होटल में चूत पेल दी
Antarvasna, hindi sex stories: मेरे जीवन में किसी भी चीज की कभी कमी नहीं थी मेरे पिताजी एक बड़े बिजनेसमैन है और वह चाहते हैं कि मैं उनके बिजनेस को संभालू। अभी कुछ समय पहले ही मैं अमेरिका से लौटा हूं मेरी अमेरिका से पढ़ाई पूरी हुई है और अब पापा चाहते हैं कि मैं उनके बिजनेस को संभालू। मैंने पापा से कहा कि मैं कुछ समय बाद आपके बिजनेस को संभाल लूंगा अभी तो मेरी पढ़ाई खत्म हुई है तो वह मुझे कहने लगे कि ठीक है मनीष बेटा जैसा तुम्हें लगता है। थोड़े समय बाद मैंने पापा के बिजनेस को ज्वाइन कर लिया था पापा के बिजनेस में मैं हाथ बटाने लगा तो उन्हें भी अच्छा लगने लगा। एक शाम हम लोग साथ में बैठे हुए थे तो पापा मुझे कहने लगे कि बेटा आज हम लोग हमारे एक पुराने फ्रेंड के घर पर पार्टी में जा रहे हैं तो तुम भी तैयार हो जाओ। मुझे पार्टी में जाने का बिल्कुल भी मन नहीं था क्योंकि मैं कभी भी पार्टी का शौक नहीं रखता लेकिन पापा मम्मी की बात मैं टाल ना सका और मुझे पार्टी में जाना पड़ा।
मैं पार्टी में चला गया था जब मैं वहां पर गया तो वहां पर मेरा परिचय मेरे पापा और मम्मी ने अरविंद अंकल से करवाया। अरविंद अंकल पापा के काफी पुराने दोस्त हैं और उन्हीं की शादी की सालगिरह की पार्टी में हम लोग गए हुए थे। वह काफी खुश थे और उनकी शादी को 25 वर्ष हो चुके थे। मैंने मम्मी से पूछा कि मम्मी अरविंद अंकल के बच्चे कहीं नजर नहीं आ रहे तो वह मुझे कहने लगी कि बेटा वह लोग अमेरिका में रहकर वहीं अपना बिजनेस संभाल रहे हैं। उस पार्टी में काफी देर तक हम लोग रुके और फिर कुछ देर बाद घर लौट आए थे। जब हम लोग घर लौट रहे थे तो मम्मी ने मुझसे कहा कि मनीष बेटा तुम्हें यहां अच्छा तो लग रहा है ना, मैंने मम्मी से कहा हां मम्मी मुझे यहां अच्छा लग रहा है और आप लोगों के साथ मैं काफी खुश भी तो हूं। मैं पापा का काम पूरी तरीके से संभालने लगा था इसलिए मुझे अपने लिए कम ही समय मिल पाता था। मैं ज्यादा किसी को चेन्नई में जानता भी नहीं था लेकिन अब धीरे धीरे मेरी भी दोस्ती होने लगी थी।
जब हमारे पड़ोस में रहने वाले रोहित से मेरी मुलाकात जिम में हुई तो हम दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई। मैं भी फिटनेस को लेकर बड़ा ही सजग रहता हूं और मैं रोहित जिम में ही मिला जिम में मिलने के दौरान हम दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई और अब हम दोनों एक दूसरे को जब भी मिलते तो एक दूसरे के साथ अपनी बातों को जरुर शेयर किया करते थे रोहित और मेरी मित्रता बहुत गहरी हो चुकी थी। एक दिन रोहित मुझे कहने लगा कि मनीष क्यों ना हम लोग कुछ दिनों के लिए कहीं घूमने चलें तो मैंने रोहित को कहा यह तो तुम ठीक कह रहे हो लेकिन हम लोग घूमने कहां जाएंगे। रोहित मुझे कहने लगा कि क्यों ना हम लोग घूमने के लिए मनाली चलें मैंने रोहित से कहा कि लेकिन हम लोग मनाली में कितने दिनों तक रुकने वाले हैं। रोहित कहने लगा कि वहां पर उसका एक दोस्त रहता है जो कि अपना होटल चलाता है। रोहित ने मेरे सामने ही उससे बात कर ली और फिर हम लोगों ने मनाली जाने का फैसला कर लिया था। मैंने यह बात पापा और मम्मी को बता दी थी कि मैं कुछ दिनों के लिए मनाली जा रहा हूं तो पापा और मम्मी कहने लगे कि बेटा लेकिन तुम वहां से वापस कब तक लौट आओगे। मैंने पापा और मम्मी से कहा कि वहां से मैं जल्द ही वापस लौट आऊंगा। मैं और रोहित मनाली चले गए हम लोगों ने सारी व्यवस्था कर ली थी और जब हम लोग मनाली पहुंचे तो रोहित के दोस्त से हमारी मुलाकात हुई रोहित के दोस्त का नाम संजय है। संजय बहुत ही अच्छा है और जब संजय से मैं मिला तो संजय से मेरी भी काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी। संजय ने हम लोगों के लिए किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं की और हम दोनों ने मनाली में खूब इंजॉय किया। मनाली में हम लोगों ने खूब इंजॉय किया उसके बाद जब हम लोग वापस चेन्नई लौट आए तो कुछ दिन तक मुझे चेन्नई में बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। मैं अपने ऑफिस जाने लगा था तो मेरी रोहित से कम ही मुलाकात हो पा रही थी। एक दिन रोहित ने मुझे कहा तुम काफी दिनों से जिम नहीं आ रहे हो तो मैंने रोहित को कहा कि आज कल ऑफिस में कुछ ज्यादा काम था जिस वजह से मुझे समय नहीं मिल पा रहा था इसलिए मैं जिम भी नहीं आ पा रहा हूं लेकिन मैं कल सुबह तुम्हें जिम में मिलता हूं।
रोहित मुझे कहने लगा कि ठीक है हम लोग कल सुबह जिम में मिलते हैं और हम लोग अगले दिन सुबह के वक्त जिम में मिले। काफी देर तक जिम करने के बाद मैं घर वापस लौट आया था तो पापा मुझे कहने लगे कि वह कुछ दिनों के लिए बेंगलुरु जा रहे हैं और वहां से वह जल्द ही वापस लौट आएंगे मैंने पापा को कहा ठीक है। पापा बेंगलुरु चले गए थे और मैं चेन्नई में काम संभाल रहा था पापा जब वापस लौटे तो पापा कि तबीयत कुछ ठीक नहीं थी इसलिए पापा घर पर ही थे। कुछ दिनों बाद पापा की तबीयत ठीक हो गई और फिर वह दोबारा से ऑफिस जाने लगे थे। एक दिन पापा के पुराने दोस्त ऑफिस में आए हुए थे वह जब उस दिन मुझे मिले तो उन्होंने मुझे देखते हुए कहा कि मनीष तुम कितने बड़े हो गए हो तुम से तो काफी साल पहले मुलाकात हुई थी। पापा के दोस्त का नाम रमेश है रमेश अंकल पापा के काफी पुराने दोस्त हैं और वह मुझे कई सालों पहले मिले थे उस वक्त मैं स्कूल में पढ़ाई करता था।
रमेश अंकल उस दिन हम लोगों के घर पर ही रुके वह अपने किसी काम से चेन्नई आए हुए थे तो वह हमारे घर पर ही रुके। रमेश अंकल हमारे घर पर दो दिनों तक रहे और फिर वह चले गए कुछ दिनों बाद रमेश अंकल दोबारा से हमारे घर पर आए और हमारे घर पर ही ठहरे। मेरे जीवन में सब कुछ अच्छे से चल रहा था हमारे ऑफिस में एक लड़की जॉब करने के लिए आई। उसका नाम अंकिता है वह हमारे ऑफिस में जॉब करने लगी अंकिता बड़ी समझदार है। उसके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है लेकिन मैं हमेशा ही अंकिता का सपोर्ट किया करता अंकिता भी कहीं ना कहीं मेरी इस बात से बडी खुश रहती और वह मेरी इस बात से बहुत प्रभावित थी। अंकिता और मैं जब एक दूसरे के साथ होते तो हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगता अंकिता को भी बड़ा अच्छा लगता। अंकिता और मैं एक दूसरे के साथ काफी अच्छा समय बिताया करते। एक दिन मैंने उसे अपने साथ चलने के लिए कहा, अंकिता बड़ी सुंदर लग रही थी अंकिता को देखकर मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगा था। मैं अंकिता के होठों को देखकर उसके होठों को चूमने चाहता था मैने उसके होठों को किस कर लिया। मैंने जब अंकिता के होठों को चूमा तो उसे मजा आने लगा। मैं और अंकिता एक दूसरे को बड़े अच्छे से किस कर रहे थे हम दोनो अपने आपको रोक नहीं पा रहे थे। मैंने अपनी कार को किनारे रोककर अंकिता के स्तनों को दबाना शुरू किया तो वह बहुत ही उत्तेजित होने लगी। अब वह मेरे साथ अंतरंग संबंध बनाने के लिए तैयार थी हम दोनों वही नजदीक एक होटल में चले गए वहां पर मैंने रूम लिया। मुझसे तो बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था मैं बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पा रहा था। मेरे अंदर की आगे बढ़ती ही जा रही थी मैंने जैसे ही अंकिता के स्तनों को दबाकर उसके स्तनों को अपने मुंह में लेना शुरू किया तो उसे मजा आने लगा।
अंकिता को इतना मजा आ चुका था कि उसकी चूत पर जैसे ही मैंने उंगली से स्पर्श किया तो वह मचलने लगी। वह मुझे कहने लगी आज मुझे मजा आ गया मै उसकी चूत को चाटने लगा उसकी चूत को चाटकर मैंने पूरी तरीके से गीला कर दिया था उसकी योनि से निकलता हुआ पानी कुछ ज्यादा ही अधिक हो चुका था और मुझे बड़ा ही मजा आने लगा था। जब मै उसकी चूत का रसपान कर रहा था तो अंकिता की चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ चुका था और मुझे भी बड़ा ही मजा आने लगा था। मैने अंकिता के दोनों पैरों को खोल लिया था और जैसे ही मैंने उसके पैरों को खोल कर उसकी चूत पर बड़ी तेजी से प्रहार किया तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है।
अब मेरे अंदर की आग पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी और मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। अंकिता मुझे कहने लगी मुझे और तेजी से चोदो। अंकिता का बदन पूरी तरीके से लाल होने लगा था मेरे धक्को मे भी अब तेजी आने लगी और मै उसे इतनी तेजी से चोदने लगा की मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था और ना ही वह बर्दाश्त कर पा रही थी। मैंने अंकिता को कहा मुझे तुम्हें चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा है वह मुझे कहने लगी तुम ऐसे ही मेरी चूत के मजे लेते रहो। मैने अंकिता को कहा तुम्हारी चूत मुझे बड़ी टाइट महसूस हो रही है वह मुझे कहने लगी मेरे अंदर की आग को तुम मत बढ़ाओ जितना हो सके उतनी तेजी से मेरी चूत का मजा लो। मैंने उसकी चूत का मजा बहुत तेजी से लिया जैसे ही मैंने उसकी योनि के अंदर माल को गिराया तो वह खुश हो गई और मुझे कहने लगी आज जाकर मेरी गर्मी शांत हुई है। अब मैं अंकिता को दोबारा से चोदना चाहता था मैंने उसकी चूत दोबारा से मारी और अंकित की चूत मारकर मुझे बड़ा ही अच्छा लगा। जब मैं अंकिता को चोद रहा तो मुझे मज़ा आ रहा था और अंकिता को भी बड़ा ही मजा आ रहा था। उसकी चूत के अंदर बाहर मैंने जैसे ही अपने लंड को तेजी से किया तो अंकिता की चूत की गर्मी को मैने शांत किया। वह खुश हो गई और मुझे कहने लगी आज जाकर मेरी गर्मी शांत हुई है।