मैंने धीरे धीरे लंड को अंदर डाला । bhai ka lund
दीदी के मुंह से फिर दर्द भरी आवाज़ निकली ,” आहिस्ता ! आहिस्ता !”
मैंने धीरे धीरे लंड को फिर आगे बढ़ाया । एक बार पहले लंड अंदर करने के बाद भी गांड उतनी ही टाइट महसूस हो रही थी ।
जैसे ही आधा लंड अंदर गया , स्नेहा दीदी के मुंह से हलकी से एक चीख निकली , “ एआइइइइ आअह्ह्ह …” और उन्होंने बेडशीट को सख्ती के साथ अपनी मुट्ठी में भींच लिया ।
उन्हें दर्द से निजात दिलाने के लिए मैंने उन्हें पागलों की तरह चूमना चाटना शुरू कर दिया ।
दीदी को थोड़ी राहत मिली और अब उनके मुंह से धीमी धीमी सिसकारियां निकलने लगी थी ।
असल में जिसे गांड समझ कर मैं चोद रहा था वो दीदी की चूत थी । दीदी ने बड़ी ही चालाकी से मेरे लंड को अपने चूत के छेद पर रखा था और मैं वासना और उत्तेजना के बहाव में उनकी चूत को ही उनकी गांड समझ कर चोदे जा रहा था । क्यूंकि मैं उन्हें एक लड़का ही समझ रहा था और ये भूल गया था कि दीदी एक लड़की है और उनके पास दो छेद हैं , वो भी लगभग मिले हुए । धीरे धीरे मैंने अपना पूरा लंड दीदी की चूत में पेल दिया और आगे पीछे करने लगा ।
दीदी दर्द और आनंद की मिक्स feelings दे रही थी और उनकी चूत धीरे धीरे काफी गीली हो गयी थी । जिस के कारण अब लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था । उनकी चूत भी उनकी गांड की तरह ही टाइट थी और मैं तो उसे गांड समझ कर ही चोद रहा था ।
धीरे धीरे दीदी को दर्द का अहसास कम हुआ और वो अपनी गांड पीछे की और उछालने लगी ।दीदी भी अब पूरी मस्ती में आ चुकी थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी । मैंने अपने धक्के लगाने की स्पीड बढ़ा दी और दीदी ने भी अपनी गांड उछालना तेज़ कर दिया ।
फिर अचानक स्नेहा दीदी ने अपने बदन को थोड़ा सा ऊपर उठाया और अपनी टीशर्ट को आधी पीठ तक ऊपर खींच लिया । फिर मेरे दोनों हाथों को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया और ज़ोर ज़ोर से अपनी चूचियों को मेरे हाथ से मसलने लगी और साथ ही अपनी गांड को तेज़ी से पीछे करने लगी । शायद दीदी झड़ने ही वाली थी और इस समय बहुत उत्तेजना में थी , पर हुआ कुछ उल्टा ।
जैसे ही मुझे दीदी की चूचियों का स्पर्श हुआ , मेरे दिमाग में हलचल मच गयी । और जैसे मैं किसी सपने से जाग गया और मुझे अहसास हुआ कि असल में मैं किसी लड़की को चोद रहा हूँ ।
तो मेरे लंड का तनाव खत्म होने लगा और मेरी धक्का लगाने की स्पीड कम होती गयी और फिर मैं रुक गया ।
उधर दीदी की मदहोशी में खलल पड़ गया था , उनको कामतृप्ति का सुख मिलना बंद हो चुका था ।
वो अपनी चूत को मेरे लंड पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी । पर मेरा लंड ढीला पड़ता जा रहा था और कुछ ही पल बाद मेरा लंड मुरझा कर उनकी चूत से बाहर आ गया ।
फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी । bhai ka lund
दीदी ने मुझे पीछे धकेला और बेड पर पीठ के बल लेट कर अपने हाथ से अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी । वो वासना की आग में बुरी तरह जल रही थी पर अपने हाथ से दीदी को संतुष्टि नहीं मिली । थोड़ी देर अपनी चूत को रगड़ने के बाद दीदी बेड पर बैठ गयी और मेरी तरफ देखते हुए गुस्से से बोली , ” क्या फायदा ऐसे लंड का जो किसी की प्यास न बुझा सके । ”
मैं पहली बार दीदी के मुंह से लंड जैसा शब्द सुन कर हैरान रह गया और मैंने पलट कर कहा ,” सॉरी दीदी ! ”
इस पर दीदी बोली ,” तेरे सॉरी बोलने से मेरी आग तो नहीं बुझेगी भेंनचोद !!!”
दीदी के मुंह से गाली सुनकर मुझे गुस्सा आ गया और मैंने कहा , ” दीदी !!! माइंड योर लैंग्वेज ।”
दीदी भी गुस्से में बोली ,” क्या माइंड योर लैंग्वेज । ज़्यादा चिल्ला मत ।”
फिर रुक कर बोली , ” हिजड़ा कहीं का !!! ” bhai ka lund
मैं ज़ोर से चिल्लाया , ” दीदी !!! मैं कह रहा हूँ अपना मुंह बंद रखो । मुझे गुस्सा मत दिलाओ ।”
दीदी ने टौंट मारा , ” ओह ! तो हिजड़ों को भी गुस्सा आता है । क्या करेगा तू मेरा ? ”
मैंने फिर गुस्से में कहा , ” दीदी शटअप !! मैं कोई हिजड़ा नहीं हूँ । आप अच्छी तरह से जानती हो और बार बार मुझे गाली देना बंद करो । ”
पर दीदी किसी और ही मूड में थी । वो मेरी कहाँ सुनने वाली थी ।
वो फिर बोली ,” अच्छा तो तू हिजड़ा नहीं है तो अपने लंड को खड़ा क्यों नहीं करता । देख एक नंगी लड़की तेरे सामने बैठी है । कोई बुड्ढा भी मेरा जिस्म अगर इस तरह से देख ले तो मुझे बिना चोदे नहीं रह सकता ।”
और यह कहते ही दीदी ने अपनी टीशर्ट सर के ऊपर से उतार फेंकी । मैं बेड पर नंगा बैठा दीदी के नए रूप को देख रहा था । मुझे दीदी से बहस में पड़ना फ़िज़ूल लगा । मैं उठा और अपने कपड़े पहनने लगा ।
दीदी ने मुझे कपडे पहनते हुए देखा और बोली , ” क्यों अब जवाब नहीं है तेरे पास । साले गाँडू !!! जा जाकर किसी लौंडे की गांड मार । तू इसी लायक है । ”
मैं अपना शार्ट पहन चुका था । मुझे गुस्सा आ गया , ” साली अब और कुछ बोली ना तो …।”
दीदी गुस्से में ही हंसी ,” तो क्या भड़वे !! मारेगा मुझे ? आ ले मार । ” bhai ka lund
दीदी के मुंह से और गालियां सुनकर मुझसे रहा नहीं गया , मैं तेज़ी से उनके पास पहुंचा और उनके बॉयकट बालों को अपनी मुट्ठी में भर कर बोला , ” साली कुतिया !!! बहुत ज़ुबान चला रही है । साली !! शहर के सारे कुत्तों से तुझे चुदवा दूंगा । हरामज़ादी ! ”
दीदी ने अपने बाल मेरी मुट्ठी से छुड़ाये और बोली , ” जा जा ! बड़ा आया कुत्तों से चुदवाने वाला ! जा जाकर उन कुत्तों की ही गांड मार । भेनचोद हिजड़े !! ”
बस फिर न जाने मुझे क्या हुआ मैंने एक ज़ोरदार थप्पड़ दीदी के गाल पर दे मारा ।
दीदी बेड पर पेट के बल गिर पड़ी । मैं गुस्से से भर चुका था और मेरा खून खौल रहा था। मुझे सिवाय गुस्से के कुछ और नहीं सूझ रहा था । मैंने एक ही झटके में अपना शार्ट उतार फेंका और दीदी को उनके बालों से पकड़ कर उठाते हुए बोला , ” साली कुतिया !!! बहुत चुदने का शौक चढ़ा है ना तुझे । आज तेरी मैं सारी गर्मी निकाल दूंगा । चोद चोद कर तेरी चूत ही फाड़ दूंगा । ”
पता नहीं कैसे मेरे मुंह से ऐसे शब्द निकल रहे थे मुझे नहीं पता । bhai ka lund
मैं गुस्से और अपमान में सुलग रहा था । मैंने दीदी के सर को उठाया और अपने लंड को उनके मुंह पर रगड़ने लगा ।
मेरा लंड पहले से ही अपने पूरे शबाब पर था । मुझे ये भी नहीं पता चला कि वो कब इतना सख्त हो गया । करीब 1 मिनट तक मैं गुस्से और आवेश में अपने लंड को दीदी के मुंह पर रगड़ता रहा । फिर मैंने गुस्से में ही कहा , ” चल खोल अपना मुंह बहन की लोड़ी !! और चूस इसे ।”
दीदी ने कोई जवाब नहीं दिया और अपना मुंह खोल कर लंड को धीरे धीरे चूसने लगी । पर मैं इतने में कहाँ मानने वाला था । मैंने उनके बालों को पकड़े पकड़े ही उनके मुंह में धक्के लगाने शुरू कर दिये और अपना पूरा लंड उनके गले तक ठूंस दिया ।
दीदी गों गों की आवाज़ें निकाल रही थी । पर मैं तो जैसे अपने अपमान की आग में अँधा हो गया था । मुझे उनके किसी दुःख दर्द की फ़िक्र नहीं हो रही थी ।
बड़ी मुश्किल से दीदी ने खुद को छुड़ाया और बेड से उतर कर खड़ी हो गयी । उनकी साँसें बहुत तेज़ी से चल रही थी और उनकी मोटी मोटी पपीते की शेप की चूचियां उनकी सांस के साथ ऊपर नीचे हो रही थी । पहली बार ज़िन्दगी में मुझे किसी लड़की की चूचियों में रूचि हो रही थी और मैं एकटक उन्हें ऊपर नीचे होता हुआ देख रहा था।