antarvasnx Archives - Antarvasna https://sexstories.one/tag/antarvasnx/ Hindipornstories.org Mon, 29 Nov 2021 06:28:12 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1 पूर्णा का सेक्सी एडवेंचर https://sexstories.one/poorna-ki-office-porn-kahani/ Mon, 29 Nov 2021 06:28:12 +0000 https://sexstories.one/?p=4868 उसका हाथ उसके अंडरवियर में चला गया और उसकी चूत पर उंगली करने लगा, जबकि उसने उसकी गर्दन को चाटा। खिड़की की सलाखों पर उसकी पकड़ मजबूत हो गई। वह हवा के लिए हांफने लगी और उसके कराहने...

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Office Porn Kahani Antarvasnax यह एक विभागीय उत्सव था। सभी ने अच्छे कपड़े पहने और अच्छी तरह से वाकिफ थे। उस अवसर की मुस्कान और सुंदरता की मात्रा अवर्णनीय थी। पूर्णा एक साड़ी में विशेष रूप से सुंदर थी वह भी काले और लाल रंग में साड़ी लाल रंग की थी जो उसकी त्वचा के साथ जाती थी और काले फीता की सीमा होती थी।

उनका ब्लाउज भी ब्लैक कलर का था जो उन्हें गुड़िया जैसा बना रहा था। सब अपने-अपने काम में व्यस्त थे। हमारी सेक्सी महिला सीढ़ियाँ चढ़कर डिपार्टमेंट स्टाफ रूम की ओर बढ़ी। उसके चेहरे पर भावनाओं का मिश्रण था। उसके हाथ कांप रहे थे कि क्या होगा। वह वही थी जिसे आप ‘शरारती लड़की’ कहेंगे।

अपने बॉयफ्रेंड के साथ उसकी नटखटता की कोई सीमा नहीं थी। वह कॉलेज की सेक्स डॉल के रूप में काफी लोकप्रिय थीं। उसका शानदार शरीर इसका कारण था। पूर्णा, एक जादूगरनी, उसकी आँखें उसका सबसे बड़ा हथियार थीं। वह उन अच्छी आँखों से किसी भी आदमी को दुगनी नज़र से देख सकती थी।

उसका शरीर उसकी सुंदरता का जलवा बिखेर रहा था और उसे केवल गर्म कहा जा सकता था। उसकी काफ़ी गोरी त्वचा, उसके रसीले होंठों से मुँह में पानी आ गया था। उसने एक शानदार फिगर बनाए रखा था। उसके स्तन उसके गर्म शरीर के लिए एक गहना थे। एक गोल गधे के साथ, उसने कई राय व्यक्त की हैं।

कॉरिडोर से होते हुए स्टाफ रूम की ओर भागते समय उसके हाथ थोड़े काँप रहे थे। वहां वह एचओडी केबिन में दाखिल हुई। कमरे में अंधेरा था। नीचे क्या हो रहा था, यह देखने के लिए वह अपने दोस्तों के साथ खिड़की के पास चली गई। अचानक दो बड़े हाथों ने उसे पीछे से पकड़ लिया।

यह कोई और नहीं बल्कि उनके एचओडी सूरज थे। उसने उसके हाथ जबरदस्ती खिड़की से पकड़ लिए, उसकी गर्दन चाटने और उसकी नाभि को सहलाने लगा। सूरज एक जिम्मेदार और आकर्षक एचओडी थे। वह छोटा था लेकिन उसके पास कई डिग्रियां और काफी अनुभव था। कुछ लोग कहते हैं कि उन्हें राजनीतिक समर्थन से वह मिला जहां वे हैं।

लेकिन वह जितना चालाक है उतना ही चतुर भी है। उसने उसकी सुडौल नाभि को दबाना शुरू कर दिया, जबकि उसके दूसरे हाथ उसके गोल 32c स्तन पर चले गए। उसके निप्पल सख्त और दिलेर थे। जैसे ही उसने उन्हें छुआ, एक झटका उसके शरीर से नीचे चला गया और उसे अपनी चूत में झुनझुनी दे दी। उसके निपल्स पर उसके हल्के और कामुक स्पर्शों ने उसके कराहों से कमरा भर दिया।

जल्द ही उसकी सांस उसके कान में आ गई और एक हाथ उसके स्तन में पूरी तरह से लीन हो गया। वह उन्हें पीछे से दबा रहा था। उसने उन्हें अपने ब्लाउज के माध्यम से निचोड़ा। वह जानता था कि उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी क्योंकि उसने उससे पूछा था। उसके हाथ उसकी नाभि से होते हुए उसके पेट के बटन में चले गए और उसकी श्रोणि और फिर उसकी चूत तक पिंच किया।

उसने अपनी चार अंगुलियों से उसकी टांगों के बीच में ताला लगा दिया, और जोर से उसकी श्रोणि को सहलाया। उसने उसके बैकलेस ब्लाउज को चाटा और उसके स्तनों को ऐसे सहलाया जा रहा था जैसे वह उसका अपना हो। उसने उसे विलाप किया और खुशी से कराह उठा। उस खुशी के आलोक में उसने खिड़की के हैंडलबार को पकड़ लिया।

वह इस तथ्य को भूल गई कि उसकी शिक्षिका उसका आनंद उठा रही थी और वह एक खिड़की के पास थी। उनकी इस मासूमियत को पूरी जनता देख सकती थी. वह पूरी तरह से उस आनंद में डूबी हुई थी। उसे याद आया कि वह इस तरह के जाल में कैसे फंस गई।

Porn Kahani भिखारी लड़की के जलवे

विभाग आंतरिक मूल्यांकन को अंतिम रूप देने की तैयारी कर रहा था। उन्होंने पाया कि कुछ छात्र अपेक्षित प्रदर्शन तक नहीं पहुंच सके। उन सभी को सीढ़ी पर आने के लिए दया का मौका दिया गया था। लेकिन कुछ के लिए मौका अभी तक व्यर्थ था।

हॉट गर्ल गैंग के बीच चर्चा थी कि एचओडी कुछ ‘फॉर्म’ भरने के इच्छुक लोगों के लिए एक विशेष ‘व्यवस्था’ दे रहा है। पूर्णा सीधी-सादी छात्रा नहीं थी। फिर भी वह अपने चालाकी और चतुर स्वभाव के साथ यहाँ तक पहुँचने में सफल रही। वह इससे बाहर निकलने का रास्ता नहीं खोद सकी।

फिर भी उसका आकर्षक स्वभाव कई दिनों तक दोषपूर्ण हो गया था जब तक कि वह एक जन्मदिन की पार्टी में नहीं गई। वहीं उनकी मुलाकात काजल से हुई। वह परीक्षा में भी फेल हो गई थी, फिर भी वह ज्यादा तनाव में नहीं लग रही थी, बल्कि शांत हो गई थी। पूर्णा ने रहस्य को बाहर निकालने और उसे बाहर निकालने की पूरी कोशिश की।

एचओडी ने कुछ समय के लिए उसकी गांड में चुदाई की थी। उसने उसे जो संतुष्टि दी, वह उसकी अपेक्षा से कहीं अधिक थी और उसे पास होने के लिए अतिरिक्त श्रेय मिला। यह रहस्योद्घाटन मुस्कान और भय दोनों लेकर आया। वह परिणामों से डरती थी।

लेकिन वह डर जल्द ही उस आनंद से जीत लिया गया जिसे वह जानती थी कि वह अनुभव करेगी। उसकी नटखटता जिससे वह हर दिन उसके मोटे लंड की कल्पना करते हुए खुद को रगड़ती और उँगली उठाती थी। यह उस दिन की बात है जब उसने झाँका और देखा कि सूरज ने लाइब्रेरियन को अपने मोटे शाफ्ट से कहाँ चोदा।

वह सभी विचारों से भीग चुकी थी और आगे बढ़ना चाहती थी। वह एक महान अवसर की प्रतीक्षा कर रही थी। उसकी यादें अचानक पटरी से उतर गई जब सूरज ने उसकी पीठ को काटना शुरू किया। वह उसकी पीठ पर लव बाइट दे रहा था जबकि उसके हाथों ने उसके स्तन को जीत लिया था।

वह उसके मालिक से भूरे रंग के सख्त बटन के निप्पल खींच रहा था, जिससे वह विलाप कर रही थी। उसकी गाढ़ी हार्ड कॉक ड्राई उसकी गांड को कूबड़ देती है। उसके कपड़े से फर्श को अच्छी तरह से सजाया गया था। उसका ब्लाउज हटा दिया गया था। उसके सीने के सामने जो कुछ भी खड़ा था वह उसकी लेस वाली पारदर्शी साड़ी थी।

जबकि उनकी साड़ी को सूरज ने उनके कूल्हों तक उठाया था। फिर वह उसकी गीली चूत पर उसकी चूत रगड़ने लगा। उसकी चूत फोरप्ले से लेस पैंटी पर गीली हो गई थी। उसने उसे जोर से रगड़ा ताकि उसे मुर्गा चाहने की कामुक भावना का एहसास हो। फिर उसने उसकी पीठ को महसूस करना शुरू कर दिया, अपने हाथों को एक के बाद एक उसके भूरे रंग के निप्पल की तरफ घुमाते हुए उन्हें पिंच किया।

उसका हाथ उसके अंडरवियर में चला गया और उसकी चूत पर उंगली करने लगा, जबकि उसने उसकी गर्दन को चाटा। खिड़की की सलाखों पर उसकी पकड़ मजबूत हो गई। वह हवा के लिए हांफने लगी और उसके कराहने से उसका शरीर कांपने लगा। वह अपने हाथों से उसके स्तनों पर अच्छा काम कर रहा था। घुटने टेक दिए और अपने अंडरवियर को दूर फेंक दिया।

फिर उसने उसकी चूत पर और साथ ही उसके गधे को भी मला। उसने लटकते निप्पल पर हाथ रखे। भूरे रंग के निपल्स उसके स्तन से मृत पुरुषों की तरह लटके हुए थे। उसने उन्हें और भी नीचे खींच लिया। उसने अपनी उँगलियों को उसके गधे की गहराई में धकेल दिया और वह चिल्ला पड़ी। उसके कराह और विलाप से कमरा भर गया।

उसकी उँगलियाँ उसकी चूत तक पहुँच गईं जबकि उसकी जीभ अंदर से रगड़ रही थी। उसके दाँतों ने उसकी चूत के होठों को पकड़ लिया। वह उसकी गांड पर उंगली करने लगा। उसकी चूत में उसकी उंगलियाँ उसके सारे सुख-स्थानों को छू गयीं जिससे उसका शरीर काँपने लगा। उसके प्रेम रस को उसकी जीभ ने चाटा।

स्तन और उसकी उंगलियों के साथ उसकी सामयिक चंचलता ने उसे एक हिंसक कराह के साथ सह दिया क्योंकि वह हवा के लिए हांफ रही थी।

एक और फ्लैशबैक।

जैसे ही उसने अपने प्यार के रस को फर्श पर उतारा, उसे उस समय की याद दिला दी गई। उसे उसके प्रेमी और उसके दोस्त रोड ट्रिप पर ले गए थे। उसे बांधकर चारों ओर सहलाया गया था। उसके स्तन के साथ खेला गया था जबकि केवल उसकी गांड चोद रही थी।

उसकी चूत में दर्द हो रहा था एक लंड के लिए। वह लंड के लिए भीख माँगती थी और उसे चूसा जा रहा था और बिल्ली में उँगलियाँ पकड़ी जा रही थीं, जबकि उन्होंने उसके मुँह को चोद दिया। अभी…

सूरज ने फिर खुद को उठाया। और पूर्णा को पकड़ कर उसकी टांगें ऊपर उठा दीं और अपनी कठोर मोटी छड़ को उसके गधे में डाल दिया। उसका मुंह ढका होने के कारण केवल उसकी कराह निकली। उसके पैर उसके हाथ में थे क्योंकि वह उस खिड़की के सामने चुदाई कर रही थी और एक रहस्यमय फोन ने यह सब रिकॉर्ड कर लिया।

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नयी दुल्हनिया के तीखे तेवर https://sexstories.one/dulhan-ki-chut-chudai/ Fri, 26 Nov 2021 07:01:03 +0000 https://sexstories.one/?p=3388 मैं समझ गयी ये दोनों एक दुसरे को चूम रहे हैं | मैंने और पास जाके देखा तो दोनों एक दम नंगे थे रिषभ का खड़ा हुआ लंड और मीनू की गांड साफ़ दिख रही थी | मीनू उसके लंड को सहला रही थी और रिषभ उसके दूध को चूस रहा था...

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Dulhan ki Chut Chudai – वह आराम से ९ बजे सोके उठती और नहाने धोने के बाद चाय पीती मानो कहीं की रानी हो | फिर चहक चहककर लोगों से बतियाने लग जाती, क्यूंकि मायका तो बगल में ही है मेमसाहब का और तो और माता पिता से दूर होने का गम भी नहीं सताता था उसे | बारह एक बजे वापस अपने कमरे में घुस जाना फिर एक मस्त से नींद का आनंद उठाना | फिर शाम को खाने और चाय पीने के लिए बाहर निकल के आना | दिनभर उसके भतीजे और भतीजियाँ घर घेरे रहते थे | बुआ के लिए ये भेजा है उनकी माँ ने उन्हें ये बहुत पसंद है |

आप सोच रहे होंगे कि ये क्या बकवास कर रही हूँ मैं | तो आपको बता दूँ ये बकवास तो बिलकुल नहीं हैं क्यूंकि हमारे घर के पड़ोस वाली मीनू बनी थी “नयी दुल्हनिया हमारे प्यारे रिषभ की” | मैं हूँ लीला और मैं हर खबर रखती हूँ | मोहल्ले में अगर कोई इधर की उधर भी करता है तो मुझे पता होता है जी | और इन दोनों ने तो हर हद पार कर दी थी अब मैं क्या बताऊ हमारा रिषभ तो बेचारा फस गया था मीनू के जाल में | “दैय्या रे दैय्या” बेचारा सीधा सादा लड़का कहा से इस कमबख्त से शादी कर बैठा |

पर एक बात बता रही हूँ आपको गौर से सुनना “ये अन्दर की बात है” | जब ये दोनों प्यार के पंछी चुदाई करते हैं न तो मेरे रोम रोम में उत्साह भर जाता है | जोश भर देते हैं अन्दर बिलकुल ऐसा कि मैं भी अपने पति को इतना गरम कर देती हूँ जिससे वो मुझे एक नयी दुल्हन की तरह चोदते हैं | पर मैं ये बात आपसे बता रही हूँ | तो चलिए शुरू करते हैं “नयी दुल्हनिया हमारे प्यारे रिषभ की”

बार बार आवाज़ लगाने पर भी कोई जवाब नहीं आया | चाय ठंडी हुए जा रही थी और रिषभ का कोई अत पता नहीं था | विवश होकर बेचारी शीतल भाभी खुद ही छत पर गयी | मीनू छत पे रिषभ से बतिया रही थी और उनकी “गुटर गूं” निरंतर जारी थी | “नमस्ते आंटी” रिया बोली पर लज्जा उसे बिलकुल ना आई | भाभी ने भी अभिवादन किया और बद्बदते हुए नीचे आ गयी | माँ के सामने ही उसके लड़के के साथ प्यार के पींगे पादेगी को कौन भला बर्दाश्त करेगा |

“माँ कहाँ हो तुम ? और कहाँ है मेरी चाय ? रिषभ नीचे आके पूछने लगा |

सुन रिषभ !!! अब तू बड़ा हो गया है और एक अच्छी खासी नौकरी कर रहा है | छत पे तुम दोनों क्या बातें कर रहे थे ? मन छोटे में साथ खेले हो तब मैंने ध्यान देना ज़रूरी नहीं समझा | बड़े होकर साथ में कॉलेज गए तब भी मैं चुप रही | पर अब क्या बातिएँ करते हो तुम दोनों ? शीतल भाभी ने एक गुस्से भरे अंदाज़ में कहा |

“माँ काहे चिंता करती हो हम दोनों एक बहुत लम्बे समय से एक दुसरे को जानते हैं और अब आदत सी हो गई है बात करने की “ तुम फ़ालतू के ख्याल दिमाग में मत लाओ ऐसा कुछ भी नहीं है | मैंने ये बात जैसे ही सुनी तो मुझे लगा अभी कुछ कहना ठीक न होगा मैं शाम को भाभी के पास जाउंगी | पर भाभी के लबों से जो शब्द निकले मानो मेरे ही हों |

“बात को आगे बढ़ने में ज्यादा समय नहीं लगता है रिषभ” पता नहीं क्यूँ उन्हें रिषभ की बात पे कहीं न कहीं भरोसा नहीं था | और मीनू के बदले तेवर अलग ही कहानी बयां कर रहे थे कभी भजिये तो कभी हलवा लेके घर के चक्कर मारती रहती थी |

जैसा कि मैंने कहा था मैं शाम को भाभी से मिलने गयी | भाभी के माथे पर पड़ रहीं लकीरों को देख के लगा जैसे वो अन्दर से तू रहीं हैं | फिर उन्होंने कहा लीला तुझे तो सब पता चल ही गया होगा | क्यूँ सही कहा ना मैंने ? मदद कर लीला ! लड़का भोला है मेरा | मैंने कहा भाभी रुको अपना खून मत जलाओ मैं चाय बना के लाती हूँ आपके लिए | मैं कित्चें में चाय बना ही रही थी कि अचानक दरवाज़े पे कुछ आवाज़ हुयी और मैं बहार आई |

कौन है भाभी चाय ज्यादा बनाऊ क्या ? बस इतना कहते ही मेरे होश उड़ गए | सामने देखा तो मीनू जी खड़ी थी साड़ी पेहेन के |

Dulhan ki Chut Chudai रिक्शावाले ने चोदा बारिश में..

आंटी जी !! देखिये न कैसी लग रही हूँ में ? मैंने कहा मीनू आप वाकई साड़ी दिखाने आये हो या भजिये तलने हैं ?

जो समझना है समझो लीला भाभी पर पहले बताओ मैं लग कैसी रही हूँ ? चाय उबलते उबलते कब उफन के गिर गयी परता ही नहीं चला और शीतल भाभी को तो जैसे सांप सूंघ गया था | हम दोनों बस उसे ही देख रहे थे इठलाते हुए | लीला वो गयी, अच्छा कहाँ गयी भाभी, अरे !! लीला मीनू गयी | शीतल भाभी ने मुझे धक्का मारते हुए कहा |

अच्छा भाभी, अरे हाँ नहीं ! भाभी क्या वो गयी ? अरे हाँ पागल जा चाय ला फिर से बना के जल गयी सारी | भगवान् इस मुसीबत से बचाए कहाँ से आ गयी | चाय बनी और हम दोनों एक दुसरे का चेहरा देखते हुए चाय पी ही रहे थे कि रिषभ आया और सीधा छत पे गया | मैंने कहा भाभी कही उस चुड़ैल ने मोहिनी मंत्र तो नहीं मार दिया अपने बच्चे पे ? नहीं रे लीला अभी उसकी माँ जिंदा है ऐसा कैसे कर पाएगी वो ? मैंने कहा भाभी देखो आक अमावस्या की काली रात है कही कुछ गलत न घट जाए ? शुभ शुभ बोल लीला कुछ भी मत कहा कर | खुद तो डरती है और मुझे भी डरा देती है | मैंने कहा भाभी आज हम दोनों रात में इन दोनों की तकवारी करेंगे आप सो मत जाना | मैं अपनी छत पे रहूंगी और आप भी मुझे खबर करती रहना सो मत मत जाना |

इतना मैंने भाही से कहा और मैं चली गयी अपने घर | रात के ८ बजे मैंने खाना खाया और तुरंत भाभी को फोन लगाके पुछा भाभी अपना लड़का कैसा है ? भाभी ने कहा खाना खा रहा है अभी पर फोन से चिपका हुआ है | मैं समझ गयी और टपक से कहा भाभी फोन पे लगा है खाते समय मतलब छत पे तेहेलने भी जाएगा | आप तैयार रहना मैं तो हूँ और इतना कहके मैं बर्तन मांजने लगी | फिर मुझे याद आया भाभी तो दवाई खाती हैं दर्द की और उससे उन्हें नींद आती है | मैं छत पे गयी और जैसे ही फोन लगाया तो सामने दिखा रिषभ | 10 बजे थे रात के पर वो बैठा था और भाभी भी फोन नहीं उठा रही थी | मैं समझ गयी हो गया बेडा पार आज |

पर ये रिषभ बैठा हुआ क्यूँ है ?

थोड़ी पास गयी तो आआआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा ऊऊऊह्हह ऊऊऊउम्म्म्म का स्वर मुझे सुनाई दिया | मैं समझ गयी ये दोनों एक दुसरे को चूम रहे हैं | मैंने और पास जाके देखा तो दोनों एक दम नंगे थे रिषभ का खड़ा हुआ लंड और मीनू की गांड साफ़ दिख रही थी | मीनू उसके लंड को सहला रही थी और रिषभ उसके दूध को चूस रहा था | मेरा मन व्याकुल हो गया और मैंने अपनी पति को बुला लिया और कहा जैसा वो लोग करें वैसा तुम करो | हम दोनों भी नंगे हो गए | रिषभ मीनू की चूत चाटने लगा और मैंने भी अपने पति का मुह अपनी चूत से लगा दिया | मेरी रसभरी चूत जैसे वापस जीवित हो उठी थी |

आआआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा ऊऊऊह्हह ऊऊऊउम्म्म्म आराम से करो न रिषभ, मीनू ने मादक स्वर में कहा | मीनू ने उसका लंड चूसना शुरू किया पर मेरे पति से चूत चटवाने का आनंद मुझे पहली बार प्राप्त हुआ था इसलिए मैंने जारी रखा | रिषभ भी आआआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा ऊऊऊह्हह ऊऊऊउम्म्म्म कर रहा था और 10 मिनट बाद मीनू के मुह में अपना वीर्य छोड़ दिया | मैंने भी अपना पानी अपने पति के मुह में छोड़ दिया | मैं सुस्त पड़ गयी पर रिषभ ने अपना लंड जैसे ही मीनू की चूत में डाला वो चीख उठी | निकाल फट गयी मेरी चूत ! पर रिषभ घोड़े की तरह चोद रहा था और कुछ देर बाद वो आआआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा ऊऊऊह्हह ऊऊऊउम्म्म्म करने लगी | मेरे पति ने भी मेरी गांड मारना चालु कर दिया था पर मैं शोर नहीं कर सकती थी | आधे घंटे तक ये चला और हम दोनों फिर से झड़ गए | फिर मैंने सोचा अब ये हो गया है तो क्या फायदा और हम दोनों नीचे आ गए |

सुबह मेरी नींद खुली तो चिल्लाने की आवाज़ आई | ये क्या किया मेरी बेटी के साथ तुमने ? बताओ अब क्या होगा इसका ? अंकल मैं आज ही इससे शादी करूँगा | रिषभ ये कहके निकला और बाजु में खड़ी शीतल भाभी की आँखे नम थी और उनको देख के मेरा भी दिल दुख गया | बाकि उसकी आदत आपने ऊपर पढ़ ही ली होंगी |

तो दोस्तों सब करो पर अपने माँ के बेपनाह प्यार की इज्ज़त भी करो और किसी गलत लड़की के लिए उसका भरोसा मत तोड़ो |

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फेसबुक से चुदाई तक का साथ https://sexstories.one/facebook-se-chodai-tak/ Thu, 28 Oct 2021 07:31:12 +0000 https://sexstories.one/?p=3177 मैं अब काफी दिनों से राकेश से बात नहीं कर रही थी। एक दिन वह मुझसे बातें करने लगा और कहने लगा कि तुम मुझसे बात नहीं कर रहे हो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा। जब वह मेरे पास आकर बैठा था  तो मुझसे भी नहीं रहा गया और मैंने उसके हाथों को पकड़ लिया...

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hindi porn kahani – desi chodai stories मेरा नाम शगुन है और मैं कोलकाता में रहती हूं। मेरी उम्र 23 वर्ष है और मैं अपने कॉलेज की पढ़ाई कर रही हूं। मेरे घर में मेरे बड़े भैया भी हैं। वह पुलिस में हैं और मेरे पिताजी अब रिटायर हो चुके हैं। इस वजह से वह घर पर ही रहते हैं और मेरी मां है। हम लोगों की छोटी सी फैमिली है। हम लोगों के घर में बहुत ही अच्छा माहौल रहता है। मेरे पिताजी हमेशा ही मुझसे मेरी जरूरतों के लिए पूछते रहते हैं। वह बोलते हैं कि जब भी तुम्हें किसी भी चीज की आवश्यकता होती है तो तुम मुझे बता दिया करो और मैं भी उन्हें बेझिझक बता दिया करती हूं।

क्योंकि मुझे मालूम है कि मेरे पिता मेरी किसी भी चीज को मना नहीं करेंगे और वह मेरी हर ख्वाहिश को तुरंत ही पूरा कर देते हैं। मैं जब कॉलेज में जाती हूं तो मुझे बहुत सारे लड़के घूर कर देखा करते हैं। इसलिए मुझे बहुत ही दिक्कत होती थी। मैंने एक दिन अपने भैया से कह दिया और वह हमारे कॉलेज में आए। उसके बाद से वह लड़के मुझसे बात भी नहीं करते थे और ना ही मेरे आस पास कभी दिखाई दिए। क्योंकि मेरे भैया ने उस दिन उन्हें अच्छे से समझा दिया था। मेरे भैया बहुत ही अच्छे लड़के हैं और वह एक अच्छे दिल के भी हैं।

वह मुझसे बहुत ही प्यार करते हैं और हमेशा ही मुझसे पूछते हैं कि तुम्हें कभी भी किसी प्रकार से कोई समस्या होती है तो तुम मुझसे ही बोल दिया करो। तुम्हें पापा से कहने की जरूरत नहीं है। अब मैं भी कमाने लगा हूं। इसलिए तुम मुझे ही बता दिया करो। वह दोनों ही मुझे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं और कभी भी मुझे कुछ समस्या नहीं होने देते। कॉलेज में भी मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं और मैं उनके साथ समय बिताना बहुत ही पसंद करती हूं। वह जब भी कॉलेज में होते हैं तो मुझे कहते हैं कि तुम्हारे साथ हमें समय बिताना बहुत अच्छा लगता है और हम लोग जमकर मस्तियां भी किया करते हैं।

हमारे कॉलेज से घूमने के लिए जाने वाले थे। मैंने जब इस बारे में अपने घर पर बताया तो वह कहने लगे कि कोई बात नहीं तुम घूमने के लिए चली जाओ। अब हम लोग घूमने के लिए चले गए। हम लोगों ने बहुत ही इंजॉय किया और उसके बाद कुछ दिनों बाद हम लोग वापस लौट आए। जब मैं वापस आई तो मैंने देखा हमारे घर पर एक लड़का आया हुआ था लेकिन मैंने उसे पहचाना नहीं। क्योंकि मैंने उसे कभी भी नहीं देखा था। मैंने जब अपने भैया से उसके बारे में पूछा तो वह कहने लगे कि यह पापा के दोस्त का लड़का है और उसका नाम राकेश है। जब उन्होंने मुझे राकेश से मिलाया तो मुझे भी उससे मिलकर बहुत खुशी हुई और मैंने उससे पूछा कि तुम क्या करते हो।

Desi chodai ससुराल वालों की खातिरदारी

वह कहने लगा कि मैं पढ़ाई करता हूं। यहां मेरा एक अच्छे कॉलेज में एडमिशन हो गया था। इसलिए पापा ने मुझे यही पर पढ़ने के लिए भेज दिया है। उसकी उम्र भी मेरे जितनी ही थी। इसलिए मैं उससे खुलकर बात कर सकती हूं। अब राकेश और मैं एक दोस्त के तरीके से रहने लगे। वह हमारे घर पर ही रहता था क्योंकि उसके पिताजी ने मेरे पापा से बात की थी कि उसे कुछ दिनों के लिए आप अपने साथ ही रखिए और जब उसे थोड़ा समय हो जाएगा तो वह अपने लिए कहीं और व्यवस्था कर लेगा।

मुझे राकेश के साथ समय बिताना बहुत ही अच्छा लगता था। वह मुझसे बहुत ही मजाक किया करता था और मैं भी उसे बहुत छेड़ा करती थी। अब राकेश को हमारे घर पर काफी समय होने लगा था और वह हमारे घर के सदस्य की तरह ही बन गया था। घर में जब भैया नहीं होते तो वही घर का सारा काम किया करता था और जब कभी कुछ सामान लाना होता तो वह पापा के साथ चले जाया करता था। वह एक बहुत ही अच्छा लड़का था। मुझे अब उसे देख कर अच्छा लगने लगा। एक दिन मैं उसे अपने साथ अपने कॉलेज ले गई तो वो कहने लगा कि तुम्हारा कॉलेज तो बहुत ही अच्छा है। मैंने जब उसे अपने दोस्तों से मिलाया तो वह उनसे मिलकर भी बहुत खुश हुआ और कहने लगा तुम्हारे दोस्त भी बहुत अच्छे हैं। मैं उसे अपने साथ कई बार घुमाने के लिए ले जाया करती थी और हम लोग कई बार मूवी देखने भी चले जाया करते थे।

जब से वह हमारे घर पर आया है तब से मैं उसके साथ ही ज्यादा समय बिताया करती थी और मुझे उसके साथ समय बिताना बहुत ही अच्छा लगता था। मुझे ऐसा लगता था जैसे मैं उसके साथ ही समय बिताती रहूं। एक दिन राकेश ने मुझे कहा कि मैंने कॉलेज में ही कोई लड़की पसंद कर ली है। मुझे यह सुनकर बहुत ही बुरा लगा। मैंने उसे कहा कि तुमने मुझे यह बात पहले क्यों नहीं बताई। तो वो कहने लगा कि मुझे लगा तुम्हें सरप्राइज दूंगा लेकिन मुझे यह बात सुनकर वाकई में बहुत बुरा लगा था। जब उसने मुझे उस लड़की की फोटो दिखाई तो वह बहुत ही सुंदर थी। पर मुझे ऐसा लगता था कि शायद राकेश मुझे प्रपोज करेगा या फिर मैं ही उसे प्रपोज करूँगी लेकिन उससे पहले उसे कोई और लड़की पसंद आ चुकी थी। अब मैं उससे कम बात करने लगी और वह भी अपनी पढ़ाई में लगा हुआ था।

एक दिन उसने मुझसे पूछा कि तुम मुझसे बहुत कम बात किया करती हो। मैंने उसे कहा कि आजकल मैं पढ़ाई कर रही हूं। इस वजह से तुम से बात नहीं कर रही हूं। उसने मुझे कहा कि हम लोग कहीं घूम आते हैं। उस दिन वह मुझे अपने साथ मूवी ले गया। हम लोग मूवी देख रहे थे और हम दोनों बहुत ही इंजॉय कर रहे थे। जब हम वापस लौट रहे थे तो मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हें बहुत पसंद करती हूं और तुमने कॉलेज में ही अपनी गर्लफ्रेंड बना ली है। मुझे इस बात से बहुत ही गुस्सा आ रहा है। यह बात सुनकर वह मुझे कहने लगा कि तूमने मुझे पहले यह बात क्यों नहीं बताई। मैंने उसे कहा कि अब जो होना था। वह हो चुका है। तुम सिर्फ अपना ध्यान दो। अब हम दोनों बातें तो किया करते थे लेकिन हम दोनों के बीच उतनी बातें नहीं हुआ करती थी।

Matwali bhabhi ki chodayi भाभी बोली, आ तुझे मर्द बनती हूँ

मैं अब काफी दिनों से राकेश से बात नहीं कर रही थी। एक दिन वह मुझसे बातें करने लगा और कहने लगा कि तुम मुझसे बात नहीं कर रहे हो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा। जब वह मेरे पास आकर बैठा था  तो मुझसे भी नहीं रहा गया और मैंने उसके हाथों को पकड़ लिया। जब मैंने उसके हाथों को पकड़ा तो मैंने उसे गले लगा लिया। उसने भी मुझे कसकर गले लगा लिया और वह मेरे स्तनों को दबा रहा था। वह मेरे होठों को चूम रहा था मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था जब वह मेरे होठो को अपने होठो से किस कर रहा था। मैं बहुत ही खुश हो रही थी और वह भी बहुत खुश नजर आ रहा था। मैंने उसके सामने अपने सारे कपड़े खोल दिए और जब उसने मेरा बदन देखा तो उसने मेरा पूरा बदन को ऊपर से लेकर नीचे तक चाटा। उसने मेरे बदन को अच्छे से चाटा जिससे कि मेरा बदन पूरा पसीना पसीना हो चुका था। मेरे अंदर की उत्तेजना भी अब चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी। उसने मेरे दोनों पैरों को खोलते हुए जब मेरी योनि को अपने मुंह में लिया तो मुझे बड़ा अच्छा लगा। अब उसने मेरी योनि के अंदर अपने लंड को डाल दिया।

जैसे ही उसने अपने लंड को मेरी योनि में डाला तो मेरी चूत से खून निकलने लगा। उसने मेरे दोनों पैरो को कसकर पकड़ लिया और वह बड़ी तेजी से मुझे झटके मार रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था और मेरा पूरा शरीर गरम होने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी शरीर से कुछ निकल रहा है और मुझसे वह बर्दाश्त नहीं होगा। कुछ देर बाद उसका भी वीर्य मेरी चूत के अंदर गिर गया। उसके बाद मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लगा और मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू किया। कुछ देर तक मैं ऐसे ही उसके लंड को चुसती रही। उसने मुझे घोडी बना दिया और घोड़ी बनाकर उसने काफी देर तक मुझे चोदा जिससे कि मेरी चूतडे पूरी लाल हो चुकी थी और मेरा शरीर पूरा गर्म होने लगा था। मैंने भी अपनी चूतड़ों को उसके लंड पर धक्का मारना शुरू किया तो उसका माल दोबारा से मेरी योनि के अंदर जा गिरा।

उसके बाद उसने अपनी गर्लफ्रेंड से बात करना बंद कर दिया और अब हम दोनों ही साथ रहते हैं।

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