हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम पार्वती है, में अपने परिवार के साथ माधोपुर नाम के छोटे से शहर में रहती हूँ। ये सब तब शुरू हुआ, जब मेरा बेटा पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज से डिग्री खत्म करके घर आया था। लेकिन इस बार उसकी हरकतों में बदलाव था, उसने आते ही मेरे पैर छूने की बजाए मुझे कसकर गले लगाया था, तो उसी समय मुझे कुछ अज़ीब लग रहा था। फिर दिन गुज़रते रहे और अब मेरा बेटा बस मेरे साथ बैठकर दिनभर बातें करता रहता था। अब धीरे-धीरे वो ऐसी बातें भी करने लगा था, जिनसे मुझे शर्म आती थी। अब उसकी हरकतें बढ़ती जा रही थी। अब वो कभी भी मुझे गले लगा लेता, गाल पर चुंबन देता था। Gaand chudai kahani
अब धीरे-धीरे मुझे भी आदत लग गयी कि बेटा अब मुझे ज़्यादा प्यार करता है। अब वो रात में मेरे साथ सोता था और माँ-माँ कहकर मुझे अपनी बाँहों में भरकर लेटने लगा था। फिर मुझे गड़बड़ लगना तब शुरू हुआ जब वो सिर्फ़ पजामा पहनकर मुझसे चिपक जाया करता था। तब मुझे उसका खड़ा लंड मेरे चूतडों में महसूस होता था, लेकिन में शर्म के मारे कुछ नहीं बोलती थी।
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फिर इसी तरह से वो रात को मुझ पर चढ़कर सोने लगा। अब में रोज सुबह देखती थी कि उसका पजामा गंदा हुआ रहता था। अब मुझे उसके इरादे पता लग गये थे। फिर एक दिन आ ही गया, जब वो मुझे बाँहो में दबोच रहा था। अब में उसके हाथ हटाने लगी थी और वो माँ-माँ बोलता रहा और में हट बेटा, हट बेटा बोलती रही। फिर अचानक से वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरा सिर पकड़ा और मेरे मुँह को अपने मुँह से बंद कर दिया, मैंने ऐसा पहले कभी नहीं किया था। फिर उसने मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी। अब में उसके बाल खींचकर हटाने लगी थी, लेकिन वो 1 मिनट तक मेरा मुँह चूसता ही रहा। फिर में हटकर झट से भागी और शीशे के सामने खड़ी हो गयी। अब मेरी साँसे बहुत तेज चल रही थी। फिर मैंने देखा कि मेरे पेटीकोट पर नाड़े के नीचे कुछ गीला-गीला सा लगा हुआ था। अब उस समय में अचंभे से सोच नहीं पाई थी कि वो क्या था।
फिर में डरी हुई कुछ देर के बाद वापस कमरे में आई, लेकिन बेड पर आने से डर रही थी। तब बेटा बोला कि माँ में तो बस मज़ाक कर रहा था, माफ कर दे, वो गलती से हो गया, ले में तेरे से दूर होकर सोता हूँ। अब मेरा मुँह खुल नहीं रहा था, लेकिन में आराम से बेड पर आकर सो गयी थी। अब अगले दिन बेटा सुबह से ही बाहर गया था। तब में दिनभर यही सोचती रही कि मेरा अपना बेटा मुझे चोदना चाहता है, अब में डरी हुई थी। फिर रात को बेटा आया। अब वो पूरा पिये हुए था। अब मेरे पति ने उसे देख लिया था और मारकर घर से बाहर निकाल दिया और पास वाले भूसे के ढेर में बंद कर दिया था और बोले कि जब उतरे तब ही अंदर आना।
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फिर में ममता से पानी लेकर वहाँ गयी। अब वो भूसे में पड़ा हुआ था। फिर मैंने उसे पानी पिलाया और अब वो बच्चो की तरह मेरी गोद में अपना सिर रखकर सोने लगा था। अब मेरी ममता फूट गयी थी और में रोकर उसे चूमने लगी थी। तभी अचानक से वो उठा और उसने ढेर का दरवाजा बंद कर दिया और मेरी तरफ मुस्कुराकर एक-एक करके अपने कपड़े उतारने लगा था। अब में डर से काँपने लगी थी, तो तभी मेरे नंगे बेटे ने मुझ पर छलाँग लगा दी और मेरा मुँह अपनी टी-शर्ट से बंद कर दिया था। अब इससे पहले की में चिल्ला पाती, उसने मेरे हाथ जकड़कर पकड़ लिए और मेरी साड़ी ऊपर उठा दी थी। अब में रो और चिल्ला रही थी, लेकिन वो रुकने को तैयार नहीं था। अब उसके मुँह से तेज शराब की बदबू आ रही थी।
अब में झटके मारने लगी थी तो तब उसने अपने दातों से मेरे कान की बाली खींचकर उतार डाली और मेरा ब्लाउज फाड़ दिया। तो में दर्द से कराहकर तिलमिला उठी, तो तभी मुझे अहसास हुआ की उसका लंड मेरी चूत में जा चुका है। फिर उसने मेरी दूसरी बाली भी ऐसे ही उतार दी और मुझे ज़ोर-ज़ोर के झटके मारकर चोदने लगा था। फिर वो मेरी चूड़ियाँ तोड़ता गया और मुझे चोदता गया और फिर आख़िरकार उसने अपना बीज मेरी कोख में बो डाला।
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फिर में पड़ी-पड़ी रोती रही और अब उसने मेरे सारे कपड़े फाड़ दिए थे और मुझे रातभर चोदता रहा और फिर उसने मुझे पलटकर मेरी गांड भी खूब मारी। अब उसके वीर्य से मेरे चूतड़ तर थे, लेकिन वो मेरी गांड मारता रहा। फिर मेरे बेटे ने रातभर बेरहमी से मुझे चोदा ।
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