मेरा नाम सुमित है मेरा हैंडीक्राफ्ट का काम है, मैं एक बार हैंडीक्राफ्ट के सिलसिले में अहमदाबाद गया हुआ था वहां पर काफी बड़ी एग्जीविशन लगी थी मुझे मेरे एक दोस्त ने बताया था कि यदि तुम अपना स्टॉल लगाना चाहते हो तो तुम मुझे बता देना क्योंकि वह भी वहां पर अपना कोई स्टॉल लगाने वाला था। chutad
मैंने उसे कहा मेरे लिए भी तुम एग्जिबिशन स्टॉल बुक कर देना. nange chutad
उसने मेरे लिए एग्जीविशन इंस्टॉल बुक करवा दी मैं भी अब अपना सामान लेकर अहमदाबाद पहुंच गया, मेरे साथ में मेरे दुकान में काम करने वाले दो लड़के भी थे, मैंने अपने छोटे भाई से कह दिया था कि तुम दुकान का ध्यान रखना क्योंकि उस वक्त कॉलेज की छुट्टियां पड़ी थी तो इसी वजह से मैंने उसे कहा कि तुम दुकान संभाल लेना, उसे काम की अच्छी जानकारी थी क्योंकि वह मेरे साथ ही ज्यादा वक्त गुजारता था।
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जब हम लोग अहमदाबाद पहुंच गए तो मैं सबसे पहले अपने दोस्त से मिला मैंने अपने सामान को होटल के रूम में ही रखवा दिया था और वह दोनों लडके भी वही रूम में थे, मैं जब अपने दोस्त सुधीर से मिलने गया तो वह मुझे कहने लगा तुम इस बार सामान तो काफी लाये हो, मैंने उसे कहा इस बार तो मैं बिल्कुल नया सामान लाया हूं ऐसा सामान तो हम लोगों ने खुद ही पहली बार बनाया है, वह कहने लगा यह काफी बढ़िया एग्जीविशन है यहां पर तुम्हे अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा।
जिस दिन हम लोगों ने पहली बार एग्जीबिशन में अपना सामान रखवाया तो उस दिन लोगों का अच्छा रिस्पांस मिल रहा था और सब लोग हमसे काफी सामान खरीद कर भी ले गए, मैंने अपनी दुकान का कार्ड भी उन्हें दे दिया था यदि उन्हें कुछ सामान मंगवाना हो तो मैं उनके पास कोरियर से वह सामान भिजवा दूँ। उसी एग्जिबिशन में मेरी मुलाकात मीनाक्षी से हुई, वह हमारे हैंडीक्राफ्ट से बने सामान को देखकर इतना खुश हुई कि वह कहने लगी मैं अब यहां पर एक दुकान खोलना चाहती हूं आप उसमें मेरी मदद करेंगे? मैंने मीनाक्षी से कहा क्यों नहीं मैं आपकी जरूर मदद करूंगा।
मैंने उसे कहा यदि आपको लगता है तो जब तक एक्जिवेशन है आप यहां रुक सकती हैं, आप को सामान की भी अच्छी जानकारी हो जाएगी और पता भी चल जाएगा लोगों के साथ कैसे डील करनी है, जब मैंने उससे यह बात कही तो वह कहने लगी ठीक है मैं आपके पास ही रुक जाती हूं। वह मेरे पास ही रुक गई और काम को पूरी तरीके से देखने लगी, उसे भी काम काफी अच्छा लगा और वह काफी हद तक समझ भी गई थी..
वह मुझसे पूछती कि आप लोग यह सामान कैसे बनाते हैं? desi chutad
मैंने उसे कहा कि हम लोगों को तो यह सामान बनाते हुए काफी वर्ष हो चुके हैं और हमारे सामान कि विदेशों में भी बहुत अच्छी डिमांड है।
वह कहने लगी मेरे भी यहां पर काफी अच्छे कस्टमर है लेकिन मेरे पास अच्छा सामान नहीं होता इसीलिए वह लोग इतना सामान नहीं खरीद पाते परंतु आपके बनाए हुए सामान की यहां पर काफी अच्छी डिमांड रहेगी और उसने इस बात से अंदाजा लगा ही लिया था कि मेरा सामान काफी हद तक बिक चुका था। जब एग्जीविशन खत्म होने वाली थी तो अगले दिन वह कहने लगी क्या आज आप मेरे साथ कुछ समय बिता सकते हैं? मैं आपसे जानकारी लेना चाहती हूं, मैंने उसे कहा ठीक है मैं आज यहीं रुक जाता हूं।
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मैंने अपने सात के लड़कों को वापस जयपुर भेज दिया और मैंने उन्हें कहा मैं एक-दो दिन बाद लौट आऊंगा, वह लोग अब जा चुके थे, मीनाक्षी मुझे सबसे पहले तो अपनी शॉप पर ले गई वहां पर पहले से ही कोई व्यक्ति अपनी दुकान चला रहे थे, वह कहने लगी मैंने बोल दिया है यह लोग एक महीने में जगह खाली करवा देंगे और उसके बाद मैं आपसे सामान भी खरीद लूंगी, मीनाक्षी काम के प्रति काफी एक्टिव थी और वह बहुत ज्यादा मेहनती भी लग रही थी।
मैंने जब उसकी शॉप देखी तो मैंने उसे कहा, शॉप तो काफी अच्छी जगह पर है तुम्हारा काम यहां बहुत अच्छा चलेगा यदि तुम काम में पूरे मन लगाकर काम करो तो, वह कहने लगी कि मैंने पहले भी घर से इस काम की शुरुआत की थी लेकिन मुझे सही दामों पर सामान नहीं मिल पा रहा था इसलिए मैंने अपना काम बंद कर दिया परंतु अब आप से मेरी मुलाकात हुई है तो मैं अब इस काम को दोबारा शुरू कर लूंगी, मैंने उसे कहा यदि तुम्हें वक्त मिले तो तुम जयपुर आ जाना और जयपुर में ही तुम मेरे पास सामान देख लेना वहां पर काफी वैराइटी भी तुम्हें मिल जाएगी, वह कहने लगी कोशिश करूंगी यदि मैं जयपुर आई तो, नहीं तो आप ही मुझे वहां से सामान भिजवा दीजिएगा..
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मैंने उसे कहा ठीक है। bade chutad
वह मुझे अपने एक परिचित के रेस्टोरेंट में ले गई वहां पर बैठकर हम दोनों कॉफी पी रहे थे और आपस में बात कर रहे थे, मुझे उससे बात कर के ऐसा लगा कि यह काफी मेहनती है और काम के प्रति बहुत ही सीरियस है, मैंने मीनाक्षी से कहा कि अब मैं चलता हूं मैं थोड़ा आराम कर लेता हूं क्योंकि सुबह मुझे जल्दी ट्रेन से निकलना है, वह कहने लगी आप थोड़ी देर बैठ जाइये उसके बाद आप चले जाइएगा, मैंने सोचा चलो थोड़ी देर मीनाक्षी के साथ बैठ जाते हैं उसके बाद चलूंगा।
हम दोनों साथ में ही बैठे हुए थे लेकिन हम दोनों के बीच कुछ और ही बातें होने शुरू हो गई मैं मीनाक्षी की पर्सनल लाइफ के बारे में पूछने लगा। जब हम दोनों की बातें चल रही थी उस वक्त मैंने मीनाक्षी के हाथ को पकड़ते हुए कहा तुम मेरे साथ ही चलो। वह कहने लगी ठीक है वह मेरे साथ आने को राजी हो गई, जब वह मेरे साथ आई तो मैंने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया।
जब मैंने उसकी नरम जांघ पर हाथ रखा तो वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई उसका शरीर गर्म होने लगा उसके शरीर से बहुत ज्यादा गर्मी निकल रही थी। मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लगा नहीं था मैं उसके साथ सेक्स कर पाऊंगा लेकिन वह मेरे पूरे काबू में थी। जब मैंने उसके होंठो को चूसना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी आप अच्छे से मेरे होठों का रसपान कीजिए।
मैंने उसके होठों का बड़े अच्छे से रसपान किया जब उसकी योनि ने पानी छोड़ दिया तो उस वक्त मैंने उसकी योनि पर अपने लंड को लगाते हुए अंदर डाल दिया।
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उसकी चूत बहुत टाइट थी। bade chutad
मुझे उसे धक्के मारने में बहुत आनंद आ रहा था हम दोनों का शरीर पूरी तरीके से गर्म हो चुका था, जब मेरा लंड ज्यादा गरम हो गया तो उसकी चूत गर्म पानी छोडने लगी, उस गर्मी से मेरा वीर्य मीनाक्षी की योनि में गिर गया। उसने कपड़े से अपनी योनि को साफ किया और कहने लगी मैं अब चलती हूं। मैंने उसे कहा लेकिन मेरी इच्छा पूरी नहीं हुई है। मैंने उसकी बड़ी गांड को अपने हाथों में पकड़ा और उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डाल दिया।
जब मेरा लंड उसकी योनि में प्रवेश हुआ तो उसके मुंह से आवाज निकल आई, वह इतनी तेजी से चिल्ला रही थी मुझे उसे धक्के मारने में बहुत आनंद आ रहा था। वह मेरा पूरा साथ देने लगी उसके बदन की गर्मी इतनी ज्यादा होने लगी मेरा लंड भी पूरी तरीके से तपने लगा था। उसकी योनि से लगातार पानी का रिसाव हो रहा था मेरा लंड उसकी योनि में आसानी से अंदर बाहर होने लगा क्योंकि उसकी योनि बड़ी चिकनी हो चुकी थी।
मुझे उसकी चिकनी चूत मे अपने लंड को डालने में बड़ा आनंद आ रहा था। chutad
जब वह झड गई तो उसने अपनी चूतड़ों को ऐसे ही मेरे सामने रखा और मैं उसे बड़ी तेजी से चोद रहा था उसी धक्के के दौरान मेरा वीर्य गिरने वाला था। जब मैंने अपने वीर्य को उसकी बड़ी गांड के ऊपर डाला तो उसे बहुत अच्छा महसूस हुआ। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लगा जब आपने अपने वीर्य को मेरे ऊपर गिरा दिया उसने अपनी गांड से मेरे वीर्य को साफ किया और उसके बाद मैंने उसके होठों को चूम लिया।
मैंने उसे कहा तुम अब जयपुर भी आ जाना वहां भी हम लोग खूब सेक्स करेंगे। वह कहने लगी ठीक है मैं जयपुर भी आ जाऊंगी और आप मुझे मेरे दुकान का सामान भी भिजवा दीजिएगा। मैंने उसे कहा ठीक है उसके बाद वह जयपुर भी आई, जयपुर मे भी हम दोनों ने जमकर चुदाई का लुफ्त उठाया।
उसकी शॉप अब शुरू हो चुकी है और उसका काम भी अच्छा चलने लगा है। chutad
वह मुझे हमेशा फोन पर कहती है मैं आपके लिए तड़प रही हूं आप कब यहां आने वाले हैं। मैंने उसे कहा बस कुछ ही समय बाद आऊंगा लेकिन उसके बाद मेरा अहमदाबाद जाना नहीं हो पाया और वह मेरा बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही है।