भैया मुझसे दो वर्ष बड़े हैं लेकिन हम दोनों के बीच में एक अच्छा रिलेशन है। हम दोनों एक दूसरे को बहुत ही अच्छे से समझते हैं। एक दिन हमारे पड़ोस के एक व्यक्ति मेरे पास आए मेरी उनसे इतनी ज्यादा मुलाकात नहीं थी लेकिन मैंने उन्हें अपनी कॉलोनी में देखा था। वह मुझे कहने लगे कि क्या आप ही कुंदन जी है।

मैंने उन्हें कहा हां मेरा ही नाम कुंदन है बताइए आपको क्या काम था। desipapa sex

वह मुझे कहने लगे कि क्या आपके पास समय है हम लोग कहीं बैठ सकते हैं। मैंने उन्हें कहा आप यहीं बैठ जाइए। मैंने उन्हें अपने घर के ऊपर वाले फ्लोर में ही बैठा दिया। वहां पर भी मैंने अपना एक छोटा सा ऑफिस बना रखा है। वह मेरे साथ बैठ गये और मुझे कहने लगे कि मैं आपके पड़ोस में ही रहता हूं। मैंने उन्हें कहा हां मैंने आपको एक दो बार देखा है।  उन्होंने मुझे अपना परिचय दिया उनका नाम राजेश है। वह मुझे कहने लगे कि मैंने सुना है आप का काम अच्छा चल रहा है। मैंने उन्हें कहा हां  बस चल ही रहा है दो वक्त की रोटी मैं निकाल ही लेता हूं। वह बहुत खुश हो गया और कहने लगे कि आप यह किस प्रकार की बात कर रहे हैं। मैंने सुना है आपका काम बहुत अच्छा चल रहा है। मैंने उन्हें कहा हां बस आप बताइए कैसे आना हुआ।

वह मुझे कहने लगे कि मुझे आपके साथ काम शुरू करना है। desipapa sex

मैंने एक जगह टिफिन सर्विस खोलने की सोची है यदि आप मेरी मदद कर दे तो मेरा काम भी चल पड़ेगा। उन्होंने मुझे यह ऑफर भी दिया कि उसमें हम दोनों पाटनर होंगे। मैंने भी झट से उनकी बात मान ली क्योंकि यह सौदा मेरे लिए अच्छा था। मैं उनके साथ एक दिन उस लोकेशन पर चला गया वहां पर भी काफी सारे इंस्टिट्यूट हैं। जब मैं वहां गया तो मैंने उन्हें कहा कि यहां पर तो आपका काम अच्छा चल सकता है। वह कहने लगे इसीलिए तो मैं आपके पास आया था।

अब उन्होंने मेरे साथ काम करने की सोच ली थी तो उन्होंने ही पूरा काम शुरू करवा कर मुझे दे दिया। मैं उनके काम को संभालने लगा और कभी-कबार वह भी काम देखने के लिए आ जाते थे। मैं उन्हें समय पर उनका हिस्सा दे देता था जिससे कि वह भी खुश हो जाते थे। धीरे धीरे काम भी अच्छा चलने लगा और मेरा काम दोनों जगह ही अच्छा चल रहा था। मेरी भी राजेश जी से अप अच्छी दोस्ती होने लगी थी और उनके घर से मैं भी परिचित होने लगा। एक दिन वह मुझे अपने घर पर भी ले गए थे उनके घर में उनकी बूढ़ी मां। उनकी पत्नी और उनके दो बच्चे हैं।

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वह लोग भी बहुत अच्छे हैं। desipapa sex

मैं भी अपना काम मन लगाकर कर रहा था। मेरे माता-पिता  बहुत खुश हैं और वह मुझे कुछ भी नहीं कहते। मैं भी जब उनके चेहरे पर खुशी देखता हूं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। मेरी मुलाकात अक्सर राजेश जी से होती रहती एक दिन वह कहने लगे काम कैसा चल रहा है। मैंने उन्हें कहा काम तो अच्छा चल रहा है आप सुनाइए। घर में तो सब ठीक हैं। उस दिन वह बहुत खुश नजर आ रहे थे। मैंने उन्हें पूछा आज आप कुछ ज्यादा खुश नजर आ रहे हैं। वह मुझे कहने लगे छोड़ो आपसे क्या बताना। मैंने उन्हें जिद करते हुए कहा आपके चेहरे की लालिमा बता रही है कि आपके हाथ कोई सोने की चिडियां लग गई है।

वह मुझे कहने लगे नहीं सोने की चिड़िया तो नहीं लगी है लेकिन मेरे हाथ एक भाभी लग गई है और वह बड़ी ही माल है। उन्होंने मुझे कहा यदि तुम्हें भी उसका रसपान करना है तो तुम मुझे बता दो मैं तुम्हें उसके पास ले चलूंगा। मैंने भी सोचा कि चलो मैं भी मजे ले ही लू जब राजेश जी कह रहे हैं तो अच्छा ही होगा। वह मुझे उस भाभी के पास ले गए उनका नाम बबीता था। जब मैं उनके घर पर गया तो मैं उनके बदन को देखकर बहुत खुश हो गया। वह एक नंबर की माल थी उनकी गांड और उनके स्तन इतने उठे हुए थे कि उससे प्रतीत हो रहा था कि उनके बदन का जाम कितने लोगों ने पिया हैं। मैंने भी देर नहीं की मै उन्हें कमरे में ले गया। राजेश जी बाहर सोफे पर बैठे हुए थे वह मेरा इंतजार कर रहे थे।

मैंने जब उनके कपड़े खोले तो उनके स्तनों का साइज 36 था। desipapa sex

मैंने उनकी गांड पर जब हाथ लगाया तो उनकी गांड भी 38 नंबर की थी। मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया। मैंने अपने लंड को उनके मुंह के अंदर डाल दिया। बबीता भाभी ने भी मेरे लंड को अपने मुंह में ऐसे लिया जैसे कि उनके लिए मामूली सी बात हो हालांकि मेरा लंड 9 इंच बड़ा है लेकिन उसके बावजूद वह मेरे पूरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग कर रही थी। उन्होंने मुझे उस दिन सकिंग के बड़े मजे दिए। मैंने भी जब उनकी चूत को चाटना शुरू किया तो उनकी चूत से जो तरल पदार्थ बाहर निकल रहा था।

वह मैं अपनी जीभ से चाट कर साफ कर देता। जब वह भी पूरे मूड में हो गई तो मैंने जब अपने लंड को उनकी योनि में डाला तो मेरा लंड बड़ी तेजी से उनकी चूत में चला गया। मैंने अपने लंड को उनकी योनि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और काफी समय तक मैं उनके साथ संभोग करता रहा। जब मेरा वीर्य गिरने वाला था तो मैंने बबीता भाभी से कहा मेरे लंड को अपने मुंह में ले लीजिए। उन्होंने मेरे लंड को मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू कर दिया। वह बड़े अच्छे से मेरे लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी।

उन्होंने अपने मुंह मे वीर्य को समा लिया। desipapa sex

मैंने जब उनकी गांड पर हाथ लगाया तो उन्होंने अपनी गांड मेरी तरफ कर दी। वह अपनी गांड मरवाने के लिए उतावली हो गई। मैंने भी अपने लंड को उनकी गांड के अंदर डाल दिया। मेरा लंड जैसे ही गांड के अंदर गया तो वह पूरे मूड में हो गई और अपनी गांड को मुझसे टकराने लगी। मैं बड़ी तेजी से धक्के मार रहा था मैंने इतनी तेजी से उन्हें धक्के मारे कि मेरा वीर्य जैसे ही उनकी गांड के अंदर गिरा तो वह खुश हो गई और कहने लगी मुझे तुम्हारे साथ आज मजा आ गया।

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अपने ही बाप चुदी https://sexstories.one/desi-chut-chodi-baap-ne/ Fri, 20 Mar 2020 09:56:26 +0000 https://sexstories.one/?p=819 मेरा नाम ज़रीना है. आज मै आपको अपनी आत्मकथा बताऊंगी जिसमे मैंने बताया है की मैंने बड़ी बेटी होने का किस तरह से फ़र्ज़ निभाया है और कैसे मेरे ही बाप ने मेरी चुत (desi ... >> पूरी कहानी पढ़ें

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मेरा नाम ज़रीना है. आज मै आपको अपनी आत्मकथा बताऊंगी जिसमे मैंने बताया है की मैंने बड़ी बेटी होने का किस तरह से फ़र्ज़ निभाया है और कैसे मेरे ही बाप ने मेरी चुत (desi chut) चोदी. मेरी जिन्दगी का सबसे काला दिन वो था जब मेरी अम्मा का इंतकाल हो गया . मेरे लिए अब अधिक पढ़ना मुश्किल हो गया . किसी तरह से घर चल रहा था . लेकिन हम लोग इसमें खुश रहा करते थे.

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अम्मा की मौत के 3 महीने के बाद एक दिन मेरी दूर की रिश्ते की मौसी मेरे यहाँ आई . वो बगल के ही मोहल्ले में रहती थी . मौसी ने मुझसे कहा – तुम्हारे अब्बा दुबारा शादी करना चाहते हैं .

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ये सुन कर मेरे तो होश उड़ गए . अब्बा की उम्र लगभग 45 साल थी . इस उम्र में वो शादी क्यों करेंगे ? शादी करने के बाद परिवार में और भी खर्च बढ़ जाएगा . सौतेली माँ आने के बाद मेरा और मेरी दो छोटी बहनों का क्या होगा . उन्हें तो स्कूल भी नहीं जाने दिया जाएगा . ये सभी बातें सोच कर मै परेशान हो गयी .

मैंने मौसी से पूछा – मौसी घर का काम तो मै कर ही देती हूँ . खाना -पीना से लेकर अपनी बहनों की देख भाल भी कर देती हूँ . फिर अब्बा दूसरी शादी क्यों कर रहे हैं ?

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मौसी ने कहा – मर्द को सिर्फ खाना -पीना ही नहीं चाहिए . उसे शारीरिक सुख यानी सम्भोग सुख भी चाहिए . तुम सम्भोग का मतलब तो जानती हो ना ?

मौसी से मुझे इस तरह के खुले शब्दों में उत्तर की आशा नहीं थी . लेकिन मौसी ने वही कहा जो हकीकत था.

मैंने धीरे से सर झुका कर कहा – हाँ जानती हूँ .

मौसी ने कहा – सम्भोग का सुख तो केवल औरत का शरीर ही दे सकता है ना ?.

मैंने कहा – हाँ .

मौसी ने कहा – इसलिए तुम्हारे अब्बा शादी करना चाहते हैं .

कह के मौसी मेरी दोनों बहनों को ले कर अपने घर चली गयी .

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जाते जाते बोली – कल शाम तक दोनों को वापस छोड़ आऊँगी . वैसे भी कल रविवार है. कल स्कूल भी बंद है.

मेरे दिमाग में मौसी के द्वारा मेरे अब्बा की शादी की बातों से काफी चिंता उमड़ पड़ी . मै नहीं चाहती थी की अब्बा शारीरिक सुख के लिए दूसरी शादी करें , जिसके कारण हम तीन बहनों की जिंदगी खराब हो जाए और घर में हमेशा झंझट बना रहे . लेकिन एक मर्द को शारीरिक सुख भी तो चाहिए. यदि मैं जोर जबरदस्ती कर के अपने अब्बा को शादी से रुकवा भी दूँ तो क्या गर्म मर्द का भरोसा ? हो सकता है कि अब्बा किसी बाजारू औरत के चक्कर में पड़ जाएँ. तब तो और भी खराबी होगी. इसलिए मैंने एक कठोर फैसला लिया कि अगर अब्बा को शारीरिक सुख चाहिए तो वो मै उन्हें दूंगी लेकिन उन्हें शादी नहीं करने दूँगी . मैंने ठान लिया कि मै आज की ही रात अपनी कुर्बानी दूंगी ताकि ये घर और मेरी बहनों की जिंदगी तबाह होने से बच जाए .

रात को अब्बा घर पर आये . सभी का हाल चाल पूछ कर खाना पीना खा कर वो अपने कमरे में सोने चले गए . रोज़ रात को सोने से पहले उन्हें एक गिलास दूध पीने की आदत थी . पहले माँ रोज़ एक गिलास दूध दिया करती थी . माँ की मौत के बाद दूध देने की ज़िम्मेदारी मेरी थी . मुझे आज अपनी कुर्बानी देनी थी . इसकी पूरी तयारी मैंने कर ली थी . जब अब्बा घर में नहीं थे तो मैंने शाम में ही उनके कमरे में से वियाग्रा की गोली चुरा कर अपने पास रख ली थी .

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शायद वो इस गोली का इस्तेमाल मेरी अम्मा के साथ सम्भोग करने के लिए किया करते थे . मै इतनी भी बच्ची नहीं थी कि इस वियाग्रा का मतलब ना समझूं . लड़कियों को दसवीं पास करते करते इन सभी बातों का भी ज्ञान हो जाता है. खैर ! मैंने उस वियाग्रा की गोली पीस कर दूध में मिला दिया और चम्मच से अच्छी तरह से मिला दिया . घर के सभी बत्ती बंद कर के मैंने अपने कपडे बदले और पतली सी नाईटी पहन कर दूध का गिलास ले कर अब्बा के पास पहुची . अब्बा भी अपने कपडे बदल चुके थे और वो सिर्फ लुंगी पहने हुए थे . वो गर्मियों में सिर्फ लुंगी पहन कर ही सोते थे . मैंने उनको दूध दिया . उन्होंने बिना कुछ पूछे वो दूध पी लिया औरबोले – जरीना, अब तुम जा कर सो जाओ .

मैंने कहा – अब्बा आज आयशा और सुहानी भी यहाँ नहीं हैं और मुझे अकेले सोने में डर लगता है. क्या मै आपके साथ सो जाऊं?

अब्बा ने हँसते हुए कहा – अरे , इतनी बड़ी हो गयी हो . और तुम घर के सारे काम भी कर लेती हो लेकिन अब भी तुम डरती हो ? चलो कोई बात नहीं , मेरे साथ ही सो जाओ . ज़रा ये लाईट बंद कर देना .

मैंने रूम की लाईट बंद कर दी . अब रूम में पूरी तरह अन्धेरा हो चुका था . एक बार तो मेरी रूह कांप उठी लेकिन जैसे ही मेरे सामने मेरी दोनों छोटी बहनों का चेहरा आया मैंने दिल को कड़ा किया और घर की सुख की चाहत में मैंने अल्लाह से दुआ माँगा कि आज मै अब्बा को शादी नहीं करने के लिए मना ही लूंगी चाहे मुझे इसके लिए कोई भी कुर्बानी देनी पड़े . ये सोच कर मै अब्बा के बगल में लेट गयी .

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मै जानती थी कि वियाग्रा 1 घंटे के बाद अपना असर शुरू करेगा . मैंने 1 घंटे तक इंतज़ार किया . और सोने का नाटक करती रही . 1 घंटे बाद मैंने महसूस किया कि अब्बा मेरे कमर पर हाथ फेर रहे थे. मैंने भी धीरे धीरे मैंने अपनी नाईटी को अपने कमर तक उठा लिया . धीरे धीरे मै अब्बा के शरीर से सट गयी . मेरे अब्बा पर अब धीरे धीरे वियाग्रा का असर शुरू हो रहा था. लेकिन वो इस से अनजान थे . मैंने जान बुझ कर अपनी एक टांग अपने अब्बा के शरीर पर रख दिया . अब्बा ने किसी तरह का प्रतिरोध नहीं किया . वो मेरी चिकनी टांग पर अपने हाथ रख कर धीरे धीरे सहलाने लगे. मेरी हिम्मत थोड़ी और जागी . मै अब्बा के शरीर से पूरी तरह चिपक गई. अब्बा ने अपनी बांह में मुझे लपेट लिया .

मैंने अपने चूची का दवाब उनके बदन पर बढ़ाना शुरू किया .अब्बा मेरी जाँघों को सहला रहे थे . कुछ देर तक इसी हालत में रहने के बाद मैंने अपनी चूची को उनके शरीर पर रगड़ना शुरू किया. और अपने बुर को उनके जांघ पर घसने लगी. उन्हें भी अब मेरा स्पर्श अच्छा लग रहा था. अब मैंने अपनी टांगों को इस तरह से उनके कमर पर रखा कि मेरा बुर उनके लंड से सट सके . या, अल्लाह ! उनका लंड पूरी तरह से खड़ा था और मेरी चूत के ऊपर चुभ रहा था. मैं अपने चूची को अब्बा के सीने में जोर से सटा रही थी. मेरी सांस तेज़ हो चली थी और दिल जोर जोर से धड़क रहा था . अब्बा ने अपनी बाहों को मेरी पीठ पर रखा और मेरे बदन को कस कर अपनी शरीर की तरफ खीचने लगे और मेरी चूची को अपने सीने से जोर से दबाने लगे. मैंने किसी तरह का प्रतिरोध नही किया . अब हम एक दुसरे से आलिंगन थे लेकिन कपडे पहने हुए ही थे . मैंने अपना बुर से उनके लंड पर दवाब बनाना शुरू किया .

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मैंने जान बूझ कर पेंटी और ब्रा नहीं पहना था . अब्बा ने मेरी जांघो पर हाथ फेरना चालू किया . और हाथ फेरते फेरते मेरी नंगी गांड पर हाथ फेरने लगे . अब मै समझ गयी कि अब्बा अब मेरे वश में आ सकते हैं . मैंने जान बुझ कर जागने का नाटक किया और धीरे से कहा – अब्बा मुझे गुदगुदी हो रही है. इसके बाद तो बस वही हुआ जो होना था.

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