अब विजय से चुदवाने की बारी थी। फिर विजय मेरी दोनों टाँगों के बीच में आ गया और उसने मेरी दोनों टाँगों को फैला दिया। अब मेरी चूत अपना मुँह खोलकर विजय का लंड देख रही थी कि तभी उसने अपना खूब मोटा और लंबा लंड मेरी चूत के मुँह पर रख दिया। फिर उसने मेरी कमर को पकड़कर जैसे ही एक धक्का लगाया, तो मुझे बहुत दर्द होने लगा और में फिर से चीख पड़ी, उसका आधा लंड अभी भी बाहर ही था। फिर उसने एक ज़ोर का धक्का मारा, लेकिन फिर भी उसका पूरा लंड मेरी चूत में नहीं घुसा था। अब में दर्द से एकदम बेहाल होने लगी थी। अब शिवा, केसरी और हरी मेरे बूब्स को मसलने में मस्त थे। फिर विजय ने फिर से मेरी चूत में अपना पूरा लंड डालने की एक नाकाम कोशिश की, लेकिन उसका लंड मेरी चूत में नहीं घुसा। फिर विजय ने मुझे बिना लंड निकाले ही उठा लिया और खुद नीचे लेट गया। अब में उसके ऊपर थी।
फिर शिवा, केसरी और हरी ने मुझे ज़ोर से पकड़कर विजय के लंड पर दबा दिया, तो ऐसा करने से उसका पूरा लंड मेरी चूत के अंदर चला गया और में दर्द के मारे चिल्लाने लगी, लेकिन उन तीनों ने मुझे ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया था। अब उनके ऐसा करने से विजय का पूरा लंड मेरी चूत में अंदर बाहर होने लगा था। फिर थोड़ी देर के बाद मेरा दर्द ख़त्म हो गया और अब मुझे बहुत मज़ा आने लगा था। फिर कुछ देर तक इसी तरह से करने के बाद विजय ने मुझे डॉगी स्टाइल में कर दिया और मुझे चोदने लगा। अब वो मुझे बहुत ही तेज़ी के साथ चोद रहा था और नीचे से मेरी चूचीयों को मसल रहा था। अब में विजय से चुदवाने में सबसे ज़्यादा मज़ा ले रही थी। अब विजय से चुदवाते हुए मुझे लगभग 30 मिनट हो चुके थे और में इस दौरान 4 बार झड़ चुकी थी और वो था कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।
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फिर लगभग 15 मिनट तक और चोदने के बाद वो मेरी चूत में ही झड़ गया और साथ ही साथ में भी एक बार फिर से झड़ गयी थी। अब में एकदम थककर चूर हो गयी थी। फिर विजय ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और में उसके लंड को चाटने लगी, मेरी चूत अभी भी दर्द कर रही थी। फिर मैंने विजय का लंड चाट-चाटकर एकदम साफ कर दिया और उसके बाद बाथरूम चली गयी।
फिर बाथरूम से आने के बाद हम सब नंगे ही आराम करने लगे। grop sex
फिर में शाम के 4 बजे किचन में चाय बनाने गयी, तो तभी शिवा मेरे पीछे आ गया। फिर शिवा ने मुझे किचन में ही डॉगी स्टाइल में कर दिया और मेरी चुदाई करने लगा। अब इस बार मुझे शिवा से चुदवाने में बहुत मज़ा आ रहा था। फिर लगभग 15 मिनट के बाद शिवा मेरी चूत में ही झड़ गया और तभी इतने में केसरी भी किचन में आ गया और उसने भी मुझे बिना कोई मौका दिए चोदना शुरू कर दिया। अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मेरी भूख और बढ़ गयी थी। फिर लगभग 20 मिनट तक चोदने के बाद केसरी भी मेरी चूत में ही झड़ गया। अब तक में 3 बार झड़ चुकी थी कि तभी वहाँ हरी आ गया और फिर उसने भी मेरी चुदाई शुरू कर दी। फिर उसने भी मुझे 25 मिनट तक चोदा और मेरी चूत में ही झड़ गया।
अब में फिर से एक बार झड़ गयी थी। फिर उन तीनों के जाने के बाद मैंने चाय बनाई और किचन से बाहर आ गयी। अब मेरी भूख अभी शांत नहीं हुई थी। फिर चाय पीने के बाद में विजय का लंड चूसने लगी, तो थोड़ी ही देर में उसका लंड पूरी तरह से तन गया। फिर उसने मुझे डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू कर दिया। अब में खूब मज़े ले- लेकर विजय से चुदवा रही थी। फिर विजय ने मुझे लगभग 45 मिनट तक चोदा और मेरी चूत में ही झड़ गया। अब विजय से चुदवाने के दौरान में 4 बार झड़ चुकी थी। फिर मम्मी के आने तक मैंने उन सबसे लगभग 45 बार चुदवाया। अब हर बार की चुदाई के बाद मेरी भूख बढ़ जाती थी, लेकिन मम्मी के आने के बाद ये सब बंद हो गया।
फिर 5 दिन के बाद वो सभी अपने घर वापस चले गये, में आज भी वो दिन नहीं भुला पाती हूँ ।