chudas ladki Archives - Antarvasna https://sexstories.one/tag/chudas-ladki/ Hindipornstories.org Mon, 29 Nov 2021 06:48:54 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1 कर लो अपनी हवस पूरी https://sexstories.one/desi-ladki-ke-saath-chudai-ki-hawas-poori-ki/ Mon, 29 Nov 2021 06:46:46 +0000 https://sexstories.one/?p=3363 मैंने तुरंत ही उसकी योनि में अपने मोटे लंड को डाल दिया। उसकी योनि  बहुत ज्यादा टाइट थी। मुझे अपने लंड को घुसाने में बहुत ही दिक्कत हो रही थी लेकिन मैंने एक झटके में अपने लंड को उसकी योनि में डाल दिया...

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chudai ki hawas मेरा नाम रमन है और मैं लखनऊ का रहने वाला हूं। मैं एक 24 वर्ष का युवा हूं। मेरे घर में मेरे पिताजी मेरी माता और मेरी बहन गरिमा है। गरिमा और मैं बेकरी का काम चलाते हैं। यह हमारे पिताजी ने शुरू किया था और इस काम को हम बहुत समय से करते हुए आ रहे हैं। मेरे पिताजी को यह काम करते हुए 30 वर्ष से ऊपर हो चुके हैं। अब हमारी दुकान बहुत ही अच्छी चलती है। जितने भी हमारे इलाके में बर्थडे होते हैं सब लोग हमारे से ही केक लेकर जाते हैं। क्योंकि हम लोगों उन्हें फ्रेश केक देते हैं और जितना भी बेकरी का आइटम होता है वह सब हमारे यही से लेकर जाते हैं। जिस वजह से हमारी बेकरी शॉप बहुत ही अच्छे से चल रही है। इसलिए हम दोनों बेकरी शॉप में ही काम देख रहे हैं। वहां पर हमारे कुछ कर्मचारी भी हैं जो कि हमारा काम देखा करते हैं।

वह बेकरी में आइटम तैयार करते हैं। उन्हें भी हमारे यहां काम करते हुए कई वर्ष हो चुके हैं। वह मेरे पिताजी के साथ से काम करते हुए आ रहे हैं। हम लोगों की बेकरी शॉप घर के पास ही है। जिस वजह से जितने भी लोग हमारे मोहल्ले में या आस-पास के एरिया में रहते हैं, उन सब से हम बहुत ही अच्छे से परिचित हैं। वह लोग हमारे पास आते हैं और हम से ही सामान ले जाते हैं। एक दिन हमारे पड़ोस में एक डॉक्टर रहने आई। वह डॉक्टर शादीशुदा नहीं थी और उनकी पढ़ाई अभी कंपलीट हुई थी। इसलिए उनका ट्रांसफर हमारे शहर में हो गया था और वह हमारे पास वाले घर में ही रहती थी। एक दिन जब वह हमारी बेकरी शॉप में आई तो वह मुझसे सामान ले गई और मुझे वह बहुत ही पसंद आई। उन्होंने जिस तरीके से मुझसे बात की और उनका बात करने का अंदाज मुझे बहुत ही अच्छा लगा लेकिन मैं उनका नाम नहीं पूछ पाया और उस दिन कुछ तो मेरी तबीयत थोड़ा खराब होने लगी। मैं घर पर आराम कर रहा था। मैं घर पर ही था तो मेरी बहन दुकान का काम संभाल रही थी और उसने बहुत ही अच्छे से दुकान में काम संभाल लिया था।

गरिमा बहुत ही अच्छे से दुकान में काम संभाल रही थी और कुछ दिनों बाद मेरी तबीयत ठीक हो गई। मैं वापस से दुकान में चला गया। जब मैं अपनी शॉप में अपनी बहन के साथ गया तो वह मुझे कहने लगी, चलो तुम अब शॉप में आ गए हो तो मेरा मन बहला रहेगा। नहीं तो मैं बोर होने लगी थी। मैंने अब दोबारा से अपना काम शुरू कर दिया था और एक दिन वह डॉक्टर हमारी दुकान पर आ गई और वह मेरी बहन से बहुत ही अच्छे से बात कर रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उन दोनों के बीच में दोस्ती हो चुकी है। मुझे बिल्कुल भी पता नहीं चला कि उन दोनों के बीच में दोस्ती हो चुकी है। वह दोनों बहुत ही अच्छे से बात कर रही थी और उसके बाद उसने मुझे डॉक्टर से मिलाया। मेरी बहन ने जब हम दोनों का इंट्रोडक्शन कराया तो उस दिन उनका नाम मुझे पता चला। उसका नाम रेखा था। रेखा बहुत ही सुंदर थी।

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वह मुझसे बहुत ही अच्छे से बात कर रही थी। वह मुझे उससे बात कर के बहुत ही अच्छा लग रहा था। रेखा से अब मेरी मुलाकात भी हो चुकी थी और मैं अब उससे बात भी करने लगा था। मुझे बहुत ही अच्छा लगता था उससे बात करके। उसका स्वभाव बहुत ही अच्छा था। अब जब भी वह हमारी शॉप में आती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता था और मैं उससे अच्छे से बात किया करता था और वह भी मुझसे बहुत ही अच्छी तरीके से बात किया करती थी। अब हम दोनों के बीच में भी बहुत अच्छी बातचीत होने लगी और मैंने उससे उसका नंबर भी ले लिया। जब मैंने उसका नंबर लिया तो उसके चेहरे पर भी एक मुस्कुराहट सी थी और कभी जब वह हमारी शॉप से आर्डर करवाती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता और मैं दुकान से खुद ही उसके घर पर सामान ले जाता था।

एक दिन उसका बर्थडे था और उसने हमारे शॉप में एक बहुत बड़ा केक आर्डर करवाया और जब उसने वह केक आर्डर करवाया तो उसने मेरी बहन और मुझे फोन करके इनवाइट करा था। अब हम दोनों उस के बर्थडे में गए और बहुत ही अच्छे से रेखा ने अरेंजमेंट करवा रखा था। काफी सारा सामान तो हमारी दुकान से ही  ले गई थी। मैंने उससे उसके पैसे नहीं लिए और कहा कि यह हमारी तरफ से आपके लिए बर्थडे गिफ्ट है। वह बहुत ही खुश हुई और जब हम उसके घर में थे तो हम लोगों ने बहुत ही मौज मस्ती की। अब मैं रेखा से मिलने भी लगा था। मैं उससे फोन पर भी बात करने लगा और हम दोनों के बीच में बहुत ज्यादा नज़दीकियां हो गई।

एक दिन रेखा ने हमारी शॉप में फोन करके पेस्ट्री का आर्डर दिया लेकिन मेरी बहन वह ऑर्डर भूल गई। हम अपने काम में ही बहुत व्यस्त थे थोड़े समय बाद दोबारा से रेखा का फोन आया। तो मेरी बहन कहती है कि तुम जल्दी से रेखा का ऑर्डर दे आओ नहीं तो वह बहुत ही गुस्सा हो जाएगी। मैंने तुरंत ही वह पेस्ट्री पैक करवाई और मैं दौड़ते हुए उसके घर पर चला गया। जैसे ही मैं उसके घर के अंदर पहुंचा तो उसका दरवाजा खुला हुआ था और वह अपने सोफे पर पैंटी और ब्रा में थी। मैंने जैसे ही उसे देखा तो मेरा मन पूरा खराब हो गया उसका शरीर इतना ज्यादा मुलायम और गोरा था कि वह मुझे दूर से ही दिखाई दे रही थी। उसने नीली कलर की पैंटी ब्रा पहनी हुई थी और मैं जैसे ही उसके पास गया तो मैंने उसके बदन को हाथ लगाया वह भी पूरी उत्तेजना में आ गई और बहुत ही ज्यादा खुश हो गई।

उसने तुरंत ही मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैंने वह पेस्ट्री निकालते हुए अपने हाथ से उसे खिलाना शुरू कर दिया और उसके स्तनों पर पेस्ट्री लगा दी। अब मैं  उसके स्तनों को चाटता तो वह पेस्ट्री मेरे मुंह में लग जाती और मुझे बहुत ही मजा आता। मैंने अपने लंड पर भी बहुत पेस्ट्री लगा दी और वह उसे चूसने लगी। उसे बहुत ही मजा आ रहा था वह बहुत अच्छे से मेरे लंड को चूस रही थी। थोड़े समय बाद मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया उसकी योनि से कुछ ज्यादा ही चिपचिपा पदार्थ बाहर निकल रहा था। मैंने उसे अब उसी सोफे पर लेटा दिया।

जैसे ही मैंने उसे उस सोफे पर लेटाया तो उसका शरीर पूरा गरम हो गया था और मैंने तुरंत ही उसकी योनि में अपने मोटे लंड को डाल दिया। उसकी योनि  बहुत ज्यादा टाइट थी। मुझे अपने लंड को घुसाने में बहुत ही दिक्कत हो रही थी लेकिन मैंने एक झटके में अपने लंड को उसकी योनि में डाल दिया। अब मै अपने लंड को अंदर बाहर करता जाता। मैं उसकी योनि से अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था और मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मुझे बड़ा ही मजा आता जब मैं उसकी योनि में अपने लंड को प्रवेश करवा रहा था और मैं उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था। उसके स्तन बड़े ही गोल-गोल और अच्छे थे उसके होंठ भी बड़े नाजुक और मुलायम थे। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उसके होठों को मैं हमेशा ही किस करता रहूं। मैं जब भी उसके शरीर को देख रहा था तो मेरा मन  भर ही नही रहा था।

मैं बहुत ही खुश हुआ जा रहा था मुझे इतना अच्छा लग रहा था। मैं सोच रहा था इसे बस चोदता ही रहूं और मैं उसे बड़ी तीव्रता से धक्के दिए जा रहा था। अब वह भी अपने दोनों पैरों को और चौड़ा कर लेती। वह भी उत्तेजना में आ जाती वह कुछ ज्यादा ही खुश हो रही थी और उसे बहुत ही मज़ा आ रहा था। मैं भी उसे बड़ी तीव्रता से धक्के दिया जा रहा था और उसका शरीर अब पूरा गरम हो गया था। हम दोनों पसीने-पसीने होने लगे और एक समय ऐसा आया जब मेरा वीर्य गिरने वाला था। मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए उसके स्तनों पर सारा वीर्य गिरा दिया। वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गए और मुझे कहने लगी अब से तुम ही मेरे लिए सामान लाया करो। वह जब मुझसे सामान मंगाती तो मैं डॉक्टर रेखा की चूत जरूर मारता था। वह बहुत ही ज्यादा खुश होती थी और कहती थी कि मुझे बहुत ही मज़ा आता है जब तुम मेरी चूत मारा करते हो। मैं भी बहुत खुश था डॉक्टर रेखा की मुलायम और नरम चूत मारकर क्योंकि मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं किसी डॉक्टर को कभी चोद पाऊंगा मेरी इच्छा पूरी हो चुकी थी।

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