हेलो दोस्तो मेरा नाम सिद्धार्थ है। मैं हिसार, हरियाणा का रहने वाला हूं। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूं वो कहानी मेरे जीवन की एक सच्ची घटना है। कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपने बारे में बताना चाहूंगा। padhiye desiporn chudai kahani jisme maine ek ajnabi ki chut maari aur gaand phaadi uske ghar me.
मएरी हाइट 5 फीट9 9 इंच है, रंग गेहुआँ हैं और दिखने में समान्य शरीर का मालिक हूँ। मेरे लिंग का आकार 6 इंच हैं जो किसी भी लड़की को संतुष्ट करने के लिए काफी हैं। मैं एक अच्छे परिवार से सम्बन्द्ध रखता हूँ। पापा का बिजनेस है और माँ हाउसवाइफ है।
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तो चलिए आपका ज्यादा समय न लेते हुए मैं कहानी पर आता हूँ। 2 साल पहले की बात है। पापा ने मुझे बिजनेस के काम से दिल्ली जाने को बोला क्योंकि उनकी कोई अर्जेंट मीटिंग थी इसलिए वो नही जा सकते थे। तो मैंने भी जाने के लिए हां कर दी। लेकिन मैं इससे पहले कभी दिल्ली नहीं गया था तो मैं अपने दोस्त अमित को अपने साथ चलने के लिए बोलै क्योंकि वो वहाँ दिल्ली में कुछ साल रह चुका है। अमित भी चलने को तैयार हो गया। हम दोनों अगले दिन ही दिल्ली के लिए निकल पड़े। और हमें जिस स्थान पर जाना था पहुंच गए और कुछ देर में हमने अपना काम निपटा लिया।
मैं पहले कभी दिल्ली नही आया था तो मैंने अमित को बोला कि यार तू दिल्ली रह चुका है। चल मुझे भी घुमा दे। अमित बोला ठीक है। फिर हमने मेट्रो पकड़ी। ओर सबसे पहले हम अक्षरधाम मंदिर गये। उसके बाद हम इंडिया गेट गए। वहाँ थोड़ा बहुत घूमे ओर काफी थक गए थे। फिर पास में एक रेस्तरां में गये। वहाँ हमने खाने का आर्डर किया। अमित की पीछे वाली टेबल पर 2 खूबसूरत लडकिया बैठी हुईं थी..
एक ने black ड्रेस पहन रखी थी और एक ने रेड। दोनो ही लड़कियां क्या कमाल की थी। रंग गोरा परफेक्ट फ़िगर। दोनो ही कयामत थी। मैं उनकी तरफ ही देख रहा था तो अमित बोलै क्या देख रहा हैं। मैं बोला तेरे 2 बहुत ही ब्यूटीफुल लडकिया बैठी है यार। देख तो सही। अमित ने उनको देखा और बोला चल मिलवा के लाता हूं।
मैं बोला क्यू मजाक कर रहा है यार। अमित बोला मैं सच बोल रहा हूं और अमित उठ के चल दिया उनके पास। मैं उसे देख रहा था। अमित उस रेड ड्रेस वाली लड़की को जाके हाय बोला। उस लड़की ने भी उसको है में जवाब दिया। अमित बोला पहचाना मूझे। वो लडकी बोली क्यू नहीं हम एक ही क्लास में जो थे।
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तअब मुझे पता चला ये अमित की कोई क्लासमेट थी इसलिए ही वो मुझे उनसे मिलवाने को बोल रहा था। फिर अमित ने मुझे भी वही बुलाया और मेरा भी इंट्रो उससे करवाया।
रेड वाली का नाम काजल था और ब्लैक वाली का नाम परी। फिर कुछ देर हमारी बाते हुई और खाना खाया। जाते टाइम अमित ने काजल से उसका कांटेक्ट नंबर ले लिया। फिर वो दोनों निकल गए और हम दोनों वापिस हिसार के लिए निकल गए।
जाते टाइम मैं अमित को बोला यार वो परी मुझे बहुत पसंद आ गयी हैं कुछ करके बात करवा उससे। अमित बोलै चल मैं करता हूं कुछ। उसने अगले दिन काजल से परी का नंबर ला के दिया। मैंने परी का नंबर सेव किया और उसे व्हाट्सएप पर हाय का मैसेज किया।
शाम को परी का मैसेज आया- हु इज दिस? ( कौन हो आप)
मैं- सिद्धार्थ, कल रेस्टोरेंट में मिले थे।
परी- हां, याद आया। लेकिन आपके पास मेरा नंबर कैसे आया।
मैं- वो काजल से लिया है।
पारी- क्यों।
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मैं- आपसे बात करने के लिए, आपसे दोस्ती करने के लिए।
परी- ठीक है। आप अमित के दोस्त हो इसलिए। वरना मैं अनजान लोगों से बात नही करती।
मैं- थैंक्स।
फिर कुछ दिन तक हमारी बाते हक्ति रही और हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए। इस दौरान जब भी दिल्ली का काम होता तो मैं ही जाता था और मैं और परी मिल लेते थे।
कभी मूवी कभी कुतुबमीनार, कभी लोटस टेम्पल, कभी लाल किला। अब आलम ऐसा हो गया था कि उससे बात किये बिना मुझे चैन नही मिलता था और न ही उसे।
फिर जनवरी का महीना था । मेरा जन्मदिन आने वाला था। परी बोली बताओ क्या। चहिये गिफ्ट में। मैं बोला कुछ नहीं। वो बोली चुप चाप बता दो नही तो कभी बात नही करूँगी। तब मैं बोला मैं इतनी बार दिल्ली तुमसे मिलने आया। तो मैं चाहता हूं तुम इस बार हिसार आओ मेरे जन्मदिन पर। फिर बोली यार ये तो बहुत मुश्किल है। मैं बोला तो ठीक है रहने दो कोई बात नहीं। वो भी कुछ नही बोली। मैं सोचा शायद नही आ पाएगी क्योंकि एक लड़की को घर से बाहर निकलना मुश्किल होता हैं। इतना दूर आना तो कुछ ज्यादा ही मुश्किल होगा।
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