दीदी की चुत में लंड डालने का मेरा मन तो पहले से ही था, एक दिन मेरी वो ख्वाहिश भी पूरी हो गयी. अब आपको कहानी के तरफ ले चलता हूँ। एक बड़ी वाली बबिता दी है और उनकी ऐज २८ इयर्स है और छोटी काजल दी. जोकि बहुत ही खुबसूरत है और उनकी ऐज २५ इयर्स है. रिलेशनशिप में सिस्टर होने की वजह से मैं कभी भी उनके बारे में कभी कुछ गलत नहीं सोचता था. विर्य
अब मैं स्टोरी पर आता हु. बात पिछले साल अक्टूबर की है.
जब बबिता दी की शादी गुडगाँव से फिक्स हो गयी थी. लड़के वालो ने डिमांड रख दी, कि हम लोगो को गुडगाँव आकर शादी के अरेंजमेंट करने होंगे और शादी वहीँ से होगी. जिस कारण मामी और मामा जी बबिता दी की शादी से २ हफ्ते पहले ही वहां के लिए रवाना हो गये. ताकि वो सारे आरंगेमेंट अच्छे से कर सके.
मुझे ऑफिस का काम था. जिसके कारण मैं जमशेदपुर से शादी के २ दिन पहले गुडगाँव पहुचने वाला था. तो मेरे खाने पीने की कोई दिक्कत ना हो. इसलिए काजल दी मेरे साथ ही रुक गयी. दिन यू ही बीत रहे थे और मैं रोज़ सुबह ऑफिस चले जाता था और देर शाम को घर आता. फिर मैं और काजल दी साथ में डिनर कर के अपने – अपने रूम में सोने चले जाते थे. नेक्स्ट दिन, सन्डे होने की वजह से मैं लेट से जागा.
Behan ki chudai – जवान लड़की से सेक्स करने की चाहत
तो देखा कि काजल दी वाशिंग मशीन में कपड़े धो रही थी. विर्य
उनका टॉप और लेग्गिंग पानी से सराबोर था. क्या नजारा था. उनके निप्पल टॉप में से बाहर आते हुए दिख रहे थे. वो मानो मुझे चिड़ा रहे थे, कि अगर हिम्मत है और आकर निचोड़ लो मुझे. चीस कर उस संतरे का जूस पी जाओ. ये क्या लेगिनिंग में से चुतड का उभार साफ़ दिख रहा था. उनकी लटकती हुई गांड मुझे अपने पास ललचा कर बुला रही थी. मैं तो सिर्फ उनको एकटक निहार रहा था, कि तभी मेरे कानो में आवाज़ पड़ी.. साहिल.. साहिल.. अभी भी सपने में खोये हुए हो क्या? ये मधुर आवाज़ काजल दी की थी.
उन्होंने मुझ से कहा – जल्दी से फ्रेश हो जाओ. मैंने टेरेस पर कपड़े डाल कर आती हु. फिर ब्रेकफास्ट बना दूंगी. मैं फ्रेश होने बाथरूम में चला गया. अचानक से १० मिनट के बाद मुझे काजल दी के चिल्लाने की आवाज़ आई.. साहिल… मैं दौड़ा – दौड़ा गया. देखा तो काजल दी सीढियों से फिसल गयी थी और उनके घुटनों में काफी चोट लगी थी. उनको खून भी आने लगा था.
मैंने उन्हें जल्दी से अपने कंधे का सहारा देते हुए बैठाया और फिर बेडरूम में लेकर आ गया. चोट लगने की वजह से और ब्लड को देख कर वो बेहोश हो गयी थी और मैंने उनको हिला कर उठाने की कोशिश की. तो वो बस हूँ… की आवाज़े निकाल रही थी और फिर से बेहोश हो गयी. मुझे समझ नहीं आ रहा था, कि मैं क्या करू? मैंने फर्स्ट ऐड बॉक्स से कॉटन लेकर उनके घुटनों को साफ़ करना चाह.
बट दी के लेगिंग पहने होने की वजह से वो पॉसिबल नहीं था. विर्य
लेकिन उनके ब्लड को देख कर उनके घुटनों को साफ़ करना बहुत जरुरी था. फिर मैंने दी की कमर को उठाते हुए, उनकी लेगिंग को खीच कर अलग किया और उनके घुटनों को साफ़ करके एंटीसेप्टिक क्रीम लगा कर पट्टी कर दी.
अब जब मैं फर्स्ट ऐड बॉक्स रख कर वापस आया. तो दी अभी भी बेहोशी की हालत में पड़ी हुयी थी. ना चाहते हुए भी मेरी नज़र उनकी गेहुए रंग की चमकती हई जांघो पर जा रहा था. मैं अपने आखो से उसके जिस्म का जायजा ले रहा था. दी प्रीटी जिंटा की तरह दिखती है. उनके गालो पर जब वो मुस्कुराती है, तो गद्दे पड़ते है और डिंपल के निशान आते है.
गुलाब की भांति कोमल गुलाबी सुर्ख लाल होठ, सुराही जैसी गर्दन और टॉप में खड़े हिमालय जैसे कड़क – कड़क चुचक. जिसमे से निप्पल की कड़ाई का साफ़ अनुभव हो रहा था. शायद दी ने कपड़े धोते समय दी ने ब्रा निकाल दी थी. सपाट से पेट मनमोहक खुले और दोनों मांसल जांघो के बीच में ट्रायंगल शेप में ब्लैक थोंग तो अपनी एक अलग ही खूबसूरती बिखेर रही थी.
बहुत ही गजब लग रही थी काजल दी. विर्य
इतना सब कुछ देख कर मेरा लंड मुझ से बगावत कर बैठा और मेरे लिए अब बर्दाश्त करना मुश्किल होने लगा था. मैंने धीरे – धीरे आगे बढ़ना शुरू किया और आहिस्ते से उनके पेरो के नजदीक जाकर बैठ गया. मैंने दी की तरफ उतेजना भरी नजरो से देख रहा था. काजल दी अभी तक नींद में ही थी.
पता नहीं कहाँ से मुझ में आ गयी और मैंने उनकी कमर पर बंधी हुई डोर खोल दी और उनकी पेंटी खोल गयी. उनकी चूत देख कर मुझे चूत की खूबसूरती का अहसास हुआ और समझ में आ गया, कि क्यों सारी दुनिया चूत के पीछे पागल है. अच्छी में बहुत ही खूब सूरत चीज़ है. उनकी चूत डबल रोटी की तरह फूली हुई थी. एकदम गोरी – गोरी.. हलके – हलके काले बाल गजब ढा रहे थे.
ऐसा लग रहा था, जैसे फसल २ – ४ दिन पहले ही साफ़ की गयी हो. चूत की दोनों फांक आपस में सटे हुए थे और उनके नीच में मटर के दाने के माफिक गुलाबी घंटी दोनों फानको के बीच में बॉर्डर लाइन का काम कर रही थी. मैं हल्का सा झुका उनकी चूत की खुशबु लेने के लिए.. क्या मस्त मद कर देने वाली खुश्बु थी. मैंने एक लम्बी सी सांस खिची , ऐसा लगा जैसे मेरा दिमाग सुन्न हो गया हो.
ऐसी नशीली खुशबु मैंने जिन्दगी में पहले कभी नहीं ली थी. विर्य
मैं किसी और ही दुनिया में खो गया था. और मुझे पता ही नहीं चला, कि कब नाक की जगह मेरी जीभ ने ले ली और मैं उनकी चूत की लाइन को अपने जीभ की नोक से टच करने लगा था. मेरी जीभ उनकी चूत की दोनों फानको को खोलने की कोशिश कर रही थी और पता नहीं कब मैं ने कुते की तरह उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया था.
मैंने उनके चूत के छेद पर अपनी जीभ को घुमाना शुरू कर दिया था और नीचे से ऊपर जीभ से चूत को चाट रहा था. तभी मुझे चूत में गीलपन महसूस हुआ और मैं और भी जोर से चूत को चाटने लगा. मुझे उसका स्वाद हल्का कैसला और नमकीन लगा. लेकिन उस से भी कहीं ज्यादा नमकीन नशा लगा. ऐसा लगा, कि मानो मैंने १०० बोटल दारू की लगा ली हो और मुझे उनके बराबर का नशा हो गया हो.
मेरा नशा तब टुटा, जब दी ने अहहाह अहः की. विर्य
मेरी तो गांड ही फट गयी. मैं जल्दी से उठ कर रूम से बाहर आ गया. अभी भी मेरे मुह में चूत का रस लगा हुआ था. जो हलका चिपचिपा था और जिस से मैं मेरी जीभ से होठो से चाट रहा था. लेकिन तभी मुझे याद आया, कि मैंने दी की पेंटी को लगाया ही नहीं. ऐसे में दी को पक्का पता चल गया होगा, कि मैं क्या कर रहा था और क्या करने वाला था. अब मुझे मानो काटो तो खून नहीं. जो हलक अभी दी के चूत के रस से तरबतर था.. वो अब डर के मारे सूखने लगा था. मुझे अन्दर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी. तभी अप्रोक्स १० मिनट के बाद दी की आवाज़ आई.. साहिल… साहिल…
मैंने कहा – जी दी.
दी – ये सब क्या है?
मैं – दी, वो आपके पैर में चोट लगी थी. इसलिए बेंडेज करने के लिए मुझे मजबूरन आपके लेगिंग को उतारना पड़ा.
दी – वो तो ठीक है. लेकिन मेरे घुटनों में लगा थी चोट. ना की यहाँ… उन्होंने अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा. तुम्हे जरा भी शर्म नहीं आई. अपनी बड़ी बहन के साथ ऐसा करते हुए. छि छि.. कैसे गंदे लड़के हो तुम. ऐसे गन्दी जगह को चाट कर मज़े ले रहे थे और उसको चूस भी रहे थे. मुझे तुम से घिन्न आ रही है. तुम चलो गुडगाँव.. तुम्हारी सारी कारस्तानी पापा को बताती हु और बेज्ज़त होकर तुम यहाँ से दफा होंगे. दी ने ये सारी बातें एक सांस और गुस्से में कह दी.
मेरी आँखों में रोना आ गया और मैं उनको सॉरी बोलने लगा और रोने लगा. विर्य
नीचे से दी अभी भी नंगी थी और जैसे मैं पेंटी को खोल कर गया था.. वो अभी भी वैसे ही खुली हुई थी और वो पूरी नंगी कमर को बेड के सहारे से लगाये हुए, बेड पर अध्लेटी हुई थी. बहुत तकलीफ
दी – तुम्हारे इस मगरमच्छी के आंसू का मुझ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.. साला.. कुत्ता हरामी.. गन्दी नाली का सुवर. अपनी बहन पर नज़र रखता है. बहुत शौक है ना इसे चाटने का (अपनी ऊँगली से वो अपनी चूत की तरफ इशारा करने लगी).. चाट रे हरामी… मैं भी तो देखू, कि क्तिनी देर तक चाटता है.
और उन्होंने मुझे खीच कर बेड पर पटक दिया और मेरे मुह को अपने दोनों जांघो के बीच में ला कर मेरे सिर के बाल को नोचने लगी और मुझे अपनी चूत में घुसते हुए, मेरे मुह को अपनी चूत पर रगड़ने लगी..उसके द्वारा मेरे बाल खीचने पर मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी.
फिर मैंने कहा – दी अब तो मैं लगतार चाटूनगा, जब तक मेरा मन नहीं भरेगा. विर्य
दोस्तों… आगे की कहानी अगले पार्ट में… तो दोस्तों.. मुझे बताना जरुर, कि आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी…