जब सोने की बारी आई तो दिव्या की मां बोली- हम बाहर हॉल में सो जायेंगी।
मैंने कहा- क्यूँ? ये घर क्या सिर्फ मेरा है? कामिनी , दिव्या मेरी जिंदगी है, मेरी जिंदगी पर मुझसे ज्यादा उसका हक है, इसलिए आज के बाद आप दोनों इस बेडरूम में सोयेंगी और मैं बाहर हॉल में।
मेरी इस बात पर दोनों निरुत्तर हो गयी और फर्श की तरफ देखने लगी।
इस तरह मैं बाहर सो गया और वो दोनों अंदर।
रात को लगभग 1 बजे मेरी नींद किसी आवाज से खुल गयी, जब मैंने उठकर देखा तो कामिनी बालकनी में खड़ी थी, मैं उसके पास चला गया, जब मैंने उसके कंधे पर हाथ रख के पूछा- क्या हुआ?
तो वह बोली- आज उनकी बहुत याद आ रही है, इस पहाड़ सी जिंदगी मैं किसके कंधे पर सर रखूं?
यह सुनकर मैंने उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाया और उसे बोला- देखो कामिनी , वो इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन शायद उन्होंने ही मुझे तुम लोगों से मिलवाया है, मेरा भी इस दुनिया में कोई नहीं है, मुझे भी आप लोगों की जरूरत है, हम सब एक परिवार की तरह रहेंगे।
उसका चेहरा ठुड्डी से पकड़कर उसकी आँखों में झांककर मैंने उससे पूछा- रहोगी ना?
इस पर वो भरभराकर रोते हुए मेरे सीने से लग गयी।
लगभग 5 मिनट तक मेरे सीने से चिपकी रही, उसकी गर्म गर्म सांसें अब मुझे महसूस होने लगी थी, मेरे लन्ड ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी थी, यह बात उसे भी महसूस हो गयी थी, उसने मुझे और ज्यादा कसकर पकड़ लिया।
अब मैंने उसे गोद में उठाकर अंदर लाकर लिटा दिया, थोड़ा ऊपर होकर मैं उसके चेहरे की तरफ देखने लगा, वो भी मेरी तरफ देख रही थी, अचानक वो ऊपर की ओर हुई और मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिए। शुरुआत में तो वो धीरे धीरे होंठ चूस रही थी लेकिन कुछ देर बाद वो बुरी तरह मेरे होठों को काट काटकर चूसने लगी, साथ ही मेरा एक हाथ अपने मम्मे पर रख दिया.
मैं भी उसका मुलायम लेकिन तना हुआ मम्मा बुरी तरह मसलने लगा, अब उसके मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… जैसी आवाजें आने लगी।
फिर अचानक वो उठ खड़ी हुई और जल्दी जल्दी मेरी पैन्ट उतारने लगी, साथ ही उसने मेरी अंडरवीयर भी उतार दी, मेरे लन्ड को हाथ में लेकर चूमा, फिर उसकी चमड़ी पीछे करके टोपे के ऊपर जीभ फेरने लगी, इससे मेरे शरीर में सिहरन की सुरसुरी दौड़ गई, वो मेरी तरफ देखकर बोली- आज मैं इस लन्ड का 3-4 बार रस पियूंगी।
यह सुनकर मेरे मुंह से आह निकल गई।
अब वह मेरे लन्ड को मुँह के अंदर लेने लगी, पूरा अंदर ले जाती फिर पूरा बाहर निकाल लेती. फिर टोपे को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगती, फिर लन्ड पूरा अंदर ले जाती. इससे मेरे शरीर में आनन्द की लहर दौड़ जाती। मेरे मुंह से आह आह आह की आवाजें निकलने लगी.
वो अब और तेजी से लन्ड को अंदर बाहर करने लगी, मेरी आँखें बंद होने लगी, मेरा शरीर का रक्त मुझे आनंद के आखिरी गोते की ओर ले जाने लगा जिसे हम ज़न्नत कहते हैं. मेरे शरीर ने एक झटका खाया और तेज पिचकारी के साथ मेरा माल निकलने लगा जिसे कामिनी बड़े चाव से चाट रही थी। कुछ ही देर में सारा रस चाट डाला उसने, लेकिन उसने लन्ड को छोड़ा नहीं।
मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए, इस बार भी उसने नीचे कुछ नहीं पहना था, कुछ देर उसके मम्मों को खाने के बाद उसे अपने ऊपर उल्टा इस तरह लेटा लिया कि उसकी चूत का मुंह मेरे मुंह पर सेट हो जाये। उसकी चूत की महक मेरे नथुनों में घुस गई और मेरे मुंह से ‘अम्म …’ निकल गया तो कामिनी बोली- क्या मिल गया?
मैंने कहा- खजाना मिल गया!
मेरी यह बात सुनकर वह हसंते हुए बोली- लूट लो यह खजाना।
यह कहकर फिर से मेरे लन्ड को चूसने लगी.