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मैंने सोचा कि कामिनी को पैसों की जरूरत हो सकती है तो मैंने उसे बीस हजार रूपये देते हुए कहा- कोई शॉपिंग करनी हो तो … ये रख लो!
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उसके बाद मैं और दिव्या बाइक से मूवी देखने चले गए, हम दोनों बहुत खुश थे, इतने खुश कि मूवी में आधा ध्यान था और आधा ध्यान एक दूसरे की आंखों में था। मैं दिव्या का हाथ अपने हाथ में लेकर बैठा रहा पूरा समय! दिव्या भी अपने हाथ से मेरे हाथ को हल्के हल्के सहलाती रही. हम दोनों ही रोमांटिक हो रहे थे. हमारे दिलों में सिर्फ प्यार था!
जैसे तैसे हम मूवी खत्म करके घर आ गए। जैसे ही हम दोनों ने घर में कदम रखा तो पूरा घर फूलों की खुशबू से महक रहा था, कामिनी खाने की टेबल पर बहुत सारी डिशेज़ के साथ बैठी थी, मतलब कामिनी ने स्पेशल खाना बनाया है।
मैं और दिव्या बहुत खुश हुए, दिव्या तो सीधा टेबल के पास जाकर बैठ गई, मैंने कपड़े चेंज करने की सोची तो कमरे में गया, कमरा खोलते ही मैं आश्चर्यचकित रह गया, पूरा कमरा गुलाब की फूलों से महक रहा था, मतलब कामिनी ने इसी सरप्राइज की बात की थी।
बिस्तर भी लाल गुलाबों से सजा हुआ था।
दोस्तो आपको दिव्या और कामिनी की सुंदरता का अंदाजा लगाना हो तो बता दूं कि दिव्या दिखने में टीवी एक्ट्रेस जेनिफर विंगेट की तरह है और उसकी माँ कामिनी एक पुरानी बॉलीवुड अभिनेत्री आयशा जुल्का की तरह दिखती हैं।
जब मैं कपड़े बदल के वापिस खाने की मेज के पास जाकर बैठा तो कामिनी ने मेरी ओर देखते हुए पूछा- कैसा लगा सरप्राइज?
इस पर मैंने उसे कहा- बहुत प्यारा, असल में बहुत खास भी!
दिव्या अभी अनजान थी इस सरप्राइज से, इसलिए उसने हम दोनों की ओर देखते हुए पूछा- कौन सा सरप्राइज?
मैंने बात को बदलते हुए दिव्या को खाना शुरू करने को कहा।
कामिनी ने गाजर का हलवा, खीर, दो तीन प्रकार की सब्जियां और पराँठे बनाये थे। मैंने सबसे पहले खाने का एक निवाला दिव्या को फिर कामिनी को खिलाया, फिर हम सबने खाना शुरू कर दिया।
तभी कामिनी बोली- लेकिन आप इतना मत करो हमारे लिए, इतना तो कोई अपना भी नहीं करता, और कितना त्याग करोगे हमारे लिए?
मुझे कामिनी की बात बुरी लगी इसलिए मैंने नाराज होते हुए कहा- क्या मैं तुम लोगों का अपना नहीं हूँ?
ऐसा सुनकर दिव्या वहां से उठकर मेरे पास आकर मुझे अपने गले लगा कर कहा- तुम मेरे अपने हो.
यह कहते कहते मुझे माथे से गालों से आंखों से चूमने लगी। मैंने भी उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसे लगभग अपने से चिपकाते हुए आंखें बंद कर ली।
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कुछ देर बाद हम अलग हुए तो कामिनी की आंखों में खुशी के आंसू थे।
खाना खाकर मैंने कुछ देर बाहर घूम कर आने की सोची। बाहर कुछ देर सड़क पर घूमते हुए मुझे एक ज्वेलरी दुकाव खुली दिखी। मैं उसमें घुस गया, वहां से मैंने दिव्या के लिए गले की सोने की चैन, झुमके और 2 सोने की चूड़ियां ले ली ।
कामिनी के लिए भी नाक की नथ ले ली ।
घर आकर मैंने उन दोनों को आंखें बंद करने के लिए बोला और मैंने उनके दोनों के हाथ में उनके लिए लाये गहने रख दिये। जेवर देखकर दोनों बहुत खुश हुई और कामिनी मुझसे कहने लगी
आज जो तुमने दिए हैं ये थोड़े से ही सही लेकिन ये अनमोल हैं।
दिव्या नहाने के लिये बाथरूम चली गयीं।
तभी कामिनी ने मुझे बाहों मे भर लिया और कहा’ तुम चिन्ता मत करो’ हमारी चुदाई चालू रहेगी।मेेंने उसको जोर से दबोच लिया।
दिव्या भी बहुत खुश थी, मैंने दिव्या की आंखों में देखा तो वो भी बहुत प्यार से मेरी आँखों मे देखने लगी, कुछ देर बाद वह शरमा गयी और दोनों हाथों के बीच अपने मुंह को छुपा लिया। शायद उसे इस बात का अहसास हो चला था कि आज उसकी सुहागरात है।
मैंने नहा लेना उचित समझा, जब मैं नहा कर वापस आया तो देखा कि कामिनी दिव्या को लेकर कमरे में जा चुकी थी।
कामिनी ने कमरे से बाहर निकलते हुए, मुझे अंदर जाने का इशारा किया और खुद बाहर आ गयी, साथ ही उसने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया.