Dukan Ne Dilayi Jawan Chut
मै इलाहाबाद का रहने वाल हु। ये घटना उस समय की है जब मे 21 साल का था। मेरी जवानी जोरो पर थी। मे 5 फ़ुट 11 इन्च का हस्ट पुश्ट युवक था। मे दिन रात बस चुदाई के सपने देखा करता था। पर मे कभी हस्तमेथुन नही करता था इसलिए कभी-कभी रात मे स्वपनदोश हो जता था।मेरे घर के बाजु मे मेरे ताऊ जी के लडके, विशाल, की कुछ दुकाने थी। उस मे उसने एक दुकान लेडीस गारमेन्ट्स की थी। इक दिन उस मे नई फ़ीमेल सेलर आई। जो अब से उस दुकान को देखने वाली थी। चूकि अनिल का घर वन्हा से दुर था और वो दुसरे बिजनेस भी देखता इसलिए दुकान का अधिकतर काम मे ही देखता था। अनिल ने मेरे से उसको मिलवाया और बोला की आज से ये दुकान मे रहेगी। वो लडकी कुछ सावली थी पर फ़ीगर बहुत मस्त था। उसका नाम शालु था। उम्र लगभग 19 साल होगी। 5 फ़ुट हाईट होगी। कुछ ही दिनो मे हमारी अच्छी दोस्ती हो गई। चूकि दुकान काफ़ी छोटी थी इसलिए काम करते समय अधिकतर उसका शरीर मेरे शरीर से छु जाटा था जे मेरे को बहुत अच्छा लगता था। वो बहुत ही सादगी से रहती थी जिसका मे दिवाना होता जा रहा था। ईक दिन मैने उसको प्रपोस कर दिया और वो मान गई। उस दिन मै आसमान मे उड रहा था। मैने उसके साथ शादी के सपने बुनना सुरु कर दिये। मेरे मन मे उसके लिये कोई गन्दा विचार नही था। मे शादी के बाद ही उससे सेक्स करने की सोचता था। जब मे ईक दिन दुकान पर गया तो वन्हा कोई कस्टमर आई थी वो ब्रा, पेन्टी खरीद रही थी। वो कस्टमर ब्रा, पेन्टी ले कर चली गई। तब मैरे को कुछ शरारत करने का मन हुआ मैने उससे पुछा तुम्हारा साईज क्या है। वो शरमा गई। मैने उसको काउन्टर की आड मै कर लिया ताकि हमे कोई बाहर से देख ना पाये। फ़िर मैने उसके होठों पर अपने होठों रख दिये। वो ईक गजब का एहसास था। उसने भी साथ देना सुरु कर दिया। अब हम सब कुछ भुल कर एक दुसरे का मुखपान कर रहे थे। मेरा लन्ड तन कर चड्डी में बगावत कर रहा था। तभी किसी के दुकान मे आने की आहट सी हुई। वो इक कस्टमर थी। हम दोनो अलग हो गये और शालु कस्टमर को समान दिखाने लगी। चूकि मेरा लन्ड चड्डी के अन्दर खडा हो चुका था इसलिये मैने अपनी सर्ट को बाहर निकाला और अपने घर मे चला गया। मे सीधा बाथरुम मे गया और पहली बार शालु के नाम का मुट्ठी मारी।
अब हम दोनो ईक दुसरे के और करीब आ चुके थे। मैं दुसरे दिन दुकान पर दोपहर को गया जब कस्ट्मर कम आते है और मैने शालु से कहा मेरे को अपने दोस्तो से मिलना है। शालु ने कहा “कहाँ है तुम्हारे दोस्त?”। मै उसको काउन्टर की आड मे ले जाके, उसकी चूचीयो को छुते हुये बोला “ये है मेरे दोस्त्।“ फ़िर मैने चूचीयो से खेलना सुरु कर दिया। ये पहली बार था जब मैने किसि लडकी की चूचीयो को छुआ था, बहुत मजा आ रहा था, क्या मुलायम आहसास था। शालु को भी मजा आने लगा था वो भी मुझे किस करने लगी। थोडी देर बाद शालु दूर हट गई और बोली कोई देख लेगा।
उस दिन के बाद से जब भी मेरा मन होता था मे दुकान पर जता था और उसके साथ बाते करता था, किस करता, उसकी चूचीयो से खेलता था। लाईफ़ अच्छी चल रही थी। लेकिन कुछ ही दिनो मे आसपास के दुकान वालो को शक होने लगा और लोग तरह तरह की बाते करने लगे और ये बात मेरे पापा और अनिल तक भी पहुँच गई। अनिल के कहने पर पापा ने मेरे को उसकी दुकान पर जाने से मना कर दिया। इस बात को लेकर मेरे और मेरे भाई अनिल मे कहासुनी भी हो गई। अब शालु दुकान की चाभी देने शाम के समय आती थी और सुबह मे आकर ले जाती थी। अब हम दोनों फोन पर एक दुसरे से बात करने लगे थे। एक दिन जब वो दुकान की चाभी देने आई तो मेरे घर पर सिर्फ़ मम्मी थी जो अक्सर बीमार रहती है और वो अपने रुम मे थी। बाकी घर खाली था। मैने उसको घर के अन्दर बुला लिया। उसने सफ़ेद रंग का सूट पहन रखा था। जो काफ़ी टाईट था। उसकी चूचुकों का कसाव साफ़ साफ़ दिख रहा था। मे उसको अन्दर ले जाकर सोफ़े मे लिटा कर उसकी चूचीयो को मसलने लगा। हम दोनो चूमा चाटी कर रहे थे। मै उसके चूचीयो को बडे मजे से दबा रहा था। मैने अपना हाँथ धीरे-धीरे नीचे की ओर ले जाने लगा। मैने अपना हाँथ उसकी पेन्टी के अन्दर डाल दिया। उसकी योनि के बाल बुरान्स (बुर के रस) से भिगे हुये थे। मैने उसकी चुत को धीरे-धीरे सहलाना शुरु कर दिया। मेरा लन्ड उसकी चुत को फ़ाड्ने के लिये तैयार हो गया था। वो फ़ुन्कार मार रहा था लुन्गी के अन्दर। मैने धीरे से अपनी उँगली उसकी चुत मे डाली और उसने एकदम से मेरे को दक्का दिया और खडी हो गई। हँस कर बोली मेरे को देर हो गई है मै जा रही हु और मेरे खडे लन्ड पर धोखा दे कर भाग गई। फ़िर मैने बाथरुम मे जाकर अपने लन्ड पर नल की धार लगा ली। पानी की धार मेरे लन्ड पर सीधी पड रही थी। थोडी देर मे मेरे लन्ड ने माल फ़ेक दिया और मे शान्त हो गया। अब मेरे को जब भी मोका मिलता मै उसको घर के अन्दर ले जाके उसके चूचीयो से खेलता, लेकिन वो हमेशा मेरे लन्ड को खडा कर के भाग जाती थी। शालू मेरे घर के अन्दर आ जाती है ये बात भी मेरे ताऊ जी के लडके अनिल तक पहुच गयी। अब अनिल अक्सर दुकान पर आने लगा ओर शाम को भी खुद ही चाभी देने आता था। अब मेरा भाई मेरा दुश्मन बन चुका था। मेरा शालु से मिलना फ़िर से बन्द हो गया। अनिल अब लगभग हमेशा ही दुकान पर उसके साथ रहने लगा। शालु का फ़ोन भी अनिल ने ले लिया था। मे शालु के प्यार मे दिवाना था अब मुझसे दुरीया सहन नही होती थी। अब हमेशा अपने घर से शालु को दुकान मे छिप-छिप कर देखता था। मैने एक चीज नोटिस की “ शाम को जब दुकान बन्द करने का वक्त होता था तब अनिल ओर शालु दुकानो के ऊपर बने एक कमरे मे जाते थे ओर थोडी देर बाद बाहर आते ओर अनिल अपनी बाईक से शालु को घर छोड आता था। अगले दिन मै शाम के समय पहले से जाकर ऊपर के कमरे के पास छिप गया ओर उस कमरे मे लगी खिडकी को थोडा सा खोल दिया ताकि मे अन्दर देख सकु। लगभग आधा घन्टे बाद किसी के ऊपर आने की आहट हुयी। वो शालु और अनिल थे। मेरा दिल जोरो से धडक रहा था। मेरे मन मे उल्टे सीधे ख्याल आ रहे थे अनिल और शालु को लेकर। लेकिन मेरे दिल को अपने प्यार पर पुरा भरोशा था। वो दोनो सीधे रूम मे चले गये। मे चुपचाप वहीं पर छिपा खडा रहा। अन्दर से उन दोनो के हस हस बाते करने कि आवाजे आ रही थी। मेरा दिल जोरो से धडके जा रहा था। मैने थोडी देर बाद आकर मैने खिडकी मे झंका तो मेरे नीचे से जमीन सरक गई। अनिल अपना लन्ड खोले हुआ पडा था ओर मेरा प्यार शालु अपने चुचुक खोले हुये अनिल के ऊपर थी। शालु अनिल के लन्ड को मुहँ मे ले कर चूस रही थी। आगे कुछ भी देखने कि हिम्मत मेरे मे नही थी। मेरा सर घूम रहा था। मे घर जाकर बिस्तर पर गिर पडा और बहुत रोया।ये सब बाते मैने अपने जिगरी दोस्त प्रणव को बताई। प्रणव हमारे बारे मे जनता था और शालु को भाभी कह कर बुलाता था। शालु भी उसको देवर जी बुलाती थी। अब मेरे अन्दर प्रतिशोध कि ज्वाला धधक रही थी। प्रणव ने मेरे को समझाया की शालु रण्डी टाईप की है उसको भुल जा और पडाई मे मन लगा। लेकिन मैने कहा जब तक मै उसको चोद नही देता मुझे शान्ति नही मिलेगी। प्रणव ने मेरे कहने पर एक रुम की व्यव्स्था की जो मुझे कभी भी खाली मिल जाये। प्रणव अपनी एक महिला मित्र के साथ उस दुकान पर गया और मेरा मैसेज उस तक पहुचा दिया कि मे उस से मिलना चाहता हू और किसी कि शक भी नही हुआ। मे सुबह प्रणव के पास गया और रुम की चाभी ली, प्रणव बोला भाई “क्ण्डोम ले लेना॥ अगर ना ले पाये तो मेरे को बता मे ले आता हू।“ मैने कहा “मे ले लूगा”।मे सीधे बस स्टेण्ड पहुचा जहॉ शालु मेरे इन्तजार कर रही थी। शालु सजधज कर आई थी कमाल की कयामत लग रही थी। वो बाईक पर बैथ गई। बोली कहाँ चलेगे घूमने। मैने कहा “गन्गा जी चलते है”। और हम बाईक से प्रणव के बताये रुम पर पहुच गये। वो बोली ये कहाँ ले आये। मैने कहा एक दोस्त रहता है यन्हा पर। वो सब कुछ समझ चुकी थी। वो चुपचाप रुम मे आ गई। मे हड्बडाहट मे कण्डोम लेना भी भुल गया। शालु बोली “ अगर ये करना था तो बता देते।“ मे गुस्से मे था। पर मै कुछ नही बोला। ये मेरा पहला सेक्स अनुअभव था इसलिए नरवस था। मैने उसके चुचियो को शूट के ऊपर से ही शुरु कर दिया। फ़िर मैने उसका सलवार खोला वो अन्दर गीली हो चुकी थी। मैने अपना अपने 7 इन्च का लन्ड निकाला ओर उसकी चुत की मुहाने पर लन्ड का सुपडा रख कर एक धक्का लगाया। ये क्या आधे से ज्यादा लन्ड सरसराता हुआ घुस गया। मे जिसे चुत समझता था वो तो चुद चुद कर भोसडा बन चुकी थी। फ़िर मैने धक्के लगाना शुरु कर दिया। 20-25 धक्को के बाद मै झरने की हालत मे आ गया मैने जल्दी से अपना लन्ड बाहर निकाला और सारा माल जमीन पर गिरा दिया। शालु चुपचाप ऐसे पडी हुई थी कि जैसे मैने उसका रेप कर दिया हो। सिर्फ़ आह आह करती रही और मे चोदता रहा।इतने मे दरवाजे पर दस्तक हुई। मै डर गया। हम दोनो ने कपडे सही किये और दरवाजा खोलने गया। सामने प्रणव खडा था। तब जान मे जान आई। वो अन्दर आया तो शालु ने प्रणव से बोला “ देखिए देवर जी इन्होने शादी से पहले ही सब कर दिया।“ मैने इक झापड शालु के गाल पर रख दिया। ओर बोला “साली रण्डी पुरी दुनीया से चुद्वाती है और मेरे से शादी करेगी”। शालु के चेहरे का रंग उड चुका था। वो बोली ये आप क्या कह रहे है? प्रणव ने कहा “ हमे तुम्हारे और अनिल के बारे मे सब पता चल चुका है।“ शालु हँसती हुई बोली “ अगर पता चल गया था तो पह्ले बताते मै भी अच्छे से चुदवाने का मजा लेती”।
प्रणव बोला – अभी तेरी चुदाई तो सुरु भी नही हुई है। प्रणव भुखे भेडिये कि तरह उस पर टूट पडा ओर उसकी चुचियो को दबाने लगाने। प्रणव ने थोडी ही देर मे शालु के सारे कपडे उतार फ़ेके। शालु पुरी तरह हम दोनो के सामने नंगी खडी थी। उसके मस्त मस्त चूचुकों को देख कर हम दोनो से रहा नही गया ओर एक एक चूचुक को चुसने लगे। शालु मजे से आह आह कर रही थी। हम दोनो ने उसे जम कर चुसा। अब मुझे भी मजा आने लगा था। थोडी देर बाद प्रणव ओर मैने भी अपने कपडे उतार फ़ेके। अब हम तीनो बिलकुल नंगे थे। प्रणव का 8 इन्च लमबा, माँसल लन्ड देख कर शालु की आन्खे चमक गई।। हमारे लन्ड शालु को फ़ाडने के लिए तेयार थे। मैने अपना लन्ड शालु के मुँह मे दे दिया। वो चाकलेट की तरह उसको चुसने मे लग गई। मै तो जन्नत की सेर कर रहा था। फ़िर उसने मेरे लन्ड के सुपाडे को अपने मुँह से हटाया ओर मेरा सुपडा चुसने लगी। कभी मेरे गोलक को चुसती। मे सातवे आसमान पर था। प्रणव शालु की चुत पर टुट पडा था। वो उसकी चुत को चाट रहा था। शालु भी चुतड ऊथा ऊथा कर साथ दे रही थी। अब प्रणव ने एक उँगली उसकी चुत मे घुसा दी ओर अन्दर बाहर करने लगा। फ़िर उसने दो ओर उँगली अन्दर कर दी। अब शालु को मजा आ रहा था। शालु ने मेरा लुन्ड मुँह से बाहर निकलते हुये बोला प्रणव अब चोद दो सहा नही जा रहा ओर फ़िर से मेरा लन्ड मुँह मे ले लिया। मैने शालु के मुँह मे धक्के लगाना सुरू कर दिया। प्रणव ने अब अपना लन्ड शालु की चुत पर रख लिया था ओर एक जोर क धक्का लगाया। लन्ड 5 इन्च तक जा समाया था। शालु कुछ बोल भी नही पा रही थी बस मेरे लन्ड के धक्के उसके मुँह को चोद रहे थे। प्रणव ने भी धक्को की स्पीड बडा दी थी। अब कमरे मे फ़च फ़च की अवाजे गुन्ज रही थी। शालु का शरीर अकड सा रहा था ओर उसने मेरा लन्ड छोड कर प्रणव से लिपट गई। शालु अब झड चुकी थी। मै फ़िर से शालु के मुँह मे लन्ड डाल चुका था ओर उसके मुँह को चोदने लगा था। लगभग 20 मिनट बाद मेरे लन्ड मे तनाव बड गया था ओर मैने अपनी स्पीड बडा दी। मेरा सारा शरीर अकडा जा रहा था गजब की सनसनाहाट हुई ओर थोडी ही देर मै मैने अपना सारा वीर्य शालु के मुँह मे छोड दिया। वो सारा वीर्य सट सट कर के पी गई। शालु इस दोरान दो बार झर चुकी थी। प्रणव ने भी अपना लन्ड बाहर निकाला ओर शालु के मुँह मे दे दिया। 5-6 धक्के बाद ही प्रणव ने अपना वीर्य शालु के मुँह मे छोड दिया। अब हम तीनो निडाल पडे थे।लगभग 15 मिनट बाद हम दोनो ने उसको अपना लन्ड चुसने के लिये बोला। वो बारी बारी से हम दोनो का लन्ड चुस रही थी। थोडी ही देर मे फ़िर से दोनो तेयार हो गये थे। मैने शालु की गाण्ड मे क्रीम भरी ओर लन्ड मे भी लगा ली। अपने लन्ड को गाण्ड के छेद पर रखकर एक धक्का लगया लेकिन लन्ड फ़िसल गया। अगले प्रयास मे लन्ड आधा घुस गया। शालु के मुँह से चीख निकल गई। फ़िर मैने धीरे धीरे लन्ड को उसकी गाण्ड मे पुरी तरह फ़िट कर दिया। अब मैने धक्को कि स्पीड बडा दी थी। शालु भी मजे से आह आह कर रही थी। अब प्रणव भी मोरचा लेने के लिये तेयार था। मैने अब लेट कर शालु को अपने ऊपर ले लिया ओर नीचे से उसकी गाण्ड मे अपना लन्ड मशीन चला रखी थी। प्रणव ने अपना लन्ड शालु कि चुत मे फिर से सम्हाहित कर दिया। अब शालु के दोनो छेदो मे कोहराम मचा हुआ था। शालु की सिसकारियो से, आह आह, फ़च फ़च का चूद्गान हो रहा था। हमने लगभग दो घण्टे तक चूद, ग़ाण्ड को बजाया। शालु चुद चुद कर निडाल हो चुकी थी। लेकिन वो दो तगडे लन्ड पा कर बहुत खुश थी। मेरा प्रतिशोध चुद के अन्दर जा के खत्म हो गया था। दोस्तो इस तरह से मै इक रण्डी का पति बनने से बच गया।