कमर एकदम मखमल सी चमक रही थी जैसे अभी दूध में नहा कर निकली हो। कमर के दोनों तरफ़ माँस बढ़ चुका था पर इतना नहीं कि लटकने लगे!
मेरी नज़र फिसलती हुई नीचे आई, वो थोड़ा सा पेटीकोट को उठा कर चल रही थी तो उसके सुंदर गोरे पैर नज़र आये जैसे किसी मॉडल के हों।
वो पतली ही है पर उसके पैर थोड़े से मोटे और मांसल है जो बहुत सुंदर लग रहे थे।
वो पूरी नैना कुलकर्णी जैसी कामसुंदरी लग रही थी!
उसके पैरों में बिछ जाने को दिल किया!
अब मेरा दिमाग खराब होने लगा था, शैतान जागने लगा था, नीचे वाले भाई साब ने फ़िर तम्बू बनाना शुरू कर दिया था!
वो पीछे मुड़ी और बोली- जीज्जु जी नहाने नहीं जाना है क्या?
मैं थोड़ा झेंप गया और नहाने चला गया!
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बाथरूम में जाते ही देखा कि मेरी स्वप्न देवी की नाईटी पड़ी थी, मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और आकांक्षा जान की नाईटी को अपने शरीर से रगड़ने लगा उसकी खुशबू को महसूस करने लगा, मन में ऐसे सोच रहा था जैसे मैं उसके गदराये बदन से खेल रहा हूँ।
फ़िर ‘अपना हाथ जगन्नाथ…’
मैं नहा कर निकला, तब तक उसने साड़ी पहन ली थी, मैरून रंग की साड़ी पर रॉयल ब्लू बॉर्डर गजब लुक दे रहा था!
मैं देखता ही रह गया था!
मैं तौलिया लपेटे बाथरूम के बाहर खड़ा था और वो तैयार होकर निकली थी!
मैं देखते ही बोला- आज किसका कत्ल होने वाला है?
‘आपका…’ एक आँख दबा कर बोली!
मै तो सुनते ही पागल सा हो गया और तौलिया खुल गया, मैं उसके सामने सिर्फ बनियान और अंडरवीयर में था!
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फ़िर मेरा खड़ा लन्ड देखते ही उसने थोड़ा गुस्सा दिखा कर मुँह घुमा लिया, मैंने अपना तौलिया लपेटा और कमरे में जाकर कपड़े पहनने लगा!
फ़िर मैं जैसे ही बाहर निकलने लगा तो देखा कि वो बाथरूम की तरफ़ जा रही है।
मैं भी दबे पाँव पीछे-पीछे चला गया!
मैंने देखा कि वो अपनी नाईटी को देख रही थी।
फ़िर वो मुड़ी और मुझसे बोली- आपने मेरे कपड़ों के साथ छेड़ छाड़ क्यों की जीज्जु?
मैं थोड़ा झेंपते बोला- नहीं, जब मैं मेरे कपड़े टाँगने लगा तो भाभी, आपके कपड़े नीचे गिर गये थे और कुछ नहीं!
तो उसने अपनी बड़ी बड़ी आँखों को नशीली बनाते हुए कहा- कोई बात नहीं जी, मैं समझती हूँ!
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मैं मन में बुदबुदाया- साली, तू तो समझती है पर मैं तुझे नहीं समझ पा रहा हूँ, तू सिर्फ मजाक में ऐसा करती है या सच में मेरे लिए चुदासी है!
खैर उसने मेज पर खाना लगाया और मेरे ठीक सामने बैठी!
अब मेरे पैर उसके पैरों से टकरा गये, क्योंकि मैं नंगे पैर था तो उसके नाजुक पैरों को महसूस कर रहा था!
उसके कँटीले शरीर बारे में सोचने से ही मेरे मन में गुदगुदी हुई!
उसने भी अपने पैर हटाये नहीं, बल्कि थोड़ा सा हिला देती बार बार… मैं फ़िर उत्तेजित होने लगा!
वो एक मदहोश कर देने वाली मुस्कान बिखेर रही थी!
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हमने खाना खाया, तब तक 11:30 हो गये थे, फ़िर वो बोली- जीज्जु, मुझे बच्चों का खाना देने स्कूल जाना है, आप चलोगे?
मैं तो यही मौका चहता था, मैंने झट से हाँ कर दिया और हम उसकी अक्टिवा लेकर चल पड़े!
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