Desi Chut ki Chudai Archives - Antarvasna https://sexstories.one/tag/desi-chut-ki-chudai/ Hindipornstories.org Sat, 24 Oct 2020 14:35:08 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1 मैं फड़कती चूत का दीवाना https://sexstories.one/choot-chudai-ki-kahani/ Sun, 25 Oct 2020 10:12:08 +0000 https://sexstories.one/?p=1364 नमस्कार दोस्तों! मैं अमन, मेरे पुराने पाठक तो मुझे जानते ही होगें। और अपने नये पोर्न स्टोरी पाठको को मेरा परिचय यह है कि मैं साउथ दिल्ली से हूं और एक किराये के मकान में ... >> पूरी कहानी पढ़ें

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नमस्कार दोस्तों! मैं अमन, मेरे पुराने पाठक तो मुझे जानते ही होगें। और अपने नये पोर्न स्टोरी पाठको को मेरा परिचय यह है कि मैं साउथ दिल्ली से हूं और एक किराये के मकान में रहता हूं। दोस्तों आप को पता ही होगा कि कैसे मैंने अपनी मकान मालकिन की चुदाई की थी और अपने अड़ियल लंड से पूरी रात चोद कर उनकी चूत की गर्मी शांत की थी। और उस दिन से वह मेरे लंड की दिवानी हो गयी और जब कभी भी मौका मिलता तो वे चुदने के लिये मुझे बुला लेती थी और मैं भी उनकी भरपूर चुदाई करता था। choot chudai

और इस तरह मैंने उसे पूरा रंडी बना दिया। choot chudai

पिछले गुरूवार की बात है, उस दिन फिर आंटी अकेली थी, क्योंकि अंकल की शिफ्ट बदल चुकी थी। और वे रात को आॅफिस चले गये । और फिर आंटी चूत खुजलायी तो उन्होंने मुझे ही याद किया। दोस्तों अब मैं एक ही चूत चोद चोद कर ऊब चुका था पर आंटी की भूख शांत ही नहीं होती। लेकिन वह मेरी मकान मालकिन हैं, इस कारण मैं उनको मना भी नहीं कर सकता था और जब भी वे बुलाती मुझे जाना पड़ता। और उस दिन भी ऐसा ही हुआ।

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मैं उनके कमरे में गया तो वह ब्रा और पैंटी में अपने बेड पर लेटी थी। मैं चुपचाप जा कर उनके पास बैठ गया तो उन्होंने मेरा लंड निकाल लिया और उससे खेलने लगी पर मैंने कोई हरकत नहीं की, इसलिये वह जल्द ही समझ गयी कि आज मैं उन पर खास ध्यान नहीं दे रहा था। और मुझसे बोली कि आखिर बात क्या हैं, तो मैंने भी अपने दिल की सारी बात उनको बता दी। choot chudai

इस पर वे हंस कर बोली कि बस इतनी सी बात। इसके बाद वे बोली कि उनकी एक दोस्त है, जिसका नाम मोना है। उन्होंने उसको हमारी चुदाई का किस्सा बताया था, और तब से वह मेरे लंड के दर्शन करना चाहती है। और उन्होंने कई बार आंटी से मुझसे मिलने के लिये कहा। यह सुनते ही मैं खुशी से उछल गया, और आंटी से बोला कि प्लीज आंटी एक बार मिलवा दो ना। तो वह बोली कि ठीक है, मैं उसे कल शाम को बुला लूंगी।

यह सुनकर मेरे ठंडे पड़े शरीर में जान आ गयी और आंटी की सहेली के बारे में सोचते हुये रात भर मैंने आंटी की खूब चुदाई की और हमेशा की तरह सुबह होने से पहले चुपचाप छत पर आकर अपनी चारपाई पर सो गया। अगला दिन शुरू हुआ, मैं उठा, पर मेरे दिमाग में आंटी की बात गूंज रही थी और पूरी शिद्दत से उनकी फ्रेंड मोना के आने का इंतजार कर रहा था। और इस तरह इंतजार में पूरा दिन पहाड़ जैसा लग रहा था।

इस बीच मैं कई दफें मकान मालकिन के कमरे के चक्कर काट चुका था। और दोपहर को जब मैं उनके पास गया तो आंटी ने मुझसे कहा कि जब मोना आये तो उसे यह पता न चले कि मैं पहले से उसके बारे में जानता हूं.. choot chudai

तो मैंने उनकी सारी बात समझ ली और हां में सिर हिला दिया और फिर अपने रूम में वापस चला आया। और पढ़ाई करने लगा पर मेरा मन पढ़ने में भी नहीं लग रहा था और इस तरह धीरे धीरे शाम हो गयी। करीब छः बजे थे और मैं यह देखने के लिये मकान मालकिन के कमरे की ओर बढ़ा कि उनकी दोस्त मोना आयी है, या नहीं। और जैसे ही मैं उनके डोर पर पहुंचा तो मुझे आंटी के साथ किसी अन्य महिला की आवाजें आ रही थी।

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मैं तुरंत ही समझ गया कि वह उनकी दोस्त मोना है। पर आंटी के कहे अनुसार अंजान बन कर मैंने अंदर प्रवेश किया, तो देखा कि आंटी और उनकी फ्रेंड सामने सोफे पर बैठी थी। मैं चुपचाप बहाने से उनके पास गया और बोला कि आंटी मैं बाजार जा रहा हूं, आपको कोई काम तो नहीं है। उन्होंने कहा नहीं है, फिर जैसे ही मैं मुड़ा तो आंटी ने पीछे से मुझे आवाज लगाई, तो मैं पलट गया।

और उसके बाद उन्होंने मेरा परिचय अपनी फ्रेंड मोना से कराया और तब मैंने मोना को भरपूर नजरों से निहारा। साली एक नंबर माल थी ऊपर से लेकर नीचे तक, और उसके हुस्न का झटका का मुझे ऐसा लगा कि मेरा लंड भी पैंट के अंदर से फड़फड़ाने लगा पर फिर मैंने किसी तरह उसे थाम लिया। वह बहुत ही गोरी बिल्कुल वन टच माल थी और देखने में उम्र करीब 28 साल की लग रही थी। choot chudai

गोल गोल बूब्स से भरी उसकी छाती और भरे भरे गालों के साथ उसकी नशीली आंखें मुझे नशे में कर रही थी। और होठों की बनावट तो ऐसी थी, अगर कोई एक बार उनका रस चूसना शुरू करे तो रूकने का नाम ही न ले। मोना डार्लिंग की खूबसूरती के आगे मेरी मकान मालकिन भी भीकी थी। उनका बेहद टाइट कसा कुर्ता उनकी मस्त बत्तीस इंची कमर पर चिपका था।

फिर आंटी ने मुझे सामने सोफे पर बैठने को कहा तो मैं बैठ गया और इस तरह हम तीनों आपस में गपशप करने लगे। और बीच बीच में मोना आंटी मुझे तिरछी नजरें से तड़ लेती थी और मैं भी आखों ही आखों में उनके शरीर के हर हिस्से को निहार रहा था। जब वह पैर पर पैर रख कर बैठी थी तो कुर्ते के किनारों से दिखती उनकी मांसल जांघे और भी ज्यादा सेक्सी थी।

और इस तरह हमनें खूब बातें की और लगभग एक घंटे बाद आंटी किचेन में खाना रेडी करने चली गयी और मोना भी जाकर उनका हाथ बटानें लगी, तो मैं भी वापस अपने कमरे में आ गया और रात होने का इंतजार करने लगा। choot chudai

रात को खाना खाने के बाद मैं हमेशा की तरह बाहर चारपाई बिछाकर लेट गया और मोना आंटी की याद में आसमान को देखकर करवटे बदलते रहा। और दस बजे के आस पास मैं धीरे से आंटी के कमरे में गया और पूछा कि मोना कहां है तो आंटी ने बताया कि वह बगल वाले कमरे में सो रही है, यह सुनकर मैं मोना के कमरे की ओर बढ़ा और मकान मालकिन अपने बच्चों के साथ फिर से सो गयी।

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मैंने बिना आहट किये मैंने मोना के कमरे के डोर को धक्का दिया तो वह खुल गया। और मैं भी यह समझ गया कि उन्होंने भी चुदने की पूरी व्यवस्था कर रखी थी। और फिर मैं बेड की ओर बढ़ा तो मैंने देखा कि मोना आंटी करवट लिये लेटी थी और उनके बदन पर एक हल्की क्रीम कलर की नाइटी थी जिसमें से उनकी बाॅडी के सभी उभार बखूबी दिख रहे थे। फिर मैंने अपनी शर्ट और लोवर उतार दी और बेड पर जाकर उनसे सट कर लेट गया।

और कमर मैं हाथ डालकर उसे सहलाते हुये सीमा मेरी जान बोला ताकि अगर कुछ गड़बड़ी हो मैं यह कह सकूं कि मैं उन्हें सीमा आंटी समझ रहा था और बच सकूं क्योंकि सीमा मेरी मकान मालकिन का नाम था। choot chudai

और फिर मैंने अपने हाथों को ऊपर करते हुये उनके बूब्स को दबाना शुरू कर दिया। इस पर भी मोना आंटी चुपचाप अपनी करवट लेटी रही और मैं समझ गया आज वह पूरे चुदने के मन आयी है। और उनकी खामोशी को हां समझ कर मैंने उनके बूब्स को और जोर से मसलना शुरू कर दिया तो धीरे धीरे उनकी सिसकियां निकलने लगी। इसी बीच मेरा लंड भी अपना आकार बढ़ाने लगा और उनकी फूली गाड़ से टकराने लगा।

आज बहुत दिन बाद मेरा लंड किसी नई और हरी भरी गाड़ से टकरा रहा था। फिर मैं उनको सीधा करके जब मैं उनके होठों के पास पहुंचा तो जानबूझ कर झटके से उठकर उनसे अलग हो गया और बोला कि मोना आंटी आप हैं, मैं तो अपनी मकान मालकिन को समझ रहा था और साॅरी बोलकर झूठे मन से कमरे के बाहर आने लगा तो मोना ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे रोक लिया और बोली कि ऐसा क्या तुम्हारी सीमा आंटी में जो मुझमें नहीं, मैं भी स्मार्ट हूं, जवान हूं और अगर मैं चाहू तो मेरे पीछे भी लड़को की लाइन लग जाये, पर मैंने सीमा से तेरी बहुत तारीफ सुनी थी इसलिये मैं तेरे पास आयी हूं और इतना कहते ही वह मेरे पास आयी और मेरे कंधो में अपने हाथ डालकर अपने रसीले होठों को मेरे होठों पर रख दिया और धीरे धीरे से चूमने लगी।

अब मैं भी मन ही मन खुश था क्योंकि मेरा प्लान एकदम सही रास्ते पर जा रहा था। choot chudai

पर फिर भी मैंने जानबूझ कर कोई रिसपांस नहीं दिखाया तो मोना आंटी ने मेरे होठों को दबाना शुरू कर दिया तो फिर मुझसे न रहा गया और मैं भी उनका साथ देने लगा और उनके होठों को दबाकर चूमने लगा। फिर मैंने अपने दोनों हाथों से उनको बेड पर लाकर पटक दिया और उन पर चढ़ कर बेकरारी से चूमने लगा।

और चूमते चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था।

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अपने ही बाप चुदी https://sexstories.one/desi-chut-chodi-baap-ne/ Fri, 20 Mar 2020 09:56:26 +0000 https://sexstories.one/?p=819 मेरा नाम ज़रीना है. आज मै आपको अपनी आत्मकथा बताऊंगी जिसमे मैंने बताया है की मैंने बड़ी बेटी होने का किस तरह से फ़र्ज़ निभाया है और कैसे मेरे ही बाप ने मेरी चुत (desi ... >> पूरी कहानी पढ़ें

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मेरा नाम ज़रीना है. आज मै आपको अपनी आत्मकथा बताऊंगी जिसमे मैंने बताया है की मैंने बड़ी बेटी होने का किस तरह से फ़र्ज़ निभाया है और कैसे मेरे ही बाप ने मेरी चुत (desi chut) चोदी. मेरी जिन्दगी का सबसे काला दिन वो था जब मेरी अम्मा का इंतकाल हो गया . मेरे लिए अब अधिक पढ़ना मुश्किल हो गया . किसी तरह से घर चल रहा था . लेकिन हम लोग इसमें खुश रहा करते थे.

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अम्मा की मौत के 3 महीने के बाद एक दिन मेरी दूर की रिश्ते की मौसी मेरे यहाँ आई . वो बगल के ही मोहल्ले में रहती थी . मौसी ने मुझसे कहा – तुम्हारे अब्बा दुबारा शादी करना चाहते हैं .

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ये सुन कर मेरे तो होश उड़ गए . अब्बा की उम्र लगभग 45 साल थी . इस उम्र में वो शादी क्यों करेंगे ? शादी करने के बाद परिवार में और भी खर्च बढ़ जाएगा . सौतेली माँ आने के बाद मेरा और मेरी दो छोटी बहनों का क्या होगा . उन्हें तो स्कूल भी नहीं जाने दिया जाएगा . ये सभी बातें सोच कर मै परेशान हो गयी .

मैंने मौसी से पूछा – मौसी घर का काम तो मै कर ही देती हूँ . खाना -पीना से लेकर अपनी बहनों की देख भाल भी कर देती हूँ . फिर अब्बा दूसरी शादी क्यों कर रहे हैं ?

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मौसी ने कहा – मर्द को सिर्फ खाना -पीना ही नहीं चाहिए . उसे शारीरिक सुख यानी सम्भोग सुख भी चाहिए . तुम सम्भोग का मतलब तो जानती हो ना ?

मौसी से मुझे इस तरह के खुले शब्दों में उत्तर की आशा नहीं थी . लेकिन मौसी ने वही कहा जो हकीकत था.

मैंने धीरे से सर झुका कर कहा – हाँ जानती हूँ .

मौसी ने कहा – सम्भोग का सुख तो केवल औरत का शरीर ही दे सकता है ना ?.

मैंने कहा – हाँ .

मौसी ने कहा – इसलिए तुम्हारे अब्बा शादी करना चाहते हैं .

कह के मौसी मेरी दोनों बहनों को ले कर अपने घर चली गयी .

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जाते जाते बोली – कल शाम तक दोनों को वापस छोड़ आऊँगी . वैसे भी कल रविवार है. कल स्कूल भी बंद है.

मेरे दिमाग में मौसी के द्वारा मेरे अब्बा की शादी की बातों से काफी चिंता उमड़ पड़ी . मै नहीं चाहती थी की अब्बा शारीरिक सुख के लिए दूसरी शादी करें , जिसके कारण हम तीन बहनों की जिंदगी खराब हो जाए और घर में हमेशा झंझट बना रहे . लेकिन एक मर्द को शारीरिक सुख भी तो चाहिए. यदि मैं जोर जबरदस्ती कर के अपने अब्बा को शादी से रुकवा भी दूँ तो क्या गर्म मर्द का भरोसा ? हो सकता है कि अब्बा किसी बाजारू औरत के चक्कर में पड़ जाएँ. तब तो और भी खराबी होगी. इसलिए मैंने एक कठोर फैसला लिया कि अगर अब्बा को शारीरिक सुख चाहिए तो वो मै उन्हें दूंगी लेकिन उन्हें शादी नहीं करने दूँगी . मैंने ठान लिया कि मै आज की ही रात अपनी कुर्बानी दूंगी ताकि ये घर और मेरी बहनों की जिंदगी तबाह होने से बच जाए .

रात को अब्बा घर पर आये . सभी का हाल चाल पूछ कर खाना पीना खा कर वो अपने कमरे में सोने चले गए . रोज़ रात को सोने से पहले उन्हें एक गिलास दूध पीने की आदत थी . पहले माँ रोज़ एक गिलास दूध दिया करती थी . माँ की मौत के बाद दूध देने की ज़िम्मेदारी मेरी थी . मुझे आज अपनी कुर्बानी देनी थी . इसकी पूरी तयारी मैंने कर ली थी . जब अब्बा घर में नहीं थे तो मैंने शाम में ही उनके कमरे में से वियाग्रा की गोली चुरा कर अपने पास रख ली थी .

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शायद वो इस गोली का इस्तेमाल मेरी अम्मा के साथ सम्भोग करने के लिए किया करते थे . मै इतनी भी बच्ची नहीं थी कि इस वियाग्रा का मतलब ना समझूं . लड़कियों को दसवीं पास करते करते इन सभी बातों का भी ज्ञान हो जाता है. खैर ! मैंने उस वियाग्रा की गोली पीस कर दूध में मिला दिया और चम्मच से अच्छी तरह से मिला दिया . घर के सभी बत्ती बंद कर के मैंने अपने कपडे बदले और पतली सी नाईटी पहन कर दूध का गिलास ले कर अब्बा के पास पहुची . अब्बा भी अपने कपडे बदल चुके थे और वो सिर्फ लुंगी पहने हुए थे . वो गर्मियों में सिर्फ लुंगी पहन कर ही सोते थे . मैंने उनको दूध दिया . उन्होंने बिना कुछ पूछे वो दूध पी लिया औरबोले – जरीना, अब तुम जा कर सो जाओ .

मैंने कहा – अब्बा आज आयशा और सुहानी भी यहाँ नहीं हैं और मुझे अकेले सोने में डर लगता है. क्या मै आपके साथ सो जाऊं?

अब्बा ने हँसते हुए कहा – अरे , इतनी बड़ी हो गयी हो . और तुम घर के सारे काम भी कर लेती हो लेकिन अब भी तुम डरती हो ? चलो कोई बात नहीं , मेरे साथ ही सो जाओ . ज़रा ये लाईट बंद कर देना .

मैंने रूम की लाईट बंद कर दी . अब रूम में पूरी तरह अन्धेरा हो चुका था . एक बार तो मेरी रूह कांप उठी लेकिन जैसे ही मेरे सामने मेरी दोनों छोटी बहनों का चेहरा आया मैंने दिल को कड़ा किया और घर की सुख की चाहत में मैंने अल्लाह से दुआ माँगा कि आज मै अब्बा को शादी नहीं करने के लिए मना ही लूंगी चाहे मुझे इसके लिए कोई भी कुर्बानी देनी पड़े . ये सोच कर मै अब्बा के बगल में लेट गयी .

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मै जानती थी कि वियाग्रा 1 घंटे के बाद अपना असर शुरू करेगा . मैंने 1 घंटे तक इंतज़ार किया . और सोने का नाटक करती रही . 1 घंटे बाद मैंने महसूस किया कि अब्बा मेरे कमर पर हाथ फेर रहे थे. मैंने भी धीरे धीरे मैंने अपनी नाईटी को अपने कमर तक उठा लिया . धीरे धीरे मै अब्बा के शरीर से सट गयी . मेरे अब्बा पर अब धीरे धीरे वियाग्रा का असर शुरू हो रहा था. लेकिन वो इस से अनजान थे . मैंने जान बुझ कर अपनी एक टांग अपने अब्बा के शरीर पर रख दिया . अब्बा ने किसी तरह का प्रतिरोध नहीं किया . वो मेरी चिकनी टांग पर अपने हाथ रख कर धीरे धीरे सहलाने लगे. मेरी हिम्मत थोड़ी और जागी . मै अब्बा के शरीर से पूरी तरह चिपक गई. अब्बा ने अपनी बांह में मुझे लपेट लिया .

मैंने अपने चूची का दवाब उनके बदन पर बढ़ाना शुरू किया .अब्बा मेरी जाँघों को सहला रहे थे . कुछ देर तक इसी हालत में रहने के बाद मैंने अपनी चूची को उनके शरीर पर रगड़ना शुरू किया. और अपने बुर को उनके जांघ पर घसने लगी. उन्हें भी अब मेरा स्पर्श अच्छा लग रहा था. अब मैंने अपनी टांगों को इस तरह से उनके कमर पर रखा कि मेरा बुर उनके लंड से सट सके . या, अल्लाह ! उनका लंड पूरी तरह से खड़ा था और मेरी चूत के ऊपर चुभ रहा था. मैं अपने चूची को अब्बा के सीने में जोर से सटा रही थी. मेरी सांस तेज़ हो चली थी और दिल जोर जोर से धड़क रहा था . अब्बा ने अपनी बाहों को मेरी पीठ पर रखा और मेरे बदन को कस कर अपनी शरीर की तरफ खीचने लगे और मेरी चूची को अपने सीने से जोर से दबाने लगे. मैंने किसी तरह का प्रतिरोध नही किया . अब हम एक दुसरे से आलिंगन थे लेकिन कपडे पहने हुए ही थे . मैंने अपना बुर से उनके लंड पर दवाब बनाना शुरू किया .

Desi Chut ki Chudaiभैया के साथ सुहागरात मनाई

मैंने जान बूझ कर पेंटी और ब्रा नहीं पहना था . अब्बा ने मेरी जांघो पर हाथ फेरना चालू किया . और हाथ फेरते फेरते मेरी नंगी गांड पर हाथ फेरने लगे . अब मै समझ गयी कि अब्बा अब मेरे वश में आ सकते हैं . मैंने जान बुझ कर जागने का नाटक किया और धीरे से कहा – अब्बा मुझे गुदगुदी हो रही है. इसके बाद तो बस वही हुआ जो होना था.

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