Bhabhi sex story Maa aur Bahan ko pataya हेलो दोस्तो मेरा नाम कबीर है। मैं चंडीगढ़ का रहने वाला हूं। ये कहानी में मैं अपनी आप बीती सुनाने जा रहा हूं। मेरी उमर 23 साल है और मैं कॉलेज में पढ़ता हूं। मेरी भाभी और भैया की शादी को 1 साल हुआ है। और घर में मैं, मेरी मम्मी, भाई और भाभी और एक बहन रहती है।
मेरी भाभी का जिस्म देख वड्डे वड्डो का लंड पंत में ही पानी छोड़ दे। जिस्म के बारे में बताना तो भूल गया। भाभी का नाम रिया है (बदला हुआ)। भाई का नाम साहिल (बदला हुआ) और बहन प्रीत (बदला हुआ) और मां सविता (बदला हुआ).. मेरी बहन की भी शादी हो चुकी है और उनके बारे में तो क्या कहूं वड्डे मम्मे, मोटी गांड, चोदने वाले को मजा ही आ जाए….
अब आता हूं कहानी पर ……
मैंने अपनी +2 बोर्डिंग स्कूल से की थी, तो ज्यादा तर घर से बहार ही रहा हूं। पर कॉलेज के लिए मैं चंडीगढ़ ही वापीस आ गया था। और भैया की शादी भी नई-नई हुई थी। भैया एक कंपनी एम जॉब करते हैं, सेल्स के रिलेटेड, तो वो ज्यादा तर बिजी या घुमते ही रहते हैं..
भाभी इतनी सुंदर थी का मेरा मन उनके ऊपर रहा था। जब वो तयार होती, तो पताका लगी थी। धीरे धीरे में उनकी तरफ आकर्षित हो गया था। और मैं अब भाभी को छेड़ने के स्पर्श करने के बहाने ढूंढ़ता था.. एक दिन की बात है. जब भाभी नीचे खड़ी हुई थी और मैं उनकी ओर देख रहा था.. और मुझे उनके मम्मे आधे दिखाई दे रहे थे… क्या नज़ारा था… और मैंने देखना नहीं बंद किया… देखता रहा…
फिर अचानक भाभी ने ऊपर देखा। मुझे देखकर उन्होंने अपना दुप्पटा ठीक किया और अंदर चली गयी…
मेरे डर के मारे शॉट हो गए थे.. की अब डांट पक्की… फिर मैंने कुछ नहीं किया और वहां से चला गया… एक दिन भाइये ५ दिन के लिए कहीं ट्रिप पर थे काम से तो भाभी अकेली थी उस टाइम…
जब मैं उस दिन रात को उठा और किचन में जाते हुए देखा भाभी के रूम में.. भाभी ने देख लिया…. पर मुझे शक था की कुछ तो बात है की भाभी किसीसे बात कर नहीं है..
और मैं रूम में आ गया. उसके १० मिनट् बाद भाभी मेरे रूम में आ गयी…
भाभी – तुम्हे शर्म नहीं आती, अपनी भाभी को ऐसे देखते हुए… मैं तुम्हारे भाइये को बताउंगी… और घर में भी बताउंगी…
मैं डर के मारे कांप रहा था की अब तो फस गया.. अब पिटाई होगी..
मैं – भाभी, मुझे माफ़ कर दो.. मैंने कुछ जान बूझ के नहीं किया.. मैं गुज़र रहा था तब अचानक से आपको देखकर रुका नहीं गया… माफ़ कर दो… आगे से नहीं होगा…
भाभी – तुम्हे मार तो पड़नी चाहिए… मैंने देखा था उस दिन तुम मुझे छत पर से घूर रहे थे…
मैं – भाभी ऐसे कुछ नहीं है.. मुझे माफ़ करदो… आगे से नहीं होगा… प्रॉमिस करता हु…
भाभी – चलो अब प्रॉमिस करते हो तो लास्ट वार्निंग दे रही हूँ… वरना घर में बता दूंगी..
मैं – शुक्रिया भाभी…
भाभी वह से चली गयी और मेरी भी सांस में सांस आयी…
फिर मैं उनसे बदला लेने का मौका ढूंढ़ता रहा…
एक दिन जब मैं कॉलेज से घर वापस आया तो मैंने देखा रूम में भाभी अपने चुत में ऊँगली कर रही थी और अपने मम्मे मसल रही थी.. मैंने वहा खड़े होकर उनकी वीडियो बनाई… कुछ टाइम बाद भाभी अपना फ़ोन वहीँ रख कर वाशरूम चली गयी… मैंने जल्दी से जाकर देखा। फ़ोन में बहुत साड़ी उनकी वीडियोस थी जो उन्होंने किसी लड़के को भेजी थी… और उनकी चैट जो उससे की हुई थी…
मैं – भाभी बता देना भैया को मैं भी बताऊंगा की आप उनके पीठ पीछे क्या करती हो…
भाभी – पागल है क्या? भौंक रहा है तू… जानता भी है?
मैं – सब जानता हूँ… और मेरे पास प्रूफ भी है.. डरो मत.. मैंने आपके फ़ोन से सारा डाटा अपने फ़ोन में दाल रखा है.. दिखाऊंगा मैं भैया को…
भाभी – कबित देख.. मैं तेरी भाभी हूँ… सच बताऊँ… मेरी भी कुछ तमन्ना है.. तुम्हारे भैया कुछ करते नहीं.. ट्रिप पर ही रहते है ज़्यादा टाइम… मेरी भी कुछ ज़रूरतें है..
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मैं – ऐसी कैसी ज़रूरत? क्या नहीं देते भैया आपको जो आपको ये सब करना पद रहा है?
भाभी – हर चीज़ पैसे से नहीं खरीदी जाती.. कुछ पर्सनल भी होता है… मेरी शारीरिक ज़रूरत जो हर औरत अपने पति से चाहती है..
मैं – बताओ क्या नहीं दिया आपको भाइये ने…
भाभी – तुम्हारे भैया मुझे टाइम नहीं देते.. मेरी सेक्स लाइफ ठीक नहीं चल रही है.. इसीलिए मुझे ये कदम उठाना पड़ा…
मैं – पर ये तो गलत है..
भाभी – तुम जो मांगोगे मैं दूंगी. जितने पैसे कहोगे दे दूंगी.. पर प्लीज किसी को मत बताना…
मैं – पैसों की ज़रूरत नहीं है..
भाभी – तो क्या चाहिए तुझे?
मैंने – मैं आपके साथ वही सब करना चाहता हूँ जो आप भाइये से चाहते हो..
भाभी – पागल तो नहीं हो तुम? मैं तुम्हारी भाभी हूँ.. ये कभी नहीं होगा…
मैं – ठीक है फिर… मैं भैया तो बता देता हूँ…
भाभी – देखो कबिर, ये गलत है…
मैं – जो तुम कर रही हो वो कौनसा ठीक है.. और तुम्हारी ज़रुरत है, मेरी भी ज़रूरत है.. कुछ गलत नहीं है… और मैं किसी को भी नहीं बताऊंगा…
भाभी – ठीक है.. पर…
मैं – पर-वर कुछ नहीं.. आप बस साथ दो..
फिर मैंने उनके एक ना सुनी और अपने होंठ भाभी को होंठों पर रख दिए… और किस करने लगा… धीरे धीरे भाभी भी साथ देने लगी..
फिर मैंने भाभी को बेड पर धक्का दिया और उनके कपडे खोलने शुरू किये… और पूरी बॉडी पर किस करते जा रहा था..
भाभी – देवरजी, जबसे शादी हुई तबसे प्यासी हूँ..
मैं – आप चिंता मत करो भाभी, मैं आज आपकी साड़ी प्यास बूझा दूंगा…
भाभी अंगड़ाइयां ले रही थी.. और मज़े ले रही थी..
फिर मैंने धीरे-धीरे उनके कपडे खोले और जब मैंने उनकी ब्रा खोली तो उनके वड्डे-वड्डे मम्मे आज़ाद हुए… क्या नज़ारा था… फिर मैंने भाभी के दूध पीना शुरू किया और भाभी आअह्ह्ह्हह…. आह्ह्ह्हह्ह…. ऊह्ह्ह्हह्ह…. ऊह्ह्हह्ह… की आवाज़े निकाल रही थी…
भाभी – देवरजी क्या कमाल हो… आपने क्यों नहीं शादी की मुझसे? आपका भाई तो फुद्दू है.. एक नंबर का माल जैसे बीवी पर ध्यान नहीं देता…
मैं – ये तो सही है भाभी… आपको देखकर बुड्ढ़ों का भी लंड खड़ा हो जाए…
भाभी – तुम अपना खड़ा करो.. और अपने कपडे तो उतारो.. मुझे तो एक पल में नंगा कर दिया..
मैं – तुम खुद ही उतार दो.. इतनी उतावली हो अगर…
और इतना कहने की देर थी, भाभी जानवर के तरह मेरे ऊपर टूट पड़ी.. मेरे कपडे खोल दिए… मेरा लंड देखकर बोली…
भाभी – क्या औज़ार है यार तेरा….. मार डालेगा मुझे पर मज़ा भी बहुत आएगा…
मैं – इस औज़ार को मुँह में लेकर देखो.. मज़ा आएगा…
भाभी – यार मैंने कभी नहीं लिया…. गन्दा लगता है…
मैं – यार भाभी प्लीज… मेरे लिए ले लो एक बार…
भाभी – तुम्हारे लिए तो कुछ भी मंज़ूर है.. तुमने आज मुझे खुश जो कर दिया…
फिर भाभी धीरे-धीरे मेरे लंड को चूसने लगी.. और फिर एक झटके में मैंने अपना सारा लंड उनके मुँह में दाल दिया.. और उनके मुँह को चोदने लगा..
२०-२५ मिनट बाद मैं उनके मुँह में ही झड गया..
भाभी – अब खुश हो मेरे देवरजी…
मैं – भाभी आपने मुझे जन्नत की सैर करवादी… अब मेरी बारी…
और मैंने भाभी की चुत की चाटना शुरू किया… क्या मज़ा आ रहा था.. क्या बताऊँ…
१० मिनट बाद भाभी भी झड़ गयी.. और भाभी ने फिरसे चूसकर मेरा लंड खड़ा कर दिया.. फिर भाभी तड़पने लगी… कहने लगी की..
भाभी – अब और मत तड़पाओ चोद डालो मुझे…
मैं – रुक जाओ मेरी रंडी भाभी… अभी लो..
और मैंने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और लंड सेट किया उनकी चूतपर और ज़ोर से झटका मारा… आधा लंड अंदर चला गया और भाभी चिल्ला उठी…
भाभी – पति निठल्ला और देवर निकला बल्ला-बल्ला… मार दिया साले कुत्ते ने… आराम से कर…. रंडी नहीं हु… तेरी भाई तो ठोकता ही नहीं… समझ तेरी ही बीवी हूँ… नयी-नयी चुत है…
मैं – मेरी हो तभी तो प्यार कर रहा हु… मेरी रंडी जान..
५-१० मिनट बाद भाभी का दर्द शांत हुआ… अब वो आवाज़ें निकाल रही थी…
“आआह्ह्हह्ह्ह्ह….. ऊह्ह्ह्ह…. उम्मम्मम्मम…. फ़क फ़क हार्ड बब्बी… एस्सस…. उह्ह्ह… अरे.. ग्रेट… आह्ह्ह्ह… ऊह्ह्ह्ह…. फ़क… ”
मैंने भाभी को कम से कम आधे घंटे चोदा और पुछा की..
मैं – मेरा झड़ने वाला है.. कहाँ निकालूँ?
भाभी – अंदर ही निकाल दे कबीर… मेरी जान… मैं तेरे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ… वैसे भी तेरे भाई ने मुझे ये सुख नहीं दिया अभी…
मैं – लो मेरी जान…
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ऐसे ही हमारा चलता था… मैं भाभी को ठोकता रहता जब भी मौका मिलता…
कुछ दिनों बाद जब मेरी बहन, जिसकी नयी नयी शादी हुई थी वो जब पहली बार कुछ दिन रहने के लिए घर आयी, तब मैं उसे लेने गया तो मैं देखता ही रह गया…
उसके चुचे पहले से थोड़े बड़े लग रहे थे.. शायद भाभी को चोदने के बाद मेरा नजरिया बदल गया था…
मैंने अपनी बहन को बाइक पर बिठाया और घर ले आया.. आते टाइम मैंने काफी बार ब्रेक लगायी.. जिससे उनके बड़े-बड़े तरबूज़ मैं महसूर कर सकू… क्या मज़ा आ रहा था तब…
घर पहुँचा और कुछ टाइम बाद जब मैं भाभी से मिला तब मैंने भाभी को किस किया और बोला की भाभी प्रीत तो पहले से भी ज़्यादा माल बन गयी है… भाभी चौंक गयी और बोली…
भाभी – तू क्या बोल रहा है? वो तेरी बहन है…
मैं – क्या करू भाभी… लंड बहन मानने को राज़ी नहीं हो रहा… उसके मम्मे देखकर रहा नहीं जा रहा… एक बार दिलादो उसकी…
भाभी – पागल हो गया है क्या? तू क्या बोल रहा है? ऐसा नहीं हो सकता…
मैं – क्यों नहीं हो सकता… जब मैं तुझे चोद सकता हूँ तो उसको क्यों नहीं?
भाभी – चल देखती हूँ… मनाने की कोशिश करती हूँ… तू भी उलटी पुलटि चीज़े बोलता है..
मैं – लव यू मेरी प्यारी भाभी जान..!!
इतना कहकर मैंने भाभी के चूचियों को मसला और किस किया.. और अपने रूम में चला गया… उसके बाद भाभी ने दीदी से बात की और दीदी को मनाने की कोशिश की..
भाभी – और प्रीत, क्या हाल है?
प्रीत – ठीक हूँ भाभी.. आप बताओ..
भाभी – मैं भी ठीक हूँ.. और तुम्हारी सुहागरात कैसी थी? क्या क्या किया दामादजी ने?
प्रीत – क्या करना… कुछ नहीं किया भाभी.. बल्कि मैंने करने की कोशिश को तो उन्होंने मुझे दूर कर दिया और सो गए.. मेरे तो अरमान ऐसे ही रह गए…
भाभी – तुम्हारे अरमान ऐसे कैसे रह गए.. मैं पूरे करुँगी.. तुम रात को तैयार रहना..
भाभी ये सब बातें करके मेरे पास आयी और बोली की रात को तैयार रहना.. मैंने मना लिया है… तुम कैसे वश में करते हो तुम पर है..
जैसे मुझे भाभी ने बोलै, मैंने ठीक वैसे ही प्रीत के रूम में गया.. जाकर लोअर खोली और उसके ऊपर चढ़ गया.. उसके मम्मे दबाने लगा और किस करने लगा.. मैंने देर न करते हुए उसके कपडे खोल दिए और नंगा कर दिया उसको.. और खुद भी नंगा हो गया…
पर प्रीत ने जैसे ही लाइट चालू किया वो शर्म के मारे मरने लग गयी.. और खुद को कपड़े से ढकने लगी.. तभी भाभी आयी और बोली…
भाभी – कुछ नहीं होता.. तुम बस मज़ा लो.. मैं खुद प्यासी थी… और मेरी प्यास इसिने बुझाई है.. तुम भी इसपर भरोसा रखो.. कुछ नहीं होगा.. तुम्हे खुश कर देगा ये मेरा वादा है..
प्रीत – ठीक है भाभी.. अगर आप कहते हो तो…
फिर जब मैंने रौशनी में देखा… क्या मम्मे थे प्रीत के.. मज़ा आ गया.. मैंने उसको लंड चूसने को बोलै और उसने पहले मना किया फिर मान गयी और फिर अच्छे से उसने मेरा लंड चूसा…
प्रीत – अब तड़पाओ मत.. चोद डालो मुझे…
मैं – रुको बहना… लो अभी.. लो..
और मैंने ठुकाई शुरू की। वो वर्जिन थी.. तो उसको बहुत दर्द हुआ… खून भी निकला और वो बहुत आवाज़ें निकाल रही थी… जैसे.. आह्ह्ह्ह… ऊह्ह्ह…. ममम…. फ़क… फ़क….
फिर ऐसे ही ये सिलसिला चलता रहा.. जब जब वो आती मैं उसकी ठुकाई करता.. बाद में तो भाभी ने मुझे मेरी माँ की चूत भी दिलवाई…