Bhabhi Ki Bahan ko choda Archives - Antarvasna https://sexstories.one/tag/bhabhi-ki-bahan-ko-choda/ Hindipornstories.org Thu, 23 Dec 2021 07:57:08 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1 होने वाली भाभी की बहन https://sexstories.one/hone-wali-bhabhi-ki-bahan/ Thu, 23 Dec 2021 07:53:21 +0000 https://sexstories.one/?p=3557 अब मैंने लण्ड को पीछे करके एक धक्का और मारा। अबकी बार लण्ड सीधा बच्चेदानी से जा टकराया, इस बार भी उसके मुँह से चीख निकल पड़ी, लेकिन इस बार का दर्द पिछली बार से कम था...

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Hone Wali Bhabhi Ki Bahan – यह कहानी दो वर्ष पहले की है। जब मेरे भैया की शादी पटना शहर में ही तय हो गई थी। मैं उस समय बी.कॉम. फर्स्ट-ईयर में पढ़ता था। भैया की ससुराल मेरे कोचिंग के रास्ते में ही पड़ती थी। एक दिन की बात है जब मैं कोचिंग से आ रहा था। तो रास्ते में मुझे मेरी होने वाली भाभी मिल गई और मैंने बाइक रोक दी। उन्होंने मुझे तुरन्त पहचान लिया, हम लोग सगाई पर मिल चुके थे। वो बाज़ार अपने निज़ी सामान लेने आई थीं।

मैंने कहा- आइए भाभी, आपको घर छोड़ दूँ।

उन्होंने ‘हामी’ भरी और मैंने उन्हें घर छोड़ दिया। वो अन्दर आने को कहने लगीं। मैंने मना कर दिया क्योंकि उस समय शाम के 5 बज़ रहे थे। परंतु उनके ज्यादा जोर देने पर मैं मना नहीं कर पाया और उनके पीछे अन्दर चला गया।

उस समय घर उनके और उनकी छोटी बहन जिसका नाम रूपा था, के सिवाए कोई नहीं था। सभी लोग पड़ोस में मेंहदी समारोह में गए हुए थे।

वो खाना खाने के लिए कहने लगीं, तो मैंने मना कर दिया। इतने में उनकी छोटी बहन रूपा आई।

क्या कमाल की छोरी थी, रंग तो उसका गेहुँआ था पर साली की फिगर कमाल की थी। उसने उस समय फ्रॉक पहनी हुई थी। हम लोग उनके बैडरुम में बैठकर इधर-उधर की बातें करने लगे। उससे पूछने पर पता चला इसी वर्ष उसने बारहवीं में प्रवेश किया है। उसकी निगाहें बड़ी चंचल थीं उसके हावभाव बताते थे कि वो मुझ पर कुछ अधिक आकर्षित थी। बात बात में उसकी आँख मारने की अदा बड़ी कामुक थी।

इतने में पड़ोस की आंटी ने भाभी को किसी काम से बुला लिया। हम लोग फिर से बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद मुझे जोरों से ‘एक नम्बर’ लगी। मैंने संकोचवश बाथरूम पूछा, उसने बता दिया। मैंने बाथरूम से आते समय देखा कि मेरा फोन उठाकर गैलरी में छिप कर ब्लू-फिल्म देख रही है और अपने चूचियों पर हल्के-हल्के हाथ रगड़ रही है।

मैं वहीं दरवाजे के पीछे खड़े होकर पर्दे के चिलमन से सब-कुछ देख रहा था। अब मेरा सब्र भी टूट रहा था और मेरा लण्ड भी तनकर ‘एफिल-टॉवर’ बन चुका था। मैंने पीछे जाकर फ्रॉक के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाने लगा।

पहले तो वो चौंक गई लेकिन मुझे पाकर वो शांत हो गई। अब मैंने उसकी चूचियों को आहिस्ते-आहिस्ते मसलना शुरु किया, अब उसे भी मज़ा आने लगा था। धीरे-धीरे मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी में घुसा दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा। अब उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।

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मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके होंठों को जोर-जोर से चूसने लगा। मैने अपनी जीभ उसके मुँह में दे दी। वो मेरी जीभ को लॉलीपॉप की तरह चूसे जा रही थी। हम दोनों को थोड़ी-थोड़ी गर्मी लगने लगी थी। उसने मेरी टी-शर्ट उतारी और मैने उसकी फ्रॉक उतारा।

मैं उसकी नंगे बदन पर चिपकी उसकी चूचियों को ही देखता रह गया। साली की चूचियाँ मौसम्मी के आकार की थीं। मैं उसकी चूचियों को अपने मुँह में भर कर चूसे जा रहा था और मेरा एक हाथ उसकी पैंटी में अपना कमाल दिखा रही थीं। उधर उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।

मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था। मैंने तुरंत उसकी पैंटी उतारी और उसक चूत को बुरी तरह चूसने लगा। वो तो जैसे तड़प उठी, मैं अभी भी उसकी चूत को चूसे जा रहा था। इसी बीच वो मेरे मुँह में ही झड़ गई। मैंने सारा रस चट कर दिया। अब मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को चोदे जा रहा था।

उसे भी मज़ा आ रहा था, अब वो फिर से अपने उफान पर आ रही थी। उसकी गहरी गुलाबी चूत को छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था। अब मैं थोड़ा ऊपर आकर उसकी दोनों टाँगों को अलग-अलग फैलाकर अपने लण्ड को उसकी चूत पर जोर-जोर से रगड़ने लगा। उसकी सिसकारियाँ भी जोर पकड़ने लगीं, तभी मुझे अपने लण्ड पर गीलापन महसूस हुआ, वो फिर से झड़ चुकी थी।

अब मैंने भी देर ना करते हुए अपना लण्ड उसकी चूत में घुसाने लगा, चिकनाई की वज़ह से लण्ड थोड़ा अन्दर चला गया। मैंने एक जोर का धक्का मारा लण्ड पूरा अदंर चला गया। दर्द के मारे उसके मुँह से जोर की चीख निकली, मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया, उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े।

अब मैंने लण्ड को पीछे करके एक धक्का और मारा। अबकी बार लण्ड सीधा बच्चेदानी से जा टकराया, इस बार भी उसके मुँह से चीख निकल पड़ी, लेकिन इस बार का दर्द पिछली बार से कम था मैं कुछ देर इसी मुद्रा में रहा। जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने अपने लण्ड को आगे-पीछे करना शुरु कर दिया।

अब उसकी सिसकारियाँ भी आह-आह की आवाज़ में बदल चुकी थी, जिसने मेरी स्पीड बढ़ा दी। 20 मिनट तक मैंने जोरदार झटकों से उसे चोदा। उसके मुँह से ‘उँउँउँ…ईईई…ऊँऊँ” की आवाज़ें निकल रही थीं।

अब उसकी साँसें भी तेज़ होने लगी बदन ऐंठने लगा, ‘ओओओ…’ और उसकी चूत से झरना बह गया। मैंने भी समय की नज़ाकत को समझते हुए पांच मिनट बाद अपना खौलता हुआ लावा उसकी चूत में उड़ेल दिया। हम लोग कुछ देर इसी हालत में रहे। थोड़ी देर बाद हमने अपने-अपने कपड़े पहन लिए और बैठ कर बातें करने लगे।

तभी दरवाजे की घण्टी बजी, रूपा ने कहा- लगता है दीदी आई है।

दरवाजा खोलने के पहले हमने एक-दूसरे की जोरदार चुम्मी ली और मै़ने उसके चूची को तीन-चार बार मसला। फिर वो दरवाजा खोलने चली गई, भाभी अदंर आईं।

मैंने पूछा- आप इतनी देर से कहाँ थीं?

भाभी ने कहा- मैं पड़ोस में मेहंदी समारोह में गई हुई थी।

रात के 9 बज़ चुके थे तो भाभी ने मुझे रुकने को कहा।

मैंने कहा-मैं यहाँ रुका तो घर पर सभी लोग परेशान होंगे और डाँट भी पड़ेगी।

भाभी ने कहा- अगर ऐसी बात है तो मैं घर पर फोन करके कह देती हूँ कि आज तुम यहीं रुकोगे। तब तो कोई परेशान नहीं होगा?

मेरे तो मन मे जैसे मन मे लड्डू फूट रहे थे, तो मैंने भी कह दिया- जैसा आप ठीक समझें।

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