स्नेहा दीदी ने बहुत मुश्किल से अपनी सांस संभाली और बोली , “ पागल हो गया है क्या , जानवर !!! मुझे जान से मारेगा क्या ? ”
मैं जो उनकी चूचियों में खोया हुआ था , जैसे नींद से जागा और बोला , “शुरू तूने किया था कुतिया !! अब भुगत । ”
दीदी मेरे द्वारा कहे गए अपशब्दों का बिलकुल भी विरोध नहीं कर रही थी और मैं उनकी ख़ूबसूरती को ऊपर से नीचे तक निहार रहा था ।
फिर दीदी ने मेरा ध्यान भंग किया , ” मैं जा रही हूँ । ”bhai ka lund
और वो अपने कपड़े उठाने के लिए झुकी ।
तभी मैंने पीछे से जाकर दीदी को दबोच लिया और उन्हें सीधा खड़ा कर के अपनी तरफ घुमाया । फिर उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उन्हें बेतहाशा चूमने लगा ।
स्नेहा दीदी ने शायद इस सब की कल्पना भी नहीं की होगी । पहले तो उन्हें आश्चर्य हुआ फिर वो भी चूमने में मेरा साथ देने लगी । हम दोनों के बदन आपस में किसी बेल की तरह लिपटे हुए थे और मेरा लंड दीदी के पेट पर रगड़ खा रहा था । कुछ देर तक हम एक दूसरे के होंठों को ऐसे ही चूमते रहे फिर दीदी ने मुझे अलग किया और बोली , ” चल हट ! अब कपड़े पहन ले ।”
पर मुझे दीदी के शब्द तो जैसे सुनायी ही नहीं दिये । bhai ka lund
मैंने अपने दोनों हाथ उनकी चूचियों पर रख दिये और उन्हें ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा । दीदी ने पहले थोड़ा विरोध किया पर फिर मज़ा लेने लगी। मुझ पर धीरे धीरे वासना इस कदर हावी हो गयी कि मैं भूल गया कि मेरे सामने मेरी स्नेहा दीदी हैं और वो भी एक इंसान हैं ।
मैं दीदी की चूचियों को चूसने लगा , मसलने लगा और काटने लगा ।
दीदी के मुंह से दर्द मिश्रित कामुक सिसकारियां निकलने लगीं ….आह हहह ..मममम …… । मैं तो जैसे पागल ही हो गया था । मैंने उन्हें पहले तो ऊपर से लेकर नीचे उनकी मांसल जांघों तक चूमा । फिर वासना के वशीभूत होकर उन्हें जगह जगह काटने लगा । पहले तो दीदी मेरा काटना भी एन्जॉय कर रही थी पर कभी कभी मैं ज़्यादा ज़ोर से काट लेता तो उनकी चीख निकल जाती ।
उनकी चीख सुनकर पता नहीं क्यों , मुझे और अच्छा लगा । bhai ka lund
फिर मैं उन्हें कभी नितम्बों पर , कभी जांघों पर और कभी चूचियों पर ज़ोर ज़ोर से काटने लगा । थोड़ी देर तो दीदी ने बर्दाश्त किया । पर जब उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उन्होंने मुझे धक्का दे दिया और ज़ोर से चिल्लाई , ” समीर ! behave yourself । ”
मैंने उनकी कोई बात नहीं सुनी और उन्हें धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और घोड़ी बना लिया और उनकी चूत पर अपना मुंह ले गया और अपनी जीभ से उनकी चूत और गांड को चाटने लगा ।
स्नेहा दीदी की मादक सिसकारियों से सारा कमरा गूँज उठा । कुछ देर तक ऐसा करने के बाद मैं उनकी टाँगों के बीच अपने घुटनो के बल बैठा और दीदी की कमर को एडजस्ट करा , फिर दीदी का हाथ पकड़ के पीछे लाया और अपने लंड पर रख दिया ।
अब फैसला स्नेहा दीदी को करना था कि किस दिशा में मेरे लंड को ले जाना चाहती हैं । दीदी ने लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर टिका दिया । दीदी की चूत पहले से ही रस से भीगी हुई थी इसलिए लंड को अंदर पेलने में कोई समस्या नहीं हुई । लंड एक धक्के में ही आधा अंदर समा गया । दीदी के मुंह से थोड़ा दर्द और मज़े से भरी हुई सिसकारी निकली आह हहहहहह ……………. ।
फिर मैंने आधे लंड को ही आगे पीछे करना शुरू किया और कुछ पलों तक ऐसे ही करता रहा । फिर धीरे धीरे धक्कों के साथ ही बाकी के हिस्से को भी अंदर पेलने लगा और थोड़ी ही देर में पूरा लंड दीदी की चूत में समा गया ।
उधर दीदी को दर्द भी बहुत हो रहा था । bhai ka lund
उनकी आँखों से आंसू निकल रहे थे ।
मैंने दीदी की हालत देख कर पूछा , “ बाहर निकाल लूँ क्या ? “
स्नेहा दीदी कराहते हुए बोली , ” इडियट हो क्या ? आह हहहहह …… बस धीरे धीरे आगे पीछे करते रहो । ”
मैं दीदी के कहे अनुसार कुछ समय तक लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करता रहा ।
दीदी को अब मज़ा आने लगा था और वो अपनी गांड आगे पीछे हिलाने लगी थी । उसके मुंह से कामुक सिसकारियां धीरे धीरे तेज़ हो रही थी ।
फिर मैंने अपनी स्पीड थोड़ी बड़ा दी और लंड को पूरा अंदर तक पेलने लगा ।
स्नेहा दीदी के मुंह से कामुक आवाज़ निकली , ओह्ह्ह हहहहहह …….समूउउउउउउ … ऊह्ह्हह्ह ……. ।
मैंने धक्के लगाते हुए जवाब दिया , ” यस दी ! आह हहहहहह ….. । “
दीदी : “ooohhh SAMU !!! Come On……Come On…….Fuck Me ! Fuck Me ! “
मैं : “ yeah didi !!! take it……..take it you bitch ! ” bhai ka lund
दीदी : “yeah behenchod !!! …give it to me !!! …पूरा डाल दे । ”
मैं अपने धक्के और तेज़ करते हुए बोला, “ ले मेरी रंडी और ले !!! ……. आया मज़ा ? ”
दीदी : “ooohhh aaahh ……. बहुत अच्छा लग रहा है जानू !!! …और ज़ोर से मार…. । ”
मैंने अपने लंड को सुपाड़े तक बाहर निकाला और ज़ोरदार धक्के से एक ही बार में पूरा अंदर धांस दिया , ” ये… ये ले मेरी कुतिया !!! …… अब बता कैसा लगा ? ”
मेरे इस तरह पूरा लंड बाहर खींच कर फिर पूरा घुसा देने से दीदी की जोर से चीख निकल गयी ।
पर उसे मज़ा भी बहुत आया , ” आह ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह …….. बहुत बढ़िया मेरे कुत्ते !!! और ज़ोर से चोद अपनी दीदी को !!! ”
वासना के वशीभूत होकर हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही अनाप शनाप बकते रहे , जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था ।
फिर कुछ देर तक मैंने ताबड़तोड़ धक्के दीदी की चूत में मारे और ज़ोर से चिल्लाया , “ओह हहहह ….. दी ! मेरी प्यारी दी ! मैं आ रहा हूँ …… । ”
दीदी भी चिल्लाई , “ आह हहहह उउउउउउ …ईईईई हहहहहह….. समू मेरे प्यारे भाई ! भर दे अपनी दीदी की चूत को अपने वीर्य से ……… आह हहहहह ……..। ”
और फिर हम दोनों ही एक साथ झड़ गये ।
मैं स्नेहा दीदी की चूत में ही अपना सारा वीर्य निकाल कर उनके ऊपर बेसुध होकर गिर पड़ा और मेरा लंड अभी भी दीदी की चूत में ही अटका हुआ था ।
हम दोनों की साँसे बहुत तेज़ तेज़ चल रही थी ।
हम बिना कुछ बोले कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे । bhai ka lund
फिर मैंने दीदी के कान में कहा , ” तुमने कर दिखाया दीदी , तुम जीत गयीं !!! ”
स्नेहा दीदी मुस्कुरायी और मेरे गाल पर किस करते हुए बोली , ” welcome back bro !!! ”
to be continued………