मेरा नाम किरन बंसल है, मैं बिहार की रहने वाली हूँ, पढ़ने में होशियार और होनहार लड़की हूँ। मैं एक छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखती हूँ इसलिए एक बड़े शहर कोटा में पढ़ने आई हूँ। इस शहर में मेरा कोई जान-पहचान वाला नहीं है तो मेरे पापा ने मुझे हॉस्टल में रुकने की आज्ञा दे दी थी। meri chut ki pyas
बड़े शहर के बड़े कॉलेज में मैं पहली बार आई थी, तो मैं काफी डरी हुई थी। हॉस्टल के बारे में सभी लोग काफी बातें किया करते थे लेकिन इन सबको नज़रन्दाज करते हुए मेरे पापा ने मुझे अकेले हॉस्टल में भेजा और बोला- मुझे अपनी बेटी पर पूरा विश्वास है।
ख़ैर, सब बातें होते हुए भी मैं हॉस्टल आ गई और मुझे एक और लड़की के साथ हॉस्टल में कमरा मिल गया। वो लड़की शहर की ही थी और माँ-बाप की टोका-टाकी से तंग होकर हॉस्टल आई थी। वो एक खुले और आजाद विचारों वाली लड़की थी।
शुरू में तो हम दोनों की नहीं बनी क्योंकि हम दोनों के विचार नहीं मिलते थे लेकिन हम दोनों ने धीरे-धीरे एक-दूसरे को समझना शुरू किया तो हम दोनों अच्छी सहेलियाँ बन गई। meri chut ki pyas
उस समय मेरी उम्र 18 साल थी और मेरा बदन काफी कसा हुआ और मस्त था। कस्बों में खान-पान शहरों से अच्छा होता है और आबो-हवा भी शहरों से साफ़ होती है तो मेरा बदन काफी गठीला और स्वस्थ था। मेरी रूम मेट भी कम सेक्सी नहीं थी।
वो बहुत ही खूबसूरत और कसे हुए बदन की लड़की थी और स्वछंद विचारों के कारण हमेशा कॉलेज में उसके चर्चे होते थे, उसके पीछे काफी लड़कों की काफी लम्बी कतार होती थी। लेकिन वो केवल कुछ ही लड़कों से पटी थी और उनके भी दिन मुक़र्रर थे, एक लड़का एक हफ्ते में एक दिन और एक बार।
मैं हमेशा उसको बोलती थी- तुम थक नहीं जाती?
वो बोलती थी- डार्लिंग, इसी का नाम तो जिन्दगी है, और इसी में मज़ा है।
मैं हमेशा उसकी बातों को मजाक में उड़ा देती थी, मुझे नहीं मालूम था कि एक दिन मैं भी इसका शिकार बन जाऊँगी।
मेरी रूममेट का एक प्रेमी था मुकेश। वो कॉलेज का बोक्सिंग चैम्प था, उसका शरीर बहुत ही तगड़ा और कसा हुआ था। जब वो कमरे में आता था तो उसे देख कर मुझे कुछ-कुछ होने लगता था, मुकेश भी इस बात को जानता था।
मेरी दोस्त उससे बहुत खुश थी क्योंकि वो उसको सबसे ज्यादा मज़ा देता था और मेरी दोस्त यह बात मुझे कई बार बोल चुकी थी। आप यह कहानी हिंदी पोर्न स्टोरीज डॉट ऑर्ग पर पढ़ रहे है l
बार-बार सुनने के कारण मुझे भी उसमें मज़ा आने लगा था। एक दिन मुकेश मेरे कमरे में आया और आकर लेट गया।मैंने उसको बोला कि मेरी रूममेट तो नहीं है।
उसने कहा- जानता हूँ, आज मैं सिर्फ तुमसे मिलने आया हूँ। meri chut ki pyas
मेरा दिल धक-धक करने लगा और मैं ख़ुशी से पागल हो रही थी। मैंने थोड़ा अनजान बनते हुए पूछा- क्यों, आज मैं क्यों?
मुकेश ने कहा- जल्दी मेरे साथ चलो, पता लग जाएगा।
मैंने कहा- अच्छा, मैं तैयार हो कर आती हूँ।
उसने बोला- ठीक है। ढीला पजामा पहनना। meri chut ki pyas
मुझे सब कुछ समझ आ गया और मैं मुकेश के साथ चली गई। मैंने शहर के पुराने किले के बारे में बहुत सुना था, पर कभी गई नहीं थी।
मुकेश मुझे वहीं लेकर गया और अपनी मोटरसाइकिल पार्क के बाहर लगा कर मुझे अन्दर ले गया।
वहाँ पर कुछ लोगों को देख कर मुझे डर लगने लगा तो मुकेश ने बोला- डरो मत, सब ठीक है।
वो उन लोगों के पास गया और हँसते-हँसते बात करने लगा। उसने उनको कुछ पैसे दिये और उन्होंने मुकेश को इशारा करके कोई जगह बताई।
मुकेश ने मुझे पीछे आने को कहा। मैं भी मुकेश के पीछे चल पड़ी।
जैसे-जैसे मैं अन्दर जा रही थी, मुझे झाड़ियों में से लड़के-लड़कियों की सिसकारियों की आवाज़ें आ रही थी। मैंने मुकेश से आवाजों के बारे पूछा, तो वो सिर्फ मुस्कुरा दिया।
एक झाड़ी में ध्यान से देखा तो मैं हैरान रह गई, खुले-आम चुदाई चल रही थी, चारों तरफ लड़के-लड़कियाँ चुदाई में लगे थे, किसी को किसी की परवाह नहीं थी, सब मज़े लूट रहे थे।
मुकेश ने पूछा- तुम्हें डर तो नहीं लग रहा? यह सब तुम्हारे साथ भी होने वाला है।
मैंने कहा- नहीं ! meri chut ki pyas
एक ठीक सी जगह जाकर मुकेश रुक गया और थोड़ी से जगह साफ़ करके बैठ गया। मैं भी चुपचाप उसके बराबर में आकर बैठ गई।
मुकेश बिना देर करता हुआ मेरे ऊपर आ गया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये।
मेरे साथ यह सब पहली बार हो रहा था। उसके होंठ बड़े गर्म थे।
धीरे-धीरे मैं पूरी लेट गई और मुकेश मेरे ऊपर आ गया। उसका लंड खड़ा हो चुका था और मेरी चूत को छूने की कोशिश कर रहा था।
मुकेश मुझे पागलों की तरह चूमे जा रहा था कभी मेरे गालों पर, होंठों पर, गर्दन पर।
मुझे भी मज़ा आना शुरू हो गया और मैं भी उसके होंठों को चूसकर उसका साथ देने लगी।
अब उसने अपने हाथ मेरे शरीर पर चलाने शुरू कर दिये, मुझे गुदगुदी के साथ सिहरन होने लगी और मेरी चूत में खुजली होने लगी। आप यह कहानी हिंदी पोर्न स्टोरीज डॉट ऑर्ग पर पढ़ रहे है l